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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for सीमा रंगा इन्द्रा

सीमा रंगा इन्द्रा

हे नारी तू।

Kmsraj51 की कलम से…..

Hey Nari Tu | हे नारी तू।

हे! नारी तू उठ जा,
विजयपथ पर।
जीत का परचम लहरा जा,
तू मत डर।
आंधी की तरह बढ़ आगे,
डटी रहो,
जीवन रथ पर।

अरमानों को मत दबा,
रख बाजुओं पर भार अपना।
चल पड़, निकल ले,
उठा ले खुद को।
राहों में मिलेंगे,
टेढ़े- मेढ़े रास्ते।
मत डरना, मत रुकना,
डटी रहना पथ पर।

मंजिल की कुछ दूरी पर,
होगी तू डांवाडोल जरूर।
फिर ऊर्जा से भर जाना,
रास्ता अब नजदीक है।
पथ पर पहुंचेगी,
ठोकरे होंगी हजारों सीमा।
ठोकरों को मार ठोकर,
बढ़ जाना विजय की ओर।

परचम जीत का लहरा देना,
मर्दानी तू , दुर्गा रूप में खड़ी रहना।
सिंह पर हो सवार,
डटी रहना विजय रथ पर।
लहरा देना जीत का परचम,
है नारी तू डटना यूं ही।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — नारी तू नारायणी है, माँ दुर्गा का रूप है, तुझमें सब शक्तिया निहित है, सर्व शक्ति संपन्न है तू। जीवन में कैसी भी बिपरीत परिस्थितियां आ जाएं तू कभी भी घबराना नहीं, तू डटी रहना बिना डरे, बिना थके, तेरी जीत निश्चित है देवी क्योकि – माँ आदिशक्ति की अपार शक्ति है तुझमें। ये भारत देश शक्ति सम्पन्न देवियों का है, इस धरा पर महान देवियों का जन्म सदैव से ही होता आया है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है। देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है।

—————

यह कविता (हे नारी तू।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: best short kavita in hindi, Hindi Poems, kavita in hindi, Seema Ranga Indra, seema ranga indra poems, आज की नारी पर कविता, नारी की महिमा पर कविता, नारी के सम्मान में दो शब्द, नारी के सम्मान में श्लोक, नारी पर कविता हिंदी में, नारी शक्ति पर कविता हिंदी में, नारी शक्ति पर दो लाइन, वीर नारी पर कविता, सीमा रंगा इन्द्रा, सीमा रंगा इन्द्रा जी की कविताएं, हे नारी तू, हे नारी तू - सीमा रंगा इन्द्रा

हम बेवफा नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ham Bewafa Nahin | हम बेवफा नहीं।

त्याग देते तुझे, भाग जाते हम भी,
पर दिल जो तुम्हारे पास हमारा है।

बन फरेबी, लेक सारा झूठ का,
महान बनते, पर कसम तुम्हारी जो खाई।

रूसवा हम भी कर देते गलियारों में,
पर हर सांचे पर लिखा नाम तुम्हारा है।

बदल तो हम भी लेते तुम्हें औरों से,
उसे पर चित में बैठा, निकालते नहीं।

जुबां, निगाहें, तन दे दिया तुम्हें,
भल्ला पराई चीजें बांटता कौन है?

