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Diwali Poem In Hindi

दीपावली : पुकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दीपावली : पुकार। ♦

दीपशिखा की वर्तिका समिध रहा तेल,
घृत से पूजन करें, कुल की परंपरा माता का अभिषेक।

लोक परंपरा में रही मृतिका की बनी में,
मदार की बाती रखे सरसों तेल से फिर प्रज्वलित करें।

कडुआ अनुभव रहा तम ने घेरा डाला जीवन,
इस बार मिटा दो मैया अगला साल न हो ऐसा।

कडुवे तेल से दीप जलाऊं लो कर लो स्वीकार,
मेरे जीवन का अंधेरा हटा दो अबकी बार।

बहुत लड़ चुका हूं गर्दिश से अब न लड़ पाऊंगा,
आया हूं शरण तिहारी आर्तनाद मेरी तू ले इस बार सुन।

बीत गये दिन बहुत सारे अब तो कृपा कर दे,
भोग लगा रहा मैया आस तुझ पर लगाया है।

अंधकार मिटा दे, कुछ तो इतना दे… दे,
भूखा हूं मैं मैया प्यास मेरी मिटा दे।

बस आँचल का प्यार अपना दे… दे,
तेरी कृपा से जी उठुंगा अपना मान दे… दे।

घी के दिये में तुझे पुकारूं हे नाथ कृपा इतना कीजिये,
विघ्न मेरे सारे हर लीजिये चंगा मुझे कर दीजिए।

विनायक कहलाते आप हैं शिव सुत कहलाते,
माँ लक्ष्मी के साथ आप सदा विराजते।

मुझ दीन-हीन पर अपनी कृपा-दृष्टि रखिये,
आप के संग बसे धर्मराज चित्रगुप्त से मेरी ओर दृष्टि फिराइये।

इस दीपावली आप सब से मैं भी दीप-भोग लगाईये।
इस बालक की ओर अपनी कृपा थोड़ी रखिये।

मैं अगले बरस लगाऊंगा मोदक संग ले आऊंगा,
दीपक के संग-संग अपनी खुशी भी चरणों में चढ़ाऊंगा।

ध्यान दें: मृतिका की बनी = मिट्टी का दिया

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली , मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — दीपावली महापर्व पर माँ लक्ष्मी और गणपति का आह्वान किया है। दीपावली पर माता रानी को दीप भोग लगाऊ, मुझ दीन-हीन पर अपनी कृपा-दृष्टि रखिये माँ। हे मैया मेरी अरदास सुन ले, बस आँचल का प्यार अपना दे-दे, तेरी कृपा से जी उठुंगा अपना मान दे-दे। घी के दिये में तुझे पुकारूं हे नाथ कृपा इतना कीजिये, विघ्न मेरे सारे हर लीजिये चंगा मुझे कर दीजिए। शुभ दीपावली आत्मिक साधना के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन होता है, इस दिन हम सभी को अपने आत्मिक उत्थान के लिए सच्चे मन से साधना करना चाहिए।

—————

यह कविता (दीपावली : पुकार।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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