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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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पूनम गुप्ता

होली का त्यौहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Holi Festival | होली का त्यौहार।

फाल्गुन का महीना आया होली का उत्सव आया है,
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
हिरण्यकश्यप ने स्वयं को भगवान बताया था,
पुत्र का ही शत्रु बन बैठा बहन होलिका को बुलाया था।

भक्त प्रहलाद विष्णु की पूजा करता था,
इसी बात से क्रोधित होकर प्रहलाद को बहन की गोद में बिठाया।
होलिका की गोद में बैठा प्रहलाद जल नहीं पाया था,
हुई कृपा प्रहलाद पर विष्णु की होलिका का दहन हुआ था।

नरसिंह का रूप रख विष्णु धरती पर आया था,
हिरण्यकश्यप का वध किया सारा जग हर्षाया था।
जब से होली का पर्व मनाया जाता है,
होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है।

रंग बरसे लाल, गुलाबी, पीले रंगों से सब होली खेलते है,
भर – भर पिचकारी चलाये एक दूसरे रंग को रंग बरसाते है।
ढोलक की थाप पर नाचते सब नर – नारी है,
बनते घर – घर पकवान और व्यजंन है।

आयी – आयी देखो होली मस्तानों की टोली आयी है,
मिटाकर सारे गले – शिकवे एक दूसरे के गले मिलते है।
प्रेम, एकता की भावना का यह पर्व यही संदेश देता है,
न किसी से बैर करो, न ही किसी के दिल को दुखाना है,
मिलकर सबको होली का पर्व मानना है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आत्मिक प्रेम, निस्वार्थ स्नेह, करुणा व मानवता का पवित्र महापर्व होली हैं। अपने सम्पूर्ण विकारों को अग्नि को समर्पित कर एक अच्छे व सच्चे योगी जैसे पवित्र जीवन के नियमों के अनुसार जीवन जीना ही सच्ची होली हैं। याद रहे मलिन मन क्या जाने इस होली का उत्सव? पावनता तो जरूरी है। तन के रंगने से नहीं, मन के रंगे बिन, होली सबकी अधूरी है। मौसम के बदलाव की, नव फसलों के उगाव की, यह धुरी है। संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की, होली की क्रीड़ा पूरी है। बहन, भाई, मां, बेटी, पत्नी, पिता को, होली के रंग ही लहदे हैं। प्रेम है सब में, पर रूप अनेक है, यही तो रिश्तों के ओहदे हैं। अहंकार का नाश कर, सद्गुणों को धारण करने का महापर्व है होली। भक्त प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप के वध के बाद वे ही असुरों के सम्राज्य के राजा बने थे। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन हुए और विरोचन से महान राजा बलि का जन्म हुआ जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बलि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी।

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यह कविता (होली का त्यौहार।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poonam gupta, poonam gupta poems, कवयित्री पूनम गुप्ता, पूनम गुप्ता, पूनम गुप्ता जी की कविताएं, फागुन की झूमती बहारों पर बेहतरीन कविताएं, रंगों का पर्व होली और हिंदी कविता, होली का त्यौहार, होली का त्यौहार - पूनम गुप्ता, होली पर कविता, होली पर कविता इन हिंदी, होली पर कविताएं, होली पर गीत और कवितायें, होली पर प्रेरणादायक कविता

परीक्षा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Exam | परीक्षा।

परीक्षा के नाम से ही बच्चों को भय व्याप्त हो जाता है। परीक्षा को वह एक डर के रूप में भी देखते हैं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का होना भी जरूरी है। यह भी निश्चित है कि सफलता किसी व्यक्ति को मिलती है जो पूरी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करता है, और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करके पास, अपने मानदंड को निर्धारित करता है।

“परीक्षा के लिए बच्चों में ऐसी लगन होनी चाहिए जिससे बच्चे का ध्यान लक्ष्य से कभी भी डगमगाए नहीं।” हमें बच्चों को यह समझाना चाहिए कि पढ़ाई में मेहनत करने से ही अच्छा फल मिलता है जब तक हम पढ़ाई नहीं करेंगे तो परीक्षा में हमारे नंबर अच्छे नहीं आएंगे। और इसी अंकों के कारण ही हम आगे अपने भविष्य को तय कर सकते हैं।