लेकर चंद पैसे लगा देते मोल हम भी,
मेरे लिए अनमोल रिश्ता जो तुम्हारा है।

लग जाते हमें भी हसीन शहर में कई,
पर नैन देखना ही नहीं चाहते औरों को।

पीछे से आवाज हमें भी मारी थी किसी ने,
पर कमबख्त कर्ण सिर्फ सुनते तुम्हारी आवाज है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — त्याग देते तुझे, भाग जाते हम भी कहीं पर दिल जो तुम्हारे पास हमारा है। बन फरेबी यूँ, लेक सारा झूठ का, महान बनते, पर कसम तुम्हारी जो खाई हैं हमने। रूसवा हम भी कर देते गलियारों में,पर हर सांचे पर लिखा नाम तुम्हारा जो लिखा है। बदल तो हम भी लेते तुम्हें औरों से, उसे पर चित में बैठा, निकालते नहीं, ये हमारे संस्कार नहीं। सब कुछ तो दिया तुम्हे, जुबां, निगाहें, तन दे दिया तुम्हें, भल्ला पराई चीजें बांटता कौन है? जरा सोचो – लेकर चंद पैसे लगा देते मोल हम भी, मगर मेरे लिए अनमोल रिश्ता जो तुम्हारा है। लग जाते हमें भी हसीन शहर में कई, पर मेरे नैन कभी देखना ही नहीं चाहते औरों को। पीछे से आवाज हमें भी मारी थी किसी ने, पर कमबख्त कर्ण सिर्फ सुनते तुम्हारी ही आवाज है।

—————

यह कविता (हम बेवफा नहीं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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राज बताते नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Raaj Bataate Nahin | राज बताते नहीं।

प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं,
हाथों से लिखी भावनाएं मिटाते नहीं।

भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं,
खोलते चूमा जिसे बटुए से हटाते नहीं।

मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं,
ओ राज था राज को बताते नहीं।

महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं,
रात भर बातें की थी तन्हाई को दिखाते नहीं।

पेड़, झरने, पानी, बर्फ छोड़ कागज निहारते नहीं,
वादियों के बीच में महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं।

90 दिन में हर एक दिन यूं काटते नहीं,
बचे बस दिन कुछ, यह आश लगाते नहीं।

छुट्टी की खुशी में भागे-भागे यू आते नहीं,
बचा हर पल को यूं खुद को परेशान करते नहीं।

आ कर जाने की तिथि बताते नहीं,
खुशी में यूं जाना है रोज बताते नहीं।

जाते वक्त मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं,
पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं।

हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं,
जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आपसी दिल से लिखा हुआ प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं, हाथों से लिखी भावनाएं कभी मिटाते नहीं। भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं, खोलते चूमा जिसे बटुए से कभी हटाते नहीं। ओ मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं, ओ राज था राज को बताते नहीं। किस क़दर महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं, यूँ रात भर बातें की थी तन्हाई को कभी भी दिखाते नहीं। खूबसूरत वादियों के बीच में यूँ महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं। कभी भी आ कर जाने की तिथि बताते नहीं, खुशी में यूं जाना है हर रोज बताते नहीं। जाते वक्त अपना मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं, पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं। हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं, जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

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यह कविता (राज बताते नहीं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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गांव से पलायन का जिम्मेदार कौन?

Kmsraj51 की कलम से…..

Gaanv Se Palaayan Ka Jimmedaar Kaun? | गांव से पलायन का जिम्मेदार कौन?

गांव की आबादी आज घटती जा रही है। गांव के लोग शहरों की तरफ रुख़ कर रहे हैं। इसका कारण सबका अपना-अपना मत होगा। परंतु बेरोजगारी और सुविधाओं की कमी से गांव वाले ना चाहते हुए भी अपना घर छोड़ कर शहर के छोटे-छोटे कमरों में रहने को मजबूर हैं। क्योंकि हमारे गांव में बिजली, पानी, शिक्षा, रोजगार नहीं है। मैं सभी गांव की बात नहीं कर रही। परंतु बहुत गांवों में यह समस्या मौजूद है। शहरों का विकास तेजी से हो रहा है और गांव में जाकर देखो, शिक्षा के नाम पर एक प्राइमरी या हाई स्कूल। वह भी सभी गांव में नहीं है। आगे बेचारे गरीब बच्चे कहां जाए पढ़ने? गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए बहुत सारी समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

