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Muhabbat Ke Nashe Kee Lat | मुहब्बत के नशे की लत।
तमन्ना के तराजू में, रिश्तों का राशन कभी तोला नहीं करते।
गैरों की महफिल में, अपनों के राज कभी खोला नहीं करते।
क्योंकि यहां हर दीवार के पीछे छुपा है कोई कान लगाकर,
“दीवारों के भी कान होते हैं” कहते हैं, सच बोला नहीं करते।
यहां होती हैं बहुत सी बातें, इशारों ही इशारों में बहुत बार,
लोग झेंपते हैं यह सब पर, फिर भी कुछ बोला नहीं करते।
मुहब्बत के बाजार में, हो जाता है नीलाम पर्दे में सब कुछ,
लोग जानते हैं सब कुछ, पर पर्दे को कभी खोला नहीं करते।
बद ज़ुबानी तो बर्दाश्त नहीं है, मुहब्बत के रिश्ते में किसी को,
पर प्रेम की फटकार से तो यहां, कभी रिश्ते टूटा नहीं करते।
ये प्यार के पेड़ हमेशा, विश्वास की जमीन पर उगते हैं साहेब,
शक, नफ़रत, चालाकियों की, माटी पत्थर में उगा नहीं करते।
बड़ी लज़ीज़ फितरत होती है, ये मुलायम मुहब्बत भी साहेब,
होती सबके दिलो दिमाग में है, पर इजहार किया नहीं करते।
दिल ही दिल में लेते हैं मौज सब, इस नायाब रसीले रस का,
पर दुनियां के बाज़ार में, कोई इसका जाम पीया नहीं करते।
काश! डूब जाता दुनियां का हर सरोकार, मुहब्बत के जाम में,
तो शायद ये नफ़रत के झगड़े, दुनियां में हुआ ही नहीं करते।
काश ! एक बार लग जाती मुहब्बत के नशे की लत सबको,
फिर तो शायद हम इस नशे की गिरफ्त से छूटा नहीं करते।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कवि हमें सिखाते हैं कि रिश्तों को स्वार्थ और अपेक्षाओं के तराजू में नहीं तोलना चाहिए, और अपनों की बातें गैरों के बीच उजागर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर जगह छुपे हुए कान होते हैं। दुनिया में बहुत कुछ इशारों में कहा-सुना जाता है, लेकिन लोग दिखावे के डर से खुलकर बोल नहीं पाते। प्रेम और भावनाओं का बाज़ार भी अजीब होता है—सब कुछ बिकता है, फिर भी लोग इसे ज़ाहिर करने से हिचकिचाते हैं। प्यार और विश्वास की बुनियाद पर रिश्ते टिकते हैं, लेकिन शक और चालाकी से ये रिश्ते टूट जाते हैं। सच्चा प्रेम दिलों में होता है, पर बहुत से लोग इसे खुलकर स्वीकार नहीं करते। अगर दुनिया में प्रेम और अपनापन हर जगह व्याप्त हो जाए, तो शायद नफरत और झगड़ों का कोई अस्तित्व ही न रहे। कवि यह कामना करते हैं कि हर कोई प्रेम के नशे में डूब जाए, जिससे यह दुनिया और भी सुंदर बन सके।
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यह कविता (मुहब्बत के नशे की लत।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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