इस तरह बच्चों को प्रेरित करने के लिए कड़ी मेहनत से वह अपनी सफलता की राह पर आगे बढ़ सकता है। इसलिए बच्चों पर कोई दबाब नहीं होना चाहिए। “बच्चों को अपने मनपसंद विषय के साथ ही पढ़ाई करवानी चाहिए।” अगर हम उनके साथ कोई अनुचित व्यवहार करते हैं या उनके ऊपर कोई अनुचित दबाव बनाते हैं तो बच्चों पर इसका नकरात्मक प्रभाव पड़ता है…

“परीक्षाएँ छात्रों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता को प्रेरित करती हैं। वे अच्छे अंक पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। परीक्षाएँ छात्रों को अपने पाठ्यक्रम को सुव्यवस्थित करने में मदद करती हैं। परीक्षण के तीन सामान्य प्रकार हैं: लिखित परीक्षा, मौखिक परीक्षण और शारीरिक कौशल परीक्षण।”

…और वह हीन भावना के शिकार हो जाते हैं, कई बार हम दूसरे बच्चों को देख कर बोलते हैं कि यह बच्चा इतना होशियार है इससे भी बच्चों के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वह पढ़ाई के प्रति उदासीन रवैया अपनाते है। हमें बच्चों की अनुचित माँग को भी नहीं मानना चाहिए हमें उनकी समस्याओं को समझना होगा। और उनका समाधान भी करना होगा। बच्चों के साथ दोस्ताना और प्यार भरा व्यवहार करना चाहिए।

परीक्षा की तैयारी के वक्त सभी छात्रों को कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। कई बच्चे बिना टाइम-टेबल के ही परीक्षा की तैयारी करते है तो कई टाइम-टेबल बनाकर। पर सभी बच्चों को हर विषय को पढ़ने के लिए एक टाइम-टेबल अवश्य बनाना चाहिए और उसे फॉलो भी करना चाहिए। इसके साथ ही समयानुसार उन्हें अंतराल भी लेना बहुत आवश्यक है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — परीक्षा के लिए बच्चों में ऐसी लगन होनी चाहिए जिससे बच्चे का ध्यान लक्ष्य से कभी भी डगमगाए नहीं। हमें बच्चों को यह समझाना चाहिए कि पढ़ाई में मेहनत करने से ही अच्छा फल मिलता है जब तक हम पढ़ाई नहीं करेंगे तो परीक्षा में हमारे नंबर अच्छे नहीं आएंगे। और इसी अंकों के कारण ही हम आगे अपने भविष्य को तय कर सकते हैं। अपनी किताबों, नोट्स और निबंधों का संक्षिप्त नोट तैयार कर लें। यदि आप किसी विषय को पसंद नहीं करते हैं या मुश्किल लगता है तो उन्हें आसान बनाएं। हेडिंग और सब-हेडिंग जोड़ें, या हाइलाइटिंग पेन और रिवीजन कार्ड, कुंजी शब्द या चार्ट का उपयोग करें – जो भी आपके लिए काम करता है। माता-पिता, खान पान पर दें ध्यान​​ परीक्षा के दिनों में बच्चे की मेहनत बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में उसकी डाइट को लेकर समझौता न करें। परीक्षा का भय कई कारणों से होता है। पढ़ने में कठिनाई, कुछ विषयों का डर, माता-पिता और शिक्षकों की अपेक्षाएँ, आत्मविश्वास की कमी और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता , ये सभी छात्रों में चिंता और अवसाद की घटनाओं को बढ़ाते हैं। हमें बच्चों की अनुचित माँग को भी नहीं मानना चाहिए हमें उनकी समस्याओं को समझना होगा। और उनका समाधान भी करना होगा। बच्चों के साथ दोस्ताना और प्यार भरा व्यवहार करना चाहिए।

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यह लेख (परीक्षा।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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आधुनिकता वरदान या अभिशाप।

Kmsraj51 की कलम से…..

