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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poems of poonam gupta

जीवन भी एक उड़ती पतंग।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जीवन भी एक उड़ती पतंग। ♦

जीवन भी एक उड़ती पतंग तरह है,
कभी इधर लहराती कभी उधर लहराती है।
कभी नीचे जाती कभी ऊपर आती है,
हवा के रुकने से वो उड़ नहीं पाती है।

जब ऐसे में दो पतंग आपस में उलझे,
एक पतंग का कटना और गिरना निश्चित समझे।
जिस उमंग से पतंग उड़ती वही हवा का झुकाव रखती है,
पेंच का ही खेल सही रहता जो सब विधा में माहिर है।

पतंग का धागा अगर मजबूत हो तो गिरना नामुकिन है,
कोई गाँठ कमजोर न हो ये देखना होता है।
वैसे ही जीवन में अगर रिश्ते मजबूत है,
खुशहाल जीवन भी उसी का होता है।

पतंग भी एक अजीब खेल खेलती है,
कभी अपने ही धागे में उलझ कर कट जाती है।
वैसे ही रिश्ते भी कभी कभी इतने उलझ जाते है,
लाख कोशिश करने बाद सुलझ नहीं पाते है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इंसान का जीवन भी एक उड़ती पतंग की तरह है, कभी इधर लहराती है तो कभी उधर लहराती है, कभी नीचे जाती तो कभी ऊपर आती है। हवा के रुकने से वो उड़ नहीं पाती है। हम सभी जानते है की पतंग का धागा अगर मजबूत हो तो गिरना नामुकिन होता है, कोई गाँठ कमजोर न हो ये देखना होता है। वैसे ही जीवन में भी अगर रिश्ते मजबूत हो तो, खुशहाल जीवन होता है। जैसे पतंग कभी-कभी अपने ही धागे में उलझ कर कट जाती है, वैसे ही रिश्ते भी कभी-कभी इतने उलझ जाते है, लाख कोशिश करने के बाद भी सुलझ नहीं पाते है।

—————

यह कविता (जीवन भी एक उड़ती पतंग।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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बसंत बहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बसंत बहार। ♦

आयी देखो बसंत बहार,
खिली खिली सुहानी धूप।
सबका ह्रदय खिल खिल जाए,
सूरज किरणें पड़ती है धरा पर।

पीली फसलों को लहराए,
चारों और बसंत इठलाये।
प्रकृति भी अनेक रंग दिखाये,
आयी बसंत बहार मस्तानी।

पेड़ पर भी नये पत्तो का हुआ सर्जन,
भवरे भी फूलों पर मंडराए।
कोयल भी मीठी तान सुनाए,
बसंत अपने रंग रूप दिखाये।

सब तरफ हरियाली छाए।
नदियां, झरना कल कल बहता जाए।

शीत भी जैसे कम हो जाए,
पीला पीला रंग ओढे प्रकृति।
खेतों में छाए पीली सरसों।
देखकर सब मंत्र मुग्ध हुए।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — वसंत ऋतु में प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है। क्या फूल, क्या भवरो का फूलों पर मंडराना, क्या पतझड़ के बाद नए पत्तो का आना, पक्षियों का यूँ मस्त चहचहाना चारों ओर खुशिया ही खुशिया। आयी देखो बसंत बहार, खिली खिली सुहानी धूप। इस वसंत ऋतु में प्रकृति के साथ साथ सबका ह्रदय खिल खिल जाए, सूरज किरणें पड़ती है धरा पर। कोयल भी अपनी मीठी तान सुनाए, बसंत अपने रंग रूप दिखाये। सब तरफ हरियाली छा जाये। नदियां, झरना भी कल कल बहता जाए।

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यह कविता (बसंत बहार।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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बहू या बेटी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बहू या बेटी। ♦

बहू को बेटी समझा जाये,
तो क्या इसमें गलत है।
जब माँ पिता के घर से आई,
वह एक अंजान घर में।

आकर वों नये लोंगो के,
बीच आकर जीवन की,
नयी शुरुआत करती है।
सारे परिवार की पसंद,
नापसंद का ख्याल रखती है।

किसको कब किस चीज,
की जरूरत या तकलीफ है।
सबके लिए वो त्याग करती है,
फिर हम उसको बहू मानते है।

बहू को अगर बेटी मान ले,
तो उसको कभी अपने घर,
की कभी याद नहीं आएगी।
और उसका मान भी बढ़ेगा।

