Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ अच्छे अनुभवों का मूल्य। ϒ
- दवा की सूक्ष्म मात्रा भी जीवन देती है, दवा सूक्ष्म होकर भी प्राण है। आर्द्रता? पानी का ही एक रूप है। इसी तरह जो चुपचाप हैं, वे अपने में श्रेष्ठता छुपाये हुए हैं। श्रेष्ठ चीजें झूठ-मूठ के वार्तालाप नहीं करती, बल्कि स्वयं श्रेष्ठ तौर-तरीकों से अपनी बात बताती हैं। अच्छे विज्ञापन मौन रहकर भी बहुत कुछ कह जाते हैं।
- मैं अब भी जब कभी अपने पुराने विद्यालय की ओर देखता हूं तो लगता है कि मेरे जैसे कितने ही छात्र यहां आए होंगे और पढ़ाई खत्म करके चले गए होंगे। मुझे इस विद्यालय में बिताया हुआ हर खूबसूरत क्षण याद है और दूसरे छात्र भी होंगे जो यहां से पढक़र विदा हुए हैं, उन्हें भी यह सब याद होगा। इस तरह से तुम देखोगी कि हजारों बच्चे ऐसे हैं जो एक ही जगह पढऩे पर भी अलग-अलग अनुभव रखते हैं। इसलिए उन सभी के अच्छे अनुभवों का मूल्य है। लेकिन सभी अपने अनुभवों को खुले दिल से सबके सामने नहीं रख पाते, फिर भी जो अपने अनुभव संस्मरण के रूप में किताबों के द्वारा सबके सामने रखते हैं, उन्हें पढऩा दूसरे लोगों को समझने जैसा है।
- परीक्षा देते समय सबसे पहले आसान प्रश्नों को हल किया जाता है, फिर धीरे-धीरे कठिन प्रश्नों को। इसी तरह से अपना पाठ याद करते समय सबसे आसान चीजों को पहले समझना होता है। फिर उसी समझ के सहारे कठिन चीजों को। सारे पाठ एक आधार पर खड़े होते हैं। जिन्हें जाने बिना दूसरी चीजों को समझना बिल्कुल मुश्किल है। लेकिन इस क्रिया में विषयों के संबंध में अत्यधिक रुचि बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। एक बार मार्ग निकाल लेने के बाद फिर कहीं भी कठिनाई नहीं होती।
- जब पेड़ों पर फल आते हैं, तो पेड़ का सारा ध्यान उन्हें बड़ा एवम् स्वादिष्ट बनाने में लग जाता है। जैसे ही वे फल तोड़ लिये जाते हैं, पेड़ अपनी शाखाओं को बढ़ाने एवं मजबूत करने में अपना ध्यान लगाने लगता है। कोई भी शारीरिक कार्य करते समय हाथ-पांव, कान-आंखें दिमाग आदि सभी एक साथ लगे होते हैं। लेकिन पढ़ते वक्त वे अपनी सारी शक्ति पाठ को समझने में लगा देते हैं। तुम जितना ही अपनी शक्ति को इस तरह से पुस्तकों पर केन्द्रित करोगी, उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।
- जब कहीं आग लग जाती है, सबसे पहले मनुष्यों को बचाने की कोशिश की जाती है, फिर बाकी चीजों को। इससे समझ सकती हो कि मनुष्य जीवन का कितना अधिक महत्व है। मनुष्य ही पृथ्वी पर सबसे बड़ा बुद्धिजीवी है जो कुछ न कुछ नया करने का प्रयत्न करता रहता है। इसलिए अपने में जो भी खास बातें हैं तथा जिनके कारण तुम मनुष्य हो, उन्हें पहचानो। ताकि तुम महसूस कर सको कि तुम्हारे पास इतने सारे गुण हैं। कलम अगर मेज पर पड़ी रही, तो प्लास्टिक का टुकड़ा भर थी। लेकिन जब इससे लिखा गया तो यह महत्वपूर्ण चीज बन गयी। इसलिए अपनी उपयोगिता को सुला कर मत रखो, उसे जगाये रखो।
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.
~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
~KMSRAJ51