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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poet sukhmangal singh

शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शास्त्र सम्मत गुरु महिमा। ♦

श्री सद्गुरु देवं, परमानंद, अमर भक्ति अविनाशी।
निर्गुण निर्मूल, स्थूल जगत, काटत शूल भाव भारी॥

हिंदू धर्म एक जगत रहस्यों से परिपूर्ण धर्म है। इस धर्म नें सभी परंपराएं, रीति- रिवाज, सिद्धांत, दर्शन और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य को अपने आप में समाहित है। हजारों हजार बरसो की परंपराओं में वैदिक, वैष्णव, शैव, शक्ति, नाथ, संत, स्मार्त, आदि अनेक संप्रदाय के मठ – मंदिर, सिद्धपीठ, ज्योतिर्लिंग और गुफाएं हैं। यह सभी स्थान पुनीत हैं। इन्ही पुनीत स्थानों में ध्यान, तप, भक्ति और क्रिया योग को मत दिया जाता है।

‘विश्वं तद् भद्रं यदवंति देवा:’ (१८.३.२४ अथर्व वेद)
अर्थात देवता जो करते हैं वह हमारे लिए शुभ है।

‘अजं जीवता ब्रहणे देयमाहु:!’ (९.५.७ वही)
जीवित मनुष्य को अपनी आत्मा विश्वास ईश्वरार्पण करनी चाहिए।

‘यदा मागन‌ प्रथमजा ऋतुष्य।’ (९.१०.१५ अथर्ववेद)
सत्य का प्रथम प्रवर्तक परमात्मा भक्त को प्राप्त होता है।

भारत आध्यात्म की राजधानी प्राचीन काल से जी है।
चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम इस प्रकार दिए गए हैं।

चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम

अमरनाथ का शिवलिंग, अमरनाथ में बाबा की अमर कथा, बाबा अमरनाथ की कहानी, माता ज्वाला देवी, मध्य प्रदेश का काल भैरव, पुरी का चमत्कार मंदिर, मध्य प्रदेश में मैहर माता का मंदिर, केदारनाथ मंदिर, रामेश्वर का मंदिर, श्री राम सेतु के पत्थर, तटोत माता का मंदिर जहां बम का प्रभाव अक्षम हो गया आदि।

गुरु शब्द का अर्थ – गुरु शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर गु का अर्थ है अंधकार। और दूसरे अक्षर रु का अर्थ है उसे हटाने वाला अर्थात प्रकाश। इस प्रकार जो अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर प्रेरित करें वह गुरु कहा जाता है। गुरु सच्चा मार्ग दिखाता है। यथार्थ गीता में श्री सद्गुरु देव भगवान की वंदना करते हुए कहा गया है कि —

भवसागर तारण कारण हे, रविनंदन बंधन खंडन से।
शरणागत किंकर मित मने, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

—•—

जय सद्गुरु ईश्वर पापक से, भव रोग विकार विनाशक हे।
मन लीन रहे तव श्रीचरणे, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

ईश्वर सभी भूत प्राणियों के हृदय में रहता है। वह अनन्य भक्ति के द्वारा प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सुलभ है। जो महापुरुष परम तत्व को प्राप्त कर लेता है वह स्वयं में ही धर्म ग्रंथ है। भारत में जितने शास्त्र पुराण हैं उनके कुछ नियम बताएं गए हैं। हम सभी का धर्म है कि उन नियमों को पालन करें। गुरु का कार्य है आध्यात्मिक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं का निराकरण करना और कराना।

विदुर कहता है कि —

राजन! ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से ऊपर स्थान पाते हैं। शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला और निर्धन होने पर भी दान देने वाला। आगे कहता है कि जो बहुत धन विद्या तथा ऐश्वर्य को पाकर इठलाता नहीं, वह पंडित कहलाता है। (पृष्ठ ६,२० विदुर नीति)

गुरु ब्रहमा गुरु विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात परम‌् ब्रह्म तस्मै गुरवे नमः॥

ऐसी श्लोक में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा पदवी दी गई। जबकि गुरु ईश्वर के विभिन्न रुपों जैसे – ब्रह्मा, विष्णु, एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार्य है।

यही बनाने वाले हैं, यही पालन करता है, और यही संहार भी करते हैं।

जबकि लोक प्रचलन में है कि —

राम कृष्ण सबसे बड़ा
उनहूं तो गुरु कींन्ह।
तीन लोक के वे धनीं
गुरु आज्ञा अधीन॥

गुरु गुढ तत्व जानता है। सभी शास्त्र गुरु तत्व की प्रशंसा करते हैं। संपूर्ण जगत में गुरु के गुणों की व्याख्या विद्यमान है।

संत कबीर लिखते हैं कि —

हरि रुठे गुरु ठौर है,
गुरु रुठे नहीं ठौर।

कहने का तात्पर्य है कि एक बार गुरु रुठ जाए तो कहीं जगह नहीं मिल सकती है। परंतु ईश्वर के रुठ जाने पर सद्गुरु रास्ता बना देता है और धर्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

‘सज्जन अंगीकृत कियो,
ताकों जेहिं निबाहि।
राखि कलंकी कुटिल ससि,
त उ सिव तजत न ताहि॥
(पृष्ठ १७, सुबोध दोहे 47कवि वृंद)

सज्जन पुरुष जिसे अपना लेता है, उसे वह सदा निभाता है।
चंद्रमा को शिव जी कभी त्यागते नहीं, यद्यपि वह कलंकित हैं।

