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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

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लोकप्रिय कवि सुखमंगल सिंह की कविताएं

कृष्ण जन्माष्टमी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कृष्ण जन्माष्टमी। ♦

सौ जन्मों के पापों से छुटकारा मिलता है,
कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव सबसे उपयुक्त पर्व है।
हजारों एकादशी का व्रत करने से जो पुण्य मिलता है,
जन्माष्टमी पर्व पर व्रत करने से ही मनुष्य तर जाता है।

ब्रह्म वैवर्त पुराण आदि में भी चित्रण किया गया है,
भविष्य पुराण में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर वर्णन है।
पुत्र जन्म का समाचार सुन दयानंद से हृदय भरे आया,
ब्राह्मणों को दान दिया स्वस्तिवाचन जात कर्मों को कराया।

देवता की विधि पूर्वक पूजा – पाठ मंत्रोचार करवाया,
गौ और तिल के साथ पहाड़ सुनहरे वस्त्र भूषण दान दिया।
ब्रह्मण सूत माधव और बंदी जन आशीर्वाद देने लगे,
गाने लगे गायक, दुंदुभी और भेरियां भी बजने लगीं।

बृज के सभी हाल बागवानी और आंगनबाड़ी सजने लगी,
इत्र और जल का छिड़काव चारों तरफ किया जाने लगा।
रंग बिरंगी वस्त्र पुष्प और पल्लवों में वंदन द्वार सजाया गया,
गाय बैल और बछड़ों के अंगो में हल्दी तेल लेप किया गया।

गेरू से पीठ पर हाथ के पंजों से रंगीन संस्कृतिक निशान लगे,
मोर पंख और फूलों के हार से जानवरों को पहनाया गया।
ग्वाल वाल सब मिलकर हाथों में भेट लिए नंद बाबा के घर चले,
सुनकर यशोदा को पुत्र हुआ है गोपियों को भी आनंद मिला।

विशेष तरह से ही सुंदर वस्त्र आभूषण अंजन से श्रृंगार किया,
भेंट की सामग्री के संग गोपिकाएं मिलनें यशोदा जी के पास चलीं।
झल फल झल फल चलते समय कानों का सुंदर कुंडल डोल रहा,
गले पड़े हुमेल और मणियों के कुण्डल सुशोभित हो रहे थे।

जिस मार्ग में आगे बढ़ती थीं उसमें चोटियों के गुथे पुष्प बरसते,
हाथों की जड़ाऊ कंगन रुक रुक कर चमकने लगता।
नंद बाबा के घर जाकर सभी लोग नवजात को आशीर्वाद देतीं,
हल्दी मिला हुआ पानी छिड़क कर मंगल गान करती थीं।

जब नंद बाबा की ब्रृज में प्रकट हुए भगवान श्री कृष्णा
उस समय उनकी जन्म का महान उत्सव मनाया गया।
नंद बाबा के व्रज में रिद्धि -सिद्धियां अठखेलियां खेलने लगी,
लक्ष्मीनिया का क्रिडास्थल श्रीकृष्ण का निवास स्थान बन गया।

गोकुल के नन्द बाबा मथुरा चले कंस को वार्षिक कर चुकाने,
बात जान कर वसुदेव भाई नन्द जी से मिलने मथुरा चले गए।
आपस में दोनों लोग मिलकर प्रेम से विह्वल हो रहे थे,
वासुदेव नें नंद जी से कुशल मंगल पूछकर कहने लगे।

बड़े ही सौभाग्य की बात है कि तुम्हें संतान प्राप्त हुआ,
आनंद का विषय है कि आज हम लोग का मिलना हुआ।
सगे प्रेमियों का मिलना कामनाएं पूर्ण होना बड़ा दुर्लभ है,
सगे संबंधी और प्रेमियों का एक स्थान पर रहना संभव नहीं है नहीं।

यद्यपि सबको प्रिय लगता पर सबके प्रारब्ध अलग-अलग होते हैं,
मेरा लड़का अपनी मां रोहणी के साथ ब्रज में भाई रहता है!
जिसका पालन पोषण तुम और यशोदा ही करतीं हैं,
तुम्हीं को वह सम्मान के साथ माता – पिता मानता है।

धर्म अर्थ और काम मनुष्य के लिए स्वजनों को सुख देने वाला हो,
अपने स्वजनों को दुख देने वाला कार्य हितकारी नहीं होता है।
नंद जी और वसु देव ने सुख और दुख की बातें आपस में की,
वसुदेव ने नंद जी से मथुरा में अधिक दिन नहीं ठहरें कहीं।