उसको भी अहसास होगा,
वो भी गर्व से कह सकती है,
मैं घर की बहू नहीं बेटी हूँ।
बहू को बेटी समझा जाये,
यह रीति भी नयी होंगी।

तुम पराये घर से आयीं हो,
क्या समझोगी हमारा दुख।
यह कहकर चुप कराया जाता है।
बहु को बेटी समझ कर देखो,
वो भी किसी की बेटी है।

हम उसको माँ सा प्रेम देगें,
वो भी आपको माँ मानेगी।
आपका कहना भी सुनेंगी,
बहु से बेटी बनने में देर न लगेगी।

आपके मान सम्मान को रखेगी,
बहु को भी बेटी सा प्रेम मिले।
फिर क्यो पीहर की याद करें,
जो भी परेशानी हो उसको,
सासू माँ को ही बताएगी।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बहू को बेटी समझा जाये, तो क्या इसमें गलत है। विवाह के बाद जब माँ पिता के घर से आई, वह एक अंजान घर में। सभी नये लोंगो के बीच आकर जीवन की नयी शुरुआत करती है वह, परिवार के सभी सदस्यों के पसंद – नापसंद का सदैव ही ख्याल रखती है वह। सभी के सुख के लिए तकलीफ सहती त्याग करती वह। बहू को जब हम बेटी मान ले, तो उसको कभी भी अपने घर की याद नहीं आएगी, और उसका मन भी लगा रहेगा। उसको भी अच्छा लगेगा, वो भी गर्व से कह सकती है, मैं इस घर की बहू नहीं बेटी हूँ। जब हम उसको माँ सा प्रेम देगें, वो भी आपको माँ मानेगी। आपका कहना भी सुनेंगी, बहु से बेटी बनने में देर न लगेगी। सदैव ही आपके मान सम्मान का ख्याल रखेगी, बहु को भी बेटी सा प्रेम जब मिले, फिर क्यो पीहर की याद करें। जो भी परेशानी हो उसको, सासू माँ को ही बताएगी।

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यह कविता (बहू या बेटी।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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ईश्वर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ईश्वर। ♦

जीवन तुमने दिया है प्रभु,
गिरेंगे तो संभालो तुम्हीं।
पथ अगर भटक जाए कोई,
तो सही डगर दिखायो तुम्हीं।

नेक राह पर काटे उगाए कोई,
उसको गलत सही बताओगे तुम्हीं।
आपने दिया जीवन मानव का,
इसको मावन सेवा में लगाने का।

मार्गदर्शन भी कराओगे तुम्हीं,
किस पथ किस रूप में मदद मांगे।
कोई हो संदेह तो दूर करोगे तुम्हीं,
कोई दुख दर्द में हों प्रभु।

उसको देना अपनी दया,
आप ही करुणा बरसाने वाले।
जीवन भी हमारा आपके लिए,
जो चाहे वो बना दो हमें।

हम बहती नदिया के किनारे,
जहाँ देगे आप ही सहारा।
आप ही दुनियां के रखवाले,
सबको एक नजर से देखने वाले।

आप ही दुनियां के पालनहार,
दुख और कष्ट से उबारने वाले।
चरणों मे कोटि कोटि वंदन,
सब प्रभु की महिमा गाते है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह जीवन प्रभु का दिया हुआ है, हे प्रभु जब भी हम गिरेंगे तो संभालो तुम्हीं। जीवन में कभी अगर पथ भटक जाए कोई, तो सही मार्ग दिखायो तुम्हीं। सत्य व अच्छे के साथ अगर कोई बुरा करे तो, उसका फल उन्हें देना तुम्हीं। आपने दिया है जीवन मानव तन का, इसको मावन सेवा में ही लगाना है। हे प्रभु जीवन के हर मोड़ पर चाहे सुख हो या दुख दर्द, सदैव मार्गदर्शन करते रहना तुम्हीं। आप ही करुणा बरसाने वाले, करुणा के सागर, ये जीवन भी हमारा आपके लिए जो चाहे वो बना दो हमें। इस संसार रूपी बहती नदिया के किनारे हम, जहाँ देगे आप ही सहारा प्रभु। आप ही दुनियां के रखवाले है, सबको एक नजर से देखने वाले है। आप ही इस दुनियां के पालनहार हो प्रभु, सदैव ही दुख और कष्ट से उबारने वाले। हे प्रभु आपके चरणों मे कोटि कोटि वंदन।

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यह कविता (ईश्वर।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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