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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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विजयलक्ष्मी

गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु महिमा। ♦

गुरु पूर्णिमा एक बहुत ख़ास अवसर है, क्योंकि एक गुरु ही है जो पूरे समाज की नींव होता है। तो आइए हम आपको बताते है गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के चरणों में मेरी एक छोटी सी कविता समर्पित है।

गुरु ब्रह्मा-गुरु विष्णु है, गुरु ही मान महेश।
गुरु से अन्तर-पट खुलें, गुरु ही हैं परमेश॥

—♦—

मां बाप ने जन्म दिया,
प्रथम गुरु मां कहलाए।
दूसरा गुरु शिक्षक कहलाए,
भले बुरे का भेद बताए।

इंसान और जानवर में भेद बताए,
जीवन पथ की डगर दिखाए।
परछाई की तरह साथ निभाए,
धैर्यता का पाठ पढ़ाए।

संकट में हंसना सिखाए,
अपमान महत्वाकांक्षा से ऊपर उठाएं।
मिथ्या आडंबरों से बचाए,
देश भक्ति की भावना जगाने।

सूर्य की उर्जा सा धमकाए,
अंबर सा विस्तार बनाए।
गुरु की अराधना से,
पानी में पत्थर दिए तराए।

गुरु के स्मरण से,
अर्जुन ने धनुष दिया उठाए।

जो गुरु की शरण में आए,
भवसागर तर जाए।
आओ गुरु चरण वंदन करें,
भाग्य रेखा भी बदल जाए।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

—————

यह कविता (गुरु महिमा।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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तपन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तपन। ♦

उसकी मुस्कान में तपन थी कितनी प्यारी सी,
भीड़ भरे जहां में लगने लगी फरिश्ता सी।

इक नई कशमकश से हम गुजरते रहे,
खिल गए फूल चमन में उनके प्यार की तपन से।

प्यार भरी बयार बहने लगी महक उठी फूलवारी तपन में,
उनके मधुर स्वरों से बह उठी सद्भावों की धाराएं सी।

तपन की अग्न लगे तो रोशन हो जाए संसार सारा,
लगने लगे माधव बंशी वाला प्यारा जब लग्न हो मीरा सी।

हर समस्या का हल निकलता है बुजुर्गो के अनुभवों से,
आचरणों को बल मिलता है संस्कारों की तपन से।

सोना जब कुंदन बन बाहर आता है आग की तपन से,
रत्न जड़ित आभूषणों में चार चांद लग जाते हैं तपन से।

भावों का उड़ता पंछी महके तपन में स्नेह की वर्षा से,
भारत धरा का कण-कण महके त्याग तपस्या के भावों से।

थोड़ा सा दुलार स्नेह उसे दो जिसका दुनिया में कोई नहीं,
जीवन औरों का भी संवार दो तुम स्नेह भरी तपन से।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — भगवान महावीर स्वामी त्याग तपस्या और उनके गुणों के कारण आज भी हमारे बीच मौजूद हैं, या और भी जितने महापुरुषों को समझे तो सभी ने त्याग व तपस्या से जीवन में सफलता को बताया है। माया की चकाचौंध में हम प्रभु को भूल जाते हैं मनुष्य का मन बेलगाम है इसलिए मन पर संयम रखना बहुत जरूरी है। महापुरुषों में सबसे महत्वपूर्ण गुण मन पर नियंत्रण ही है। सच्चे मन से किये गए कार्य में जब त्याग व तपस्या का बल हो तो जीवन में सफलता जरूर मिलती हैं।

—————

यह कविता (तपन।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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राष्ट्रीय पाठ्यचर्या।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या। ♦

शिक्षा में बदलाव, बेहतरीन लचीलेपन के साथ।

आओ आज आपको,
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या का अर्थ बताते हैं,
विस्तार समझाते हैं…

शिक्षक और स्कूल अनुभवों की,
योजना बनाते हैं।
शैक्षणिक उद्देश्य, शैक्षिक अनुभव,
अनुभव संगठन, शिक्षार्थी आंकलन,
ये चार मुद्दे बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

एनसीएफ पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम,
दोनों को अलग बतलाता है।
अनेक पहलुओं पर दिशानिर्देश दे,
व्यवहारवादी और मनोविज्ञान पर,
आधारित बताते है।
विस्तार समझाते है…

एनसीएफ 2005 टैगोर जी सभ्यता,
प्रगति, रचनात्मक भावना, उदारता का,
बचपन से जुड़ाव बताते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा निति में केंद्र योजनाओं,
शैक्षिक प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर साक्षरता को दर्शातें है।
विस्तार समझाते हैं…

ज्ञान को बाहरी जीवन से,
जुड़ाव कर पढ़ना बताते हैं।
शिक्षा और परीक्षा को एकीकृत कर,
शिक्षा में लचीलापन लाते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

यूईई के अनुसार सामाजिक,
आर्थिक, मनौवैज्ञानिक, शारीरिक,
बौद्धिक विकास बच्चे का होना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