यातायात — गांव में यातायात की सुविधा नहीं होती कैसे जाए पढ़ने के लिए बाहर। उनके पास दो विकल्प होते हैं या तो पढ़ाई छोड़ दे या फिर अपना गांव छोड़ शहर में पढ़ने जाएं। जिनके पास सुविधाएं हैं वे आसानी से शहर पढ़ने चले जाते हैं। पर जो गरीब है वह कैसे जाए पढ़ने के लिए। इसी कारण वह पीछे रह जाता। उसकी पढ़ाई छूट जाती है।

बिजली — बिजली की समस्या सबसे बड़ा कारण है अब चाहे कोई लाख दावे करे कि गांव-गांव तक बिजली पहुंची है गांव तक बिजली की तारें जरूर पहुंची है। परंतु गांव में पूरा दिन, पूरी रात बिजली नहीं रहती। गांव में घंटों का समय तय रहता है फिर उसके बाद लाइट कट जाती है। गांव के बच्चों को घर के कामों के साथ-साथ खेती-बाड़ी के कामों में हाथ भी बंटाना होता है।

पानी — पानी गांव में बहुत कम आता है प्रतिदिन तो आता नहीं दो या 3 दिन बाद आता है। किसी-किसी गांव में तो पानी की और भी गंभीर समस्याएं हैं। सुविधाओं की कमी के साथ-साथ ग्रामीण छात्रों को पानी की कमी को भी झेलना पड़ता है।

रोजगार — गांव में रोजगार के साधनों की बहुत कमी है अगर सरकार चाहे तो तीन-चार गांव के बीच कोई फैक्ट्री है या किसी भी तरह का काम लगा सकती है। जिससे गांव के युवाओं को अपना घर ना छोड़ना पड़े और उन्हें आसानी से रोजगार मिल जाए।जिससे उन्हें अपना घर परिवार भी नहीं छोड़ना पड़े और गांव से युवाओं का पलायन भी रुक जाएगा। ऐसा कोई नहीं होगा जो सारी सुख-सुविधाओं के होते हुए अपने घर, गांव को छोड़कर बाहर जाए।

इंटरनेट — हमसभी जानते है की आजकल ज्यादातर सभी कार्य ऑनलाइन इंटरनेट पर होता है, आज भी गावों में इंटरनेट की सुविधा ना पहुंचने के कारण, गांव के युथ (बच्चों) को मज़बूरी में शहर की तरफ भागना पड़ता है। अगर गावों में अच्छी अनलिमिटेड ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा पहुंच जाए तो, बेरोजगार गांव के बच्चे भी कुछ ऑनलाइन कार्य कर कमा सके। वर्तमान सरकार को गांव में जल्द से जल्द अच्छी अनलिमिटेड ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा पहुँचाना चाहिए।

सड़के — अगर गांव की सड़कें, स्कूल और कॉलेज बना दिया जाए तो ग्रामीण बच्चे कदापि भी शहर की तरफ नहीं जाएंगे। बिजली की अच्छी सुविधा दे दी जाए जब शहर की सड़कों पर दोनों तरफ पेड़ पौधे लगा रखे तो गांव में क्यों नहीं? शहर में हर 5 मिनट के अंतराल पर एक पार्क मिल जाएगा क्या गांव के बच्चों को पार्क नहीं चाहिए।

जब ग्रामीण बच्चों को सुविधाएं कम मिलती है तो प्रतियोगी परीक्षाओं में बच्चों को एक सम्मान परीक्षा क्यों ? शहर में रोजगार के अवसर उपलब्ध है परंतु ग्रामीण लोगों को यह सुविधा से वंचित रखा था। जब तक ग्रामीण इलाकों में सुविधाएं नहीं होंगी तब तक हमारा देश कैसे तरक्की कर सकता है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इंटरनेट, यातायात, बिजली, पानी, रोजगार, सड़के इत्यादि इस तरह की मुलभुत सुविधाएं का ना होना गांव के बच्चों की तरक्की को फुल स्टॉप लगा देता है। जब ग्रामीण बच्चों को सुविधाएं कम मिलती है तो प्रतियोगी परीक्षाओं में बच्चों को एक सम्मान परीक्षा क्यों ? शहर में रोजगार के अवसर उपलब्ध है परंतु ग्रामीण लोगों को यह सुविधा से वंचित रखा था। जब तक ग्रामीण इलाकों में सुविधाएं नहीं होंगी तब तक हमारा देश कैसे तरक्की कर सकता है।