Modernity a Blessing or a Curse | आधुनिकता वरदान या अभिशाप।

आज का युग विज्ञान का युग है आदिकाल से लेकर अब तक जितने भी प्रगति मनुष्य ने की है। वह सब विज्ञान की देन है हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि “आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है” जैसे – जैसे मनुष्य की आवश्यकता बढ़ती गई। वैसे-वैसे नया आविष्कार होते गए। विज्ञान ने वास्तव में हमें बहुत कुछ दिया है जिसके लिए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे।

विज्ञान ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है जिससे कोई भी प्रभावित नहीं रह सका। यहां तक की बच्चे भी आजकल स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं जो एक तरह से उनके लिए हानिकारक भी है और फायदेमंद भी है। आधुनिकता वरदान भी है और अभिशाप भी यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसको प्रयोग कैसे करते है। आज के युग में इतनी तकनीक का विकास हो चुका है कि हम इसके प्रयोग किये बगैर कुछ करने की नहीं सोच सकते है।

हम एक ऐसे समाज और दुनिया में रहते हैं जो अपने आधुनिकता के चक्कर में अपने टेबलेट, स्मार्टफोन, लैपटॉप के जरिए इस आभासी दुनिया से लगातार संपर्क में रहते है। इसका उपयोग करने के लिए न केवल हमारे काम करने का तरीका और खेलने का तरीका भी बदला है। यह हमारे सोचने के तरीकों को नाट्य रूप से प्रभावित कर रहा है।

इंटरनेट ‘सोशल मीडिया’ कंप्यूटर के इनके इस्तेमाल से लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मानव को कम सामाजिक संवाद आत्मक और निर्भर बनाता है यहां तक कि उनके व्यक्तिगत पहचान को भी प्रभावित करता है। और तकनीकी की वजह से दुनियाँ के अलग-अलग हिस्सों से जुड़े हुए है हम चीजों को तुरंत कर सकते हैं। और अपने पुराने मित्रों को भी ‘सोशल मीडिया’ के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

मोबाइल पर इंटरनेट की उपयोगिता तथा युवा वर्ग द्वारा इसके दुरुपयोग का अध्ययन किया गया है। जहां पर मोबाइल इंटरनेट ऐसी तकनीकी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोग, उपयोगी साबित सिद्ध साबित हो रही है। वही युवा वर्ग अपने लालच और बुरी आदतों के शिकार भी हो रहा है। अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए इसको एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर रहा है इसे कारण सामाजिक मानसिक विकार भी विकसित हो रहे हैं।

  • अवश्य पढ़ें — सोशल मीडिया और बच्चे।

मोबाइल के अधिक प्रयोग करने के कारण, मोबाइल का अधिक उपयोग करने के कारण और इसकी आदत सी पड़ गई है। तथा मोबाइल के उपयोग के आदि हो जाने के कारण एक व्यक्ति सामाजिक, मानसिक, और शारीरिक समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। यह इस ओर इशारा करते हैं। सूचना तकनीकी क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ, भारतीय समाज में इंटरनेट का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है जिसका जिसका दुष्प्रभाव सभी लोगों पर पड़ रहा है।

आज भौतिक दूरी पर मायने नहीं रखती, इंटरनेट के द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस या वीडियो कॉलिंग पर भी बात कर सकता है, इस कड़ी में विभिन्न सोशल मीडिया एप्स साइट का अमूल्य योगदान रहा है यह व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर इंस्टाग्राम इन सभी प्लेटफार्म के माध्यम से हम किसी से भी बात कर सकते हैं, और अपने फोटो वीडियो और मैसेज को आसानी से भेज सकते हैं।

मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग के द्वारा और शिक्षा पाना भी आसान हो गया है ऐसे विद्यालय महाविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाती है या किसी कारण तबादला एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो गया है, ऐसे समय विद्यार्थियों का कोई नुकसान हो इसके लिए राज सरकार और शिक्षा से जुड़ी हुई संस्थाओ एनजीओ के द्वारा वर्चुअल क्लासरूम की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है।

वर्तमान समय में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी हेतु कॉम्पटीशन सैंटरो ने अपने ऑनलाइन एप्स अनअकैडमी कोचिंग सेंटर ने अपने प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए हैं, ताकि विद्यार्थी घर से बाहर गए बिना भी अपने घर में अपनी समय के अनुसार और योग्यता आधार पर घर पर ही कोचिंग क्लास ले सकता है, और अपने रोजगार को प्राप्त कर सकता है। आधुनिकता में कुछ वरदान हमको मिले है समय की बचत के साथ नयी-नयी चीजें भी सीखने को मिल रही है, लेकिन एक हद तो ठीक है इसका उपयोग अगर अपने हित के लिए कर रहे है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सोशल मीडिया और इंटरनेट अगर हम सभी सही उपयोग करें थो फायदेमंद है वर्ना इसके नुकसान भी बहुत ज्यादा है, ख़ासकर आजकल के युवक व युवती पर इसका बहुत गलत प्रभाव पड़ा है। कुल मिलकर आधुनिकता में कुछ वरदान हमको मिले है समय की बचत के साथ नयी-नयी चीजें भी सीखने को मिल रही है, लेकिन इसका सकारात्मक उपयोग करें तभी। एक हद तो ठीक है इसका उपयोग अगर अपने हित के लिए कर रहे है। कुल मिलकर यदि सोशल मीडिया का उपयोग बच्चे सही तरीके से अच्छे कार्यों के लिए करे वह भी केवल जरूरत के हिसाब से निश्चित समय के लिए तो ठीक है व फायदेमंद है। एक संरक्षक होने के नाते यह भी याद रखे की – इसकी लत छात्रों में ज्यादा लगती है यह छात्रों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। छात्रों की पढ़ाई, उनका जीवन सब दांव पर लग जाता है। वह पढ़ाई से मन चुराने लगते हैं। व्हाटस्एप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम छात्रों को सबसे ज्यादा भटकाता है। सोशल मीडिया जोखिम भी पैदा कर सकता है। आपके बच्चे के लिए, इन जोखिमों में शामिल हैं: अनुचित या परेशान करने वाली सामग्री, जैसे आक्रामक, हिंसक या यौन टिप्पणियों या छवियों के संपर्क में आना। अनुचित सामग्री अपलोड करना, जैसे शर्मनाक या उत्तेजक तस्वीरें या स्वयं या दूसरों के वीडियो।

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यह लेख (आधुनिकता वरदान या अभिशाप।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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सोशल मीडिया और बच्चे।

Kmsraj51 की कलम से…..

Social Media and Kids | सोशल मीडिया और बच्चे।

आजकल के समय में सोशल मीडिया का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा है। इससे बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है यदि बच्चों की उम्र छोटी होती है। तो स्मार्ट फोन के आदि होते जा रहे हैं और अपना अधिक समय इनके साथ ही बिताना पसंद करते हैं। वही बच्चों पर सोशल मीडिया के अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं।

अगर बच्चा किसी कारण से स्कूल नहीं जा पाता है तो उसकी अगर क्लास छूट जाती है, तो वह सोशल मीडिया की मदद से उसे पूरा कर सकता है। बच्चों की क्लास के ग्रुप बना दिए जाते हैं। जिससे शिक्षकों से संपर्क कर सकें और छुटी हुए क्लास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। इसके अलावा शिक्षकों से अपने डाउट्स आदि भी क्लियर कर सकते हैं।

