• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • EXAM TIPS
  • योग व ध्यान
  • Privacy Policy
  • CONTACT US
  • Disclaimer

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

You are here: Home / 2023-KMSRAJ51 की कलम से / उफ्फ ये दर्द।

उफ्फ ये दर्द।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

Toggle
  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • Uff Ye Dard | उफ्फ ये दर्द।
      • Autobiography of Pottery
      • (बर्तनों की आत्मकथा)
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
    • Please share your comments.
    • आप सभी का प्रिय दोस्त
      • ———– © Best of Luck ®———–
    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
      • Related posts:
    • नेताजी तो एक ही थे।
    • हर्षाती कविता।
    • बज गया जीत का डंका।

Uff Ye Dard | उफ्फ ये दर्द।

Autobiography of Pottery

(बर्तनों की आत्मकथा)

Earthen utensils prove to be very useful. We also get many benefits from earthen utensils.

कैसी गुमनाम,
कैसी बेदाम,
हुई है ये जिंदगी हमारी।

कभी एक दूसरे से प्यार,
कभी एक दूजे से तकरार,
खूब होती अदाकारी।

बड़े से लेकर छोटे तक,
पतले से लेकर मोटे तक,
बन बैठती कोई महतारी।

करीने से सजते सब,
सुनहरा पल था तब,
दूर होने की आई लाचारी।

एक~दूसरे को देख मुस्काते,
कभी सुख कभी दुख बतियाते,
मिट गई वो बातें सारी।

नए आए प्रचलनों ने हमारा,
खो दिया सारा भाई चारा,
आई अलग~अलग होने की बारी।

पहले तो शादी~ब्याह में,
सुकून पाते मिलने की वाह में,
अब वो सुख कहां?

कई~कई दिनों तक अठखेलियां करती,
सहेलियां आपस में बातें करती,
छुप गया न जाने चैन कहां।

तीज~त्योहारों की बाट में,
खूब खुश होते दिन से रात में,
पूरा मोहल्ला एक जगह होता।

हमें खूब चमकाया जाता,
लाल निशानी से सजाया भी जाता,
क्योंकि गुम होने का दबा अहसास रोता।

समारोह की समाप्ति होती तो,
अगर कोई गुमशुदा की तलाश में होती तो,
सारा घर सिर पर उठा लेते।

जगह~जगह पर टोह पड़ जाती,
कोने कोने पर गुम होने की आवाज आती,
सब जगह गुमनाम के चर्चे मशहूर कर देते।

आखिरकार इतना ढूंढ़ने से मिलती,
रोई आंखें सभी की खिलती,
खैर अपनों के बीच आ ही गई।

अब तो अलग हुए इस कदर,
महीनों तक एक ~दूजे की खैर न खबर,
ऐसी कट रही जिंदगी।

माचिस के डिब्बों में बंद है,
सांस चलती अब मंद है,
ऐसे बंट रही है जिंदगी।

अब दिनों की बात तो दूर,
महीने है यादों से भरपूर,
जो अपनों से दूर हुए।

पहले तो खुल कर आती थी सांस,
महीने में भी नही अपनों से मिलने की आस,
हाय!ऐसे क्यों मजबूर हुए।

अब क्यूं नही आता वो शामियाना,
जहां हम सबका लगता था आना~जाना।
क्यों बड़े~छोटे सभी बने बेगाने?

जो तीज त्यौहार होते थे एक साथ,
उनसे भी छूटने लगे हाथ,
क्या इसी को जिंदगी माने?

एक जगह होते हुए दूर कितने,
एक नदी के दो किनारे जितने,
सुनते है हमको दिए जो ताने।

न अब कोई गिरने का शोर है,
लगता है हमारे शोर से बोर है,
उन डिब्बों सी सिमटी जिंदगी।

जब जरूरत हो तभी बाहर आते,
काम होते ही हमारे कपाट बंद हो जाते,
फिर से अपनों से कटी जिंदगी।

जब हम सभी को घमंड था अपने पर।
हालात रोने के बीते उस सपने पर।
छोटों को आवाज से गिराते।

