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Mahila diwas par kavita

नारी की कहानी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नारी की कहानी। ♦

ओ नारी तेरे जीवन की भी क्या अजीबो गरीब कहानी है?
दमन में बीता बचपन है तेरा और जुर्म में बीती जवानी है।

किशोर हुई मासिक धर्म को झेला, सब झेल हुई सयानी है।
यौवन में कर शादी, पड़ती गृह त्याग की रसम निभानी है।

गर्भ का पालन, प्रसव पीड़ादि भी तो जुर्म की ही निशानी है।
जो कुदरत ने किए सिर्फ तेरे ही साथ, बातें किसे बतानी है?

बड़ा सहज है कहना नर समाज को, यह तो रीत पुरानी है।
अपने घर लगी आग दुख देती है, सेंकने को आग बेगानी है।

तारीफ की मारी नारी बेचारी, निज शोषण स्वयं करवाती है।
कुरूप हुई नकारी है जाती, सुरूप चापलूसी में आ जाती है।

कुत्ते का बैरी कुत्ता फिर, एक दूसरी को ही नीचा दिखाती है।
श्रृष्टि रचयिता होकर भी, पुरुष के आगे खुद को नचाती है।

करे श्रृंगार जो घना बेचारी, तो लूटपाट की बात बन जाती है।
कुरूप तो शोषित, सुरुप अवशोषित, जाती बेचारी बलाती है।

जाए तो जाए-जाए किधर को? आगे कुआं खाई पीछे आती है।
जहाज का पंछी फिर वहीं लौटेगा, जानती यह नर की जाती है।

सास-बहू के झगड़े में भी, नारी ही नारी का शोषण करवाती है।
घर-संसार है तुझ से ओ देवी! अपने आप को ही क्यों लड़ाती है?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सबने कहा नारी आज की शिक्षित है, फ़िर भी क्यों आज भी नारी सब दर्द को चु्पचाप है सहती, चाहे बात बचपन की हो या किशोर हुई मासिक धर्म को झेला, सब झेल हुई सयानी है। यौवन में कर शादी, पड़ती गृह त्याग की रसम निभानी है उसको। माना की नारी का मातृत्व दर्द होना प्रकृति का नियम है, गर्भ का पालन, प्रसव पीड़ादि भी तो जुर्म की ही निशानी है। जो कुदरत ने किए सिर्फ तेरे ही साथ, बातें किसे बतानी है?

—————

यह कविता (नारी की कहानी।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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