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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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nari shakti par kavita in hindi

ध्यान – साधना करवा चौथ में।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ध्यान – साधना करवा चौथ में। ♦

विचार के मुक्ताकाश विचरण में,
मैं और तुम सदा समभाव संगी।
हम एक हृदय, आत्म-भावी पथिक,
हैं ज्ञात तुम्हें है, प्रेयसी तुम्हारी।

क्षीणकाय, जा रही बार्धक्य दिश,
बोले डाक्टर,” गुर्दे तुम्हारे अस्वस्थ।
निर्जल – व्रत है शत्रु वत् उसके हित,”
धर्म की परिभाषा बदल रही सतत।

परंपरा होती परिशोधित पर्यावरण से,
मेरा आज है मानस का ध्यान – व्रत।
प्रार्थना तुम्हारे दीर्घ जीवन की, हर,
क्षण, तुम्हारी आत्मोन्नति ही एक।

नव अनुभूति है, न होना तुम,
म्लान-मुख, सम्यक् ध्यान, प्रार्थना।
की शक्ति उच्चतर है, हूं, अव्रती,
मैं आज, निज स्वास्थ्य हित में।

ध्यान ध्वनि से परम प्रबुद्ध तुम,
शुभकामना करवा चौथ की।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — करवा चौथ व्रत के दौरान अपनी अंतर साधना के लिए उपयुक्त समय होता है। करवा चौथ के व्रत को एक सामान्य व्रत की जगह साधनामय दिन की तरह व्यतीत करें। अपने आंतरिक सुषुप्त आंतरिक शक्तियों का स्मरण कर उन्हें जागृत करें। इन आंतरिक शक्तियों का उपयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में विकास करें।

—————

यह कविता (ध्यान – साधना करवा चौथ में।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, प्रो. मीरा भारती/मिश्रा जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: author meera bharti, Karva Chauth Poems In Hindi, karva chauth vrat katha, Karwa Chauth Par Kavita in Hindi, meera bharti poems, mira bharti poems, nari shakti par kavita in hindi, poem in hindi, poet meera bharti, poet mira bharti, करवा चौथ पर कविता, करवा चौथ पर कविताएं, प्रो. मीरा भारती, प्रो. मीरा भारती जी की कविताएं, प्रो. मीरा भारती-मिश्रा जी की कविताएं

करवा चौथ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ करवा चौथ। ♦

भले सारी दुनिया के लिए आम हूँ मैं,
मगर कोई है जिसके लिए ख़ास हूँ मैं।
लगाई है मेंहदी उनके नाम की आज मैंने,
जिनकी धड़कनों में बसा अहसास हूँ मैं।

मेरा दिन भर भूखे रहना उनके लिए सजा है,
किन्तु मेरे लिए इस भूख का अपना मज़ा है।
ये मेरे निश्चल प्रेम की अभिव्यक्ति का है ढंग,
इसलिए मेरी रजा में ही शामिल उनकी रजा है।

मेरा दिन भर कुछ न खाना – पीना भाता नहीं उन्हें,
अपने तर्कों से बार – बार व्रत की समीक्षा वो करते हैं।
शाम ढलते ही टकटकी लगाकर देखते हैं आसमान को,
मुझसे ज़्यादा आतुरता से चाँद की प्रतीक्षा वो करते हैं।

सुहागिनों के गजरे को छूकर बयार महक जाती है,
देख सँवरी सजनी सजना की तबियत बहक जाती है।
चूड़ी खनके, पायल छनके, माथे पर दमके बिंदिया,
पंछी सम कलरव कर सनम की चाहत चहक जाती है।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस मुक्तक/कविता में समझाने की कोशिश की है — पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है इसलिए संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत। एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान, जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान। सुहागिनों के गजरे को छूकर बयार महक जाती है, देख सँवरी सजनी सजना की तबियत बहक जाती है।

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यह मुक्तक/कविता (करवा चौथ।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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माँ दुर्गा और बेटियां।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ दुर्गा और बेटियां। ♦

आया नवरात्री का त्योहार,
फिर सजा अम्बे का दरबार।
देख बिलखती बेटियाँ, एक,
नैन से नीर बहा दूजे से अंगार।

करुण स्वर में करती पुकार,
आयी एक बेटी माँ के द्वार।
बोली मत भेजो मुझे धरा पर,
कर दो मुझ पे ये उपकार।

दंश गिद्ध का सहूँ मैं कैसे ?
दानव जग में रहूँ मैं कैसे ?
बर्बरता की कथा शब्दों में,
बोलो माँ कहूँ मैं कैसे ?

या तुम रहो मम सह,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नमः।
सुन कर पुत्री की करूँ कथा,
शेरा वाली ने उस से कहा…

—•—

चूड़ियाँ उतार कर शक्ति का आवाह्न कर ,
अंतस में झाँक अब स्वयं की पहचान कर।

मदद को पुकार नहीं शक्ति रूप धार तू ,
सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू।

हर शुम्भ निशुम्भ की बन के काल सर्पिणी,
ले त्रिशूल हाथ में तू है शक्ति रूपिणी।

न दिखा स्व वेदना अब सिंह सी हुंकार भर,
जगा शक्ति रूप को फिर प्रचंड प्रहार कर।

धड़ से अब कर अलग वहशियों के भाल को,
दुर्योधनों के रक्त से धरा अब लाल हो।

महिषमर्दिनी सम अब तेरी ललकार हो,
दरिन्दों के रक्त से अब भारती का श्रृंगार हो।

जो तुझे मान दे उसे नेह नीर दे,
जो तुझे पीर दे अंग उसके चीर दे।

असुरों का नाश कर अपने प्रखर ओज से,
वसुधा भी मुक्त हो पापियों के बोझ से।

त्राहि माम त्राहि माम कहें रक्तबीज सब,
देखें तुझे सुसज्जित आयुधों के संग जब।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — सुन कर पुत्री की करूँ कथा, शेरा वाली ने उस से कहा… अब ना सहो तुम अत्याचार, शक्ति रूप धारण कर सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू। हर शुम्भ निशुम्भ (दानव प्रवृती के लोग) की बन के काल सर्पिणी, ले त्रिशूल हाथ में तू कर संहार तू है शक्ति रूपिणी तू। ना अपने को अबला समझ, रोने की जगह, अब सिंह सी हुंकार भर, जगा शक्ति रूप को फिर प्रचंड प्रहार कर, सभी दानवों का अब स्वयं कर संहार तू। ॥ प्रेम से बोलो जय माता दी ॥

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यह कविता (माँ दुर्गा और बेटियां।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

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