गुरु का कर्तव्य है कि वह अपने भक्तों को सभी शिक्षा में पारंगत करें। यद्यपि गुरु ज्ञान को विकसित करता है। वह धर्म शास्त्रों के अनुसार अस्त्र शास्त्र विद्या में पारंगत करता है। योग साधना और यज्ञ से वातावरण को शुद्ध करने का उपाय करता है।

‘अयं यज्ञो गातुविद् नाथविद् प्रजावित‌्’
(अथर्व वेद ११.१.१५ )
यह यज्ञ मार्गदर्शक, शरणदाता और सुसन्तति दाता है।
यह यज्ञ सारे संसार का केंद्र है तथा –
‘अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभि:’!
और आचार्य स्वयं संगम से रहकर शिष्यों को चाहता है।
यथा – आचार्यों ब्रम्हचर्येण ब्रह्मचारिण मिच्छते। (वेदा अमत पृष्ठ 324)
संगृह‌्याभि भूत आ भर। (वही 325)
तेजस्वी शिक्षक ज्ञान संग्रह करके शिशु में भर देता है।

प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था।

एक रचना प्रस्तुत है —

ध्वज आरोहण कर रहा,
वाणी में अमृत भर रहा।
ढाढस देता शिशिर सिंधु,
कण कण सिंचित ईश इंदु।
देवर्षि आकर स्वर दिया,
वेदोक्त में ऐसा लिखा।
क्षण विलंब अनर्थ न हो,
पूर्णिमा यह व्यर्थ ना हो।

जिस प्रकार विश्व विष्णु से व्याप्त है। वैसे ही सर्व शास्त्र पुराण आदि 10 अक्षरों से व्याप्त है। यथा —

मन भय जर संत गल,
सहित दश अक्षर इन्हीं सोहिं।
सर्व शास्त्र व्यापित लखौं,
देश्व विष्णु से ज्योंहि॥
(काव्य प्रभाकर, जगन्नाथ प्रसाद जगन्नाथ प्रसाद भानु कवि पृष्ठ 14)

शास्त्रों में माता-पिता गुरु आचार्य और अतिथि, इसको देव तुल्य माना गया है। उपनिषदों में कहा गया है कि—

मातृ देवोभाव:
पितृ देवो भव:
आचार्य देवो भव:
अतिथि देवो भव:

यानी माता पिता तथा गुरु और आचार्य इस संसार में प्रत्यक्ष चार देव रूप हैं। इनका स्थान क्रमानुसार बताया गया है।

कथन में कदाचित आता है कि शास्त्र अध्ययन में नारी को वंचित किया गया है तो यहां वाल्मीकि आश्रम में लव कुश के साथ आत्रेयी नामक स्त्री ने भी शिक्षा ग्रहण की तो कैसे कहा जा सकता है कि स्त्रियों को शास्त्र पढ़ने से वंचित किया गया था।

पुराणों में स्त्रियों के बारे में कहा गया — पुराणों में सुजाता, प्रमद्वरा, रहु, कद्योत, आदि की कथाएं भी वर्णित हैं।

कहा गया है कि आश्रमों में बालक और बालिका एक साथ पढ़ते थे। उनका विवाह उचित समय पर होता था। गुरुकुल में शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी, साथ ही साथ वेदों का भी अध्ययन कराया जाता था।

सद्गुरु की खोज में कवि अखा — अहमदाबाद के जेतलपुर गांव का विक्रम संवत 1604 या 1653 में पैदा हुए इनके बारे में लिखा गया है। ‘ज्ञाति से सुनार, कुल धर्म से वैष्णव, विद्या व्यासंग से वेदांती, और नयसर्गिक रसिका के कवि था।’ ( पृ० ४, अखा की हिंदी कविता)

सद्गुरु की खोज में जमीन जागीर बेचकर एक कमरा सुरक्षित छोड़कर सतगुरु की खोज में निकल पड़ा। (वही पृष्ठ 5)

अखा पर एक रचना प्रस्तुत करता हूं —

पर्याप्त द्रव्य लेकर, आस पास खोजा।
मन नहीं माना, दूर यात्रा धामों में चला।
साधुओं की जमात की, तीर्थों में घूम रहा।
भजन कीर्तन करता, मन भजन में रमाते।

घुमा गोकुल, गोकुलनाथ शरण पहुंचा।
संप्रदाय में करूं साधना, सिद्धि की आस लिए वेदना।
श्री गोकुलनाथजी वैष्णवी दीक्षा, ब्रह्म संबंध की मिली भिक्षा।
भांति – भांति परिचित हुआ, मिली भक्ति में मस्ती।

तत्व ज्ञान की जिज्ञासा, शांति की मन में लिए आशा।
शांति फिर भी नहीं मिली, काशी जाने की उपजी जिज्ञासा।
मणिकर्णिका घाट पर पहुंचा, छोटे आश्रम में क्षमता देखा।
संत देव देख मन में जिज्ञासा, यही ब्रह्म ज्ञानी मीटावेंगे निराशा।

मधुर वाणी का रसपान हुआ, झंकृत वाणी गुण गान किया।
दीवार की ओट में रात्रि बिताया, यही मेरे गुरु हैं कहकर आया।
मानसी दीक्षा लिया और चला, ब्रह्मानंद को जपता रहा।
निज गुरु फिर मान लिया, ब्रह्मानंद सरस्वती से ज्ञान लिया।

स्पष्ट नाम निर्देशित नहीं किया, गुरु के कृपा ने जीवन जिया।
(स्वरचित रचना साभार पृष्ठ 5 से 10 तक अखा की हिंदी कविता)