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यह लेख (गांव से पलायन का जिम्मेदार कौन?) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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शिव शंभू।

Kmsraj51 की कलम से…..

Shiva Shambhu | शिव शंभू।

शिव शंभू हितकारी महादेव,
जटाओं में समा गंगा गले में रख नाग।

चले विषधारी हरने कष्ट जगत के,
अनोखी छवि देखते सभी इनकी।

ना रह पाता अछूता आराधना से इनकी,
नाम भोले भंडारी पल में जाते मान।

सावन में बजते ढोल बजाते शंख,
पूजन करते शिवलिंग पर नर – नार।

ओंकारेश्वर कष्टनिवारक विषधारी हरते कष्ट,
देख ना पाते तड़प लालायित रहते करने मदद।

देखो जरा, लगा भस्म बाबा नंगे पांव,
आए हरने कष्ट भक्तों के, संग पार्वती मैया।

विष अपना, रख सर्प, लगा भस्म,
उठा डमरू, ले त्रिशूल निकल पड़े नागेश्वर।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते है। भक्तों के सब संकट हरते शिव ही महाकाल है। शिव ही संहार करते शिव शक्ति का रूप है। कोटि कोटि वंदन करूँ शिव ही तारणहार है।

—————

यह कविता (शिव शंभू।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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पछतावा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Regret | पछतावा।

मान ले बात मात-पिता की,
आज बारी तेरी आई।

पढ़ ले, निखार ले खुद को,
वक्त को जानने की बारी आई।

उठ प्रातः कर मेहनत पूरा दिन,
समय का सदुपयोग की बारी आई।

भूल जा मस्ती, शरारतें, त्याग निंद्रा,
उज्जवल भविष्य करने की बारी आई।

कम वक्त है पास तुम्हारे,
नसीहतें मानने की बारी आई।

नहीं रहेंगे तुझे कहने वाले एक दिन,
तड़पाएगा वक्त, समझने की बारी आई।

अकेला रह जाएगा इस दुनिया में,
आज संभलने की बारी आई।

कहीं पछताता ना रह जाए सीमा,
आज वक्त को जानने की बारी आई।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में केवल माता-पिता ही अपने बच्चे को सदैव ही खुश, आगे बढ़ता व खुद हारकर भी अपने बच्चे को जीतता हुआ देखना चाहते है। इसलिए माता-पिता सदैव ही नसीहत देते रहते है हमे, जिससे हम कभी कोई गलती ना करें और अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए समय से सोये व जगे तथा अच्छे से पढ़ाई करें व खूब मेहनत कर जीवन में आगे बढ़े। भूल जाओ मस्ती व शरारतें, त्याग दो निंद्रा अपना उज्जवल भविष्य बनाने का यही समय है। यह न भूलो की कम वक्त है अब पास तुम्हारे, नसीहतें मानने की बारी आई। ये याद रखना – नहीं रहेंगे तुझे कुछ कहने वाले एक दिन, तब तड़पाएगा वक्त तुम्हें अब भी समझ लो वर्ना और अकेला रह जाओगे इस दुनिया में फिर खूब पछतावोगे।

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यह कविता (पछतावा।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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सफर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Journey | सफर।

