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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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hemraj thakur poems

ऑपरेशन सिंदूर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Operation Sindoor | ऑपरेशन सिंदूर।

धर्म पूछ कर गोली दागना,
किस देश के संविधान में लिखा है?
ओ आतंकवाद के आकाओं!,
तुमने यह पाप कहां से सिखा है?

धर्म नहीं सिखाता दहशत फैलाना,
ये तो तुम्हारे जहन की खुराफातें हैं।
बने फिरे जो धर्म के ठेकेदार हैं तुम,
आदमी से आदमी को ही लड़ाते हैं।

पहलगांव की शहादत का बदला,
लो, भारत का ऑपरेशन सिंदूर है ।
अब भी हद में गर रहना न सिखा तो,
फिर तबाही का मंज़र भी न दूर है।

अरे लड़ना है तो सेना से लडो दिलजलों!
बेगुनाह जनता का कहां कोई कसूर है?
पर कायराना हरकत के आदि जो हो तुम,
निहत्थों पर वार करने के लिए मजबूर है।

तुमने उजाड़ा जो सिन्दूर निहत्थों का,
तो हमने भी किया बदले में प्रहार हैं।
समझो मानवता के नापाक दुश्मनों,
यह न किसी की जीत हुई न हार है।

यह अदला बदली का खेल है घिनौना,
तुमने ही की शुरुआत इसकी हर बार है।
भारत की शान्ति को क्रान्ति में न बदलो,
इस नफ़रत की आंधी में घना अंधकार है।

जो उकसा रहे हैं तुमको पीछे से,
वे खिलाड़ी है, शातिर चालक है।
वे हितैषी नहीं हैं तुम्हारे भी असली,
उनके इरादे लोलुप और नापाक है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता आतंकवाद और धर्म के नाम पर की जाने वाली हिंसा की कड़ी निंदा करती है। कवि ने आतंकियों से सवाल किया है कि किस संविधान में निर्दोषों पर अत्याचार करना लिखा है और कैसे उन्होंने धर्म के नाम पर नफरत फैलाना सीख लिया। धर्म कभी भी आतंक की शिक्षा नहीं देता, बल्कि यह तो मानवता का संदेश देता है। कविता में पहलगाम की शहादत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए दृढ़ है और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। साथ ही, कवि चेतावनी देते हैं कि आतंक का यह घिनौना खेल न केवल बेगुनाहों के लिए बल्कि खुद आतंकियों के लिए भी विनाशकारी है। आखिर में, यह कविता उन शक्तियों को बेनकाब करती है जो आतंकवादियों को उकसाती हैं, यह बताते हुए कि वे केवल अपने स्वार्थ के लिए इस हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि सच्चे हितैषी कभी ऐसा नहीं कर सकते।

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यह कविता (ऑपरेशन सिंदूर।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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संघर्ष है कहानी हर जीवन की।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sangharsh Hai Kahani Har Jeevan Ki | संघर्ष है कहानी हर जीवन की।

Struggle is The Story of Every Life

ऊंचे शिखर से निकली नदियां,
कहां सागर से पहले रुकती हैं?
लाख दीवारों से रोके चाहे कोई,
वे डैम फांदती हैं न कि झुकती हैं।

कौन बनाता है कहां राहें कब उनको?
वे खुद ही अपनी राहें नित बनाती हैं।
कहीं चलती हैं सीधी धारा सी मैदानों में ,
कहीं पहाड़ों में टकरा कर बलखाती हैं।

सीधी चलना नदी की सरलता है होती,
बलखाना जीवन संघर्षों से टकराना है।
नदी का स्वभाव है हमेशा आगे बढ़ना,
रोकने में लगा रहता सदा ही जमाना है।

हो मंजिल कितनी अनजान या दूर,
वे बेपरवाह हो, अपना जल बहाती हैं।
लेती कहां है विश्राम वे राह में तब तक ?
जब तक वे प्रिय सागर में न मिल जाती है।

मंजिल को पाने की हो होड़ नदी सी तो,
सफलता क्यों किसी के कदम न चूमेगी?
हो सूरज सी नियमावली गर जीवन में तो,
दुनियां फिर उसके चारों ओर क्यों न घूमेंगी?