——♦——

गुरु रूप गोस्वामी तुलसीदास ग्रंथावली में वर्णित कुछ पंक्तियां —

भवानी शंकरौ वंदे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।

—♥—

वंदे बोधगम्यं नित्यं गुरुं शंकर रुपिणं।

—♥—

वंदे विशुद्ध विज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ।

—♥—

वंदेहं तमशेषकारण, परं रामाख्यमीशं हरि।

——♦——

भक्तवर सूरदास के सुबोध पद से वंदना प्रस्तुत है —

चरण कमल बंदौं हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै,
आंध र कों सब कुछ दरसाई।
बहिरो सुनै मूक पुनि बोलैं,
रंक चले सिर छत्र धराई।

सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बंदौं तेहि पाई।।

गुरु ज्ञान को देने वाला है गुरु सम्मान को दिलाने वाला है गुरु महान है। गुरु ज्ञाता होता है। गुरु सर्वदाता होता है। गुरु देवताओं से साक्षात्कार कराता है। गुरु समाज में उन्नति दिलाता है। गुरु उन्नति के मार्ग पर ले जाता है। इसलिए मनुष्य जाति को सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए। सद्गुरु सर्व ज्ञाता होता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था। इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह लेख (शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: kavi sukhmangal singh, poet sukhmangal singh, sukhmangal singh article, अमृतमयी जीवन देता गुरु, गुरु का वंदन, गुरु पूर्णिमा – इतिहास और महत्व, गुरु पूर्णिमा का क्या अर्थ है?, गुरु पूर्णिमा की शुरुआत किसने की थी?, गुरु पूर्णिमा स्टेटस इन हिंदी, शास्त्र सम्मत गुरु महिमा, सुख मंगल सिंह

भीमराव अंबेडकर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भीमराव अंबेडकर। ♦

गूंज उठा आर्यव्रत का जन जन,
उनके पद चिन्हों पर बढा कदम।
अंबेडकर का हम करें स्मरण,
बाबा भीमराव जी को करें नमन।

जिसने किया रांची में था अनशन,
मराठों जैसे लगने वाले थे एकदम।
भाव भरा था हिंदू का उनके तन मन,
हम हिंदुस्तानी हैं करें उन्हें नमन।

रमा और सविता ने निभाया साथ,
अंबेडकर ने किया दो था व्याह।
75 बरसो में हम सब पढ़ लिए पाठ,
छुआछूत पर हुआ कुठाराघात।

दारू वाला क्यों नहीं पीता उनकी बात,
जिससे होने वाला देश का उद्धार।
एक पीढी तक ही चाहते थे आरक्षण,
दूसरी बार सभी हो जाएंगे सवर्ण?

वेद उपनिषद हिंदुत्व का हिस्सा माना,
मनुस्मृति में उलझ कर बौद्ध के बाना।
प्रजातंत्र में बौद्ध की ले ली सौगात,
भीमराव का साथ दिए साहू महाराज।

उच्च शिक्षा ग्रहण करने साहू भेजे,
महाराज कोल्हापुर के से सम्राट।
गरीबों को ऊपर उठाना सरकारी काम,
मोदी और योगी ने दिया अन्न दान।

कांग्रेसी, गांधी दियो अछूत को हरिजन नाम,
विरोध में उतरे भीमराव अंबेडकर नंगे पांव।
कांग्रेस उन्हें रक्षा कमेटी में सलाहकार बनाया,
फिर भी अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया।

सुदेश कानून व्यवस्था के बनाए गए प्रथम मंत्री,
कानून का पालन कराने के लिए उतरे मानों संत्री।
कानून बनाने के उद्देश्य पर राजेंद्र बाबू का साथ,
भीमराव अंबेडकर ने भी अपने स्तर से किया प्रयास।

हम सभी हिंदुस्तानी हैं करें उन्हें हमेशा याद,
गूंज उठा है आर्यावर्त में कानून का राज।
मध्य प्रदेश की धरती पर कीचड़ से खिला गुलाब,
पूरा देश बाबा अंबेडकर को कह रहा सावास।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए साहू जी महाराज कोल्हापुर के सम्राट ने विदेश भेजे। गरीबों को ऊपर उठाना सरकारी काम, मोदी और योगी ने दिया अन्न दान। सत्ता के लोभ में नेताओं ने जात पात की रूढ़ भावना को अभी तक खींचते आ रहे है। जिस कारण अमीर और अमीर व गरीब और गरीब होता चला जा रहा हैं। इस जातिगत आरक्षण के कारण एकता और भाईचारा ख़त्म हो गया हैं। संविधान में तो इस भेद भाव को मिटाने की बात की गई है। जबकि संविधान में आरक्षण का प्रावधान मात्र 10 साल तक प्रभावी रखने के निर्देश संविधान निर्माताओं ने दिए थे। लेखक का मानना है कि संसार में मात्र दो ही जातियां हैं, एक स्त्री और दूसरी पुरुष। जो प्रकृति ने सृष्टि संचालन के उद्देश्य से अपना सहयोग करने के लिए बनाई है। बाकी सब मानव मस्तिष्क की खुराफत है।

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यह कविता (भीमराव अंबेडकर।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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पृथ्वी को बुखार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पृथ्वी को बुखार। ♦

पृथ्वी को बुखार आ रहा है,
समुद्र में ज्वार भाटा खा रहा।
जल स्तर नौ इंच बढ़ गया है,
तेज धूप आसमान तप रहा।