कोरोना काल के समय यह अच्छा उदाहरण साबित हुआ है अगर किसी सवाल का जवाब नहीं मिलता है, तो वह यूट्यूब की मदद से उस सवाल के जवाब को समझ सकता है। जिससे लिखने में काफी हद तक मदद मिल जाती है। इसके अलावा फेसबुक के जरिए दोस्त रिश्तेदारों से जुड़कर अपनी पढ़ाई में मदद ली जा सकती है। टीवी के अलावा सोशल मीडिया को भी मनोरंजन का एक साधन माना गया है। जिसके जरिए बच्चे सकारात्मक चीजों को देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं, और अच्छी आदतों को भी अपना सकते हैं।

  • इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से रचनात्मक, और अपनी रुचि के अनुसार बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। जिससे वह अपनी अलग पहचान बना सकता है। हर सिक्के के दो पहलू होते है सोशल मीडिया से बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
  • जैसे बच्चे स्मार्ट फ़ोन पर गेम खेलते है उनका उनके दिमाग पर असर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया का एक और फायदा यह भी है कि यह बच्चों को खुलकर बोलने का मौका देता है। जिससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और बच्चे आज के समय के अनुसार चलते हैं।
  • लेकिन सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव भी हैं जिसे हम नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं। अगर बच्चा आपके सामने स्मार्ट फोन का प्रयोग करता है। तो आपको उसकी रुचि और अरुचि को समझने में काफी हद तक सुविधा मिल जाती है, और आप उस पर नजर भी रख सकते हैं और क्या देख रहा है और किन चीजों में उसकी रुचि है।
  • इससे उसमें आत्मविश्वास की भावना की जाग्रति होती है वह सबके सामने खुलकर बोल सकता है। सोशल मीडिया के जरिये अपनी प्रतिभा का भी प्रदर्शन कर सकता है।
  • सोशल मीडिया का अधिक उपयोग बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इस पर हुए एक शोध से जानकारी मिलती है कि स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से बच्चों में मानसिक परेशानी की भी बढ़ोतरी हो सकती है। उनके संज्ञानात्मक नियंत्रण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • सोशल मीडिया जोखिम भी पैदा कर सकता है। आपके बच्चे के लिए, इन जोखिमों में शामिल हैं: अनुचित या परेशान करने वाली सामग्री, जैसे आक्रामक, हिंसक या यौन टिप्पणियों या छवियों के संपर्क में आना। अनुचित सामग्री अपलोड करना, जैसे शर्मनाक या उत्तेजक तस्वीरें या स्वयं या दूसरों के वीडियो।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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महाशिवरात्रि।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mahashivratri | महाशिवरात्रि।

शिवजी की जटाओं में गंगा विराजती है,
भोले के त्रिशूल से पापों का नाश होता है।

चंदन, रोली, माला, दूध, बेलपत्र को,
शिव पर अर्पण करते है।
भांग, धतूरा, चढ़े शिवरात्रि पर,
दूध से अभिषेक होता है।

जब डमरू बजता महादेव,
सब नृत्य करने लगते है।
गले में सर्पो की माला,
तन पर मृग छाला है।

शिव अंग भभुति लगी,
सिर पर गंगा विराजी है।
शिव ही अनंत शिव ही अविनाशी है,
शिव ही दाता शिव ही कैलाशी है।

भक्तों के सब संकट हरते,
शिव ही महाकाल है।
शिव ही संहार करते,
शिव शक्ति का रूप है।
कोटि कोटि वंदन करूँ,
शिव ही तारणहार है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते है। भक्तों के सब संकट हरते शिव ही महाकाल है। शिव ही संहार करते शिव शक्ति का रूप है। कोटि कोटि वंदन करूँ शिव ही तारणहार है।

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यह कविता (महाशिवरात्रि।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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गंगा माँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ganga Maa | गंगा माँ।

शिवजी की जटा से निकली मैं गंगा माँ हूँ,
जन जन का कल्याण करती जीवनदायिनी मैं हूँ।
पवित्र मन और निर्मल धारा की स्वामिनी मैं हूँ,
भागीरथ की तपस्या से बह्मा के कमंडल में आई,
शिवजी ने लिया जटाओं में मुझे सबको शीतल करती आई।