झुकती नहीं है दुनियां आज, कौन कहता है?
झुकती है पर इसको झुकाने वाला चाहिए।
समझती नहीं है दुनियां आज, कौन कहता है?
समझती है पर इसको समझाने वाला चाहिए।

ज्यों सागर में मिलकर विलीन है वे होती,
त्यूं जीवन अन्त में परम में मिल जाता है।
संघर्ष है कहानी हर जीवन की इस जग में,
खुशी का फुल संघर्ष धर्म में खिल जाता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता नदी के प्रतीक के माध्यम से जीवन के संघर्ष, आत्मविश्वास और निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इसमें बताया गया है कि जैसे ऊँचे शिखरों से निकलने वाली नदियाँ कभी अपनी मंजिल (सागर) से पहले नहीं रुकतीं, वैसे ही मनुष्य को भी बाधाओं से डरना नहीं चाहिए। चाहे रास्ते में कितनी भी दीवारें हों, संघर्ष से जूझते हुए आगे बढ़ते रहना ही जीवन का सार है। नदी कभी सीधे रास्ते पर बहती है तो कभी पहाड़ों से टकराकर बल खाती है, जो दर्शाता है कि जीवन में कभी सरलता होती है तो कभी कठिनाइयाँ आती हैं। लेकिन नदी का स्वभाव है निरंतर बहते रहना, और यह हमें सिखाता है कि लक्ष्य की प्राप्ति तक कभी रुकना नहीं चाहिए। कविता यह भी कहती है कि दुनिया को झुकाने या समझाने के लिए पहले खुद में दृढ़ता और नेतृत्व होना चाहिए। यदि हमारे जीवन में नियम सूर्य जैसे हों और मंजिल को पाने की ललक नदी जैसी हो, तो सफलता हमारे कदम जरूर चूमेगी। अंत में, जैसे नदी सागर में विलीन हो जाती है, वैसे ही मनुष्य का जीवन अंततः परम तत्व (ईश्वर) में विलीन हो जाता है। जीवन एक संघर्ष है, लेकिन इस संघर्ष में ही सच्ची खुशी और सफलता का फूल खिलता है।

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यह कविता (संघर्ष है कहानी हर जीवन की।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

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हिमाचल की राजधानी “शिमला”।

Kmsraj51 की कलम से…..

Himachal Ki Rajdhani Shimla | हिमाचल की राजधानी “शिमला“।

There is a dense shade of green deodar trees here. There are towns all around and many villages located far away. The capital of Himachal is "Shimla".

कोठियों पर कोठियां, बनकर हुई यहां सवार है।
हिमाचल की राजधानी, शिमला का यह बाजार है।

पहाड़ी की टेकरी पर बसा, हुआ यह निर्माण है।
इन्हीं में प्रबन्धित शहर की, आबादी तमाम है।

देवदार के हरे पेड़ों की, बड़ी घनी यहां छांव है।
चारों ओर को कस्बे हैं, दूर दूर बसे कई गांव हैं।

कह रहा है यह पहाड़ अब, कमजोर मेरे पांव है।
रोक दो निर्माण अब मुझ पर, नहीं तो व्यवधान है।

पर शहरीकरण की होड़ में, सुनता इसकी कौन है?
लोग किए जा रहे हैं निर्माण, बेचारा रहता मौन है।

बरसात में चेताता है कभी, “भाई दरकते पहाड़ है।”
अभी भी वक्त है “समझो”, वरना, आगे बड़ा बिगाड़ है।

विकास की अंधेरी दौड़ें में, शहरों की होड़ में इंसान है।
उसे कोई लाख समझाए, भले मकान पर बना मकान है।