चंदा मामा की शीतल छीना,
कल कारखाने से धुआं उठा।
जीव जंतु पर पड़ रहा प्रभाव,
ग्लोबल वार्मिंग के ही आसार।

दुनिया का मौसम बिगड़ रहा है,
अंटार्कटिका में बर्फ पिघल रहा।
पूर्व- उत्तर भारत में बढा तापमान,
पृथ्वी को कर रहा है हलकान।

युद्ध थोपने का हो रहा एलान,
महाबली की कोशिश फरमान।
दुनियां का परमाणु पर विचार,
जीव जंतु का भी होगा संघार।

अर्थ लाभ पर केवल विचार,
संपन्न देशों का हो रहा प्रहार।
मानवता का हो रहा है संहार,
डग खोजते शरणार्थी लाचार।

क्रमश: ताप में वृद्धि हो रही,
हिम ग्लेशियर पिघल रहा है।
तापमान तेजी से चढ़ रहा है,
दुनिया आगे क्यों नहीं बढ़ा।

कारण! का पहचान करना होगा,
समस्या का निदान करना होगा।
बन कटाई से रोक लगाना होगा,
पर्वत का संरक्षण करना होगा।

हानिकारक गैस पर करें नियंत्रण,
पौधों का भी रोपड़ करना होगा।
मिलकर संयुक्त प्रयास करने होंगे,
ग्लोबल वार्मिंग से हम तभी बचेंगे।

प्रदूषण फैलाने वाले साधन पर,
करना पड़ेगा पूर्ण रूप से कार्य।
तभी सफल होगा भरा प्रयास,
ग्लोबल वार्मिंग बहुत खतरनाक।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिक में बर्फ बहुत तेजी से पिघल रही है और वहां फिर इतनी बर्फ नहीं जम पाएगी। इस प्रक्रिया की गति को धीमा करने के लिए वातावरण से कार्बन निकालने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। ऑस्ट्रेलिया की एक जलवायु वैज्ञानिक और न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो जोई थॉमस ने कहा, “हम पश्चिमी अंटार्कटिक में जो बर्फ की चादर देख रहे हैं कि उसके पिघलने की शुरुआत हो चुकी है। एक बार हम एक विशेष सीमा रेखा तक पहुंच गए तो फिर हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद इसे पिघलने से नहीं रोका जा सकता।” अगर अब भी मानव जाति नहीं सुधरी तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कम से कम अब तो समझों पेड़ लगाना और उसकी देखभाल करना जरूरी हैं, नहीं तो इस पृथ्वी पर कोई भी जीव नहीं बचेगा। आओ हम सब मिलकर एक संकल्प ले की प्रत्येक वर्ष एक पेड़ जरूर लगाएंगे, और उसका अच्छे से देखभाल भी करेंगे।

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यह कविता (पृथ्वी को बुखार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poet sukhmangal singh, अंटार्कटिका के ग्लेशियरों से तेजी से पिघल रही है बर्फ क्यों ?, अंटार्कटिका में बर्फ पिघल रहा, कवि सुखमंगल सिंह की कवितायें, ग्लोबल वार्मिंग का खतरा, पृथ्वी को बुखार, सुखमंगल सिंह, सुखमंगल सिंह की कविताएं

योगी आदित्यनाथ की सरकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ योगी आदित्यनाथ की सरकार। ♦

“योगी आदित्यनाथ जी की 2022 की सरकार”
योगी जी ने अधिकारियों को अपना पैगाम सुनाया।
उत्तर प्रदेश में सुशासन कायम रखने पर ध्यान लगाया।
केंद्र सरकार के प्राप्त पत्र का उत्तर जल्द देना होगा,
अधिकारी को ज्ञापन पर तय सीमा में निर्णय लेना होगा॥

दुबारा संन 2022 में मुखिया प्रदेश का जनता ने बनाया,
15 करोड़ जरुरतमंद ने आगे राशन वितरण में पाया।
गरीब कल्याण अन्न योजना केंद्र ने सितम्बर तक बढ़ाया।
मोदी सरकार 80 करोड़ गरीबों में अन्न दान कराने वाले हैं,
मार्च 2022 के बाद भी इसी योजना को बढ़ाने वाले हैं॥

पिछड़ा प्रदेश सब, उत्तर प्रदेश अब भी नहीं कहा जाएगा,
योगी के शासन काल में भ्रष्टाचारी – गुंडा थर्रा जाएगा।
उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का योगी ने संकल्प लिया,
काशी मथुरा विंध्य और अयोध्या धाम का लोकार्पण किया॥

अयोध्या धाम को योगी ने इंद्रलोक की तरह जगमगाया,
तीर्थराज प्रयाग कुम्भ पर्व दुनियां में महान बनवाया।
आदिशक्ति भगवती दुर्गा के दरबार में शीश झुकाया है,
गोरखपुर के गोरखनाथ पीठ का साधु विंध्य दरबार में आया॥

योगी आदित्यनाथ जी का यह विजय का पथ प्रदर्शित करता,
चित्रकूट के रामपथ का स्वागत आभार प्रकट करने वाला चलता।
सुशासन दुबारा लाने में बुलडोजर के साथ समझाएगा,
उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में मोदी मिशन चलाएगा॥

गांव गांव कोने-कोने में विधायक अब से भेजे जाएंगे,
भ्रष्टाचार पर प्रहार – कानून व्यवस्था में सुधार करेंगे।
केंद्र – प्रदेश की मंगलकारी योजना धरातल पर उतारेंगे,
आगे और सुधार करने की योजना पर विचार विमर्श करेंगे॥