हम दोनों मिल चुके गोकुल में बड़े – बड़े उत्पात हो रहे हैं,
तब गोपो के साथ नंद छकड़ों पे सवार होकर गोकुल की यात्रा की।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — इतिहास इस बात का साक्षी है, दुष्ट कभी सुधरते नहीं, दुष्टों का संहार करना ही पड़ता है दुनिया व समाज में शांति और खुशहाली के लिए, फिर चाहे युग (समय) कोई भी हो। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और पिता वासुदेव की ८वीं संतान थे। श्रीमद भागवत के वर्णन अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी थी। श्रीकृष्ण के आगमन से ब्रज भूमि तथा गोकुल में बचपन की अठखेलियों से गोकुलवासी अत्यंत खुश थे। क्या गोप क्या गोपिया, उनकी क्रीड़ाओं और लीला से अत्यंत हैरान व प्रसन्न थे। हैरान इसलिए क्योंकि इससे पहले अद्भुत लीला उन्होंने अपने जीवन काल में कभी नही देखीं थी, और खुश इसलिए क्योंकि श्रीकृष्ण की लीलाओं से सभी को आनंद आता था। माता यशोदा श्रीकृष्ण का लालन पालन कर अत्यंत ही हर्षित थी। नन्द व माता यशोदा श्रीकृष्ण के पालक माता-पिता थे। श्रीकृष्ण ने इंसान के जीवन में धर्म, अर्थ, कर्म व काम का क्या महत्व हैं इसे बहुत ही सरल रूप से समझाया है। इस कविता में कवि सुखमंगल सिंह जी ने श्रीकृष्ण के जीवन व उनके द्वारा की गई लीलाओं का बहुत ही मनोरम व सुन्दर वर्णन किया है।

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यह कविता (कृष्ण जन्माष्टमी।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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योग निद्रा कीं दुष्ट संहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ योग निद्रा कीं दुष्ट संहार। ♦

योग निद्रा का कर ध्यान,
मधु कैटभ किया संधान।
धरा पे जो कुटिल कामी,
चुनक मारती कल्यानी?

खल कामी खड्योत पर,
कर लो जी अनुसंधान।
चक्र सुदर्शन विष्णु का
बोल रे जय श्री राम।

दुष्टों से धरा खाली हो,
शिव शक्ति बहाली हो।
भारत मां की रखवाली,
शास्त्र समस्त संधान।

दुष्ट दमन श्री राम किये,
प्रेम ने बोला जय श्री राम।
बानर – भालू संग लिया,
रावण ऊपर प्रहार किया।

खर दूषण त्रिसरा मारा,
बाली मुक्तिधाम सिधारा।
सुग्रीव का साथ निभाया,
सेनापति जामवंत बनाया।

तीर समुद्र जब सेना आई,
तब समझ नहीं, आंख दिखाई।
समुद्री तंहा रघनाथ तप कीना,
अनसुनी, श्रीराम क्रोध दुना।

धनुष बाण का किया संधान,
समुद्र कांपते आया मान।
रघुनंदन आगे शीश झुकाया,
राम सेना लंका भिजवाया।

महामाया देवी मोह स्वरूपा,
जो दुष्टों की रहती है भूखा।
सिंह वाहिनी की है गर्जना,
विश्व में हलचल बढ़ तीखा।

समुद्र का पूछता जल युग,
धरा पर हलचल भय मुक्त।
महामाया ने दुष्ट को मारा,
दैत्य को जिसे नहीं सहारा।

असिलोमा नामक दैत्य सेना,
बिडाल! राक्षस दौड़ा आया।
सिन्हनाद ओर लक्ष्य कराया,
महिषासुर को मां दौड़ आई।

महिषासुर दौड़ा दौड़ा आया,
भगवती पर अस्त्र चलाया।
संग्राम में तैयार दैत्य की हार,
आसुरों पर परमेश्वरी संहार।

देवी शक्ति का खडग प्रहार,
महा दैत्यों का किया संहार।
संग्राम महोत्सव में बदल गया,
ढोल नगाड़ा ताशा बज रहा।

देवी दैत्यों की कमर तोड़ी,
कितनों की गर्दन मरोड़ डाली।
जगदंबा का करो मन से ध्यान,
संतुष्ट हो जाएगा सारा जहान।