कुदरत की पीड़ा न समझेगा, फिर तो उठाना तूफान है।
इंसान को भी समझना चाहिए, कि वह नहीं भगवान है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता प्राकृतिक सुंदरता और अंधाधुंध शहरीकरण के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। इसमें शिमला शहर के विस्तार और निर्माण कार्यों के कारण प्राकृतिक संतुलन के बिगड़ने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। कवि बताते हैं कि शिमला की पहाड़ियों पर लगातार कोठियों और इमारतों का निर्माण हो रहा है, जिससे यह क्षेत्र भौतिक रूप से तो विकसित हो रहा है, लेकिन इसका प्राकृतिक सौंदर्य और संतुलन प्रभावित हो रहा है। देवदार के घने पेड़, कस्बे और दूर-दराज के गांव इस क्षेत्र की सुंदरता बढ़ाते हैं, लेकिन पहाड़ अब खुद को कमजोर महसूस करने लगे हैं। वे संकेत दे रहे हैं कि अगर यह निर्माण कार्य नहीं रुका, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाएगा। बारिश के मौसम में पहाड़ दरकने लगते हैं, यह चेतावनी देता है कि यदि समय रहते समझदारी नहीं दिखाई गई, तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। कवि यह संदेश देते हैं कि विकास की अंधी दौड़ में लोग प्रकृति की चेतावनियों को अनदेखा कर रहे हैं। अगर इंसान ने कुदरत की शक्ति को नहीं समझा, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इंसान भगवान नहीं है, इसलिए उसे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए।

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यह कविता (हिमाचल की राजधानी “शिमला”।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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मुहब्बत के नशे की लत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Muhabbat Ke Nashe Kee Lat | मुहब्बत के नशे की लत।

If love and affection prevail everywhere in the world, then perhaps hatred and conflicts would cease to exist.

तमन्ना के तराजू में, रिश्तों का राशन कभी तोला नहीं करते।
गैरों की महफिल में, अपनों के राज कभी खोला नहीं करते।
क्योंकि यहां हर दीवार के पीछे छुपा है कोई कान लगाकर,
“दीवारों के भी कान होते हैं” कहते हैं, सच बोला नहीं करते।

यहां होती हैं बहुत सी बातें, इशारों ही इशारों में बहुत बार,
लोग झेंपते हैं यह सब पर, फिर भी कुछ बोला नहीं करते।
मुहब्बत के बाजार में, हो जाता है नीलाम पर्दे में सब कुछ,
लोग जानते हैं सब कुछ, पर पर्दे को कभी खोला नहीं करते।

बद ज़ुबानी तो बर्दाश्त नहीं है, मुहब्बत के रिश्ते में किसी को,
पर प्रेम की फटकार से तो यहां, कभी रिश्ते टूटा नहीं करते।
ये प्यार के पेड़ हमेशा, विश्वास की जमीन पर उगते हैं साहेब,
शक, नफ़रत, चालाकियों की, माटी पत्थर में उगा नहीं करते।

बड़ी लज़ीज़ फितरत होती है, ये मुलायम मुहब्बत भी साहेब,
होती सबके दिलो दिमाग में है, पर इजहार किया नहीं करते।
दिल ही दिल में लेते हैं मौज सब, इस नायाब रसीले रस का,
पर दुनियां के बाज़ार में, कोई इसका जाम पीया नहीं करते।

काश! डूब जाता दुनियां का हर सरोकार, मुहब्बत के जाम में,
तो शायद ये नफ़रत के झगड़े, दुनियां में हुआ ही नहीं करते।
काश ! एक बार लग जाती मुहब्बत के नशे की लत सबको,
फिर तो शायद हम इस नशे की गिरफ्त से छूटा नहीं करते।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि हमें सिखाते हैं कि रिश्तों को स्वार्थ और अपेक्षाओं के तराजू में नहीं तोलना चाहिए, और अपनों की बातें गैरों के बीच उजागर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर जगह छुपे हुए कान होते हैं। दुनिया में बहुत कुछ इशारों में कहा-सुना जाता है, लेकिन लोग दिखावे के डर से खुलकर बोल नहीं पाते। प्रेम और भावनाओं का बाज़ार भी अजीब होता है—सब कुछ बिकता है, फिर भी लोग इसे ज़ाहिर करने से हिचकिचाते हैं। प्यार और विश्वास की बुनियाद पर रिश्ते टिकते हैं, लेकिन शक और चालाकी से ये रिश्ते टूट जाते हैं। सच्चा प्रेम दिलों में होता है, पर बहुत से लोग इसे खुलकर स्वीकार नहीं करते। अगर दुनिया में प्रेम और अपनापन हर जगह व्याप्त हो जाए, तो शायद नफरत और झगड़ों का कोई अस्तित्व ही न रहे। कवि यह कामना करते हैं कि हर कोई प्रेम के नशे में डूब जाए, जिससे यह दुनिया और भी सुंदर बन सके।

