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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poems on humanity in hindi

सोच रे मानव।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सोच रे मानव। ♦

हे मूर्ख इंसान, तू सत्य की खोज कर।
जग में असत्य बढ़ाने पर मत शोर कर।

कौन है तू,क्या हस्ती तेरी, क्या वजूद तेरा।
जब विचारों का इंकलाब आएगा,
कहाँ होगा, अस्तित्व महफूज तेरा।

क्यों डूबा है, खुद को भगवान बनाने में।
इस शक्ति को एक क्षण भी,
नही लगेगा तुझें मिटाने में।

तुझें मालिक ने बार-बार इशारा देकर,
कोई कसर न छोड़ी, तुझें चेताने में।
कोई कमी बाकी न रही तुझें समझाने में।

जिस कर्म से जग में हताशा और निराशा हो।
उस कर्म को तज दे मनुष्य,
जिससे कलयुगी इंसान की परिभाषा हो।

युगों से देखी नही क्या तुमनें,
इस रब की लाठी तो, बेआवाज होती है।

तू देखता रह जायेगा, ये इंसाफ कर देगी,
क्योंकि इसकी हर बात राज होती हैं।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – किस तरह से आज का इंसान सत्य से दूर, नाना प्रकार के विकर्म कर रहा है। अहंकार-वश स्वयं को भगवान् बनाने में लगा है। वह भूल गया है जब इस रब की लाठी पड़ती है, तो उसमे आवाज़ नही होती। अभी भी समय है तू सुधर जा इंसान, वर्ना तेरे पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।

—————

यह कविता (सोच रे मानव।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुशीला देवी जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: best short kavita in hindi, hindi poems on life inspiration, hindi poems on life values, poem in hindi, poem on life in hindi, poems on humanity in hindi, poetry by Sushila Devi, poetry in hindi on life, self motivation poem hindi, short motivational poems in hindi, short poem in hindi, Smt. Sushila Devi poems, sudhar ja manav, मोटिवेशनल कविता हिंदी में, सुशीला देवी जी की कविताये, हिंदी कविता संग्रह

अस्तित्व।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अस्तित्व। ♦

पीड़ा और शोक की कहानी,
आरोप-प्रत्यारोप की कहानी,
से बड़ी होती है।

संतोष और विवेक पूर्ण धरोहरों,
सुख शांति का एकमात्र साधन है।
अस्तित्व का कभी अंत नहीं होता।
वस्तु का ही सदा अंत होता है।

आत्मा न जन्म लेती है ना मरती।
जिसका जन्म नहीं होता,
उसकी मृत्यु नहीं होती है।
आत्मा का प्रारंभ ना और ना अंत।

इसलिए आत्मा की अमरता है।
जिसका कोई नहीं होता है।
उसकी मृत्यु नहीं होती है।

ब्रह्मांड में प्रकाशित होने वाला,
ब्रह्मांड के बगीचे का अंग है मनुष्य।

सब कुछ उसके अंदर होने के बावजूद।
प्रकृति और समाज पर निर्भर होता है मनुष्य।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।
इसलिए वह समाज में रहता है।

अपने अस्तित्व के लिए,
वह समाज पर निर्भर है।
मनुष्य समाज से अलग हो जाता है,
तो उसका विनाश संभव है।

अपने बारे में केवल विचार करके,
मनुष्य खुशहाल नहीं जि सकता।
व्यक्ति समाज से अलग,
रह कर सुखी नहीं होता।

संत पुरुष समाज से अलग,
रह कर ईश्वर से लगन लगाते हैं।
ईश्वर और ऋषि जब साथ होते हैं,
तो वह आनंदा की अनुभूति होती हैं।

मनुष्य को समाज के,
अनुसार चलना पड़ता है।
व्यक्तिगत सोच समाज के,
अनुसार ही रखनी पड़ती है।

सभी व्यक्ति अपनी सोच के अनुसार,
के लोगों के साथ रहना चाहते हैं।
जबकि सब के विचारों में विविधता होती है।

आत्मा का अर्थ होता है अस्तित्व,
अस्तित्व तो कभी मरता नहीं है।
यह पंच तत्वों से निर्मित,
शरीर भी अपनी नहीं है।

आत्मा जब शरीर को छोड़ देती है,
तब शरीर पंचतत्व में ही मिल जाती है।
विद्वान पुरुष आत्मा और शरीर में अंतर जानते हैं।
आत्मा न जन्म लेती है और न हीं मरती है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – आत्मा का अर्थ होता है अस्तित्व, यह पंच तत्वों से निर्मित शरीर भी अपनी नहीं है। आत्मा के सभी गुणों का महत्व और रियलिटी को बताया हैं। मनुष्य क्या है और मनुष्य समाज में क्यों रहता है, इसे भी समझाया हैं।

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