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rani durgavati poem in hindi

भारत की वीरांगनाएँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भारत की वीरांगनाएँ। ♦

आओ सुनाऊँ गाथा तुमको भारत की ललनाओं की।
रण कौशल में माहिर थीं ऐसी वीरांगनाओं की।
हरगिज़ भूल नहीं सकते हम चेनम्मा के बलिदान को।
ठुकरा दिया था पल में उसने अंग्रेज़ों के फरमान को।

स्वाभिमानी चेनम्मा से फ़ौज ब्रिटिश की चिढ़ गयी थी।
दुर्गा सम कित्तूर की रानी अंग्रेज़ों से भिड़ गयी थी।
रणभूमि कितने अंग्रेज़ों का में उसने काम तमाम किया।
शूरता से लड़ते – लड़ते निज जीवन का बलिदान दिया।
आओ सुनाऊँ गाथा………

याद करो तुम सन सत्तावन की उस भीषण चिंगारी को।
गोरे भी कायल थे जिसके उस तलवार दुधारी को,
दुर्गा सम थी वो समरभूमि में लक्ष्मीबाई नाम था।
शूरवीरता देख के जिसकी दुश्मन भी हैरान था।

दोनों हाथों में लीं तलवारें बच्चे को भी साथ लिया।
टूट पड़ी शत्रु सेना पर दुश्मन को हाथों हाथ लिया।
आओ सुनाऊँ गाथा………

एक था शासक अलाउद्दीन जो चाचा का हत्यारा था।
उत्तर से दक्षिण तक उसने आतंक खूब मचाया था।
निर्मम, निर्दयी, अत्याचारी क्रूरता का पर्याय था।
उसके सैन्य बल के आगे हर कोई असहाय था।

नीच इरादे लेकर अपने वो चित्तौड़ में आया फिर,
राजपूत पद्मिनियों ने उसे अच्छा मज़ा चखाया फिर,
आओ सुनाऊँ गाथा तुमको………

युद्ध कला नहीं आती थी पुण्यमयी वो नारी थी।
देशभक्ति और स्वामिभक्ति उसकी जग से न्यारी थी।
शोणित तलवार लिये हाथ में बलबीर कक्ष में आया जब,
उदय सिंह की शय्या पर उसने अपना लाल सुलाया तब,

ऋणी रहेगा इतिहास सदा पन्ना ने जो काम किया।
राजधर्म की रक्षा हेतु अपना ही सुत वार दिया।
आओ सुनाऊँ गाथा तुमको भारत की ललनाओं की।
रण कौशल में माहिर थीं ऐसी वीरांगनाओं की।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में – वीरांगनाओं के शौर्य और वीरता से भरे जीवन गाथा को कविता के रूप में प्रस्तुत किया है। हमारा भारत देश वीरांगनाओं की भूमि है। इस कविता के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को वीरांगनाओं के शौर्य और वीरता से भरे जीवन गाथा को समझने में आसानी होगी। अपनी वीर माता रानी चेनम्मा, लक्ष्मीबाई, पद्मिनि, पन्ना जी के शौर्य और वीरता को जान और समझ पाएंगे।

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यह कविता (भारत की वीरांगनाएँ।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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रानी दुर्गावती।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रानी दुर्गावती। ♦

पंद्रह सौ चौबीस में जन्मी, वो चन्देलों की शान थी।
कालिंजर राजा की बेटी, वो इकलौती संतान थी।

दुर्गाष्टमी अवतरण दिवस, दुर्गा का ही अवतार थी।
थर्रायी मुग़लों की सेना ऐसी भीषण ललकार थी।

बचपन से ही दुर्गावती ने सीखीं सारी युद्ध कलाएँ।
तलवारबाज़ी, तीरंदाज़ी, घुड़सवारी आदि विद्याएँ।

संग्राम शाह की थी पुत्र वधू , गढ़ मंडला की रानी थी।
झुकी नहीं वो मुग़लों के आगे, राजपूत स्वाभिमानी थी।

युवावस्था में खोया पति को, बेटा केवल पाँच साल का,
दलपत शाह के स्वर्गवास से गढ़ मंडला का बुरा हाल था।

ऐसी संकट की बेला में भी, धैर्य नहीं खोया अपना।
मंडला पर कब्ज़ा करने का किया चूर मुग़लों का सपना।

गोंडवाना पर हमला करने सुलतान मालवा से आया।
दुर्गावती ने किया पराजित, सेना सहित उसे भगाया।

सोलह वर्षों के सुशासन में, प्रजा हित के ही काम किये।
कुँए, बावड़ी, मठ इत्यादि के खूब उन्होंने निर्माण किये।

जाना उन्हें साधारण नारी, असफ खान ने हमला बोला।
शौर्य पराक्रम देख के उनका दुश्मन का मनोबल डोला।

ह्रदय से ममतामयी रानी, रण में चंडी सी हुंकार।
शत्रु सेना भय से काँपी सुनी जब तलवारों की टंकार।

रण कौशल देख के उनका शत्रु ऐसे चकित हैरान हुए।
अबुल फज़ल के अकबरनामा में, खूब उनके गुणगान हुए।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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