विभाग ने रिक्त पद को भरने का नया एलान किया,
मुख्यमंत्री ने भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया।
किसान को हो रहे नुकसान से बचाने के कदम उठाएंगे,
गन्ना किसानों को 14 दिन में मूल्य का भुगतान कराएंगे॥

किसान मंडी को और सुलभ बनाने का कदम उठाएंगे,
किसान के अन्न का उचित मूल्य मिले योजनाएं लाएंगे।
सुविधा शुल्क लेने वाले लोगों पर अंकुश लगाएंगे?
ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार करने से अंकुश लगाएंगे॥

एम एस ए ई उत्पाद पर और अधिक प्रचार कर आएंगे,
उत्पादन का समुचित मूल्य दिलाने की योजना बनाएंगे।
स्टार्ट टप मैं बैंकों की अड़ंगेबाजी से लोगों को बचाएंगे,
वरुणा और गोमती कारीडोर के ऊपर ध्यान लाएंगे?

प्रोफ़ार्मिंग से ऊपर परिणाम लोकप्रिय और बनाएंगे,
छोटे – छोटे उद्योगों की खड़ी समस्या को सुलझाएंगे।
प्रीपेड बिजली के मीटर पर आगे भी काम चलाएंगे,
बिजली चोरी रोकने के प्रदेश में कठोर कदम उठाएंगे॥

राष्ट्रीय शिक्षा नीति उत्तर प्रदेश में भी अपनाएंगे,
गुरुकुल की पढ़ाई पर जनता का ध्यान आकर्षित करेंगे।
विद्यालयों गीता का पाठ पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे?
प्रदेश की जनता में राष्ट्र प्रेम के लिए जागरुक करेंगे॥

अधूरा पड़ा कार्य प्रगति पर लाने का प्रयास करेंगे,
मेडिकल के क्षेत्र पर उत्तर प्रदेश में फोकस करेंगे।
स्वास्थ बीमा के कल्याणकारी मुहिम आगे भी चलेंगे,
जनता जनार्दन को लाभ पहुंचाने के कठिन प्रयास करेंगे॥

उत्तर प्रदेश में स्थिति अवैध अतिक्रमण ढाए जाएंगे,
नाला नाली और तालाब मुक्त करवाए जाएंगे।
सड़कों की किनारे बने अवैध निर्माण गिराए जाएंगे,
नदी और तालाब को साफ-सुथरा बनाये जाएंगे॥

उत्तर प्रदेश में स्थित अवैध अतिक्रमण ढाए जाएंगे,
नाला नाली और तालाब मुक्त करवाए जाएंगे।
सड़कों की किनारे बने अवैध निर्माण गिराए जाएंगे,
नदी और तालाब को साफ-सुथरा बनाये जाएंगे॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — फिर से उत्तर प्रदेश की जनता ने अपने प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कार्यों और उत्तर प्रदेश के पूर्ण विकास के लिए उनपर अपना भरोसा दिखाया। पूर्ण बहुमत से फिर से एकबार अपना मुख्यमंत्री चुना। प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जनता के विश्वास को बनाये रखने के लिए दिन रात एक कर उत्तर प्रदेश का सम्पूर्ण विकास करेंगे, सभी को अपने मुख्यमंत्री पर विश्वास हैं। दुष्टों का होगा संहार, युवाओं को मिलेगा रोजगार, चारों तरफ होगा सुरक्षा का माहौल। किसानों को भी उनका पूर्ण हक़ मिलेगा समय से, उनके लिए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओ का पूरा लाभ मिलेगा। शिक्षा के लिए काफी कुछ अच्छा किया जायेगा योगी सरकार में। प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पुनः अपनी प्रिय परिवार उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कार्य करना शुरू कर दिया है। अब उत्तर प्रदेश पिछड़ा प्रदेश नहीं कहलायेगा।

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यह कविता (योगी आदित्यनाथ की सरकार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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यूक्रेन की तबाही!

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ यूक्रेन की तबाही! ♦

रूसी सेना का सैन्य ऑपरेशन यूक्रेन में है जारी,
शहर शहर पर रूसी सेना कर रही है बमबारी।

क्रोमाटोस्क पर रूस ने मिसाइल गिरा दी भारी,
रूस के टैंक पर बम बरसा रहा यूक्रेन करारे।

यूरोपीय संसद ने रूस पर बैन लगाया करारी,
युद्ध यूक्रेन में जिसे बंद करने के लिए चेताया।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से रूस पहले से ही बाहर,
फिर भी न्यायालय में भारी उस पर लगाया पावर।

संयुक्त राष्ट्र की बड़की अदालत का ऐसा तेवर,
सैन्य अभियान तत्काल रुकने का फैसला सर!

अपना घर हम अपना ही कहते अपना अपनाना है।
रसिया ने भी ठाना है यूक्रेन को संदेश निभाना है।

खेरसन के रेलवे ट्रैक को पार करते दिखा रूसी टैंक,
सेना कर रही है जगह – जगह से भारी भरकम खर्च।

ला त विया में यूक्रेन सेना कर रही है पलटवार,
उधर बुल्गेरिया का रूस राजदूत को संदेश।

24 घंटे में उसके राजदूत छोड़ दें मेरा पूरा देश,
रूस के यूक्रेन की मदद करने वालों को कड़ा संदेश।

पुतिन ने यूक्रेन में जैविक लैब के किया दावा,
यू एन एस सी से चीन ने लैब जांच की मांग की!