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यह कविता (मुहब्बत के नशे की लत।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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हां मैं शिक्षक हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Haan Main Shikshak Hoon | हां मैं शिक्षक हूं।

A teacher is a guiding force who inspires curiosity, ignites minds, and shapes the future of their students by facilitating learning and discovery.

बुझ चुके चिरागों को फिर से,
जलाने की मुझमें ही तो क्षमता है।
मैं एक शिक्षक हूं, मुझमें पिता का प्यार,
और ममत्व भरी मां की ममता है।

इन्हें कहने दो मुझे जो कहना है,
शिक्षा का सूरज मुझसे ही चमका है।
वह झुग्गियों का चिराग भी आज,
मेरी निरन्तर सिखों से ही तो दमका है।

मैने ही तो पढ़ाया है दुनियां में,
प्यून से पी एम तक के लोगों को।
वे सब भोगते हैं अपनी क्षमतानुसार,
इस संसार के सभी भौतिक भोगों को।

मुझे मेरे ही पढ़ाए लोग ही न जाने,
कब – कब क्या – क्या कह देते हैं?
कुछ लोग तो मुझसे ही सीख कर,
मुझको ही वापिस सीख देते हैं।

मैने कक्षा, कक्ष में ही तो किया है,
संसार के सारे के सारे निर्माणों को।
विश्वाश नहीं होता है अगर किसी को,
तो पढ़ लो ऐतिहासिक के प्रमाणों को।

तकलीफ नही होती है मुझे तब भी,
जब मुझे कोई चेला ही टोकता है।
मैं इस तरह तर्क पैदा करता हूं चेले में,
जिसे आगे बढ़ने से जमाना रोकता है।

चेला मुझसे शिकायत करता है,
मैं ही तो उसको अच्छे से सुनता हूं।
मेरे ही मार्गदर्शन से ही वह आगे चल कर,
अपने भविष्य का जीवन पथ चुनता है।

मैं उसे कभी स्वाभाविक डांटता हूं,
शायद वह मुझसे तब कुछ रूठता है।
पर यह मेरे व्यक्तित्व की कला है शायद,
कि वह दूसरे दिन फिर से मुझे ही पूछता है।

हां मैं शिक्षक था, हूं और रहूंगा,
मुझे खुद के होने पर गर्व होता है।
जब चेला सफल होता है जीवन पथ पर,
तब मेरे लिए वह एक विशेष पर्व होता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में शिक्षक की महिमा और उसकी भूमिका को दर्शाया गया है। एक शिक्षक वह है जो बुझ चुके चिरागों को फिर से जलाने की क्षमता रखता है और अपने छात्रों को सही मार्ग दिखाकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक के अंदर पिता का स्नेह और मां की ममता का संगम होता है। शिक्षक समाज के हर तबके, चाहे वह झुग्गियों का बच्चा हो या कोई उच्च पद पर आसीन व्यक्ति, को ज्ञान प्रदान करता है। उसका योगदान इतना महान है कि उसने दुनियाभर के बड़े निर्माण और सफल व्यक्तित्वों को गढ़ा है।शिक्षक अपने छात्रों को स्वाभाविक रूप से डांटता भी है और उनके सवालों का समाधान भी करता है। वह उनके भीतर तर्क और आत्मविश्वास पैदा करता है, ताकि वे अपने भविष्य की राह चुन सकें। शिक्षक की सबसे बड़ी खुशी तब होती है, जब उसका छात्र जीवन में सफल होता है। कवि ने गर्वपूर्वक यह कहा है कि शिक्षक होना एक गौरव का विषय है और यह एक विशेष उत्सव की तरह है जब उसके द्वारा सिखाया गया छात्र अपने जीवन में सफल होता है।

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यह कविता (हां मैं शिक्षक हूं।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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राष्ट्र अखण्ड बनाना है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Rashtra Akhand Banana Hai | राष्ट्र अखण्ड बनाना है।

Do not hand over the ladder of power to those whose aim is to usurp power. The nation should be made united.