अजीब नजारा लिए चलते हैं,
जब मुसाफिर राहों पर चलते हैं।

डगर नई मंजिल नई लिए चलते हैं,
पथ पर बेगानों को लिए चलते हैं।

मंजिल तलक मुस्कुराहट लिए चलते हैं,
छोड़ पीछे गम, हंसी लिए चलते हैं।

नित दोस्त नए-नए लिए चलते हैं,
दुश्मन को अपना बना लिए चलते हैं।

कुछ पलों को अपना बना लिए चलते हैं,
बदलती शख्सियत को साथ लिए चलते हैं।

माना मंजिल पानी सबको साथ लिए चलते हैं,
कौन जाने ? कौन रहबर बना लिए चलते हैं।

टेढ़े-मेढें रास्तों पर सीधा साथी लिए चलते हैं,
प्रतिदिन बदलते रास्ते लिए चलते हैं।

मेरी छोड़ो अपनी सुना सबको बता लिए चलते हैं,
कुछ पल ही सही सबका दुख लिए चलते हैं।

कब किसका बांट देंगे गम, दुखड़ा लिए चलते हैं,
कौन बनेगा? कब किसका सहारा लिए चलते हैं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अजीब नजारा लिए चलते हैं, जब भी मुसाफिर राहों पर चलते हैं। डगर नई होती, मंजिल भी नई लिए चलते हैं, पथ पर बेगानों को लिए चलते हैं। मन में व दिल में मंजिल तलक मुस्कुराहट लिए चलते हैं, छोड़ के पीछे सभी गम, हंसी लिए चलते हैं। रोज दोस्त नए-नए लिए राह में चलते हैं, राह में दुश्मन को भी अपना बनाये लिए चलते हैं। कुछ पलों के लिए ही सही अपना बनाये लिए चलते हैं। माना की सबको मंजिल पानी है पर सबको साथ लिए चलते हैं। प्रतिदिन बदलते टेढ़े-मेढें रास्तों पर सीधा व अच्छा साथी लिए चलते हैं। कुछ पल के लिए ही सही सबका दुख बाटते चलते हैं। कौन बनेगा? कब किसका सहारा इसलिए साथ लिए चलते हैं।

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बेजार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Bejaar | बेजार।

मेरे लिए बेजार ना हुआ करो,
बेताबी अपनी बढ़ाया ना करो।

तलब लगी थी उल्फत की जो,
बाजारों में यूं रूसवा ना करो।

हमारी खातिर सबको यू दलील ना दो,
कमसिन को सरताज बनाया ना करो।

दे हीरे जवाहरात कीमत ना बढ़ाओ,
दे दिल बना रहीस कीमत लगाया ना करो।

अदब से होके रूबरू हमारे,
बैठा दिल बना रानी कुर्सी लगाया ना करो।

प्रिय तुम्हारी है बड़ी ताकतवर,
बना फुल नाजुक बनाया ना करो।

जान तेरी देख ना पाती परेशान रसिक तुझे,
अपना बना यूं बैगाना बनाया ना करो।

दिल में बैठा खंजर रख साथ,
बचा सबकी नजरों से बंद रखा ना करो।

तकलीफों में रख खुद को हरदम,
हमें हर सुख देने की चाहत रखा ना करो।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मेरे प्रिय मेरे लिए इस तरह परेशान हुआ ना करो, हमारी खातिर सदैव ही सबको यू दलील ना दो। दे हीरे जवाहरात कीमत ना बढ़ाओ मेरा, देकर दिल बना रहीस फिर कीमत लगाया ना करो। यूँ अदब से होके रूबरू हमारे, बैठा दिल बना रानी कुर्सी मेरे लिए लगाया ना करो। ये ना भूलो प्रिय तुम्हारी है बड़ी ताकतवर, ऐसे बना फुल नाजुक बनाया ना करो। जान तेरी देख ना पाती परेशान जरा सा भी तुझे, यूँ अपना बना यूं बैगाना बनाया ना करो। तकलीफों में रख खुद को हरदम, यूँ ही हमें हर सुख देने की चाहत रखा ना करो।

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यह कविता (बेजार।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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हर बार अंदाजा सही नहीं होता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हर बार अंदाजा सही नहीं होता। ♦

