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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Hindi Language

‘शून्य’ – (Shunya) सस्पेंस थ्रिलर उपन्यास – हिन्दी में !!

kmsraj51 की कलम से …..

‘शून्य’
Real Art

प्रिय मित्रों,,

आज मैं आप सब के लिए हिंदी उपन्यास ‘शून्य’ – (Shunya) सस्पेंस थ्रिलर उपन्यास …..
लेकर आया हूँ,,,,,

“‘शून्य’ – (Shunya) Suspense Thriller Complete Novel in Hindi”

भाग-1 => हैप्पी गो अनलकी (शून्य-उपन्यास)-

हिमालय की वह उंचे पर्वतोंकी श्रुंखला और पर्वतोंपर लहराते हूए, आसमानमें बादलोंसे बातें करते हूए उंचे पेढ. आगे बर्फ से ढंकी हूई पर्वतोंकी ढलान चमक रही थी. उस चमकती ढलानसे लगकर कहीं दूरसे किसी सांप की तरह बल खाती हूई एक नदी गुजर रही थी. शुभ्र और अमृत की तरह निर्मल उस नदीका पाणी बहते हूए आसमंतमें जैसे एक मधूर धुन बिखेरता हूवा जा रहा था.

उंचे उंचे पेढ की सरसराहट , पंछींयोंकी चहचहाट, बहते नदी की मधूर धुन. इन कुदरती बातोंसे कौनसा युग चल रहा होगा यह बताना लगभग नामुमकीन. हजारो, लाखो सालोंसे चल रहे इन कुदरती करिश्मों में अगर मानवी उत्थान का प्रतीक समझे जाने वाली बातोंकी उपस्थीती ना हो तो पुराना युग क्या? और आधुनिक युग क्या? … दोनो एक समान. ऐसी इस जगह पर्वत की गोदमें नदीके किनारे एक पुरानी गुंफा थी. उस गुंफा के आस पास उंची हरी हरी घास हवा के साथ लहरा रही थी. गुंफामे एक ऋषी ध्यानस्थ बैठा हूवा था. सरपर बढी हूई जटायें, दाढी मुंछ बढ बढकर थकी हूई. न जाने कितने सालसे तप कर रहे ऋषी के चेहरेपर एक तेज, एक गांभीर्य झलक रहा था. आसपासके वातावरण से अनजान , या यूं कहीए वक्त, जगह और अपने शरीर से अनजान उनकी सुक्ष्म अस्तीत्वका विचर युगो युगोतक चल रहा होगा. अनादि, अनंत, सनातन कालसे विचर करते हूए उस ऋषीकी सुक्ष्म अहसास ने इस आधुनिक युग में प्रवेश किया …

अमेरिकाके एक शहरमें एक रस्ते के फुटपाथपर शामके समय लोग अपनी आधूनिकता की शानमें अपने ही धुनमें चले जा रहे थे. रस्तेपर आलिशान गाडीयाँ दौड रही थी. लोग अपने आपमे ही इतने व्यस्त और मशगुल थे की उन्हे दुसरों की तरफ ध्यान देने की बिलकुल फुरसत नही थी. सब कैसे अनुशाशीत ढंग से एक स्वयंचलित यंत्र की तरह चल रहा था. चलते हूए सबकी नजर कैसी अपनी नाक की दिशा में सिधी थी. हो सकता है उन्हे इधर उधर देखते हूए चलना भी अपने शिष्टाचार के खिलाफ लगता होगा. ऐसेही लोगोंकी भिडमें चलती हूई एक बाईस तेईस साल की सुंदरी अँजेनी अपने हाथमें शॉपींग बॅग लिये एक दुकान मे जानेके लिये मुडी. चलते हूए एक हाथसे बडी खुबसुरतीसे वह बिच बिचमें अपने चेहरे पर आती लटोंको पिछे की ओर हटा रही थी. उसकी लबालब भरे शॉपिंग बॅगसे लग रहा था की उसकी खरीदारी लगभग पुरी हो गयी होगी, बस कुछ दो-एक चिजें रह गई होगी. अचानक एक पुलिस व्हन सायरन बजाती हूई रास्ते से गुजरने लगी. लोगोंका अनुशाशन जैसे भंग हो गया. अँजेनी दुकानमें जाते हूए रुक गई और मुडकर क्या हूवा यह देखने लगी. कोई चलते चलते रुककर, तो कोई चलते चलते मुडकर क्या हूवा यह देखने लगे. न जाने कितने दिनोंके बाद कुछ लोगोंके भावहिन चेहरे पर डर के भाव उमटने लगे थे. कुछ लोग तो चेहरे पर बिना कुछ भाव लाए उस व्हन की तरफ देखने लगे. शायद चेहरेपर कुछ भाव जताना भी उनको नागवार लगता होगा. पुलिस व्हन आई उसी गतीमें गुजर गई. रस्ता थोडी देर तक जैसे पाणी में पत्थर गिरने से निकलने वाले तरंग की तरह विचलित हूवा और फिर थोडी देरमें पुर्ववत हुवा. जैसे कुछ हूवा ही ना हो. अँजेनी फिरसे मुडकर दुकानमें जाने लगी. उसे क्या मालूम था? की अभी अभी जो व्हॅन रस्ते से गुजर गई उसका उसके जिंदगी से भी कुछ सरोकार होगा.

पुलिस व्हॅन एक साफ सुधरी कोलोनीमें एक अपार्टमेंट के निचे रुक गई. बस्तीमें एक अजीब सन्नाटा छाया हूवा था. पुलिस व्हॅनसे तप्तरताके साथ पुलिस ऑफीसर जॉन और उसकी टीम उतर गई. जो लोग अपार्टमेंटके बाल्कनीमें बैठकर सुस्ता रहे थे वह अचंभेसे निचे पुलिस व्हॅनकी तरफ देखने लगे. उतरते ही जॉन और उसकी टीम अपार्टमेंट की लिफ्ट की तरफ दौड गई. ड्रायव्हरने व्हॅन अंदर ले जाकर पार्किंग लॉटमें पार्क की. जॉन और उसके सहकारीयोंने लिफ्टके पास आकर देखा तो लिफ्ट जगह पर नही थी. जॉनने लिफ्टका बटन दबाया. बहुत देर से राह देखकरभी लिफ्ट निचे नही आ रही थी.
” शिट” चिढे हूए जॉनके मुंह से निकल गया.
अधिरतासे जॉन बार बार लिफ्टका बटन दबाने लगा. थोडी देरमें लिफ्ट निचे आ गई. जॉनने लिफ्टका बटन फिरसे दबाया. लिफ्टका दरवाजा खुल गया. अंदर काला टी शर्ट पहना हूवा एकही आदमी था. उस हालातमें भी उसके टी शर्टपर लिखे अक्षरोंने जॉन का ध्यान आकर्षित किया. उस काले टी शर्टपर सफेद अक्षरोंसे लिखा हुवा था –
‘ झीरो’.
वह आदमी बाहर आतेही जॉन और उसके साथीदार लिफ्टमें घुस गए. लिफ्टमें जातेही जॉनने 10 नं. फ्लोअरका बटन दबाया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी.