देवी करती है सबका कल्याण,
देवताओं पर है उसका ध्यान।
कहता मंगल देवी सबसे महान,
जगत का मां करती कल्याण।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — इतिहास इस बात का साक्षी है, दुष्ट कभी सुधरते नहीं, दुष्टों का संहार करना ही पड़ता है दुनिया व समाज में शांति और खुशहाली के लिए, फिर चाहे युग (समय) कोई भी हो। अगर रावण सुधरने वाला होता तो प्रभु श्री राम उसका वध कभी भी नहीं करते, माना की रावण बुद्धिमान था लेकिन था तो दुष्ट, अपनी दुष्टता के कारण ही रावण मारा गया। अगर महिषासुर सुधर जाता तो माँ दुर्गा को उसका वध नहीं करना पड़ता। इसलिए युग चाहे कोई भी हो दुष्ट की एकमात्र सजा है, उसका वध, अगर दुष्ट का वध नहीं किया गया तो अपने देश, समाज और पूरी दुनिया के लिया नासूर बन जायेगा।

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यह कविता (योग निद्रा कीं दुष्ट संहार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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काफिया – रदीफ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ काफिया – रदीफ। ♦

जिसे रदीफ से पहले ही,
प्रयोग में लाया जाता।
जाने के लिए तैयार जो,
गजल के संदर्भ में शब्द,
इसको पाया जाता है।

शेर में समतुकात्मकता,
बदलता हुआ दिख जाता।
समझ लो काफिया में कि,
टोना होना महकना आता।

वहीं रदीफ के शब्दों में,
पिघलना जलना निकालना।
जैसे शब्द प्रयोग में,
लाए जाते रहते हैं।

काफिया रदीफ की जरूरत,
गाना शायरी तुकांत कविता।
ये प्रयोग के साथ में ही,
गजल में अपनायी जाती।

काफिया और रदीफ बिना,
गाना शायरी गजल आदि।
नहीं लिखी जा सकती है,
इसे हिंदी के विधाओं में,
भी प्रयोग की जाती है।

काफिया! उर्दू कविता के रूप में,
सदा जाना जाता है।
यह अंग्रेजी से अनुवादित,
एक सामग्री के रूप में है।

काफिया शब्द का गायन,
राडिया से पहले हो।
काफिया अरबी शब्द है,
उत्पत्ति! कफु धातु से मानी जाती।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — काफ़िया ग़ज़ल के किसी शेर की लाइन के तुकांत को कहते हैैं। मतलब किसी शेर के आखिर में अगर ‘आता है’ लिखा है तो उसके अगले लाइन में ‘जाता है’, ‘पाता है’, ‘लाता है’ जैसे शब्द ही इस्तेमाल होंगे जो पहली लाइन के आखिरी शब्दों से मेल खाते हो, इसे ही काफ़िया कहा जाता है। काफ़िया के तुक (अन्त्यानुप्रास) और उसके बाद आने वाले शब्द या शब्दों को रदीफ़ कहते है। काफ़िया बदलता है किन्तु रदीफ़ नहीं बदलती है। उसका रूप जस का तस रहता है। इस मतले में ‘सारे’ और ‘प्यारे’ काफ़िया है और ‘मुँह से निकाल डालो’ रदीफ़ है।

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यह कविता (काफिया – रदीफ।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज्ञानवापी परिसर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ज्ञानवापी परिसर। ♦

ज्ञानवापी परिसर सारे जहां जानता,
शिव जी ने पार्वती को ज्ञान दिया है।
धर्म संस्कृत की अनुपम प्रगति का,
शिव ब्रह्मज्ञान आशीष रूप दिया है।

अदालत के आदेश का पालन हुआ,
अधिवक्ता आयुष मिशन साथ दिया।
चप्पे -२ की वीडियोग्राफी कराई गई,
धार्मिक कलाकृति की फोटो ली गई।

स्थापत्य शैली की आकृतियां मिली,
अंकिता कृतियों की रिकॉर्डिंग हुई।
दस दिन पहले डाली मिट्टी भी मिली,
विद्युत की कमी से ही बैटरी लाई गई।

तह खाने में घोर अंधेरा छाया था,
जांच करता इसीलिए भन्नाया था।
12 मई को फिर सर्वे का आदेश हुआ,
14 और 15 मई को सर्वे किया गया।

6 मई को सर्वे की कारवाई शुरू हुई,
विरोध हंगामे के बीच सर्वे रोका गया।
नारा और फिर भी प्रदर्शन किया गया,
शासन की मुस्तैदी से घटना नहीं हुई।

जांच टीम में दोनों पक्ष के साथ रहे,
14 को 8 से 12:00 बजे तक जांच।
दूसरे दिन 2022 को जांच टीम गई,
दोनों पक्षों से जांच में सहयोग किया।

तह खाना इमेज से चुनी दीवाल थी,
श्रृंगार गौरी की मूर्ति को छुपा दी?
सफेद सिमेंट तहखाने में शामिल है,
यही दुस्साहसिक और मनमानी की?