हमे न बदलना वक्फ बोर्ड को,
न ही सनातन में कुछ करना है।
हमें तो कानून तीस – तीस ए को,
भारत के खातिर एक करना है।

तीन सौ सत्तर हटी और पैंतीस ए भी हटी,
कानून तीस और तीस ए को एक बनाना है।
भारत के संविधान में नया संशोधन कर के,
भारत में यूनिफार्म सिविल कोड को लाना है।

हुई चूक हो किसी भी स्तर पर तब,
अब उलझी सूत को ही सुलझाना है।
जाति – धर्म के धागों से ही मिलाकर,
भारत के भविष्य का स्वेटर बनाना है।

जो भारत का था वह भारत में ही रहेगा,
हमें तो अवैध घुसपैठ को ही भगाना है।
भगाओ उन्हे मिलकर सब भारत वासी,
जिन्होंने रिहोंगियाओं को पहचाना है।

चिटा जैसा विनाशक जहर जो फैलाए,
उसको भला क्यों कर तुम्हे बचाना है?
वह बड़ा है या फिर छोटा है कोई यारो,
उसे हर हाल में बेनकाब ही करवाना है।

इससे पहले कि देश में धर्म युद्ध हो,
हमें राष्ट्र धर्म को ही शुद्ध करवाना है।
युवा पीढ़ी को बहकाने वालों को हमें,
युवा को समझाकर सबक सिखाना है।

हम दे देंगे सब कुछ दान भी अपना,
हर हाल में राष्ट्र अखण्ड बनाना है।
देश विभंजन गद्दारों को तो भाइयों,
शमशीर उठा कर ही बोध कराना है।

सत्ता सिंहासन उसे ही दिया जाए,
जिसका मकसद देश बचाना है।
मत सौंप सत्ता की सीढ़ी उसको,
जिसका मकसद सत्ता हथियाना है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता का सारांश है कि कवि भारत में एकता, अखंडता और समरसता को बढ़ावा देने की बात करता है। वह यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की वकालत करते हैं, ताकि देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून हो। उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35A के हटने का उल्लेख किया है और चाहते हैं कि संविधान में एक और संशोधन किया जाए। कवि ने अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात की है, विशेष रूप से रोहिंग्याओं को, और देश में फैल रहे विनाशकारी तत्वों जैसे नशे (चिटा) का विरोध किया है। वह समाज को चेताने का आह्वान करते हैं कि राष्ट्र के लिए खतरनाक तत्वों को बेनकाब किया जाए।कवि ने देश में धर्म के नाम पर विभाजन या युद्ध की संभावना से बचने के लिए राष्ट्र धर्म को शुद्ध करने की बात की है। युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देने का भी आह्वान किया गया है ताकि उन्हें बहकाया न जा सके। अंत में, उन्होंने देश की अखंडता और सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए सत्ता ऐसे व्यक्ति को सौंपने की बात की है, जिसका मकसद सिर्फ सत्ता हथियाना न हो, बल्कि देश को बचाना हो।

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यह कविता (राष्ट्र अखण्ड बनाना है।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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विजय दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

Vijay Diwas | विजय दिवस।

He did not care if his life would be lost, his only dream was to win the nation. His aim was to save the honour of Mother India, then why would anyone get tired?

भरी दोपहरी चढ़ पहाड़ी पर,
दुश्मनों को वहां से खदेड़ा था।
पाकिस्तान के नथुने फूला कर,
रणबांकुरों ने किया बखेड़ा था॥

सरहदों की सुरक्षा खातिर उन्होंने,
अपने सीने में खाई जब गोली थी।
लगा था कारगिल की पहाड़ियों पर,
तब खेली किसी ने खून की होली थी॥

वे और नहीं थे, वीर सैनिक थे हमारे,
जिनके कारण हम घरों में सुरक्षित थे।
जीएं या मरे पर तिरंगा न झुकने पाए,
उनके बुलन्द इरादे कितने लक्षित थे?