10 नं. फ्लोअरपर लिफ्ट रुक गई. जॉनके साथ सब लोग बाहर आ गए. उन्होने देखा की उनके सामने ही एक फ्लॅटका दरवाजा पुरा खुला हूवा था. सब लोग उस खुले फ्लॅटकी तरफ दौड पडे. वे सब लोग एक दुसरे को कव्हर करते हूए धीरे धीरे फ्लॅटके अंदर जाने लगे. हॉलमें कोई नही था. जॉन और उसके और दो साथीदार बेडरुमकी तरफ जाने लगे. बचे हूए कुछ किचनमें, स्टडी रुममें और बाकी कमरे देखने लगे. किचन और स्टडी रुम खालीही थी. जॉनको बेडरूममें जाते वक्त ही अंदर सब सामान बिखरा हूवा दीख गया. उसने अपने साथीदारको इशारा किया. जॉन और उसके दो साथीदार सतर्तकासे धीरे धीरे बेडरुममें जाने लगे. वे एक दुसरेको कव्हर करते हूए अंदर जातेही उनको सामने बेडरुममे एक भयानक दृष्य दिखाई दिया. एक खुन से लथपथ आदमी बेडपर लिटा हूवा था. उसके शरीर में कुछ हरकत नही दिख रही थी. या तो वह मर गया था या फिर बेहोश हो गया होगा. जॉनने सामने जाकर उसकी नब्ज टटोली. वह तो कबका मर चुका था.
” इधर है … इधर”
जॉनके साथ आया एक साथीदार चिल्लाया.
अब जॉनके पिछे उसके बाकी साथीदार भी अंदर आगए. जॉनने आजुबाजू अपनी मुआयना करती हूई नजर दौडाई. अचानक उसका ध्यान जिस दिवार को बेड सटकर लगा हूवा था उस दिवार ने आकर्षीत किया. दिवार पर खुन की छींटे उड गई थी या खुन से कुछ लिखा हूवा था. जॉनने गौर करकर देखा तो वह खुनसे कुछ लिखा हूवाही प्रतित हो रहा था क्योकी दिवारपर खुनसे एक गोल निकाला हूवा था.
गोल… गोल का क्या मतलब होगा…
जॉन सोचने लगा.
और वह खुन उस मरे हूए आदमी का है या और किसीका?…
वह गोल खुनी ने निकाला होगा या फिर जो मर गया उसने मरनेसे पहले वह निकाला होगा?
” यू पिपल कॅरी ऑन ”
जॉनने अपने टीमको उनकी इन्वेस्टीगेशन प्रोसीजर शुरु करने को कहा.
उसके साथीदार अपने अपने काममें व्यस्त हो गए. जॉनने अपनी पैनी नजर एकबार फिरसे बेडरुमकी सब चिजे निहारते हूए दौडाई. बेडरुममें कोनेमें एक टेबल रखा हूवा था. टेबलपर एक तस्वीर थी. तस्वीरके बाजुमें कुछ खत और लिफाफ़े पडे हूए थे. जॉन ने एक लिफाफ़ा उठाया. उसपर लिखा हूवा था-
”प्रति – सानी कार्टर’.
इसका मतलब जो मर गया था उसका नाम सानी कार्टर था और वह सब खत उसे पोस्टसे आये हूए थे. जॉन बाकी लिफाफ़े और खत उठाकर देखने लगा. वे खत छानते हूए जॉन खिडकीके पास गया. उसने खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर बडा खुबसुरत दृष्य था – एक गोल नयनरम्य तालाब का. उस तालाब को हरी हरी हरीयालीने घेर रखा था. वह दृष्य देखकर जॉन कुछ पलोंके लिये अपने आसपासके मौहोल को भूल सा गया. तालाब की तरफ देखते देखते तालाब के आकारने उसे अपने आसपासके मौहोलसे फिरसे जोड दिया. क्योंकी तालाब का आकार लगभग गोलही था. जॉन फिरसे सोचने लगा-
” दिवारपर… गोलसा क्या निकाला होगा?”
अचानक जॉनके दिमाग मे एक विचार चौंध गया..
” गोल यानी ‘झीरो’ तो नही होगा… हां गोल यानी जरुर ‘झीरो’ ही होगा”
जॉन ने आवाज दिया ” सॅम और तू डॅन “‘
” यस सर” सॅम और डॅन तत्परतासे आगे आते हूए बोले.
” हम जब निचे लिफ्टमें चढे… तब हमें एक काले टी शर्टवाला आदमी दिखाई दिया…और उसके टी शर्टपर ”झीरो” ऐसा लिखा हूवा था… तुमने देखाना?” जॉनने पुछा.
” हां सर…मुझे उसका चेहरा भी याद है” सॅमने कहा.
” हां सर…मुझेभी याद है” डॅन ने कहा.
” गुड … अब तेजीसे निचे जावो और देखो वह निचे मिलता है क्या? … जल्दी जावो … वह अबभी जादा दुरतक नही गया होगा.”
जॉनके साथीदार सॅम और डॅन लगभग दौडते हूए ही निकल गए.

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भाग-2 => आसमान गिर पड़ा (शून्य-उपन्यास)-

