Kmsraj51 की कलम से…..
♦ चपला अपने आंगन। ♦
तम मलिक अंचल में घना।
कलपना मेघा चपला चंचला।
संवेदना अभिव्यक्ति सब मौन।
बेर कदली संग निभाता कौन।
निर्वाधित अधिकार उसमें सना।
कातर स्वरों के राग से जो बना।
शिष्टता सम गामिनी मैं कौन ?
‘मंगल’ स्वर लहरी बजती मौत।
जग – क्रंदन नव वंदन।
मन नभ पुलकित आंगन।
समता सुंदर अभिनंदन।
स्मृतियां करती अंकन।
मधु समीर मलाई चंदन।
उपवन किसलय आलिंगन।
सौरभ प्रदेश में परिवर्तन।
चपला चमकी घर आंगन।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – मेघाच्छादित वर्षा, बिजली कड़कने की आवाज हो, वर्षा का पृथ्वी से आलिंगन हो। कितना खूबसूरत मनोरम दृश्य हैं। हर तरफ खुशिया ही खुशिया।
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यह कविता (चपला अपने आंगन।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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