जान जाएगी यह परवाह न थी उनको,
बस राष्ट्र विजय ही उनका सपना था।
भारत मां की लाज बचाना था धेय तो,
फिर कहां किसी को भला थकना था?

विजय दिवस की इस अनूठी गाथा को,
हम नई पीढ़ी को जब – जब सुनाएंगे।
रोम हर्षक नव क्रान्ति का संचार कर ,
तब उनमें राष्ट्र भक्ति का भाव जगाएंगे॥

हटा कर विदेशी फोज को पहाड़ी से,
घाटी में था जब वह विजयघोष हुआ।
भारत मां के उन लालों ने था मानो तब,
अपने बलिदानों से उन्नत अम्बर छुआ॥

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों के बलिदान और वीरता को समर्पित है। कवि ने वर्णन किया है कि कैसे हमारे सैनिकों ने दुश्मनों को पहाड़ियों से खदेड़कर उन्हें पराजित किया और देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हर प्रकार का बलिदान दिया और दुश्मन को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कारगिल की पहाड़ियों पर खून की होली खेली गई थी, जिसमें हमारे वीर सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और बुलंद इरादों का परिचय दिया।कविता में इस अद्वितीय विजय गाथा को नई पीढ़ी को सुनाने और उनमें राष्ट्रभक्ति का भाव जगाने की बात कही गई है। कवि ने विजय दिवस की इस गाथा को हर बार सुनाने की प्रतिज्ञा की है ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी अपने वीर सैनिकों के बलिदान को याद रखें और उनसे प्रेरणा प्राप्त करें।

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यह कविता (विजय दिवस।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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आओ राम अब।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aao Ram Ab | आओ राम अब।

He is the seventh and one of the most popular avatars of Vishnu. In Rama-centric traditions of Hinduism, he is considered the Supreme Being. LORD Rama.

आओ राम अब लौट चले, फिर से अयोध्या धाम।
बहुतेरा हुआ अब छानी में, धारण करो निज स्थान॥

भविष्य भारत का तुम हो प्रभु , तुम ही हो वर्तमान।
अटकल यदा कदा आती रहेगी, संभालो अपना काम॥

भार धारा का हरो प्रभु तुम, बढ़ाओ भारत का मान।
अन्याय अनीति और अधर्म का, रहे न नामो निशान॥

भूली रीतियां और स्मृतियां, फिर से हो जाए उदयमान।
विश्व धारा पर परचम लहराए, कि हां लौट आए भगवा॥

धर्म ध्वजा धरती पर लहराए, धवल में हो प्रभु गुणगान।
स्वर्ग – पाताल में भेरी बजे, दसों दिशाओं में हो सम्मान॥

साकार हो वाल्मीकि – तुलसी का, राम राज्य भगवान।
संभालो सत्ता अब स्वयं प्रभु तुम, मिटा दो सब त्राहिमाम॥

आसुरी वृतियों के बाणासुर का, शत्रुघन से कराओ निदान।
अब बेवड़े के कहने पर मत लगना, रखना सीता का ध्यान॥

कहने वाले तो कहते हैं कई कुछ, तुम तो हो करुणा निधान।
मां के तप पर है हमे भरोसा, बेवड़ी बातों से न होना परेशान॥

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि इस कविता में भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं और उनसे अब फिर से अयोध्या के धाम की ओर लौटने की प्रार्थना करते हैं। उन्हें पुनः से अपने आक्रमणकारियों और अन्य अधर्मी प्रवृत्तियों का सामना करना होगा और वे इस युग में भगवान के रूप में आगे बढ़कर भारत का मान बढ़ाने का कार्य सम्पन्न करें। कवि ने भविष्य में होने वाली चुनौतियों की चेतावनी भी दी है और भगवान राम को सम्भालने, धरती पर धरती का मान बढ़ाने, अन्याय और अनीति का खत्म करने के लिए प्रेरित किया है। कवि कहते हैं कि भूली रीतियों और स्मृतियों को फिर से जीवंत करना है और भगवा ध्वज को फिर से ऊँचा करना है। इसके साथ ही, भारत को उच्चतम मानवीय मूल्यों की प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनर्निर्मित करना है। कवि ने भगवान राम की कृपा और शक्ति की प्रार्थना की है ताकि वे स्वयं ही अपने भक्तों की सभी कठिनाइयों को दूर कर सकें और भारत को सुख, शांति और समृद्धि में ले जाएं।