जब अँजेनीने अपनी कार अपार्टमेंटमें पार्किंगके लिए घुमाई उसे वहाँ वह शापींग करते वक्त रस्ते में दिखी पुलिस व्हॅन दिखाई दी. उसका दिल जोर जोर से धडकने लगा. क्या हूवा होगा? वह कार से उतरकर अपना शॉपींग किया हूवा सामान लेकर जल्दी जल्दी लिफ्ट की तरफ चल पडी. जब वह वहाँ पहूँची, लिफ्टका दरवाजा खुला और अंदरसे दो पुलिसके लोग बाहर आ गए. पुलीसको देखकर उसका दिल औरही बैठसा गया. उसने झटसे लिफ्टमें जाकर लिफ्टका बटन दबाया जिसपर 10 यह नंबर लिखा हूवा था.
लिफ्टसे बाहर आतेही जब अँजेनीने अपने खुले फ्लॅटके सामने लोगोंकी भीड देखी उसकेतो हाथ पांव कापने लगे. उसके हाथसे शॉपींगका सारा सामान निचे गीर पडा. वैसेही वह उस भीडकी तरफ दौड पडी.
” क्या हूवा?” उसने अंदर जाते हूवे वहाँ जमा हूई भीडको पुंछा. सब लोग गंभीर मुद्रामें सिर्फ उसकी तरफ देखने लगे. किसीकी उसको कुछ बताने की हिम्मत नही बनी. वह फ्लॅटके अंदर चली गई. सब पुलीसवालोंका बेडरुमकी तरफ रुख देखकर वह बेडरुमकी तरफ चली गई.
जाते जाते फीरसे उसने एक पुलीसवालेको पुछा, ” क्या हूवा?”
वह उससे आँखे ना मिलाते हूवे गंभीरतासे सिर्फ बेडरुमकी तरफ देखने लगा.
वह जल्दीसे बेडरुमके अंदर चली गई. सामनेका दृष्य देखकर जैसे अब उसकी बचीकुची जान निकल गई थी. उसके सामने उसके पती का खुनसे लथपथ शव पडा हूवा था. उसे अब सारा कमरा घुमता हूवा नजर आने लगा और वह अपना होशोहवास खोकर निचे गीर पडी. गिरते वक्त उसके मुंहसे निकल गया-
” सानी…”
उसकी वह हालत देखकर बगलमें खडा जॉन झटसे उसे सहारा देने के लिए सामने आया. उसने उसे हिलाकर उसे जगाने की कोशीश की. वह बेहोश हो गई थी. लेकिन जब जॉनने गौर किया की उसकी सांसभी शायद रुक चूकी थी, उसने बगलमें खडे अलेक्स को आदेश दिया ” कॉल द डॉक्टर इमीडीएटली … आय थींक शी हॅज गॉट अ ट्रिमेंडस शॉक”.
अलेक्स तत्परतासे बगलमें रखे फोनके पास जाकर फोन डायल करने लगा.
डॉक्टर के आने तक कुछ करना जरुरी था लेकिन जॉन को क्या करे कुछ सुझाई नही दे रहा था.
“सर शी नीड्स आर्टिफिशीअल ब्रीदिंग” किसीने सुझाव दिया.
फिर जॉन अपने मुंहसे उसके मुंहमे सांस भरने लगा और बिच बिचमे उसकी रुकी हूई धडकन शुरु होनेके लिए उसके सिनेपर जोर जोरसे दबाव देने लगा. दबाव देते हूए 101,102,103 गिनकर उसने फिरसे उसके मुंहमें हवा भरी और फिरसे 102,102,103 गिनकर उसके सिनेपर दबाव देने लगा. ऐसा दो-तीन बार करनेके बाद जॉनने अँजेनीकी सांस टटोली. लेकिन एक बार गई हूई उसकी सांस मानो लौटनेको तैयार नही थी. उसके सारे साथीदार उसके इर्द-गिर्द जमा हुए थे. उनको भी क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था. डॉक्टरके आनेतक एक आखरी प्रयास सोचकर जॉनने फिरसे एकबार अँजेनीके मुंहमे हवा भरी और 101,102,103 गिनकर उसके सिनेपर दबाव देने लगा.
हॉस्पीटलमें अँजेनीको इंटेसीव केअर युनिट में रखा गया था. बाहर दरवाजे के पास जॉन और उसका एक साथीदार खडे थे. इतनेंमे आय.सी.यू का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आगए. जॉन वह क्या कहते है यह सुननेके लिए बेताब उनके सामने जाकर खडा होगया. डॉक्टरने अपने चेहरेसे हरा कपडा हटाते हूए कहा-
” शी इज आऊट ऑफ डेंजर …. नथींग टू वरी”
जॉनके जानमें जान आगई. इतनेमें जॉनके मोबाईलकी घंटी बजी. जॉनने मोबाईलके तरफ देखते हूए बटन दबाते हूए कहा-
” यस सॅम”
उधरसे आवाज आई ” सर , हमने उसे सब तरफ ढुंढा लेकिन वह हमें नही मिला.”
”नही मिला.?.. उसके जानेमें और हमारे ढुंढनेमें ऐसा कितना फासला था? ….वह वही कही आसपास होना चाहिए था. ” जॉनने कहा.
”सर… शायद उसने बादमें अपने कपडे बदले होगे.. क्योंकी हमने आसपासके सभी पुलीस स्टेशनमें उसका हूलिया और पहनावेके बारेंमे खबर कर दी थी…” उधरसे आवाज आई.
”अच्छा, अब एक काम करो…उसका स्केच बनानेके काममें जुड जावो… हमें उसे किसीभी हालमें पकडनाही होगा…” जॉनने अपना दृढ निश्चय जताते हूए आदेश दिया.
” यस सर …” उधर से आवाज आई.
जॉनने मोबाईल बंद किया और डॉक्टरसे कहा,” अच्छा अब हम निकलते है… टेक केअर ऑफ हर … और कोई मुसीबत या परेशानी हो तो हमें फोन करना ना भूलीएगा…”
”ओ.के…” डॉक्टरने कहां.
जानेसे पहले जॉनने अपने साथीदारसे कहा,” उसके रिश्तेदारके बारेमे मालूम करो…और उन्हे इन्फॉर्म करो…”
” यस सर” जॉनके साथीदारने कहा.
….क्रमश:…

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भाग-3 => वर्ल्ड अंडर अंडरवर्ल्ड (शून्य-उपन्यास)-

एक कोलनीमें एक छोटासा आकर्षक बंगला. बंगलेके बाहर एक कार आकर खडी हूई. कारसे उतरकर एक आदमी झटसे घरके कंपाऊंडमे घूस गया. कोई पच्चीसके आसपास उसकी उम्र होगी. उसने काला गॉगल पहन रखा था. अंदर जाते हूए आसपासके गार्डनपर अपनी नजरे दौडाते हूए वह दरवाजेके पास पहूंच गया. अपनी कारकी तरफ देखते हूए उसने दरवाजेकी बेल बजाई. दरवाजा खुलनेकी राह देखते हूए वह कोलनीके दुसरे घरोंकी तरफ देखने लगा. दरवाजा खुलने को बहुत समय लग रहा था इसलिए बंद दरवाजे के सामने वह चहलकदमी करने लगा. अंदरसे आहट सुनते ही वह दरवाजेके सामने अंदर जानेके लिए खडा होगया. दरवाजा खुला. सामने दरवाजेमें उसकाही हमउम्र एक आदमी खडा था. अंदरका आदमी दरवाजेसे हट गया और बाहरका आदमी बिना कुछ बोले अंदर चला गया. ना कुछ बातचीत ना भावोंका आदान प्रदान.

बाहरका आदमी अंदर जानेके बाद दरवाजा अंदरसे बंद हूवा. दोनोंकी रहन सहन, कद काठी, रंग इससे तो वे दोनो अमेरीकी मुलके नही लग रहे थे. दोनोही बिना कुछ बोले घर के तहखानेकी तरफ जाने लगे. घरके ढाचेसे ऐसा कतई प्रतित नही होता था की इस घरको कोई तहखाना होगा.

जो बाहरसे आया था उसने पुछा, ” बॉसका कोई मेसेज आया?”

” नही अभीतक तो नही … कब क्या करना है , बॉस सब महूरत देखकर करता है” दुसरेने कहा.

पहला मन ही मन मुस्कुराया और बोला,” कौन किस पागलपनमें उलझेगा कुछ बोल नही सकते ”

दूसरेने गंभिरतासे कहा ” कमांड2 तुझे अगर हमारे साथ काम करना है तो यह सब समझकर अपने आपमें ढालना जरुरी है… यहां सब बातें तोलमोलकर प्रिकॅलक्यूलेटेड ढंगसे की जाती है.””

कमांड2 कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ये ना समझते हूए सिर्फ कमांड1 की तरफ देखने लगा.

”कोईभी बात करनेसे पहले बॉसको उसके नतिजे की जानकारी पहलेसेही होती है.” कमांड1ने कहा.

अब वे चलते चलते अंधेरे तहखानेमें आ पहूचें. वहां तहखानेमें बिचोबिच टेबलपर एक कॉम्प्यूटर रखा हूवा था. दोनो काम्प्यूटरके सामने जाकर खडे हूए. कमांड1ने कॉम्प्यूटरके सामने कुर्सीपर बैठते हूए कॉम्प्यूटर शुरू किया. कमांड2 उसकेही बगलमें एक स्टूलपर बैठ गया. कॉम्प्यूटरपर लिनक्स ऑपरेटींग सिस्टीम शुरू होने लगी.

” तूझे पता है हम लिनक्स क्यों युज करते है?” कमांड1ने पुछा.

अपना अज्ञान जताते हूए कमांड2 ने सिर्फ अपना सर हिलाया.

‘”कॉम्प्यूटरके लगभग सभी सॉफ्टवेअर जिसका सोर्स कोड युजर (उपभोक्ता) को नही दिया जाता कहां बनायें जातें है?” कमांड1ने जवाब देने के बजाय दुसरा सवाल पुछा.

” कंपनीमें…” कमांड2ने भोले भावसे कहा.

” मेरा मतलब कौनसे देशमें?”

” अमेरिकामें” कमांड2ने जवाब दिया.

” तुझे पता होगाही की जिस सॉफ्टवेअरका सोर्स कोड कस्टमरको दिया जाता है उसे ‘ओपन सोर्स’ सॉफ्टवेअर कहते है… मतलब उस सॉफ्टवेअरमें क्या होता है यह कस्टमर जान सकता है… … और जिस सॉफ्टवेअरका कोड कस्टमरको नही दिया जाता उस सॉफ्टवेअरमें ऐसा बहुत कुछ हो सकता है… जो की होना नही चाहिए.” कमांड1 कह रहा था.