ट्रेन अपनी स्पीड से चली जा रही थी। परन्तु रमा की टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी, परन्तु उनका जाना बहुत जरूरी था इसलिए रमा अपने तीन बच्चों के साथ बिना टिकट कन्फर्म ही ट्रेन में चढ़ गए थे। सोचे हो ही जाएगी, पर बैठने के बाद पता चला टिकट कन्फर्म नहीं हुई। टीटी ने उन्हें सीट पर बैठने को कहा, जैसे ही बैठे एक महिला ने कहा ये हमारी सीट है बड़े ही रोब से। बेचारी को कुछ राहत मिली ही थी। उसे क्या पता था कि उसकी खुशी बस कुछ ही पल की थी। एक आस लगाए टकटकी लगाए उसी महिला को बार-बार इस उम्मीद में निहार रही थी कि शायद वह अपनी एक सीट हमें दे-दें क्योंकि उसके दो बच्चे थे और एक बच्चा लगभग 4 साल का था। उसकी मां ने उसे पास ही अपनी सीट पर सुला रखा था। पर उन्होंने चार सीट बुक करवा रखी थी।

3 सीटों पर ही बैठे थे चौथी सीट खाली थी। रमा ने जैसा सोचा था ऐसा कुछ नहीं हुआ उस महिला ने उसकी तरफ मुड़ के देखा भी नहीं, उसी की बगल वाली सीट पर एक आदमी काफी देर से रमा को घूरे जा रहा था। रमा बार-बार उसे देखकर अपनी नजरें झुका मन ही मन बुदबुदा रही थी। कैसा आदमी है कब से घूरे जा रहा है शर्म नहीं आती है ऐसे लोग बुरे ही होते हैं। क्योंकि वह आदमी देखने में ऐसा लग रहा था शायद कई दिन से नहाया नहीं था। उसके कपड़े भी बहुत मैले- कुचैले थे। ऐसा करते-करते ट्रेन ने कब गति पकड़ ली और रात्रि का समय कब हो गया रमा को आभास ही नहीं हुआ।

वह आदमी अपनी सीट से उठकर आया और बोला बहन जी आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाए। आप ऐसे कब तक बच्चों का हाथ पकड़े खड़ी रहेंगी। रमा का तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था और वह धन्यवाद करते हुए शर्म के मारे गर्दन नीचे किए हुए और अपने तीनों बच्चों को सीट पर बैठा दिया और खुद भी बैठ गई।

आदमी ट्रेन के दरवाजे पर जाकर खड़ा हो गया। रमा लगातार उसे ही देखे जा रही थी। जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी रमा के अंदर भी प्रश्नों का भूचाल आ रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि मैंने इनके कपड़ों को देखकर और इनके हाल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि यह कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, परंतु मेरा अंदाजा बिल्कुल गलत निकला और मुझे अब अपनी सोच पर बहुत शर्म आ रही है। आज जब भी रमा को ट्रेन यात्रा की याद आती है तो हर बार रमा यही सोचती है कि हर बार हमारा अंदाजा सही नहीं होता।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — जरुरी नही की हर बार आपका अंदाज़ा सही ही हो, कभी भी किसी के चेहरे और हावभाव को देखकर तुरंत उसके प्रति अपना नकारात्मक विचार नहीं बना लेना चाहिए। पहले सच्चाई के तह तक जाए और दिलसे सोचकर अपना विचार बनाएं। जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी रमा के अंदर भी प्रश्नों का भूचाल आ रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि मैंने इनके कपड़ों को देखकर और इनके हाल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि यह कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, परंतु मेरा अंदाजा बिल्कुल गलत निकला और मुझे अब अपनी सोच पर बहुत शर्म आ रही है। आज जब भी रमा को ट्रेन यात्रा की याद आती है तो हर बार रमा यही सोचती है कि हर बार हमारा अंदाजा सही नहीं होता।