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यह कविता (आओ राम अब।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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प्रदूषण।

Kmsraj51 की कलम से…..

Pollution | प्रदूषण।

Pollution controls divert economic resources from other economic activities, thereby reducing the potential size of measured national output.

वह गरजता बादल नभ में, मानो जग से यह बोल रहा है।
क्यों फैला कर प्रदूषण पगले, नाहक आफत मोल रहा है?

गंदला कर पानी, माटी, हवा को, ध्वनि में जहर घोल रहा है।
क्यों अपने लिए बिना वजह के, द्वार नरक के खोल रहा है?

अन्तर मन के पावनपन को, क्यों भ्रष्टाचारण में रोल रहा है?
हर रिश्ते नातों को दिन प्रतिदिन, स्वार्थ तुला में तोल रहा है।

आषाढ़ श्रावण की बरसात भादो में, तेजाबी मेघ बरसाएगी।
फिर न कहना ये क्या हुआ? वह सकल धरा को जलाएगी।

धुंआ ही धुंआआसमान में, कारखाने, मोटर गाड़ी फैलाएगी।
फिर तो तेजाबी वर्षा कुदरत, नित दिन धारा पर करवाएगी।

दूषित मृदा जब अपनी कोख से, उपयोगी अन्न न उपजाएगी।
क्या खाएगी तब जग की जनता, या भूखे ही मर जाएगी?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में व्यक्त किए गए विचार यह हैं कि मानव जाति के द्वारा किए जा रहे प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के लापरवाह उपयोग के कारण प्राकृतिक वातावरण को क्षति पहुंच रही है। कविता में यह संदेश दिया गया है कि हमें अपने कृत्यों को संशोधित करना और प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने की दिशा में काम करना चाहिए, ताकि हमारे प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण का संरक्षण हो सके।

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यह कविता (प्रदूषण।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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हां मैं शिक्षक हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Haan Main Shikshak Hoon | हां मैं शिक्षक हूं।

हां मैं ही वह शिक्षक हूं, जिसने,
चपरासी से राष्ट्रपति तक को है ज्ञान दिया।
करता रहता हूं अपना काम सदा,
किसी ने अधिमान दिया या अपमान किया।

इन्होंने सब कुछ सीख के मुझसे,
मुझे ही भला बुरा कह कर है परेशान किया।
मैने नजर अंदाज कर के फिर से,
नई पीढ़ी को उसी तन्मयता से ज्ञान दिया।

तू उभरे ओ शिष्य मेरे! मैने हर छात्र को,
इसी ही भाव से है वरदान दिया।
वह छात्र पढ़ लिख कर बड़े ओहदे पर,
बैठा तो, उसने मुझे बदनाम किया।

तू लांघ ले भले ही सारी हदें,
मुझे गर्व है कि मैंने तुझे बनाने का काम किया।
मैं खुश हूं तेरी तारकी से पगले,
तूने चाहे मेरी फजीहत की या फिर नाम किया।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता एक शिक्षक के दृष्टिकोण से लिखी गई है जो अपने काम में पूरी ईमानदारी से लगे रहते हैं। वह शिक्षक हमेशा अपने छात्रों को ज्ञान और सिखाने का काम करते हैं, चाहे वो किसी भी स्तर के हों। इस कविता में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्वपूर्णता के साथ दर्शाया गया है, और वे छात्रों के जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। शिक्षक यहाँ पर अपमान और प्रशंसा के बावजूद अपने काम पर पूरी तरह समर्पित हैं और छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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यह कविता (हां मैं शिक्षक हूं।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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