व्यास जी के बंद कमरे का सर्वे आज,
15 मई 2022 को नहीं हो सका है।
ज्ञानवापी परिसर में एक सुरंग मिली,
गुफ़ा – आखिरी छोर अभी संदेह में है?

खाने में 15th सदी की मूर्ति मिली,
अभी एक तहखाना अंदर राज खुला।
तहखानो में बहुत सारा मलवा मिला,
आकृति के अंश होने का आशंका रहा?

सारा मलवा फर्श पर बिखरा मिला,
महमूद शाह, जहांगीर औरंगजेब का,
ज्ञान वापी तोड़ा हुआ उड़ा दिखा?
सर्वे आफ इंडिया इसकी पहचान करेगा।

मिला हुआ मलवा पूरा छाना जाएगा,
छानने के बाद सत्य सामने आएगा।
सर्वे में कुछ पेपर तथ्य सामने आया,
सर्वे टीम उसे जाँच वास्ते में बंद कर वाया।

तहखाने में पेंटिंग कुछ कराई गई है,
किस सदी का है नहीं बताई गई है।
आगे जांच उस पर कराया जाएगा,
कोर्ट के माध्यम से सामने आएगा।

बरामदे और खंभों के भी फोटो लिया,
क्या उस फर्स में कुछ परिवर्तन हुआ?
प्राचीन मूर्तियों को दबा दिया गया,
कलाकृतियां कुछ लोगों से कह रही?

ज्ञान के परिसर में मिले अवशेषों से,
जांच करने से उसका पता चलेगा।
ग्वालियर की रानी का बनवाया मंडप,
में एक सुरंग का भी पता चलता है।

इस सुरंग का रास्ता कहां जाता है,
सुरंग बनाई रामनगर में क्या मिलती?
राजघाट से पुरातत्व में जा खुलती?
वा सुरंग और कहीं भी यह जाती है।

500 मीटर के दायरे में दुकान बंद,
पैदल चलने वालों पर भी निगाह जी।
सर्वे टीम ने पूरा टाइम काम किया है,
तहखाने दो कमरों के ताला खुला मिला।

तीसरे कमरे के दरवाजे का ताला तोड़ा,
और चौथे कमरे में फाटक नहीं था।
अंदर की चुनी गई दीवार के पीछे क्या,
उसे तोड़ने का न्यायालय आदेश नहीं।

तालाब गुंबद की भी रिकॉर्डिंग हुई,
60 – 65 % सर्वे का काम पूरा हुआ।
अधिवक्ता आयुक्त और टीम साथ थी,
काशी वासियों ने शांति सौहार्द मिली।

फर्श के नीचे गर जांच किया जाता,
बहुत सारा तथ्य निकल सामने आता!
न्यायालय न्याय प्रिय व्यवहार करता है,
सच को सच सदा कहा जाता रहता है।

•—• ♥ •—•

हिंदू पक्ष का दावा मिल रहे साक्ष ज्ञानवापी में,
मुस्लिम पक्ष वहीं कहे नहीं मिले साक्ष वहां पर।
गहमागहमी वही हुई थी जहां जांच चली थी,
जांच टीम वजू स्थल तहखाने का सर्वे कराए॥

जिले जिलों से दौड़ते दौड़ते नमाजी वहां पर आए,
जो कभी नहीं पढ़ता नमाज यहां वह भी यहां आया।
शासन की चाक चौबंद व्यवस्था रहने से,
आतताई भी वहां आकर बस केवल घबराया॥

परिषद के वजू खाने में बाबा का शिवलिंग दिखाया,
शिवलिंग को देखकर अधिवक्ता जैन अदालत पहुंचे।
न्यायाधीश ने उनके निवेदन पर वजू खाने की,
जगह को सील करने का आदेश फिर दिया॥

जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा जी ने,
सुरक्षा हेतु सीआरपीएफ कमांडेंट से बात किया।
मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे से इंकार किया,
आपसी सामंजस्य बनाने के लिए सभी से बात किया॥

परिसर में शिवलिंग का होना मंदिर का सबूत मिला,
जांच टीम के सामने परिसर में अन्य अवशेष मिला।
मिला हुआ शिवलिंग 12 फीट लंबा, 8 फीट चौड़ा था,
ज्ञानवापी कूप खुदाई में और नीचे शिवलिंग कहा गया॥

16 मई 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई,
वादी पक्ष ने कहा ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग मिला।
उसके साथ-साथ अनेक मंदिर की चीजें भी सामने आई।
एक घंटे तक न्यायालय में तथ्य पेश किया गया,
अगली सुनवाई 20 मई को निर्धारित की गई॥

मौजा शहर खास परगना देहात अमानत बनारस की,
गाटा संख्या 9130 1 बीघा 9 विश्वा छ: धूर में!
मुस्लिम पक्ष के नमाज पढ़ने का विपक्षी अनुरोध किया,
कोर्ट में दावा साबित नहीं कर पाने पर खारिज हुआ॥

ऑल इंडिया अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के संस्थापक,
कांग्रेस नेता मोहम्मद शोएब ने अपने वक्तव्य में कहा-
ज्ञानवापी परिसर में मूर्तियां हैं तो हिंदू को दे देना होगा,
आक्रांता मुसलमान जिन मंदिरों को तोड़ा हिंदू को देना होगा॥

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग क्षेत्र को,
संरक्षित करने को अपना निर्देश दिया।
जांच की कार्रवाई रोकने की मांग को खारिज किया,
पीठ वजू खाने के इस्तेमाल की इजाजत से भी इनकार किया॥

सुप्रीम न्यायालय ने सिविल जज से जिला जज के पास,
वाराणसी ज्ञानवापी क्षेत्र का पूरा मामला ट्रांसफर किया।
शीर्ष कोर्ट ने यूपी सरकार वा० डीएम पुलिस कमिश्नर,
काशी – विश्वनाथ मंदिर बोर्ड ट्रस्ट आदि को भी नोटिस जारी किया॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती है। लिखित प्रमाण है, नग्गी आँखों से साफ़ साफ़ दीखता है की ज्ञानवापी परिसर, प्राचीन विशाल विश्वेस्वर शिव मंदिर है। जिसमे शिवलिंग के साथ-साथ माता गौरी और गणेश व अन्य देवी देवताओं का मूर्ति स्थापित है। पुरे मंदिर परिसर के सभी दीवारों पर, तहखाने में, पिलरों पर प्रमाण है, जिसके साथ छेड़खानी की गई है, एक दुष्ट कौम द्वारा। हम सनातनी धैर्य के साथ प्रेम पूर्वक मात्र अपने आराध्य महादेव का पूर्ण ज्ञानवापी परिसर वापस चाहते हैं। हमे पूर्ण विश्वास है सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर हमे जल्द ही मिलेगा। हर हर महादेव!

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यह कविता (ज्ञानवापी परिसर।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कविता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कविता। ♦

सृजन करताओंं में कविता,
मार्गदर्शक बनकर आती।
नवीन द्वार खोल कर वह,
मुखोटा हटाके लहराती।

साहित्य में नव अभिव्यक्ति,
चिंतन शीलता की शक्ति।
गतिशील चलती कविता,
सत्ता से बढ़कर कविता?

कविता भी एक औजार,
समाज पर केन्द्रित विचार!
जीवन में खुशियां निखार,
प्रकृति छवि के बीच विचार।

तानाशाह पर है तलवार,
युग चेतना का संवाहक!
रूढ़ सिद्धांतो पर प्रहार,
करती है सच का प्रचार।

कविता को पोस्टर ना मानो,
जो दीवारों पर टांगे जाए!
खुद के स्वार्थ के वास्ते ही
जहां तहां लिख चिपका दें।

नवीन साहित्य सृजन करती,
अनियंत्रित – नियंत्रण करती।
संस्कृति उत्थान का आधार,
मानवता की रक्षक प्रचार।

सूर्य की किरणों सा अहसास,
रसानुभूती की लिए प्रबलता!
प्रेम की भाषा का शब्द उद्धार,
नवीन मुकाम का करती चुनाव।

इसमें भावना कल्पना के महत्व,
सरलता की होती है प्रधानता।
अनुभूतियां का सृजन मिश्रण,
सच्चाई से स्वागत चिंतन चित्रण।

यथार्थ को प्रकट करती कविता,
चिंता से ऊपर उठकर यह आती।
बौद्धिकता जीवन में सुख भरती,
निरंतर कविता आगे बढ़ती रहती।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।

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यह कविता (कविता।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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नारी है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नारी है। ♦

पुरुष की बराबरी में सीमा पर जाती,
फिर भी दहेज की बलि चढ़ जाती।
कड़वा सत्य है समाज में नहीं आती,
नारी पुरुष से कम क्यों दिखाई जाती?

