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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

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poet Ved Smriti 'Kritee' ji

भगवान धन्वन्तरि – धनतेरस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भगवान धन्वन्तरि – धनतेरस। ♦

आयुर्वेद के हैं प्रणेता,
धनतेरस अवतरण दिवस।
समुद्र मन्थन की समाप्ति पर,
हुए प्रकट ले अमृत – कलश।

देवराज ने की जो विनती,
आग्रह उनका मान लिया।
अमृत कलश से सब देवों ने,
अमृत सुधा का पान किया।

दीर्घतथा माता हैं उनकी,
लिखा है विष्णु पुराण में।
श्यामवर्ण चतुर्भुज हैं निपुण,
वनस्पतियों के ज्ञान में।

विनीत भाव से बोले इन्द्र,
आयुदाता भगवान से।
स्वीकार करो पद देव – वैद्य,
हे… तेजपुंज सम्मान से।

कालक्रम में मानव जगत के,
बहु रोगों से पीड़ित हुए।
कल्याण हेतु सकल जगत के,
वे धरा पर अवतरित हुए।

अवतार लिया काशी नगरी,
कहलाए नृप दिवोदास।
लिखा ग्रन्थ ‘धन्वन्तरि संहिता’,
रोग निवृत्ति का इतिहास।

आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने,
उनसे ज्ञान प्राप्त किया।
धन्वन्तरि से हो कर दीक्षित,
लोगों का कल्याण किया।

धनतेरस की तिथि है पावन,
श्रद्धा से सम्मान करें।
प्रसन्न हों भगवान सभी पर,
तन निरोगी, प्रदान करें।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि हैं। यूं तो प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में जटिल से जटिल रोगों का इलाज होता आया है। और तो और कोविड काल में हर व्यक्ति आयुर्वेद के महत्व से भी अच्छे परिचित हो गया। आयुर्वेदिक दवा स्वर्णप्राशन को तो स्वयं आयुष मंत्रालय ने रिसर्च के बाद कोविड में बच्चों के इलाज में सर्वाधिक इम्युनिटीवर्धक घोषित भी किया और लोगों को इससे लाभ भी हुआ।

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यह कविता (भगवान धन्वन्तरि – धनतेरस।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, भगवान धन्वन्तरि - धनतेरस।, वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Author Ved Smriti Kritee, Best dhanteras Quotes, Dhanteras Hindi Festival Poems, Dhanteras Parv par kavita, Dhanteras Tyohar, Hindi Kavita, hindi poetry, Hindi Shayari, Lord Dhanvantari - Dhanteras, poem on dhanteras in hindi, poet Ved Smriti 'Kritee' ji, Poetry & Thoughts, Shayari, Status, vedsmriti poems, धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?, धनतेरस पर कविता, वेद स्मृति ‘कृति’ जी की कविताएं, हिन्दी धनतेरस कविता

दुर्गा स्तुति।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दुर्गा स्तुति। ♦

हे ! सिंह वाहिनी माँ दुर्गे,
दरश मुझे भी दे जाना।
शैलपुत्री अवतार ले कर,
वृष वाहन पर आ जाना।

तेरे वृषभारुणा रूप को,
शत – शत वन्दन है।
कृपा करो माँ तपचारिणी,
जग में भीषण क्रन्दन है।

कर में जो सिद्ध कमंडल है,
पावन जल छिड़का जाना।
हे ! सिंह वाहिनी माँ दुर्गे,
दरश मुझे भी दे जाना।

दश भुजाओं में शस्त्र लेकर,
चंद्रघंटा रूप धारा।
इसी रूप में अम्बे तूने,
दानव महिषासुर मारा।

सुधा कलश धात्री कूष्मांडा,
यश, आयुष माँ दे जाना।
हे ! सिंह वाहिनी माँ दुर्गे,
दरश मुझे भी दे जाना।

कमलासना है रूप पंचम,
पुत्र स्कंद की माता हो।
मनभावन माँ दर्शन तेरा,
मंगल, मोक्ष प्रदाता हो।

माँ कात्यायनी, महागौरी,
सिद्धि प्रदाता आ जाना।
हे ! सिंह वाहिनी माँ दुर्गे,
दरश मुझे भी दे जाना।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — माता रानी के प्रत्येक रूपों का वर्णन करते हुए … माँ दुर्गा का स्तुति की है। माता रानी के प्रत्येक रूप व गुणों, शक्तियों और आसन, वाहन का मनोरम वर्णन किया है। ॥ प्रेम से बोलो जय माता दी ॥

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