आठ देशों का संगठन यूक्रेन के समर्थन में आया,
रूसी अरबपति की संपत्ति जप्त करने का फैसला सुनाया।

पुतिन ने tv पर आकर देश को किया संबोधित,
पश्चिमी देशों के समर्थक गद्दारों को यूक्रेन से निकाले!

सुमी में रूसी सेना ने किया भारी बमबारी,
ना जी को मेरे सामने लाओ पुतिन की है तैयारी।

यूक्रेन हमारा है हम उसमें जनता को बचाएंगे,
जलेस्की अपने हो अपने ही साथ तुम आओ।

आस्ट्रेलिया – स्वीडन की तर्ज पर कर्तव्य निभाओ,
अपनी बुद्धि का प्रयोग करके युक्रेन बचाओ।

उत्तर कोरिया ने शस्त्रागार आधुनिक कर रहा,
दक्षिण कोरिया उसे हवा ने विस्फोटों पर देखा।

उसका प्रक्षेपण नाकाम होने का दावा है ठोंका,
10 माह प्रक्षेपण उतर कोरिया दुनिया के सामने किया।

अमरीकी राष्ट्रपति जाे बाईडेन ने चीन को क्या चेताया,
ताइवान को लेकर चीन ने भी बिगुल बजाया।

ईरान हाल में इराक स्थित अमरीकी दूतावास,
पर सेना ने भारी मिसाइल दना दन गिराया।

कीव एयरपोर्ट पर हुई रूस की ओर से बमबारी,
कहां जाता है वहां अब तक सुरक्षित रहें अधिकारी।

रूस बम बस ऐसे बालक की जय हो खेल जैसी,
कालिया नाग पर जैसे ही देखें कूदे कृष्ण कन्हैया।

ओडिशा में एयरफोर्स विमान की होती थी मरम्मत,
रूसी सेना माइन बम गिराया यूक्रेन में दना दन।

सुखोई लड़ाकू विमान से रूस कर रहा है प्रहार,
यूक्रेनी सेना का शहर – शहर हो रहा है संहार!

यूक्रेनी सेना प्रमुख रूप से जगह जगह पलटवार,
कहीं कहीं रूसी सेना को खदेड़ने के समाचार।

रूसी सेना ने यूक्रेन के ड्रोन सेंटर पर बम बरपाया,
जिस से रूस पे हमले उसे नष्ट कर ने आया।

जेलेस्की ने नाटो में शामिल होने की झुठलाया,
हमारी इच्छा पुरी नहीं हो सकी सबको सुनाया।

यूक्रेन तात्कालिक स्थित देखकर मांग में आया,
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा गारंटी स्वीकार की बात दोहराया।

रूस ने कहा यूक्रेन आपने सेना वाला देश बनेगा,
दोनों देशों की प्राइवेट सेना का मदद करेगा।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — अत्यधिक घमंड चाहे व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय सदैव ही सर्वनाश का कारण बनता है। अभी जो माहौल रूस यूक्रेन संघर्ष युद्ध का चल रहा है, यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए हानिकारक है। संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है “अति सर्वत्र वर्जयेत्” जिसका हिंदी शब्दार्थ है कि “अति करने से हमेशा बचना चाहिए”, अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। वास्तव में अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती। “लेकिन प्रश्न यहां पर यह है की – मासूम जनता की क्या गलती है?” कुछ भी बनाने में वर्षों का समय लग जाता है, लेकिन बर्बाद यूँ ही मिनटों में हो जाता है। जो कल तक लाखो – करोड़ों, घर दूकान, मकान, कार के मालिक थे, वो आज भिखारी बन गए। उन्हें तो समझ में ही नही आ रहा की आखिर किस गलती का भुगतान हम कर रहे है, गलती कौन करें – भरे कौन ? क्या ज़ेलेंस्की के द्वारा भड़काऊ भाषण यूक्रेन को पूर्ण रूपेण खंडहर में तब्दील करके ही छोड़ेगा?

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यह कविता (यूक्रेन की तबाही!) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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रंग पंचमी होली समापन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रंग पंचमी होली समापन। ♦

रंग पंचमी को होली का होता समापन,
महापर्व देवताओं को होते समर्पित।
नकारात्मक असर को करता नाश
सकारात्मक सोच का होता विकास।

आसमान में जो लोग गुलाल उड़ाते,
मनवांछित फल वही भक्त पाते हैं।
रखने से व्रत सभी दोष मिट जाए,
रंग पंचमी पर्व जो श्रद्धा से मनाते।

सभी अनिष्ट शक्तियां दूर ही रहती,
विघटन कारी शक्ति पास न आती।
रज – तम गुण दासी रूप में रहती,
सत्तवगुण जीवन में सुख शांति देते।

सगुण ऊपर पर्व विजय का प्रतीक,
आध्यात्मिक विकास करे भलीभूत।
पांच तत्वों का महापर्व देता प्रकाश,
किए धूलिवंदन विष्णु जी पालनहार।

त्रेता युग से चला आ रहा त्यौहार,
सांसारिक करते हैं इस पर विचार!
कृष्ण राधा को लगाते अबीर गुलाल,
लक्ष्मी जी की लाल करने से सत्कार।

तेजो मय ही है पूरा ब्रह्मांड हमारा,
विविध रंगों के घटक से भारी तारा।
गुलाल उड़ाकर देवों को हम पुकारें,
कल्याणकारी शक्ति होती हैं सहारा।