‘”मतलब?'” कमांड2 ने बिचमेंही टोका.

‘”मतलब तुझे पताही होगा की मायक्रोसॉफ्ट कंपनीने एक बार ऐलान किया था की वे उनके प्रतिस्पर्धीयोंको काबूमें रखनेके लिए उनके सॉफ्टवेअर विंन्डोज ऑपरेटींग सीस्टीममें कुछ ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल करने वाले है…” कमांड1 कह रहा था.

” हां … तो ?” कमांड2 कमांड1 आगे क्या कहता है यह सुनने लगा.

”और उन ‘टॅग्ज’ की वजहसे कंपनीको जो चाहिए वही प्रोग्रॅम ठीक ढंगसे काम करेंगे… और दुसरे यातो बहुत धीमी गतीसे चलेंगे, बराबर नही चलेंगे या चलेंगेही नही.” कमांड1ने कहा.

” लेकिन उसका अपने लिनक्स इस्तेमाल करनेसे क्या वास्ता?” कमांड2ने पुछा.

” वास्ता है… बल्की बहुत नजदीकी वास्ता है… सुनो … अगर वे अपने प्रतिस्पर्धीयोंको काबुमें करनेके लिए ऐसे ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल कर सकते है की जिसकी वजहसे उनके प्रतिस्पर्धीयोंका पुरा खातमा हो जाए … तो ऐसाभी मुमकीन है की वे उनके सॉफ्टवेअर और हार्डवेअरमें ऐसे कुछ ‘टॅग्ज’ इस्तेमाल करेंगे की जिसकी वजह से पुरी दुनिया की महत्वपुर्ण जानकारी इंटरनेटके द्वारा उनके पास पहूंच जाए … उसमें हमारे जैसे लोगोंकी गतिविधीयाँ भी आगई… खासकर 9-11 के बाद यह सब उनके लिए बहुत महत्वपुर्ण होगया है…” कमांड1 ने कमांड2की तरफ देखते हूए उसकी प्रतिक्रिया लेते हूए कहा.

” हां तुम सही कहते हो… ऐसा हो सकता है” कमांड2 ने अपनी राय बताते हूए कहा.

” इसलिए मैने क्या किया पता है? … लिनक्स का सोर्स कोड लेकर उसे कंपाईल किया… और फिर उसे अपने कॉम्प्यूटरमें इन्स्टॉल किया… अपनेसे जो हो सकता है वह सभी तरह की एतीहात बरतना जरुरी है…” कमांड1 बोल रहा था.

उसके बोलनेमे गर्व और खुदका बडप्पन झलक रहा था.

” अरे यह अमेरिका क्या चीज है तुझे पताही नही … सारी दुनियापर राज करनेका उनका सपना है… और उसके लिए वह किसीभी हदतक गिर सकते है…” कमांड1 आगे बोल रहा था.

कमांड2ने कमांड1 की तरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.

” चांदपर सबसे पहले आदमी कब पहूँचा? … तुमने स्कुलमें पढाही होगा ना?..” कमांड1 ने सवाल किया.

” अमेरिकाने भेजे यान द्वारा 1969 को नील आर्मस्ट्राँग सबसे पहले चांदपर पहूंचा.” कमांड2 ने झटसे स्कुली बच्चे की तरह जवाब दिया.

”सभी स्कुली बच्चोंके दिमाग मे यही कुटकुटकर भरा हूवा है … और अभीभी भरा जा रहा है… लेकिन सच क्या है इसके बारेमे लोगोंने कभी सोचा है?… जो व्हीडीओ अमेरिकाने टी व्ही पर सारी दुनिया को दिखाया उसमें अमेरिकाका झंडा मस्त लहराता हूवा दिख रहा था… चांदपर अगर हवाही नही है … तो वह झंडा कैसा लहरेगा … जो लोग चांद पर उतरे उनके साये… यान की बदली हूई जगह… ऐसे न जाने कितने सबुत है जो दर्शाते है की अमेरीकाका यान चांदपर गयाही नही था…” कमांड1 आवेशमें आकर बोल रहा था.

” क्या बात करता है तू … फिर यह सब क्या झूट है? …” कमांड2 ने आश्चर्यसे पुछा.

” झूठ ही नही … सफेद झूठ… इतनाही नही उस वक्त सॅटेलाईटसे जमीन की ली हूई तस्वीरोंमे जो सेट उन लोगोंने बनाया था उसकी तस्वीर भी मिली है…”

” ठिक है मान लेते है की यह सब झूठ … लेकिन अमेरिका यह सब किसलिए करेगा?”

” हां यह अच्छा सवाल है … की उन्होने वह सब क्यों किया? … इतना सारा झंझट करने की उन्हे क्या जरुरत थी? … जिस वक्त अमेरिकाने उनका यान चांदपर उतरनेका दावा किया तब रशीया अमेरिकाका सबसे बडा प्रतिस्पर्धी था… हम रशीयासे दो कदम आगे है यह दिखानेके लिये उन्होने यह सब किया … और उसमें वे कामयाबभी रहे…” हर एक शब्दके साथ कमांड1का आवेश बढता दिखाई दे रहा था.

” माय गॉड… मतलब इतना बडा धोखा और वह भी सारी दुनियाको…” कमांड2के मुंहसे निकल गया.

” अमेरिका अब अंग्रेज पहले जिस रास्तेसे जा रहे थे उस रस्ते से चल रहा है… दुसरे वर्ल्ड वार के पहले ब्रिटीश लोगोंने सारी दुनियापर राज किया… उस वक्त कहते थे की उनकी जमिनपर सुरज कभी डूबता नही था… अब अमेरिकाभी वही करनेका प्रयास कर रही है…. फर्क सिर्फ इतना है की ब्रिटीश लोगोंने आमनेसामने राज किया और ये अब छुपे रहकर राज करना चाहते है… मतलब ‘प्रॉक्सी रूलींग’. अफगाणिस्थान, इराक, कुवेत, साऊथ कोरिया यहाँ पर वे क्या कर रहे है … प्रॉक्सी रूलींग … और क्या?”

” हां तुम बिलकुल सही कहते हो…” कमांड2ने सहमती दर्शाई.

” और यही अमेरिकाका अधिपत्य, प्रभुत्व खतम करना अपना परम हेतू है ..” कमांड1ने जोशमें कहा.

कमांड2के चेहरेसे ऐसा लग रहा था की वह उसकी बातोंसे बहुत प्रभावित हुवा है. और कमांड1के चेहरेपर कमांड2को ब्रेन वॉश करनेमें उसे जो सफलता मिली थी उसका आनंद झलक रहा था.

इतनेमें शुरु हुए कॉम्प्यूटरका बझर बजा. कमांड1को ईमेल आई थी. कमांड1ने मेलबॉक्स खोला. उसमें बॉसकी मेल थी.

” एक बात मेरे समझमें नही आती की यह बॉस है कौन?” कमांड2ने उत्सुकतापुर्वक पुछा.

” यह किसीकोभी पता नही … सिवाय खुद बॉसके… और इस बातसे हमें कोई सरोकार नही की बॉस कौन है?… क्योंकी हम सब लोगोंको एक सुत्रमें जिस बातने जोडा है वह कोई एक व्यक्ती ना होकर … एक विचारधारा है… वह विचारधाराही सबसे महत्वपुर्ण है… आज बास है कल नही होगा… लेकिन उसकी विचारधारा हमेशा जिंदा रहना चाहिए…” कमांड1 मेल खोलते वक्त बोल रहा था.