शिवजी ने जटाओं में लिया धरती पर उतारा,
आगे चलकर भागीरथी के नाम से कहलाई।
धारा मेरी बहती निरतंर सबके मन हर्षाई,
सबकी पुण्यदायनी मैं भीष्म की मां कहलाई,
भगवान विष्णु के चरण छूकर विष्णुपदी भी कहलाई।

पुजारी, ऋषि, मुनिगण सब मेरे तट पर पूजा करते,
मेरी तेज प्रवाह को कोई रोक नहीं पाया पतित पावनी कहलाई।
कल – कल बहती – बहती गंगोत्री तक आयी,
मनुष्य सब स्नान करते सबकी मैं गंगा मैया कहलाई,
सब मेरे जल को भरकर ले जाते मैं गंगाजल भी कहलाई।

मेरे जल को मंदिर और शिवालय में चढ़ाया जाता,
मेरे जल को मरणासन्न जीव के मुख में डाला जाता।
मैं मोक्षदायिनी भी कहलाती हूँ,
मेरे उर में कितने जीवों के शव डाले जाते।

फिर भी मैं शुद्ध और पवित्र रहती हूं,
स्नान करके सब पापों को धोते।
सबका उद्धार करती हूं।
सब करते मेरा वंदन और पूजा, गंगा माँ कहलाती हूँ।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यदि गंगा न होती तो हमारे देश का एक महत्त्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता। इसीलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र व महत्त्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है। भारत के प्राचीन ग्रंथों; जैसे- वेद, पुराण, महाभारत इत्यादि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है। माँ गंगा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी की जटा से होकर इस धरा पर आई जन – जन को पवित्र व निर्मल कर उद्धार करने। पुजारी, ऋषि, मुनिगण सब मेरे तट पर पूजा करते, मेरी तेज प्रवाह को कोई रोक नहीं पाया पतित पावनी कहलाई। मेरे जल को मंदिर और शिवालय में चढ़ाया जाता, मेरे जल को मरणासन्न जीव के मुख में डाला जाता। मैं मोक्षदायिनी भी कहलाती हूँ।

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यह कविता (गंगा माँ।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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बदलता भारत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Badalta Bharat – बदलता भारत।

बदल गया भारत, देश बदल गया,
नया दौर आने से भारत बदल गया।
इंसान ही इंसान का दुश्मन बन गया,
जो विश्वास अपनों पर था वो मिट गया।

ऐसा मंजर आया, सब कुछ बदल गया,
झूठ का बोलवाला, सत्य का पतन हो गया।
बन गए अलग-अलग दल, अपनी राजनीति चला रहे है,
सत्ता की खातिर, एक दूसरे को नीचा दिखा रहे है।

देश प्रेम और सद्भावना तो कहाँ लुप्त हो रही है,
गुनाहों और अपराधों को सरेआम बढ़ावा दिया जा रही है।
दिन दहाड़े अपहरण, धोखाधड़ी,
बेटियों की इज्जत सरे आम लूटी जा रही है,
देखकर भी सभी मौन धारण किये हुए है।

तिरंगा की शान की खातिर कितने वीरों ने बलिदान दिया,
आज वही तिरंगा शर्म से सर को झुकाए हुए है।
आजादी की खातिर हमारे वीरों ने अपने प्राण गवाएं,
आज देख भारत की दुर्दशा देख कर आँखों में आँसू भर आएं।
इंसान अपने में इतना व्यस्त हो गया,
दूसरे को अनदेखा कर अपने में ही खो गया।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — चारो तरफ आज झूठ का बोलवाला है सत्य का पतन हो गया। सभी राजनीति दल, अपनी-अपनी राजनीति चला रहे है, गरीबो व निर्दोषों की ना सुने कोई, जनता मारी-मारी फिर चहु ओर। जिस देश प्रेम और सद्भावना के लिए वीरो ने अपना बलिदान दिया वो तो कहाँ लुप्त हो गया है, गुनाहों और अपराधों को सरेआम बढ़ावा दिया जा रही है अब। दिन दहाड़े अपहरण, धोखाधड़ी, बेटियों की इज्जत सरे आम लूटी जा रही है, देखकर भी सभी मौन धारण किये हुए है क्यों? इंसान ही इंसान का दुश्मन बन बैठा है आज, जो विश्वास था अपनों पर वो मिट गया है आज।