पारिवारिक कष्ट खत्म होवे समर्पण से,
ईश्वर की भक्ति होती है जल अर्पण से।
रंगपंचमी महापर्व मनाएं श्रद्धाभक्ति से,
सकारात्मक ऊर्जा आती ईश शक्ति से।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — रंग पंचमी का पर्व होली त्योहार के पांच दिन के बाद मनाया जाता है। होली का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है और पंचमी तिथि तक चलता है। पंचमी के दिन मनाए जाने के कारण ही रंग पंचमी कहा जाता है। रंग पंचमी पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी धन, संपत्ति, ऐश्वर्य की देवी हैं। उनकी पूजा के साथ कनकधका स्तोत्र का पाठ करें। मां लक्ष्मी और श्रीहरि को लाल गुलाल अर्पित करें। इससे परिवार के समृद्धि में वृद्धि होगी। रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा करें। उन्हें गुलाल चढ़ाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन की परेशानी खत्म होंगी। प्रेम संबंध मजबूत होंगे। वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए पति और पत्नी साथ में पूजा करें।

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sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (रंग पंचमी होली समापन।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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होली आगे भी आएगी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ होली आगे भी आएगी। ♦

होली आगे भी आएगी,
गीत नये रचते जाएं।
दुश्मन से नहीं डरना,
जय घोष करते आएं।

अजी गुलामी की जंजीरें,
काटकर बाहर हम आए!
मलेक्षों को पूर्वजों ने सहा,
कैसे – कैसे तुम्हें बताएं।

बदनसीब बस्तियां सारी,
आजादी पर गुलामी भारी।
कच्ची मांस पे मारा मारी,
अस्मत बचाने की दुश्वारी।

जय घोष की करो तैयारी,
होली आई वा की दिवाली।

राह बबूल के कांटो के खारे,
नंगे पांव में गडते सब सारे।
बात-बात पर ठंड गन ठानी,
आशी पर भीस ही थे भारी।

किसका घर अब छूटेगा,
हौसला किसका टूटेगा।
कॉल मुहूर्तं कोसों दूर,
जय घोष पर नहीं छूट।

जय घोष की करो तैयारी,
होली आई वा दीवाली।

हत्या अपहरण और फूट,
भोला झोला पर भी लूट।
दरबार में ही होली मनाते,
खूंटी खुशियां टांगे जाते।

जीवन की बगिया में खड़ी,
च्छोभा अवसादों से भरी।
शासन अंग्रेजों का आया,
कचहरी व सड़क सजाया।

जय घोष की करो तैयारी,
होली आई पड़े ना भारी।

न्याय की उम्मीद जगाया,
मंदिरों पर छापा डलवाया।
राजा ऊपर कस दी नकेल,
चली जनता में फूट के खेल।

हम पर हमी से खेला कीना,
जगिया टैक्स आगे भी लीना।
मलिन घूम के फूट डलवाया,
राजावों के महलों तक आया।

जय घोष की करो तैयारी,
होली में कल्याण की बारी।

जाति पांति का जहर पिलाया,
हीरा मोती अपने घर पहुंचाया।
तब पूर्वजों ने बिगुल बजाया,
आजादी के लिए जान गंवाया।

हम सब सोचे मिली आजादी,
उस पर उसकी पारी – भारी।
वह अपना एजेंट यहां छोड़ा,
लूटा घर और तोड़ा मरोड़ा।

जय घोष की करो तैयारी,
होली आई अब की बारी।

उनके रास्तों को है बदलना,
समझ लो लोग हमें सुधारना।
ये सब हमको हैं भर माते,
शिक्षा के नाम पर लूट मचाते।

यह अपनी झोली भरते जाते,
सब जगह पेट्रोल पंप खुलवाते।
खेत में बबूल की कोशिश करते,
शब्द वाणी में गुलामी समझाते।

जय घोष की करो तैयारी,
होली हो या दिवाली प्यारी।

पिज्जा – बर्गर हमें खिलाते,
बीमारी हमारे घर दे जाते।
कदाचित फैक्ट्री वही चलाते,
मरीज बनाकर लूटते जाते।

फैशन शो के शहर बस आते,
रंग बिरंगी दृश्य दिखाती।
आतंकियों से भी हाथ मिलाते,
अपनी अपनी में हमें लड़वाते।

जय घोष की करो तैयारी,
होली आई सब कोई है भाई।

ऊर्जा अपनी बचा के रखना,
तिलक – आजाद नहीं भूलना।
जय घोष में आगे भी करना,
शरीर निरोगी हमको रखना।

चारु तरफ से सनक सवार,
कोरोना वायरस का प्रचार।
मास्क लगाकर चल ना यार,
दो गज की दूरी में ही प्यार।

जय घोष का भी करूं प्रचार,
होली आई है पावन त्यौहार।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — पहले मलेक्षों को पूर्वजों ने सहा, फिर अंग्रेजो को भी सहा, आज भी कुछ गद्दार है जिन्हें सह रहे है सभी आखिर क्यों ? कब तक समझ आएगा सभी को ? कवि कहते है जय घोष की करो तैयारी, चाहे होली आई या दीवाली। 2000 वर्षों से लुटते आ रहे है सभी। अब भी समय है संभल जाओ नहीं तो ना ही होली/दीवाली मना पाओगे। पिज्जा – बर्गर जैसे गन्दी चीजे हमें खिलाते, बीमारी हमारे घर दे जाते। कदाचित फैक्ट्री वही चलाते फिर मरीज बनाकर हमे लूटते जाते। फैशन शो के शहर बस आते, फैशन के नाम पर भी हमे लूट ले जाते रंग बिरंगी दृश्य दिखाती ये फैशन शो। आतंकियों से भी हाथ मिलाते है ये अपनी अपनी में हमें लड़वाते। अब भी समय है संभल जाओ नहीं तो अपने घर व देश से भगाया जाएगा हमें। जय घोष का भी करूं प्रचार, होली आई है पावन त्यौहार।