मेलमें सिर्फ ‘हाय’ ऐसा लिखा हूवा था और मेलको कोई फाईल अटॅच की हूई थी. कमांड1 ने अटॅचमेंट ओपन की. वह मॅडोनाकी एक ‘बोल्ड’ तस्वीर थी.

” यह क्या भेजा बॉसने?” कमांड2 ने आश्चर्यसे पुछा.

” तुम अभी बच्चे हो… धीरे धीरे सब समझ जावोगे… बस इतनाही जान लो की दिखाने के दात और खाने के दात हमेशा अलग रहते है… ” कमांड1 तस्वीर की तरफ देखकर मुस्कुराते हूए बोला.

कमांड1 ने बडी चपलतासे कॉम्प्यूटरके कीबोर्डके चार पाच बटन दबाए. सामने मॉनिटरपर एक सॉफ्टवेअर खुल गया. कमांड1ने मॅडोनाके उस तस्वीरको डबल क्लीक किया. एक निले रंग का प्रोग्रेस बार धीरे धीरे आगे बढने लगा. कमांड1 ने कमांड2की तरफ रहस्यतापुर्ण ढंग से देखा.

” लेकिन यह क्या कर रहे हो … स…” कमांड2ने कहा.

कमांड1ने झटसे कमांड2के मुंहपर हाथ रखकर उसकी बोलती बंद की.

” गलतीसेभी तुम्हारे मुंहमें मेरा नाम नही आना चाहिए… तुझे पता है… दिवार के भी कान होते है…”

”सॉरी” कमांड2 अपने गलती का अहसास होते हूए बोला.

” यहां गलतियोंको माफ नही किया जाता…” कमांड1ने दृढतापुर्वक कहा.

तबतक प्रोग्रेस बार आगे बढते हूए पुरीतरह निला हो चूका था.

” इसे स्टेग्नोग्राफी कहते है … मतलब तस्वीरोंमे संदेश छुपाना… देखनेवालोंको सिर्फ तस्वीर दिखाई देगी … लेकिन इस तस्वीरमेंभी बहोत सारी महत्वपुर्ण जानकारी छिपाई जा सकती है…” कमांड1 उसे समझा रहा था.

” लेकिन अगर यह तस्वीर यहां पहूचनेसे पहले किसी और के हाथ लगी तो?” कमांड2 अपनी शंका उपस्थीत की.

” यह सब जानकारी सिर्फ इस सॉफ्टवेअरके द्वारा ही बाहर निकाली जा सकती है… और उसे पासवर्ड लगता है…. यह सॉफ्टवेअर बॉसने खुद बनाया हूवा है…. इसलिये यह किसी दुसरे के पास रहने का तो सवाल ही पैदा नही होता” कमांड1ने उसके सवाल का यथोचीत उत्तर दिया था.

” कौनसी जानकारी छिपाई गई है इस तस्वीर में … जरा देखु तो” कमांड2 उत्सुकतावश देखने लगा.

इतनेमें मॉनिटरपर एक मेसेज दिखने लगा. ” अगले काम की तैयारी शुरु करो … उसका वक्त बादमें बताया जाएगा.”

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भाग-4 => वह कहाँ गई? (शून्य-उपन्यास)-

हॉस्पिटल के सामने एक सफेद कार आकर खडी हूई, उसमेंसे जॉन उतर गया. आज वह उसके हमेशाके पुलीस युनीफार्ममें नही था. और उसका मुडभी हमेशा का नही लग रहा था. उसके हाथमें सफेद फुलोंका एक गुलदस्ता था. सिधे लिफ्टके पास जाकर उसने लिफ्ट का बटन दबाया. लिफ्टमें प्रवेश कर उसने फ्लोअर नं. 12 का बटन दबाया. लिफ्ट बंद होकर उपरकी तरफ दौडने लगी. लिफ्टके रफ्तारके साथ उसके दिमाग में चल रहे विचारोंनेभी रफ्तार पकड ली….

दिवारपर खुनसे गोल क्यों निकाला गया होगा?….

फोरेन्सीक जांचमें खुन सानीकाही पाया गया था…..

जरुर जिसने भी वह गोल निकाला वह कुछ कहने का प्रयास कर रहा होगा…

खुन किसने किया इसका अंदाजा शायद अँजेनीको होगा…

लिफ्ट रुक गई और लिफ्टकी बेल बजी. बेलने जॉनके विचारोंके श्रुंखलाको तोडा. सामने इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्लेमें 12 यह नंबर आया था. लिफ्टका दरवाजा खुला और जॉन लिफ्टसे बाहर निकल गया. अपने लंबे- लंबे कदम से चलते हूए जॉन सिधा ‘बी’ वार्डमें घुस गया.

जॉनने एकबार अपने हाथमें पकडे फुलोंके गुलदस्तेकी तरफ देखा और उसने ‘बी2’ रूमका दरवाजा धीरेसे खटखटाया. थोडी देर तक राह देखी, लेकिन अंदर कोईभी आहट नही थी. उसने दरवाजा फिरसे खटखटाया – इस बार जोरसे. लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नही थी. यह देखकर उसने अपनी उलझन भरी नजर इधर उधर दौडाई. उसे अब चिंता होने लगी थी. वह दरवाजा जोर जोरसे ठोकने लगा.

क्या हूवा होगा?…

यही तो थी अँजेनी …

आज उसे डिस्चार्ज तो नही करने वाले थे…

फिर .. वह कहाँ गई?

कुछ अनहोनी तो नही हूई होगी?…

उसका दिल धडकने लगा. उसने फिरसे आजूबाजू देखा. वार्डके एक सिरेको एक काऊंटर था. काऊंटरपर जानकारी मील सकती है… ऐसा सोचकर वह तेजीसे काऊंटरकी तरफ जाने लगा.

“एक्सक्यूज मी” उसने काऊंटरपर नर्सका ध्यान अपनी तरफ आकर्षीत करनेका प्रयास किया.

नर्सके लिए यह रोजका ही होगा, क्योंकी जॉनकी तरफ ध्यान न देते हूए वह अपने काममें व्यस्त रही.

” ‘बी2’ को एक पेशंट थी… अँजेनी कार्टर … कहा गई वह? … उसे डिस्चार्ज तो नही दिया गया? … लेकिन उसका डिस्चार्ज तो आज नही था … फिर वह कहाँ गई? … वहाँ तो कोई नही…” जॉन सवालों पे सवाल पुछे जा रहा था.

” एक मिनट … एक मिनट … कौनसी रूम कहां आपने?'” नर्सने उसे रोकते हुए कहा.

“बी2” जॉनने एक गहरी सास लेकर कहां.

नर्सने एक फाईल निकाली. फाईल खोलकर ‘बी2′ … बी2’ ऐसा बोलते हूए उसने फाईलके इंडेक्सके उपर अपनी लचीली उंगली फेरी. फिर इंडेक्समें लिखा हूवा पेज नंबर निकालने के लिए उसने फाईलके कुछ पन्ने अपने एक खास अंदाजमें पलटे.

“‘बी2’ … मिसेस अँजेनी कार्टर…” नर्स तसल्ली करने के लिए बोली.

” हां …अँजेनी कार्टर” जॉनने कंन्फर्म किया.

जॉन उत्सुकतासे उसकी तरफ देखने लगा. लेकिन वह एकदम शांत थी. जैसे वह जॉनके सब्रका इंतहान ले रही हो. जॉनको उसका गुस्सा भी आ रहा था.

” सॉरी … मिस्टर ..?” नर्सने जॉनका नाम जानने के लिए उपर देखा.