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यह कविता (बदलता भारत।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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देश की मिट्टी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Desh ki Mitti – देश की मिट्टी।

मेरे देश मिट्टी में जन्में अनेक वीर जवान है।
कृष्ण, राम, तुलसी जैसे महापुरुषों की तपोभूमि है।

देश की मिट्टी में अनेक ऋषि, मुनियों ने जन्म लिया है।
सारी दुनियाँ में मेरा देश महान है।

सीता, सती, सावित्री ने इस धरा पर जन्म लिया।
देश की मिट्टी का तिलक लगाकर वीरों ने बलिदान दिया।

देश की मिट्टी की ख़ातिर सरहद पर बैठे सीना ताने है।
सीने पर गोली खाये दुश्मन के आगे सर न झुकाते है।

बैठे देश के रक्षक बनकर ऐसे वीरों को सलाम है।
देश की मिट्टी को महान वीर भगतसिंह।

सुभाष जैसे बलिदानियों ने अपने रक्त से सींचा है।
कल-कल करता नदियों का पानी इस मिट्टी की शान है।

वेद-पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण,
और गुरुग्रथ साहिब मेरे देश का अभिमान है।

मेरे देश की मिट्टी पवित्र पावनी और महिमा अपरम्पार है।
देश की मिट्टी में मिला जन्म ये हमारा सौभाग्य है।

देश की मिट्टी गुण अनंत और अपार है।
देश की मिट्टी का हम करते वंदन बारम्बार है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मेरे देश मिट्टी में जन्में अनेक वीर जवान है। यह देवो की भूमि है, यह कृष्ण, राम, तुलसी जैसे महापुरुषों की तपोभूमि है। देश की मिट्टी में अनेक ऋषि, मुनियों ने जन्म लिया है, सारी दुनियाँ में मेरा देश महान है। माता सीता, सती, सावित्री ने इस धरा पर जन्म लिया। देश की मिट्टी का तिलक लगाकर सदैव वीरों ने बलिदान दिया है। वेद-पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, और गुरुग्रथ साहिब मेरे देश का अभिमान है। मेरे देश की मिट्टी पवित्र पावनी और इसकी महिमा अपरम्पार है, देश की मिट्टी में मिला जन्म ये हमारा सौभाग्य है। अपने देश की मिट्टी का हम तहे दिल से करते वंदन बारम्बार है।

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यह कविता (देश की मिट्टी।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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लोहड़ी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ लोहड़ी। ♦

Lohari

मौसम में बदलाव हुआ,
सर्दी से मिली थोड़ी राहत।
सूर्य देव ने बदली राह,
मिली उत्तरायण की सौगात।

मकरसंक्रांति का पर्व आया,
कहीं लोहड़ी के नाम से जाना जाता।
पोंगल कहलाता तमिलनाडु में,
खुशियों का त्यौहार आता।

पीले-पीले फूल खिले उपवन में,
बसंत ऋतु की बहार आयी।
उड़ती नभ में रंग बिरंगी पतंगे,
मन को आनंदित कर जाती।

सब लोक गीत मिल कर गाते,
तिल के व्यजनों का मजा उठाते।
प्रेम भाव से ये त्यौहार मनाते,
एकता का सबको सन्देश देते।

करते दान रेवड़ी, मूँगफली,
गरीबों को खाना खिलाते।
लकड़ी के उपलों के ढेर को,
जलाकर अग्नि के चारों ओर,
सब बीमारी को दूर भगाते।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — लोहड़ी का पर्व हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है क्योंकि हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है इस प्रकार 13 जनवरी को लोहड़ी मनायी जाती है। ऐसा माना जाता है की उस समय से दिन छोटे और राते लम्बी होने लगती है। लोहरी के दिन सभी लोग नए नए कपडे पहनते है और खुशी मनाते है। इस दिन सभी लोग नाचते व गाते है। लोहड़ी की संध्या को आग जलाई जाती है । लोग अग्नि के चारो ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं व आग मे रेवड़ी, मूंगफली, खीर, मक्की के दानों की आहुति देते हैं । आग के चारो ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। लोहड़ी भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक त्यौहार है। यह पंजाब का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है जिसे पंजाबी धर्म के लोगो द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

