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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poet vijaylaxmi poems

पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

Earlier and Now – Republic Day – पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

वो जमीन न रही, वो आसमां न रहा,
गणतंत्र दिवस मना रहें हैं हम।
वो गण न रहे वो तंत्र न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

संविधान हम सब पूजते हैं,
हर जन के मन में विधान न रहा।
न्याय है किताबों में हकीकत में न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

बात जब आती है अधिकारों पर,
तरिका-ए-कार न रहा।
वो मानव अधिकार न रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

प्रस्तावना को उद्देशिका कहा जाता रहा,
संविधान निर्माता राष्ट्र निर्माण सजाता रहा।
संपूर्ण प्रभुता के साथ संपन्नता दिखाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

समाजवाद, पंथनिरपेक्षता को 42वें,
संशोधन से जोड़ा गया।
लोकतंत्रात्मक जनता का शासन बताते रहे,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हम मनाते रहे,
सामाजिक, आर्थिक न्याय की गुहार लगाते रहे।
न्यूनतम और अधिकतम आयु हमें दर्शात रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

राजनीति, विचार अभिव्यक्ति बताते रहे,
अध्याय 19(1) जनमत निर्माण हमें बताते रहे।
विश्वास, धर्म उपासना का अधिकार भी बताता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

प्रतिष्ठा और अवसर की समानता भी बताता रहा,
व्यक्ति की गरिमा न रही फिर भी गिनवाता रहा।
राष्ट्र की एकता अखंडता सलामत रही,
भाई से भाई को मरवाता रहा,
वो जमीन न रही वो आसमां न रहा।

आओ हम सब सच्चाई का रूख अपनाएं,
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए।
हर जन में मानव व मानवीयता बनी रहे,
वो जमीन भी उजागर हो आसमां भी उजागर रहे।
जय हिन्द – जय भारत॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — आज प्रश्न है तो वह यह है कि आखिर भारत में कब पूर्ण गणतंत्र मनाया जाएगा? जब हर आदमी को उसका पूरा अधिकार मात्र कागजों में ही नहीं बल्कि असल में मिलेगा। जिन पूर्वजों ने अपना बलिदान देकर भारत को यह सपना देख कर आजाद करवाया था, कि भारत की जनता को पूर्ण गणतंत्रता प्राप्त हो। उनके दिलों पर आज क्या बीतती होगी, यदि वे किसी लोक या दुनियां से आज भारत का दृश्य देखते होंगे। वे तो अंग्रेज थे, जो भारतीयों का काम कभी भी समय पर नहीं करते थे। फिर करते भी थे तो पूरी खुशामद करवा कर ही करवाते थे। पर आज तो काम करवाने वाला भी भारतीय है और काम करने वाला भी भारतीय ही है। आज हालत उससे भी बदतर है। बिना रिश्वत या चाटुकारिता के कोई काम करने को राजी नहीं है। शायद ऐसे भारत की कल्पना तो कभी हमारे पुरखों ने न की हो।

—————

यह कविता (पहले और अब – गणतंत्र दिवस।) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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न जाने क्यों?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ न जाने क्यों? ♦

न जाने क्यों लोग बुराई के साथ मन का दरिया पार कर जाते हैं,
लंका पति रावण का पुतला दहन कर इंसान न जाने क्यों इतराता है॥

सियासत भी मुश्किलों से घिरी है इंसान की गोद में आकर,
बचाती हूं कारोबार तो न जाने क्यों ईमान बीच में आ जाता है॥

बहना के प्यार में रावण ने धोखे से मां सीता का हरण कर डाला,
चारों वेदों का ज्ञाता वो न जाने क्यों मां सीता को वह हाथ लगा नहीं पाता है॥

दस-दस हाथियों का बल था उसमें तीनों लोकों का स्वामी था,
इतना बलशाली होकर भी न जाने क्यों मां सीता को छू नहीं पाता है॥

इसे मैं नाम से रावण की मासूमियत कहूं या कहूं चालाकियां,
उस ज्ञानी रावण के चरित्र के आगे न जाने क्यों मन भ्रमित हो जाता है॥