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यह लेख (हर बार अंदाजा सही नहीं होता।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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परिवार की खुशी के लिए पुरुष का समर्पण।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ परिवार की खुशी के लिए पुरुष का समर्पण। ♦

आज के भागदौड़ भरे इस आधुनिक जीवन में किसी के पास वक्त ही नहीं है। एक घर में रहकर भी घर के सदस्य एक-दूसरे के साथ बैठकर खाना नहीं खा पाते, बात नहीं कर पाते हैं । “ऐसा नहीं है बात नहीं करना चाहते।” सभी करना चाहते पर घर-परिवार की जिम्मेदारियां और फिर कमाने की जद्दोजहद में सब व्यस्त रहते हैं।

सोचते हैं इस वर्ष की बात है अगले वर्ष सब ठीक हो जाएगा, परंतु अगले वर्ष करते-करते कब बुढ़े हो जाते हैं पता ही नहीं चलता? एक आदमी को सिर्फ कमाना ही नहीं होता बल्कि बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, घरवालों के ख्याल के साथ-साथ बहुत से खर्चों का ध्यान रखना पड़ता है। उसे हमेशा एक ही चिंता रहती है कहीं घरवालों की जरूरतें पूरी ना हो, या कहीं कोई क़िस्त समय पर ना जाएं या फिर बच्चे की स्कूल फीस, ट्यूशन फीस लेट ना हो जाए। त्योहारों पर बच्चों की जरूरतों का सामान, खिलौने और ढेर सारी आवश्यकता की पूर्ति करता रहता है बिना कुछ बोले। उसे परिवार की खुशी सर्वप्रथम दिखती है।

मैंने देखा है एक पुरुष घर का सामान दिला देगा, बच्चों को, पत्नी को, मां को आवश्यकता की वस्तु परंतु जब उसकी बारी आती है तो हंसकर बोल देता है मेरे पास तो ढेर सारे कपड़े है। मुझे क्या जरूरत है। वह अपनी भावनाओं को सिर्फ और सिर्फ परिवार की खुशी के लिए दबा देता है। यह समर्पण ही परिवार में खुशी बनाए रखता है। हफ्ते में एक छुट्टी मिलती है आराम करने की। उसी छुट्टी में परिवार की खुशी की खातिर निकलता है बाहर परिवार को खुशी देने के लिए।

“उसका बड़ा मन होता है एक दिन का तो आराम करें, परंतु जिम्मेदारियां और परिवार को खुश रखने की चाहत उसे यह सब करने ही नहीं देती।” परिवार को खुश करने के लिए, उनके सपने सजाने के लिए, व बिना पक्षपात किए सभी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हैं कब वह बूढ़ा हो जाता है? उसे पता ही नहीं लगता। उसके त्याग से परिवार हंसता, खेलता, मुस्कुराता रहता है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — परिवार जीवन का वो आधार स्तंभ है, जो हमें प्रेम, अपनापन, भावनात्मक सहारा प्रदान करता है। जीवन के कठिन दौर में जब दुनिया हमसे रूठ जाए, तब परिवार ही है, जो आगे बढ़कर हमें अपने गले लगा लेता है और हर तरह से हमारा साथ देता है। इसलिए सफ़लता प्राप्ति की राह में ऐसा न हो कि परिवार कहीं पीछे छूट जाये। “उसका बड़ा मन होता है एक दिन का तो आराम करें, परंतु जिम्मेदारियां और परिवार को खुश रखने की चाहत उसे यह सब करने ही नहीं देती।” परिवार को खुश करने के लिए, उनके सपने सजाने के लिए, व बिना पक्षपात किए सभी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हैं कब वह बूढ़ा हो जाता है? उसे पता ही नहीं लगता। उसके त्याग से परिवार हंसता, खेलता, मुस्कुराता रहता है।

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यह लेख (परिवार की खुशी के लिए पुरुष का समर्पण।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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