जॉन का दिल और जोर जोरसे धडकने लगा.

“जॉन” जॉनने खुदको संभालते हूए अपना नाम बताया.

” सॉरी … मिस्टर जॉन … सॉरी फॉर इनकन्व्हीनियंस … उसे दुसरी रूममें … बी23 में शीफ्ट किया गया है….” नर्स बोल रही थी.

जॉनके जान मे जान आई थी.

“ऍक्यूअली … बी2 बहुत कंजेस्टेड हो रहा था … इसलिए उनकेही कहने पर….” नर्स अपनी सफाई दे रही थी.

लेकिन जॉनको कहा उसका सुनने की फुरसत थी? नर्स अपना बोलना पुरा करनेके पहलेही जॉन वहांसे तेजीसे निकल गया … बी23 की तरफ.

….. उपन्यास ….. जारी रखा ……….. है ,,,,,

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भाग-5 => दिल-विल… (शून्य-उपन्यास)-

बी23 की तरफ जाते हूए जॉनको खुदका ही आश्चर्य लगने लगा था.

यह कैसी बेचैनी?…

ऐसा तो पहले कभी नही हूवा था…

अबतक न जाने कितनी केसेस उसके हाथके निचेसे गई थी… लेकिन एक स्त्री के बारेमें ऐसी बेचैनी…

और कुछ अनहोनी तो नही हूई होगी? ऐसी चिंता और इतनी चिंता उसे पहले कभी नही हूई थी…

उसने बी23 का दरवाजा खटखटाया. दरवाजा खुलाही था. दरवाजा धकेलकर वह अंदर जाने लगा. अंदर बेडपर अँजेनी लेटी हूई थी. वह सोचमें डूबी खिडकीसे बाहर जैसे शुन्य भावसे देख रही थी. जॉन की आहट आतेही उसने दरवाजे की तरफ देखा. जॉनको देखतेही वह मुस्कुरा दी. लेकिन उसके चेहरेसे दुख का साया अभीभी हटा नही दिख रहा था. शायद अभीभी वह गहरे सदमेसे उभरी नही थी. वह उसके पास जाकर खडा हूवा. उसने उसे बगलमे रखे स्टूलपर बैठने का इशारा किया. स्टूलपर बैठनेके बाद फुलोंका गुलदस्ता उसके बाजूमे रखते हूवे जॉनने पुछा – ” कैसी हो?”

वह फिरसे उसकी तरफ देखकर मुस्कुराई. ऐसे लग रहा था जैसे मुस्कुरानेके लिए उसे बडा कष्ट हो रहा हो.

” मुसिबतोंका पहाड जिसपर गिर पडता है वही उसकी मार समझ सकता है… आप किस पिडादायक मनस्थीतीसे गुजर रही होगी मै समझ सकता हू…” जॉन बोल रहा था.

अँजेनीके आँखोसे आसु बहने लगे. जॉन बोलते बोलते रुक गया. उसने उसे धिरज देता हूवा अपना हाथ उसके कंधेपर रख दिया. अब तो उसने जो आँसूओंका बांध रोकने की कोशीश की थी वह टूट गया और वह जॉनसे लिपटकर फुट फुटकर रोने लगी. जॉन उसे सहलाते हूए ढाढस बंधाने का प्रयास कर रहा था. उसे कैसे समझाया जाए कुछ समझ नही आ रहा था.

अब वह थोडी नॉर्मल हो गई थी. जॉनने अब जान लिया की अँजेनीको खुनके बारेमें पुछनेका यही सही वक्त है.

” किसने खुन किया होगा? … आपको कोई संदेह? … या अंदाजा? ‘” जॉनने धीरेसे पुछा.

अँजेनीने इन्कारमें अपना सर हिलाया और फिर खिडकीके बाहर देखते हूए फिरसे सोचमें डूब गई.

जॉनने उसकी जेबसे एक फोटो निकाला.

” यह देखो… यहाँ दिवारपर … खुनसे गोल निकाला गया है … यह क्या हो सकता है? …कुछ अंदाजा? … या फिर किसने निकाला होगा… इसके बारे मे कुछ बता सकती हो?” जॉनने पुछा.

अँजेनीने फोटो गौरसे देखा. दिवारपर लिखे हूए गोल के निचे बेडपर पडे हूए उसके पतीके मृत शरीरको देखकर फिरसे उसका गला भर आया… जॉनने फोटो फिरसे जेबमें रखा.

‘” नही मतलब इस गोलका कुछ अर्थ समझमें आता है क्या? … वह एबीसीडीका ‘ओ’ भी हो सकता है … या फिर शून्यभी हो सकता है …” जॉनने कहा.

” मै समझ सकता हूँ की यह आपके पती के खुन के बारे में पुछने का उचीत वक्त नही … लेकिन जानकारी जितनी जादा और जितने जल्दी मिल सकती है उतने जल्दी हम खुनीको पकड सकते है…” जॉन ने कहा.

अँजेनी अब अपने इरादे पक्के कर संभलकर सिधे बैठ गई ” पुछो आपको जो पुछना है ..”‘

जॉननेभी जान लिया की पुरी जानकारी निकालनेका यही उचीत समय है.

“‘ सानी क्या करता था? … मतलब बाय प्रोफेशन” जॉनने पहला सवाल पुछा.

” वह इंपोर्ट एक्सपोर्टका बिझीनेस करता था … मेनली गारमेंटस् … इंडीयन कॉन्टीनेंटमें उसका बिझीनेस फैला हूवा था ” अँजेनी बोल रही थी.

” कोई प्रोफेशनल रायव्हल?” जॉनने पुछा.

” नही… उसका डोमेन एकदम अलग होनेसे उसे कोई प्रोफेशनल रायव्हल्स होनेका सवालही पैदा नही होता. ‘” अँजेनी बोल रही थी.

“‘ अच्छा आप क्या करती है ?” जॉनने अगला सवाल पुछा.

” मै एक फॅशन डिझायनर हूँ” अँजेनीने कहा.

बहुत देरतक उनके सवाल जवाब चलते रहे. आखीर स्टूलसे उठते हूए जॉनने कहा ” ठीक है … अबके लिए इतनी जानकारी काफी है… अब आप थकी भी होगी… मतलब दिमागसे… आराम करो … फिरसे कुछ लगा तो हम आपसे पुछेंगेही …”

जॉन जाने लगा.

अँजेनी उसे दरवाजे तक छोडनेके लिए उठने लगी तो जॉन ने कहा ” आप पडे रहिए .. आपको आराम की सख्त जरुरत है'”

फिरभी वह उसे दरवाजेतक छोडनेके लिए उठ गई. जॉन दरवाजे तक पहूचता नही की उसे पिछेसे उसकी आवाज आई –

” थँक यू …”

जॉन एकदमसे रुक गया और उसने मुडकर पुछा ” किसलिए?”

” मेरी जान बचानेके लिए … डॉक्टरने मुझे सब बताया है… अगर आप समयपर मुझे कृत्रिम सांसे नही देते तो शायद मै अब जिवीत नही होती …” अँजेनी उसकी तरफ कृतज्ञता भरी निगाहोंसे देखते हूए बोली.

” उसमें क्या है… मैने मेरा कर्तव्य किया बस ‘” जॉनने कहा.

” वह आपका बडप्पन है” अँजेनी दरवाजेतक पहूचते हूए बोली.

जॉन अब वहा से निकल गया था. लंबे लंबे कदम डालते हूवे जल्दी जल्दी वह चलने लगा. शायद अपनी भावनाएँ छिपाने के लिए. थोडे ही समयमे वह कॉरीडोर के सिरेतक जा पहूंचा. दाई तरफ मुडनेसे पहले उसने एक बार पिछे मुडकर देखा. वह अभीभी उसके तरफही देख रही थी.