भिन्न – भिन्न रंगों के गाने गाते जाती,
बुरी नजर वालों को राख में मिलाती।
वक्त पर फूल और कांटा बन जाती है,
लक्ष्मी दुर्गा और काली कहलाती है।

बहन स्वरुप में स्नेह प्यार लुटाती है,
माता के रूप में ममता दिखाती है।
शोभित आभूषण युक्त होकर शिवाली,
युद्ध क्षेत्र में महाकाल पीर घरवाली।

प्रीति करने में सक्षम वहराधा रानी,
गृहस्थ करने में भी एक खानदानी है।
सम्मान की रक्षा के लिए वह काली,
दुश्मनों के लिए विकराल रूप वाली।

औरत है समस्याएं आती – जाती हैं,
सहती है, भावनाओं में नहीं बहती!
टूटती और बिखरती सहती जाती है,
कड़वी सच्ची, सच्चाई स्वीकारती है।

देवी का दर्जा मिला, उसने मांगा नहीं,
कितनी सशक्त है वह, यह जाना नहीं।
हर जीत में उसका जलवा, माना नहीं,
महान बल पर खास जिद, ठाना नहीं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है ये नारी तू नारायणी, जननी तू, माँ के रूप में प्यार ममता, स्नेह, लालन-पालन, जीवन के अंतिम पल तक दिखाती है। बहन स्वरुप में स्नेह प्यार सदैव लुटाती है। बुरी नजर वालों को राख में मिलाती तू, वक्त पर फूल और कांटा बन जाती है, लक्ष्मी, दुर्गा और काली कहलाती है। सदैव ही पुरुष की बराबरी में सीमा पर जाती, फिर भी दहेज की बलि क्यों चढ़ जाती। ये नारी है समस्याएं आती – जाती हैं, सहती है, भावनाओं में नहीं बहती! टूटती और बिखरती सहती जाती है, कड़वी सच्ची, सच्चाई स्वीकारती है। देवी का दर्जा मिला उसे, उसने कभी मांगा नहीं, कितनी सशक्त है वह, यह जाना नहीं। हर जीत में उसका जलवा, माना नहीं, महान बल पर खास जिद, ठाना नहीं कभी। नारी तू नारायणी।

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जल ही जीवन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जल ही जीवन है। ♦

निर्मल जल बहता पड़ोस में,
अपनी कैसे प्यास बुझाएं।
ललई के नल की टोटी से,
कितना फैला दुर्गंध बताएं॥

व्याकुल मन पानी को तरसे,
बारिश देख मन मोर हरषे।
पर्वत – घाटी वा जंगल में,
तन मन व्याकुल हो तरसे॥

रात रात भर जागा फिर भी,
जाति पांति का जल गिरता।
मानव श्रृंखला बना सजती,
जल संरक्षण किनारे लगती॥

इच्छाएं सपने बुनती रहती,
जीवन है कहती रहती।
जल दान में उज्ज्वल भविष्य,
फोटो गैलरी से होते प्रसिद्ध॥

जगह जगह जलके संयंत्र,
कुछ बोले बड़ा खडयंत्र।
सरकारी जल जीवन मिशन,
लाए जनता में अमन चैन॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — हे मानव अब भी समय है संभल जा तू और पानी की बर्बादी को बंद कर दे। वरना बिन पानी सब सुन हो जायेगा, तेरा जीना दूभर हो जायेगा इस धरा पर। पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलने लगता है, जबकि 0 डिग्री सेल्सियस पर बर्फ के रूप में जम जाता है। धरती की सतह पर तकरीबन 326 मिलियन क्यूबिक मील की दूरी तक पानी फैला हुआ है। पृथ्वी पर मौजूद पानी का एक प्रतिशत से भी कम पीने योग्य है, बाकी समुद्र के खारे पानी और बर्फ के रूप में जमा हुआ है।

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