• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for How The Auspicious Time of 26 January poem

How The Auspicious Time of 26 January poem

उन्मुक्त जिंदगी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ उन्मुक्त जिंदगी। ♦

याद इन्हें भी कर लें आज।

दे दी हमें उन्मुक्त सी जिन्दगी।
आज़ादी में साँस लेने के लिये।
रो रही थी माँ भारती।
बेड़ियों में पड़ी गुलामी में,
हुंकार उठी नव खूनों में।

दासता की बेड़ियां तोड़ने के,
सन् सत्तावन में लगी आग बरसने।
अंग्रेजों के सीनों पर,
नाना तात्या मंगल बहादुर,
रानी लक्ष्मी कुंवर के हाथों से।

ह्यूज कार्नेल और डलहौजी जैसे,
कितने भागे अपने सिवरों में।

मेरठ कानपुर सतारा झांसी,
दिल्ली बिठूर लेते जाते वीरों ने।
फड़नवीश के तलवारों से,
क्रांतिवीर के हुंकारों से।

बेड़ियां लगी टूटने जब,
हाय! कैसी बिडंबना आई।
रानी गई काल-कवलित हो,
दे अगली पीढ़ी को,
हम न सके पूरे तोड़ने बेड़ी को,
माँ रो रही है बेड़ी में।

भुवन के नन्हें कामों से,
फिर जोश-उल्लास भर गया।
नौजवानों में।
हुंकार उठे कूका-बिरसा,
ले आदिवासी वीरों ने।

नीलांबर-पीताम्बर बंधुओं ने,
बरसा तीर-कमानों से।
छुड़ा दिये पसीने अंग्रेजों के,
लेकिन ये भी लड़े भिड़े,
तोड़ न पाये जंजोरों को।

पुनः नई आवाज उठी,
बेटों-बेटियों के हुंकारों से।
किशोर युवा चले मिटाने।
गुलामी की जंजीरों को।

कूद पड़े लाला लाजपत राय,
तिलक चापेकर बंधु पटेल खान।
ये सब बातों से,
कहां सुनने वाले थे।

बहरे थे कानों के,
इन्हें धमाके सुनने थे।
असफाक विस्मित दीनबन्धु,
खुदीराम बोस के गानों के।
पंजाब से उठे शोले फैले।

उत्तर प्रदेश बंगाल गुजरात,
मध्यभारत ओड़ीसा कर्नाटक,
आन्द्रा के हुंकारों से,
डोल गया एलिजाबेथ का,
सिंहासन लंदन के गलियारों में।
थर-थर कांपने लगे कागज के वीर,
जो उन्मुक्त हो करते,
अत्याचार भारत के गलियों में।

सुभाष बोस की सेना जब रंगून गई,
भागे अंग्रेज अपने घरों में।
लक्ष्मी सहगल बनी लेफ्टीनेंट,
मुजिबुर्रहमान बने कमाण्डर।
कर दिये बेड़ागर्क अंग्रेजों के,
उपनिवेश की आँधी ले चलते थे,
उड़ गए फिर तूफानों में।

भगत सिंह राजगुरू सुखदेव,
भाभी दुर्गा के चण्डों से।
फणीश्वर जैसे बच्चे गरजे,
भरी अदालत में बंदूकों से।
रक्त जब गिरने लगा अंग्रेजों के,
नाच उठी मौत की छाया।
जब इनके सीनों में।

भाग पड़े अंग्रेज अपने बिलों में,
दिल कांपा मन बिचलित हो भागा।
फिर लंदन की गलियों में।
मिली स्वतंत्रता जब भारत को,
माउण्टबेटन ने तभी चली चाल।

माँ भारती के सीने में,
कर दिये दो टुकड़े।
हिन्दुओं के वृहद को खंडित कर,
यवन को पाकिस्तान दे।
भारत को खंडों में विभक्त कर दिया।

आजाद भगतसिंह खुदीराम सुभाष,
असफाक विस्मिल राजगुरू जैसे,
कितने वीरों के सपनों को तोड़,
कर दिया टुकड़े में अंग्रेजों ने।

जतिन दास के भूखों में भी,
देखे थे सपने उन्मुक्त वृहद भारत के।
आज़ादी के सपने,
सब शहीदों ने मिलकर दें दिया हमको,
आज़ादी से उन्मुक्त जीने को।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है — जिन सूरमाओं ने अपने रक्तिम रंग से खेली क्रांति की होली थी। भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी। सदैव ही इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी। वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी। इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी? यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश की एकता और गौरव को बनाये रखने की प्रेरणा देता है। हम सभी को संविधान के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी के दिन ही भारत को गणराज्य का सर्वोत्तम दर्जा प्राप्त हुआ। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकाली जाती है। जिस वतन ने हमें प्यार, मां का आंचल, समरसता, रंग रूप भेष भाषा सभी को मिलता मान दिया उस वतन पे हमें नाज है। जिस वतन का सबसे बड़ा संविधान लोकतंत्र जिसकी शान वो भारत देश महान वो भारत देश महान। वतन हमारी आन हमारा सम्मान है उस मां को हमारा सलाम वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्॥