जॉन पॅसेजमेंसे लिफ्टकी तरफ जा रहा था. अँजेनीको छोडकर जाते हूए उसे अपना दिल भारी भारी लग रहा था. अचानक जॉनका ध्यान लिफ्टकी तरफ गया. लिफ्ट अभीभी वहासे दूरही थी. लिफ्टके उस तरफवाले हिस्सेसे एक युवक आया. उसने काला टी शर्ट पहना हूवा था और उस टी शर्टपर ‘झीरो’ निकाला हुवा था, जैसा उसने पहलेभी सानीके खुनके दिन देखा था. जॉन एकदम हरकतमें आया और लिफ्टकी तरफ दौडने लगा.

उसने आवाज दिया, “ए… हॅलो ”

लेकिन उसका आवाज पहूचनेसे पहलेही वह युवक लिफ्टमें घुस गया था. जॉन औरभी जोरसे दौडने लगा. लिफ्ट बंद होगई थी… लेकिन अभीभी निचे या उपर नही गई थी. जॉन दौडते हूए लिफ्टके पास गया. उसने लिफ्टका बटन दबाया. लेकिन व्यर्थ. लिफ्ट निचे जाने लगी थी. जॉनको क्या करे कुछ सुझ नही रहा था. वह युवक उस दिन देखे युवकके हूलिए जैसा नही था. लेकिन पता नही क्यों जॉनको लग रहा था की जरुर सानीके खुनका रहस्य उस ‘झीरो’ में छिपा हूवा है. जॉन बगलकी सिढीयोंसे तेजीसे निचे उतरने लगा. बिच बिचेमें उसका लिफ्टकी तरफभी ध्यान था. लेकिन मानो लिफ्ट बिचमें कही भी रुकनेके लिए तैयार नही थी. शायद वह एकदम ग्राऊंड फ्लोअरकोही रुकनेवाली थी. जब जॉनने देखा की लिफ्ट उससे दो माले आगे निकल गई तो वह और जोरसे सिढीयाँ उतरने लगा.

आखिर सासें फुली हूई हालतमे वह ग्राऊंड फ्लोअरको पहूँच गया. उसने लिफ्टकी तरफ देखा. लिफ्टमेंके लोग कबके बाहर आ चूके थे और लिफ्टका डिस्प्ले लिफ्ट उपरकी दिशामें जा रही है ऐसा दर्शा रहा था. जॉन दौडते हूए हॉस्पीटलके बाहर लपका. उसने सब तरफ अपनी पैनी नजरें दौडाई. पार्कीगमेभी जाकर देखा. हॉस्पीटलके बाहर रोडपर जाकर देखा. लेकिन वह काले रंगके टी शर्टवाला युवक कही भी दिखाई नही दे रहा था.

…..क्रमश::………..

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7 Habits जो बना सकती हैं आपको Super Successful !!


kmsraj51 की कलम से …..
PEN KMSRAJ51-PEN


7-Habits-of-Highly-Effective-People-Hindi7 Habits of Highly Effective People

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce करें.

Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए

Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते . Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और performance को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एक reactive व्यक्ति reactive भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपर react या चिंता करने के बजाये proactive लोग अपना time और energy ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो control कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:


Circles

1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )

2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )

Proactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

Habit 2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.

तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.

Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus में रखता है, और आपके ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.


Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें

एक balanced life जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus कीजिये.
Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.

लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3 life management के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2 में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.

Habit 4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें

Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
Maturity / परिपक्वता : अपनेideas औरfeelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or केterms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और consideration मेंbalance स्थापित हो, यहीreal maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.

Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.

Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss कर जाते हैं.

सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.

Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना

सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.

पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.

जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.

मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.

Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें

Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:

 Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
 Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
 Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
 Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.

आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?

आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.

आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है Desire (इच्छा),Knowledge( ज्ञान)और Skills(कौशल) की.

————————————————-

Post inspired by AKC. I am grateful to Mr. Gopal Mishra & AKC (http://www.achhikhabar.com/) Thanks a lot !!


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दो प्रेरक कहानी हिन्दी में ~ Two Motivational Story in Hindi !!



kmsraj51 की कलम से …..
PEN KMSRAJ51-PEN

अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं ?



First =>
एक बार अकबर , बीरबल के साथ दरिया के किनारे बेठे थे, उनकी नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में डूब रहा था. अकबर ने उसे डूबने से बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में जा गिरा , इस बार फिर अकबर उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने फिर डंक मार दिया . चार बार ऐसा ही हुआ, तब बीरबल से रहा न गया तो उसने पूछा हुजुर आपका ये काम हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं!

::::::::::: – And – :::::::::::



Second =>
रमन के पड़ोस में एक मोची रहता था. वह दिन भर तो अपनी झोंपड़ी के दरवाज़े पर सुकून से बैठकर जूते गांठता रहता मगर शाम को शराब पीकर उधम मचाता और जोर-जोर से गाने गाता. रमन अपने मकान के किसी कोने में रात भर हर चीज़ से बेपरवा पूजा पाठ में मशगूल रहते. पडोसी का शोर उनके कानो तक पहुँचता मगर उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता. एक रात उन्हें उस मोची का शोर सुनाई नहीं दिया . इमाम बेचैन हो गए और बेचैनी से सुबह का इंतज़ार करने लगे. सुबह होते ही उन्होंने आस-पड़ोस में मोची के बारे में पूछा. मालूम हुआ कि सिपाही उसे पकड़ कर ले गए हैं क्यूंकि वह रात में शोर मचा मचा कर दूसरों कि नींदें हराम करता था.

उस समय अकबर की हुकूमत थी. बार-बार आमंत्रित करने पर भी रमन ने कभी उसकी देहलीज़ पर कदम नहीं रखा था मगर उस रोज़ वह पडोसी को छुड़ाने के लिए पहली बार अकबर के दरबार में पहुंचे. अकबर को उनका मकसद मालूम हुआ तो वह कुछ देर रुका फिर कहा – “रमन ये बहुत ख़ुशी का मौका है कि आप दरबार में तशरीफ़ लाये. आपकी इज्ज़त में हम सिर्फ आपके पडोसी नहीं बल्कि तमाम कैदियों कि रिहाई का हुक्म देते हैं “. इस वाकये का रमन के पडोसी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने शराब छोड़ दी और फिर उसने मोहल्ले वालों को कभी परेशान नहीं किया!!



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अपने दिल की आवाज सुनो !!


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^^ अपने दिल की आवाज सुनो ^^
heart


एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बाहर कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?””व्यक्ति ने पूछा.”
कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ.”, बुढ़िया ने उत्तर दिया.

फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करनेके लिए रुक गया और साथमें सुई खोजने लगा. कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल होगए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया.

सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,” अरे अम्मा !ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?”

”बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया.

ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , ” कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी, आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?”

“क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली.

मित्रों, शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है ; हमारी सुई कहाँ गिरी है .

हमेंचाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .



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दिल को छूने वाली – एक बच्चे के ख्वाइश ~ A heart touching child story !!


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^^ दिल को छूने वाली – एक बच्चे के ख्वाइश ^^
Kids_Education-KMSRAJ51


वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी |बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | उसने रोने का कारण पूछा ।

टीचर बोली , सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे टेलीविजन बना दे |

यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |

टीचर बोली , आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा | जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा और नहीं उल्टे सवाल होंगे | जब मै TV बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनाव होगा, तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी | मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा | यहाँ तक की जब TV बंद रहेंगा, तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होंगी | और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे सकूँगा | “

यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं देते !’

