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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for Political shayari in hindi

Political shayari in hindi

चुनावी मौसम।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चुनावी मौसम। ♦

मौसम आया चुनावों का देखो,
हर दल जनता को लुभाते है।
लोक लुभवन घोषणा पत्र तो कभी,
विचित्र सा स्वप्न – डर दिखलाते हैं।

कुछ का बिगड़ा मिजाज है देखो,
मय – माया से वोट खरीदवाते हैं।
सत्ता हो हासिल जैसे भी कैसे,
साम, दाम, दंड, भेद सभी अपनाते हैं।

धिक्कार है ऐसी जनता को जो,
अपना जमीर बेच के खाती है।
किस्मत फोड़ के खुद ही अपनी,
क्यों कहती है? सत्ताएं हमें सताती हैं।

तब थे देखो हुए तुम मदमाते,
अब सत्ताएं भी हुई मदमाती हैं।
तुम ने लूटा इनसे तब थोड़ा – थोड़ा,
अब सब ये तुमसे पूरा करवाती हैं।

देश की हो गई है देखो हालत पतली,
जनता – सत्ता अदला-बदली ही चुकाती हैं।
कैसे सुधरेगी हालत देश की तब तक?
जब तक जनता खुद ही न जाग जाती है।

है किसी भी दल के नेता के यहां,
नेक न देखो कोई भी इरादे।
सत्ता को हथियाने के चलते सब,
करते हैं देखो हर वादे पे वादे।

यह रोग नहीं है मात्र ऊपर ही ऊपर,
इसकी गिरफ्त में है स्थानीय निकाय।
इलाज एक ही दुरुस्त है इसका बस,
कि कैसे ना कैसे जनता जाग जाए।

सवाल एक ही चूहे – बिल्ली के खेल में,
बिल्ली के गले में घंटी कौन लटकाए?
सबकी हो गई है फितरत एक सी आज,
कैसे न कैसे जान बचे तो लाख उपाए।

देश की किसी को न चिंता है आज,
हसरत है, मेरा तुम्बा पहले भर जाए।
फिर कोई जाति – धर्म मे बांटें हमको,
या फिर खुद ही अपना वोट बिकवाए।

चुनावी मौसम है भाई हाथ मार लो,
फिर क्या मालूम फसल आए न आए?
मतदान है महा पुण्य दान, ये इनको,
कौन समझाए ? कि इसे न बिकवाए।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — चुनाव नजदीक आते ही नेता लोग आने लगते है हमारे घर पर वोट मांगने, जितने के बाद नेता जी 5 वर्ष के लिए लापतागंज में लापता हो जाते है। एक बार भी भूल से भी नज़र नहीं आते नेता जी। और तो और जनता के पैसे पर ऐश करेंगे और हमे ही डराएंगे व धमकाएंगे, कोई कार्य नहीं करेंगे, बस अपना खज़ाना भरेंगे। अपनी 12 पीढ़ियों के लिए खज़ाना भरेंगे। इनके नज़रिये से जनता जाए भाड़ में अपना खज़ाना भरेंगे दबा के। जनता भी कुछ कम नही है, चंद पैसो के लिए अपने वोट को बेच देती है। उसके बाद सरकार को कोसती रहती है।

—————

यह लेख (चुनावी मौसम।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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मैं तो जनता हूं जनाब।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मैं तो जनता हूं जनाब। ♦

मैं तो जनता हूं जनाब,
पन्ने दर पन्ने की खुली किताब।
मुझे पढ़ने का देते हैं सभी सुझाव,
जो पढ़े न मुझको उसे देती हूं जवाब।
घटना के बाद फिजूल है हिसाब किताब,
मैं तो जनता हूं जनाब।
मेरे भी तो है कुछ ख्वाब॥

समझ नहीं आते सत्ताधीशों के ख़्वाब,
भीगी बिल्ली वोटों को, कुर्सी पे रूआब।
मेरी हाट के सौदे का, मुझे ही बताते भाव,
फिर तो मुझे भी आता है, देना भाई जवाब।
मैने भी तो देखे हैं, पड़ावों पर आते पड़ाव,
मैं तो जनता हूं जनाब।
मेरे भी तो है कुछ ख्वाब॥

भोली हूं मैं, कुछ बहुत ही ज्यादा साहब,
मुझ पर खेले हैं, कई शकुनी मामाओं ने दाव।
सबका बारी – बारी से, मैने पूरा किया है चाव,
मेरी ही धौंकनी से, मिला है सबको सदा से ताव।
फिर भी न जाने क्यों? करते नहीं है मेरा बचाव?
मैं तो जनता हूं जनाब।
मेरे भी तो है कुछ ख्वाब॥

मैं कहां कहती हूं? कि जश्न जीत का न मनाओ,
बल्कि मुझे भी जश्न ए जीत में चाहो तो बुलाओ।
मैं कहां कहती हूं? कि तुम भूखे रहो न खाओ,
मैने कब कहा? तुम अपनी उपलब्धियां न गिनाओं।
पर साहेब, मुझ पे ही सवार हो, मुझे ही तो न भुलाओ,
मैं तो जनता हूं जनाब।
मेरे भी तो है कुछ ख्वाब॥

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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