कभी सोचती है विजय आज के इंसान के बारे में तो वक्त ठहरा हुआ सा नजर आता है,
मुझे तो हर गली नुक्कड़ चौराहे पर न जाने क्यों हर मोड़ पर रावण नजर आता है॥

देखती आ रही हूं कई युगों से उस रावण का पुतला इंसान जलाते आ रहे हैं,
मन में दुर्भावना लेकर न जाने क्यों रावण का पुतला दहन कर इतराता हैं॥

अरे! समझो समाज के ठेकेदारों अपने मन के रावण को मारते क्यों नहीं हो?
ज्ञानी रावण के जैसा संयम रख अपना चरित्र संवारते क्यों नहीं हो॥

मैं देखती हूं हर रोज कितनी ही लड़कियों का इंसान हनन कर रहा है,
कागज का पुतला जलाने की बजाए न जाने क्यों लोग अपने मन का रावण मारते क्यों नहीं है॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — मैं देखती हूं हर रोज कितनी ही लड़कियों का इंसान हनन कर रहा है, कागज का पुतला जलाने की बजाए न जाने क्यों लोग अपने मन का रावण मारते क्यों नहीं है। केवल रावण का पुतला प्रत्येक वर्ष जलाने से कुछ भी नहीं होगा, जब तक अपने मन के अंदर के रावण को हर इंसान नहीं जलाता हैं। इसलिए आओ हमसब मिलकर ये प्रण ले की अपने मन के अंदर के रावण को सदैव के लिए जलाएंगे, तभी एक सच्चे और अच्छे समाज की नींव पड़ेगी। तभी आने वाली पीढ़ी ख़ुशी-ख़ुशी अपना योगदान मानव कल्याण के लिए दे पायेगी। याद रखें – अच्छा संस्कार, अच्छा आचरण, अच्छा व्यवहार, अच्छा चरित्र, से ही एक अच्छे समाज का निर्माण होता हैं।

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यह कविता (न जाने क्यों?) “विजयलक्ष्मी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु महिमा। ♦

गुरु पूर्णिमा एक बहुत ख़ास अवसर है, क्योंकि एक गुरु ही है जो पूरे समाज की नींव होता है। तो आइए हम आपको बताते है गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के चरणों में मेरी एक छोटी सी कविता समर्पित है।

गुरु ब्रह्मा-गुरु विष्णु है, गुरु ही मान महेश।
गुरु से अन्तर-पट खुलें, गुरु ही हैं परमेश॥

—♦—

मां बाप ने जन्म दिया,
प्रथम गुरु मां कहलाए।
दूसरा गुरु शिक्षक कहलाए,
भले बुरे का भेद बताए।

इंसान और जानवर में भेद बताए,
जीवन पथ की डगर दिखाए।
परछाई की तरह साथ निभाए,
धैर्यता का पाठ पढ़ाए।

संकट में हंसना सिखाए,
अपमान महत्वाकांक्षा से ऊपर उठाएं।
मिथ्या आडंबरों से बचाए,
देश भक्ति की भावना जगाने।

सूर्य की उर्जा सा धमकाए,
अंबर सा विस्तार बनाए।
गुरु की अराधना से,
पानी में पत्थर दिए तराए।

गुरु के स्मरण से,
अर्जुन ने धनुष दिया उठाए।

जो गुरु की शरण में आए,
भवसागर तर जाए।
आओ गुरु चरण वंदन करें,
भाग्य रेखा भी बदल जाए।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए; इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

—————

यह कविता (गुरु महिमा।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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दीपक संग इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दीपक संग इतिहास। ♦

दिवाली का पर्व आया है धूमधाम से मनाना है।
धनतेरस से भैया दूज, इन पांच दिनों का इतिहास पुराना है॥

दिवाली के दिन श्री राम जी अयोध्या लौटकर आए थे।
इस खुशी में सब लोगों ने अपने घरों में घी के दीप जलाए थे॥

इसी दिन मां दुर्गा ने काली का रुप भी धारा था।
कितने पापी असुरों को मौत के घाट उतारा था॥