संविधान में शामिल अधिकारों,
और कर्तव्यों, प्रतिबद्धताओं का,
ज्ञान करा सभ्य नागरिक बनाना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

सीखने का ज्ञान सक्रिय रूप से,
जोड़कर विचारों की संरचना के,
साथ विचारो के पुनर्गठन कर,
शिक्षार्थियों का विकास बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

बाहर की दो चीजों के,
स्कूल लर्निंग से संबंध कर,
बच्चों को प्रोत्साहित करते,
हुए जवाबदेही बनाते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

एनसीएफ पाठ्यचर्या ढांचा-शिक्षक,
शिक्षा 2019-20 में स्कूलों में लागू कर,
नित नए शिक्षा आयामों को खेल विधि से,
बच्चों तक पहुंचाते है।
विस्तार बताते हैं…

6-12 के छात्रों के लिए शिक्षा में,
व्यवसायिकरण विषय ला रोजगार के,
नए पहलू से जोड़ना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं —समय के साथ-साथ शिक्षा नीति में बदलाव की अति-आवश्यकता है, समय-समय पर परिवर्तन बहुत जरूरी है। शिक्षा व्यवहार परक व प्रैक्टिकल हो। प्रैक्टिकल ज्ञान का होना बहुत ही जरूरी है, क्योकि कार्य करना है, बैठकर केवल सुनाना नहीं हैं। अच्छी व्यवहार परक शिक्षा वह है जिससे सामाजिक, आर्थिक, मनौवैज्ञानिक, शारीरिक, बौद्धिक विकास के साथ-साथ बच्चों के अंदर भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता का समझ का विस्तार हो। संविधान में शामिल अधिकारों, और कर्तव्यों, प्रतिबद्धताओं का ज्ञान करा सभ्य नागरिक बनाना हो। शिक्षा ऐसी हो की बच्चें शिक्षा लेने के बाद व्यवसायिकरण वाला उनका दिमाग बने, और अपना व्यवसाय शुरू कर अपने साथ-साथ अन्य को भी रोजगार प्रदान करें। उम्मीद है की नई शिक्षा नीति से कुछ बदलाव जरूर होगा।

—————

यह कविता (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पहले और अब – गणतंत्र दिवस। ♦

चलो कुछ नया सवेरा लाए, सत्य की राहों पर चले, देश में नया उजियारा फैलाएं।

वो जमीन न रही, वो आसमां न रहा,
गणतंत्र दिवस मना रहें हैं हम।
वो गण न रहे वो तंत्र न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

संविधान हम सब पूजते हैं,
हर जन के मन में विधान न रहा।
न्याय है किताबों में हकीकत में न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

बात जब आती है अधिकारों पर,
तरिका-ए-कार न रहा।
वो मानव अधिकार न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

प्रस्तावना को उद्देशिका कहा जाता रहा,
संविधान निर्माता राष्ट्र निर्माण सजाता रहा।
संपूर्ण प्रभुता के साथ संपन्नता दिखाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

समाजवाद, पंथ निरपेक्षता को 42वें,
संशोधन से जोड़ा गया॥
लोक तंत्रात्मक जनता का शासन बताते रहे,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हम मनाते रहे,
सामाजिक, आर्थिक न्याय की गुहार लगाते रहे।
न्यूनतम और अधिकतम आयु हमें दर्शात रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

राजनीति, विचार अभिव्यक्ति बताते रहे,
अध्याय 19(1) जनमत निर्माण हमें बताते रहे।
विश्वास, धर्म उपासना का अधिकार भी बताता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

प्रतिष्ठा और अवसर की समानता भी बताता रहा,
व्यक्ति की गरिमा न रही फिर भी गिनवाता रहा।
राष्ट्र की एकता अखंडता सलामत रही।
भाई से भाई को मरवाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा॥

आओ हम सब सच्चाई का रूख अपनाएं,
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए।
हर जन में मानव व मानवीयता बनी रहे।
वो जमीन भी उजागर हो आसमां भी उजागर रहे॥
जय हिन्द जय भारत॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — कड़वा है मगर सत्य है… जिन सूरमाओं ने अपने रक्तिम रंग से खेली क्रांति की होली थी। भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी। सदैव ही इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी। वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी। इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी? यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश की एकता और गौरव को बनाये रखने की प्रेरणा देता है। हम सभी को संविधान के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी के दिन ही भारत को गणराज्य का सर्वोत्तम दर्जा प्राप्त हुआ। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकाली जाती है। जिस वतन ने हमें प्यार, मां का आंचल, समरसता, रंग रूप भेष भाषा सभी को मिलता मान दिया उस वतन पे हमें नाज है। जिस वतन का सबसे बड़ा संविधान लोकतंत्र जिसकी शान वो भारत देश महान वो भारत देश महान। वतन हमारी आन हमारा सम्मान है उस मां को हमारा सलाम वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्॥

—————

यह कविता (पहले और अब – गणतंत्र दिवस।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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