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यह लेख (लोहड़ी।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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सावित्रीबाई फुले जयंती।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सावित्रीबाई फुले जयंती। ♦

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को एक दलित परिवार में महाराष्ट्र के नायगांव – सतारा में हुआ था। सावित्रीबाई फुले को देश की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है आज उनकी 192 वी जयंती है। सावित्रीबाई फुले का 9 वर्ष की आयु में ही 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ विवाह हो गया था, सावित्रीबाई फुले अपने क्रांतिकारी पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर बेटियों के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले, जिसमें पहला स्कूल और 18वां स्कूल पुणे में खोला गया था।

सावित्रीबाई फुले देश की पहली अध्यापक नारी, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थी। असामाजिक और बुरी नीतियों के खिलाफ सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर इसका विरोध किया। छुआछूत सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध काम किया उन्होंने मजदूरों के लिए भी रात में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जाने वाले मजदूर रात में अपनी पढ़ाई कर सकें और अपने पैरों पर खड़े हो सके।

गांव की छुआछूत से परेशान सावित्रीबाई फुले ने पानी न मिल पाने के लिए परेशानी होने पर अपने ही घर में एक कुआं खोद दिया था जिससे सभी लोग पानी भरा करते थे। सावित्रीबाई ने बहुत बड़ा कदम उठाया एक विधवा को आत्महत्या करने से रोका और बाद में उस महिला को अपने घर में रख कर ही उसके पुत्र को पाल पोसकर बड़ा किया और डॉक्टर बनाया। सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक शिक्षाविद और महाराष्ट्र की कवियत्री थी।

अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ महाराष्ट्र में उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के नारीवाद आंदोलन की अग्रणी माना जाता है सावित्रीबाई और उनके पति ने 1848 में पुणे में भारतीय लड़कियों के पहले और आधुनिकता स्कूल की स्थापना की। जाति और लिंग के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव और अनुचित व्यवहार को भी खत्म करने का विरोध किया और वह इस काम में सफल भी हुई।

सावित्रीबाई फुले की जयंती के दिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का पूरा जीवन समाज सेवा में निकला। गलत लोगों के खिलाफ आवाज उठाई। समाज की कुरीतियों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया, महिलाओं की हक के लिए लड़ी, और 1897 में प्लेग महामारी आने पर लोगों की सेवा करते-करते उन्होंने अंतिम सांस ली। लेकिन वह लोगों की सेवा करती रही ऐसे में सावित्रीबाई भी इसकी चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक शिक्षाविद और महाराष्ट्र की कवियत्री थी। सावित्रीबाई फुले देश की पहली अध्यापक नारी, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थी। असामाजिक और बुरी नीतियों के खिलाफ सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर इसका विरोध किया। छुआछूत सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध काम किया उन्होंने मजदूरों के लिए भी रात में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जाने वाले मजदूर रात में अपनी पढ़ाई कर सकें और अपने पैरों पर खड़े हो सके।

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  • प्रकृति के रंग।
  • फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।
  • यह डूबती सांझ।
  • 10th Foundation Day of KMSRAJ51
  • प्रकृति और होरी।
  • तुम से ही।
  • होली के रंग खुशियों के संग।
  • आओ खेले पुरानी होली।
  • हे नारी तू।
  • रस आनन्द इस होली में।

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ब्रह्मचारिणी माता।

हमारा बिहार।

शहीद दिवस।

स्वागत विक्रम संवत 2080

नव संवत्सर आया है।

वैरागी जीवन।

मेरी कविता।

प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

10th Foundation Day of KMSRAJ51

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