इसी दिन भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
दिवाली के दिन ही पांडव भी अज्ञातवास काटकर आए थे॥

कार्तिक मास की अमावस्या को क्षीरसागर से हुई लक्ष्मी माँ प्रकट थी।
सुना है लक्ष्मी और विष्णु जी इसी दिन प्रणय सूत्र में बंधे थे॥

जब इन्द्र देव कुपित हुए बारिश करके तबाही मचाई थी।
श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत उठा इन्द्र के गर्व को तोड़ा था॥

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की रीत चलाई थी।
सभी गोकुलवासियों ने मिलकर संध्या समय गोवर्धन पर्वत की आरती उतारी थी॥

एकबार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी को यमराज यमुना के घर पधारे थे।
भाई दूज नाम पड़ा इस दिन का यमुना ने यमराज से हर साल आने का प्रण लिया था॥

कठोपनिषद में कहा है नचिकेता के पिता ने यमराज को दान देने की बात कही थी।
पिता की बात मानी नचिकेता ने, कार्तिक अमावस्या को यमलोक पहुंचा गए थे॥

यह देख यमदेव खुश हुए फिर तीन वर मांगने को कहा था।
नचिकेता ने पिता का स्नेह, अग्नि विद्या और मृत्यु का ज्ञान मांगा था॥

दैत्यों के राजा बलि के राज्य में दया, दान, अहिंसा और सत्य व्याप्त था।
दैत्यों के राजा बलि के यहां विष्णु जी ने द्वारपाल का पद संभाला था॥

धर्मनिष्ठता स्मृति के साथ तीन दिन तक अहोरात्रि महोत्सव किया था।
यही महोत्सव दीपमालिका के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध हुआ था॥

विजयलक्ष्मी कलम रोककर है कहती, आओ भेदभाव को दूर कर स्नेह का दीप जलाए।
जो शहीद हुए हैं देश के लिए उनके स्वप्नों को हम साकार कर दिखाएं॥

॥ आप सभी को दीपावली प्रकाश पर्व पर — हार्दिक शुभकामनाएं ॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

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  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — धनतेरस से भैया दूज तक इन पांच दिनों का इतिहास बहुत ही पुराना है। दीपावली प्रकाश पर्व के इतिहास का विस्तार से वर्णन किया है, जैसे – श्री राम जी का अयोध्या लौटकर आना, मां दुर्गा ने काली का रुप धरकर कितने पापी असुरों को मौत के घाट उतारा। इसी दिन भगवान महावीर जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। दिवाली के दिन ही पांडव भी अज्ञातवास काटकर वापस आए थे। कार्तिक मास की अमावस्या को क्षीरसागर से हुई लक्ष्मी माँ प्रकट, सुना है लक्ष्मी और विष्णु जी इसी दिन प्रणय सूत्र में बंधे थे, और भी बहुत कुछ हुआ था इस दिन।

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यह कविता (दीपक संग इतिहास।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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शैलपुत्री : माँ दुर्गा की पहली शक्ति की पावन कथा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शैलपुत्री : माँ दुर्गा की पहली शक्ति की पावन कथा। ♦

एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ माँ ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया।

इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

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  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — इस कथा के द्वारा माँ शैलपुत्री और भगवान शंकर जी के जीवन का उदाहरण देकर एक अच्छी पत्नी के कर्त्तव्य को समझाया है। एक अच्छी पत्नी के दिल में अपने पति के लिए सम्मान का क्या महत्व है, और अपने पति के सम्मान के लिए एक अच्छी पत्नी किसी भी हद तक जा सकती है। एक अच्छी पत्नी अपने पति के सम्मान के लिए किस हद तक त्याग कर सकती है।

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यह कविता (शैलपुत्री : माँ दुर्गा की पहली शक्ति की पावन कथा।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, विजयलक्ष्मी जी की रचनाएँ।, हिन्दी साहित्य Tagged With: author vijaylaxmi, poet vijaylaxmi poems, माँ शैलपुत्री, विजयलक्ष्मी जी की रचनाएँ, शैलपुत्री : माँ दुर्गा की पहली शक्ति की पावन कथा

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