टीचर पत्नी ने आंसूं भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और बोली, जानते हो, यह बच्चा कौन है?
…..हमारा अपना बच्चा…..हमारा छोटू |”

सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा तो नहीं ।

मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार को नहीं समझ पायेंगे। चलिए प्रयास करें की हमारी वजह से किसी छोटू को टीवी बनने के बारे में ना सोचना पड़े!

::- See more motivational story in Hindi at: http://kmsraj51.wordpress.com/


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घमंडी कौवा !!



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^^ घमंडी कौवा ^^


crow


हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था , उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था . उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा “तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !” कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ???…नहीं , तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं !”

कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला ,” ये अच्छी बात है कि तुम ये सब कर लेते हो , लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए .”

” मैं घमंड – वमंड नहीं जानता , अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए .”

एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली . यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी , पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे .

प्रतियोगिता शुरू हुई , पहले चरण की शुरुआत कौवे ने की और एक से बढ़कर एक कलाबजिया दिखाने लगा , वह कभी गोल-गोल चक्कर खाता तो कभी ज़मीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता . वहीँ हंस उसके मुकाबले कुछ ख़ास नहीं कर पाया . कौवा अब और भी बढ़-चढ़ कर बोलने लगा ,” मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ भी नहीं आता …ही ही ही …”

फिर दूसरा चरण शुरू हुआ , हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की तरफ उड़ने लगा . कौवा भी उसके पीछे हो लिया ,” ये कौन सा कमाल दिखा रहे हो , भला सीधे -सीधे उड़ना भी कोई चुनौती है ??? सच में तुम मूर्ख हो !”, कौवा बोला .

पर हंस ने कोई ज़वाब नही दिया और चुप-चाप उड़ता रहा, धीरे-धीरे वे ज़मीन से बहुत दूर होते गए और कौवे का बडबडाना भी कम होता गया , और कुछ देर में बिलकुल ही बंद हो गया . कौवा अब बुरी तरह थक चुका था , इतना कि अब उसके लिए खुद को हवा में रखना भी मुश्किल हो रहा था और वो बार -बार पानी के करीब पहुच जा रहा था . हंस कौवे की स्थिति समझ रहा था , पर उसने अनजान बनते हुए कहा ,” तुम बार-बार पानी क्यों छू रहे हो , क्या ये भी तुम्हारा कोई करतब है ?””नहीं ” कौवा बोला ,” मुझे माफ़ कर दो , मैं अब बिलकुल थक चूका हूँ और यदि तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं दम तोड़ दूंगा ….मुझे बचा लो मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊंगा …”

हंस को कौवे पर दया आ गयी, उसने सोचा कि चलो कौवा सबक तो सीख ही चुका है , अब उसकी जान बचाना ही ठीक होगा ,और वह कौवे को अपने पीठ पर बैठा कर वापस तट की और उड़ चला .

दोस्तों,हमे इस बात को समझना चाहिए कि भले हमें पता ना हो पर हर किसी में कुछ न कुछ quality होती है जो उसे विशेष बनाती है. और भले ही हमारे अन्दर हज़ारों अच्छाईयां हों , पर यदि हम उसपे घमंड करते हैं तो देर-सबेर हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना पड़ता है। एक पुरानी कहावत भी है ,”घमंडी का सर हमेशा नीचा होता है।” , इसलिए ध्यान रखिये कि कहीं जाने -अनजाने आप भी कौवे वाली गलती तो नहीं कर रहे ?


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दर्जी की सीख ~ Short Motivational Story in Hindi !!


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tt
दर्जी की सीख


एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया .
तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?
पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।


उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”


KMSRAJ51-GREAT THOUGHTS-3

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भगवान बचाएगा !!

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^^ भगवान बचाएगा !! ^^


एक समय की बात है किसी गाँव में एक साधु रहता था, वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या किया करता था | उसका भागवान पर अटूट विश्वास था और गाँव वाले भी उसकी इज्ज़त करते थे|

एक बार गाँव में बहुत भीषण बाढ़ आ गई | चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों की तरफ बढ़ने लगे | जब लोगों ने देखा कि साधु महाराज अभी भी पेड़ के नीचे बैठे भगवान का नाम जप रहे हैं तो उन्हें यह जगह छोड़ने की सलाह दी|

पर साधु ने कहा – तुम लोग अपनी जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!

op

धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता गया , और पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा , इतने में वहां से एक नाव गुजरी| मल्लाह ने कहा – हे साधू महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा |”

“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है , मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा !! “, साधु ने उत्तर दिया.

नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया.

कुछ देर बाद बाढ़ और प्रचंड हो गयी , साधु ने पेड़ पर चढ़ना उचित समझा और वहां बैठ कर ईश्वर को याद करने लगा | तभी अचानक उन्हें गड़गडाहत की आवाज़ सुनाई दी, एक हेलिकोप्टर उनकी मदद के लिए आ पहुंचा, बचाव दल ने एक रस्सी लटकाई और साधु को उसे जोर से पकड़ने का आग्रह किया|

पर साधु फिर बोला – मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा |

उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया | कुछ ही देर में पेड़ बाढ़ की धारा में बह गया और साधु की मृत्यु हो गयी |

मरने के बाद साधु महाराज स्वर्ग पहुचे और भगवान से बोले -. हे प्रभु मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की… तपस्या की पर जब मै पानी में डूब कर मर रहा था तब तुम मुझे बचाने नहीं आये, ऐसा क्यों प्रभु ?

भगवान बोले , हे साधु महात्मा मै तुम्हारी रक्षा करने एक नहीं बल्कि तीन बार आया , पहला, ग्रामीणों के रूप में , दूसरा नाव वाले के रूप में , और तीसरा ,हेलीकाप्टर बचाव दल के रूप में. किन्तु तुम मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए |”

मित्रों, इस जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है , इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि वे किसी की प्रतीक्षा नहीं करते है , वे एक दौड़ते हुआ घोड़े के सामान होते हैं जो हमारे सामने से तेजी से गुजरते हैं , यदि हम उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेते है तो वे हमें हमारी मंजिल तक पंहुचा देते है, अन्यथा हमें बाद में पछताना ही पड़ता है !!

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दुख का कारण ~ Eyesore !!

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एक व्यापारी को नींद न आने की बीमारी थी। उसका नौकर मालिक की बीमारी से दुखी रहता था। एक दिन व्यापारी अपने नौकर को सारी संपत्ति देकर चल बसा। सम्पत्ति का मालिक बनने के बाद नौकर रात को सोने की कोशिश कर रहा था, किन्तु अब उसे नींद नहीं आ रही थी। एक रात जब वह सोने की कोशिश कर रहा था, उसने कुछ आहट सुनी। देखा, एक चोर घर का सारा सामान समेट कर उसे बांधने की कोशिश कर रहा था, परन्तु चादर छोटी होने के कारण गठरी बंध नहीं रही थी।


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नौकर ने अपनी ओढ़ी हुई चादर चोर को दे दी और बोला, इसमें बांध लो। उसे जगा देखकर चोर सामान छोड़कर भागने लगा। किन्तु नौकर ने उसे रोककर हाथ जोड़कर कहा, भागो मत, इस सामान को ले जाओ ताकि मैं चैन से सो सकूँ। इसी ने मेरे मालिक की नींद उड़ा रखी थी और अब मेरी। उसकी बातें सुन चोर की भी आंखें खुल गईं।


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