हम बड़ों के बीच में छोटे आते,
हमें वो फूटी आंख नही भाते,
अपने किए पर अब पछताते।

हम बड़ों का अस्तित्व ही खत्म हुआ,
छोटे तुम आगे बढ़ो यही दुआ,
छोटों का ही हुआ पसवारा।

हमारी जिंदगी अब हुई इंसानों जैसी,
बिना तीर के तीरकमानों जैसी,
चेहरे पर न कोई चमक रही।

ये हम रसोई के बर्तन सुना रहे है,
आज अपनी ही आत्मकथा गुनगुना रहे हैं,
क्योंकि आवाज में कोई खनक नही।

आज की आधुनिक रसोई खिलखिला रही,
उन लकड़ी के बॉक्स में जिंदगी बिलबिला रही।
पीड़ा किसको बताए,
किसको दर्द दिखाए।

सभी तो हुए मौन है,
सुनने वाला कौन है?
हम तो अब खामोश है,
क्योंकि इंसानी जिंदगी को भी कहां होश है।

हम तो सह लेंगे इतना दर्द,
पर इंसान क्यों हूं अपनों के प्रति बेदर्द।
जब एक निर्जीव की की जुबानी,
ले आई तुम्हारी आंखों में पानी।

तो सोचो ? रिश्तों को मिलता ऐसा गम,
एहसासों को तार~तार कर लेता दम।
अपनों से जुदा होने का न देना गम,
इस दुख का दुनिया में नही कोई मरहम।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता व्यक्ति की जीवन शैली के बदलने के साथ – साथ बर्तनों के उपयोग में बदलाव और बर्तनों के खुशियों व दर्द को दिखाती है। प्रारंभ में, वे (दर्द) जीवन को खुशी और दुख के साथ जीते हैं, प्यार और तकरार के बावजूद। वे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को तारीकियों से तस्वीर में पेश करते हैं, और इसके साथ ही यह कविता जीवन के बदलते प्रवृत्तियों की चर्चा करती है। इसके बाद, वे अपने जीवन के एक अलग मोड़ पर आते हैं, जहां परिवर्तन और अलगाव आते हैं। अंत में, वे अपने(बर्तनों) जीवन के नए प्रकार की आजादी और स्वतंत्रता का अहसास करते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे अपने पुराने दिनों की याद करते हैं।

—————

यह कविता (उफ्फ ये दर्द। – बर्तनों की आत्मकथा) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari, etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Related posts:

हर मुस्कुराहट खुशी नही होती।

ओ माझी रे।

माँ जब तू हो जाए मेहरबान।

Share this:

  • Post

Like this:

Like Loading...

Related

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: autobiography of utensils, poet sushila devi poems, sushila devi, sushila devi poems, उफ्फ ये दर्द, उफ्फ ये दर्द - बर्तनों की आत्मकथा, उफ्फ ये दर्द - सुशीला देवी, बर्तनों की आत्मकथा, सुशीला देवी, सुशीला देवी की कविताएं

Reader Interactions

Comments

  1. Ram kanwar Rathi says

    October 5, 2023 at 7:11 pm

    बिल्कुल सही

    Reply
  2. Ruman says

    October 11, 2023 at 7:39 pm

    Very nice😊

    Reply
    • kmsraj51 says

      October 11, 2023 at 8:04 pm

      Tahedilse Dhanyawad Ji

      Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।
  • सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।
  • माता के नौ रूप।
  • योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।
  • श्राद्ध।
  • हिमाचल की पुकार।
  • वो मस्ती भरी बरसात।
  • शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।
  • सावन माह का रुद्राभिषेक।
  • मां ने छोड़ी अन्तिम सांसें।
  • कुदरत का कहर तो बरपेगा।
  • समझो बरसात लगी है आने।
  • पिता।
  • ये कैसी यात्रा।
  • पर्यावरण का नुकसान।
  • देश भक्ति देख तुम्हारी।
  • दर्द – ए – कश्मीर।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।

सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।

माता के नौ रूप।

योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।

श्राद्ध।

हिमाचल की पुकार।

वो मस्ती भरी बरसात।

शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।

सावन माह का रुद्राभिषेक।

मां ने छोड़ी अन्तिम सांसें।

कुदरत का कहर तो बरपेगा।

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Disclaimer

Copyright © 2013 - 2025 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.

%d