—————

यह कविता (उन्मुक्त जिंदगी।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com  All Rights Reserved.____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: 26 जनवरी की पावन बेला, How The Auspicious Time of 26 January poem, kavita on republic day in hindi, poet Satish Shekhar Srivastava - Parimal poems, poet Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', republic day in hindi 10 lines, unmukt jindagi, उन्मुक्त जिंदगी, गणतंत्र दिवस, गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में 15 लाइन, मां तुझे सलाम, सतीश शेखर श्रीवास्तव, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

26 जनवरी की पावन बेला।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ 26 जनवरी की पावन बेला। ♦

जिन सूरमाओं ने रक्तिम रंग से, खेली क्रांति की होली थी।
भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी।
इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी।
वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी?

जेल गए वे तख्त चढ़े, कलई अंग्रेजों की उन्होंने खोली थी।
हर वार सहे हर प्रहार सहे पर, उफ तक न उन्होंने बोली थी।
शूर वीर उन महारथियों की, एक नियत, एक ही तो बोली थी।
इंकलाब ज़िंदाबाद, गुलामी की बेड़ी उन्होंने ही खोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्जत, माटी में रोली थी?

सरताज तिरंगा भारत का बनाने हेतु, दुश्मनी तब मोली थी।
जुर्म सहे लाख अत्याचार भी, जो कोड़े खा खाल खोली थी।
निज लहू के पावन जन जल से, गुलामी की कीच धो ली थी।
फिरंगी को भगाकर भारत से, भारत मां की जय बोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्जत, माटी में रोली थी?

26 जनवरी की पावन बेला, यूं ही तो न भारत में आई थी।
इस दिन को देखने खातिर, पूर्वजों ने लड़ी कड़ी लड़ाई थी।
15 अगस्त को आजादी पाकर, संविधान सभा बनाई थी।
तब जाकर 26 जनवरी की, यह सद पावन बेला आई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी?

आजाद हुआ फिर भारत धन्य, संविधानी पोथी बनाई थी।
26 जनवरी1950 को तब, नियमावली भी लागू कराई थी।
इस बीच फिरंगी ने अपनी, फूट डालो की चाल चलाई थी।
भारत के टुकड़े करने हेतु, हिन्दू मुस्लिम में डाली लड़ाई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी।

नई पीढ़ी के लोग क्या जाने, कि ये घड़ियां कैसे आई थी?
पुरखों ने घड़ियां पाने खातिर, खून की नदियां जो बहाई थी।
कई कोखें उजड़ी, मांगे उजड़ी, तब जाकर आजादी आई थी।
छुप छुप कर गोरों से लड़े भिड़े, तब जाकर आजादी पाई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है… जिन सूरमाओं ने अपने रक्तिम रंग से खेली क्रांति की होली थी। भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी। सदैव ही इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी। वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी। इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी? यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश की एकता और गौरव को बनाये रखने की प्रेरणा देता है। हम सभी को संविधान के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी के दिन ही भारत को गणराज्य का सर्वोत्तम दर्जा प्राप्त हुआ। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकाली जाती है। जिस वतन ने हमें प्यार, मां का आंचल, समरसता, रंग रूप भेष भाषा सभी को मिलता मान दिया उस वतन पे हमें नाज है। जिस वतन का सबसे बड़ा संविधान लोकतंत्र जिसकी शान वो भारत देश महान वो भारत देश महान। वतन हमारी आन हमारा सम्मान है उस मां को हमारा सलाम वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्॥

—————

यह कविता (26 जनवरी की पावन बेला।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com  All Rights Reserved.____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: 26 जनवरी की पावन बेला, hemraj thakur poems, How The Auspicious Time of 26 January poem, kavita on republic day in hindi, poet hemraj thakur, republic day in hindi 10 lines, गणतंत्र दिवस, गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में 15 लाइन, मां तुझे सलाम, हेमराज ठाकुर की कविताएं

Primary Sidebar

Recent Posts

  • सफर।
  • बेजार।
  • ओ माझी रे।
  • इक प्रयास।
  • इक प्रयास।
  • स्त्री।
  • जागो अब तो जागो।
  • मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?
  • यही हमारा नारा है।
  • बल के लिए।
  • आन बान आउर शान बा।
  • सैनिक का सैनिक।
  • आज आजादी है हमको मिली तो।
  • हो जाओ तैयार।
  • पहले और अब – गणतंत्र दिवस।
  • बदलता भारत।
  • माँ की शिकायत।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

सफर।

बेजार।

ओ माझी रे।

इक प्रयास।

इक प्रयास।

स्त्री।

जागो अब तो जागो।

मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?

यही हमारा नारा है।

बल के लिए।

आन बान आउर शान बा।

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.