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होलिका दहन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ होलिका दहन। ♦

होलिका दहन (छोटी होली)

हवाएं जब भी बहना,
देश की संस्कृत में रहना।
पर्वत आये अथवा घाटी,
गांव शहर वा नव परिपाटी।

वैदिक सिद्धांतों में चलना,
सबका तुम कल्याण करना।
रंगीन रास्ते भी आएंगे,
फुसलाकर वहां ले जाएंगे।

माया को उल्लंघन कर जाते,
संसार सागर से भी तर जाते।
साधक के साधना गर पल्लवित,
पापों से मुक्ति और त्रिगुणातीत।

पक्षपात रहित वह हो जाता,
जब भक्ति मार्ग में रम जाता।
जो घृणा – द्वेष करता रहता,
परमात्मा को प्राप्त नहीं होता।

भक्त प्रहलाद विष्णु में रमता,
असुराधिपति मात्र हाथ मलता।
हिरण्यकश्यप विष्णु से जलता,
भगवान से घोर शत्रुता करता।

प्रह्लाद पिता पर नहीं चलता,
विष्णु भक्ति में तत्पर रहता।
दानव पुत्र मात्र दानव न होता,
धर्मात्मा पुत्र धर्म परायण ही!

विष्णु कृपा से प्रहलाद हुआ महान,
उसकी हत्या का पिता किया प्लान!
दानव निज बहन को दिया यह काम,
शाल होलिका ने मिली एक वरदान।

भक्त प्रहलाद की कयाधु है माता,
विष्णु जी थे उसकी भाग्य विधाता।
जब माता ने मन से प्रभु को पुकारा,
तब प्रहलाद बचे होलिका हुई स्वाहा।

आग से बचाने में साल दिखाती करामात,
जिसे ब्रह्मा ने होलिका को दिया वर के साथ।
छल छद्म में उसने प्रहलाद को लिया गोद में,
भली-भांति बर्बरता के थी वह आगोश में।

लोक दिखाओ कार्य से ईश्वर होता रूस्ट,
ध्रुव प्रहलाद सूर तुलसी मीरा में दी प्रभु भक्ति।
जब विशाल अलाव में होलिका संग प्रहलाद को देखा,
हवा को तत्काल बुलावा विष्णु जी ने भेजा।

हवा के संग – संग शीतलता भी वहां तभी आईं,
देवलोक की अप्सराओं ने भी मधुरिम गीत सुनाई!
होलिका के ऊपर से शाल प्रहलाद के ऊपर ऊढ़ाई,
वही होलिका को जलाकर प्रहलाद की जान बचाई।

हिरण्यकश्यप शिव का करता था बड़ा तप,
भगवान शिव की प्रसन्नता से मिला उसको एक वर।
नाय आकाश नहीं पाताल में मारा जाएगा!
उसे ना ही जानवर ना ही मानव मार पाएगा।

आशूरा अधिपति हिरण्यकश्यप को मारने,
नरसिंह रूप में भगवान विष्णु प्रकट होकर आए।
प्राप्त वर को ध्यान में रखकर संहारक बन ढाये,
नरसिंह रूपी नाखून प्रहार कर नव जीवन में पहुंचाएं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति व हिरण्यकश्यप के अहंकार को कविता के रूप में बताया हैं। होली रंगों का ही नहीं सामाजिक भेदभाव मिटाने एवं सामूहिकता का पर्व भी है। होली बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का पर्व भी है। इस बार हम होलिका दहन के साथ कोरोना वायरस का भी दहन करें तो फिर पहले की तरह सौहार्द्र पूर्ण वातावरण में एक-दूसरे से गले मिलते हुए होली मना सकेंगे। होली रंगों का त्योहार है और जीवन में रंग तभी तक हैं, जब तक परिवार-समाज सुरक्षित है।

—————

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यह कविता (होलिका दहन।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कीव पर कहर बरपा?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कीव पर कहर बरपा? ♦

रूसी – यूक्रेन पर कहर बरपाएगा,
यूक्रेनी सेना हाथ उठाकर आएगा?
आज की रात पुतिन यूक्रेन जाएंगे,
ज़ेलेंस्की के मंसूबे पानी फिर जाएंगे?

जिद में जनता को तबाह कर आया,
दुश्मनी की कीमत उसने चुकाया।
मनमानी करने की कीमत चुकाएगा,
पूरी दुनिया तमाशबीन रह जाएगा।

लोगों की भावना में ज़ेलेंस्की आया,
भड़काऊ भाषण दे पुतिन उकसाया।
जनता को ही रीफूजी सा बनवाया,
खंडहर में यूक्रेन को यह बदलवाया।

यूक्रेन अपने आप जाएगा यह हार,
प्रचंड उसका होना है उस पर प्रहार।
आधी छोड़ पूरी पर उसने भी ढाया,
नहीं पूरी ना आधी कीमत वह पाया।

फिल्मी कॉमेडी कर राष्ट्रपति आया,
जीनियस पुतिन से आकर टकराया।
कूटनीतिक ककहरा दूजे से पढ़ाया,
परास्त होने जिद में मैं हो उठ आया।

पास – पड़ोस ने प्रोपो गंडा चलाया,
भ्रामक प्रचार में यूक्रेन जंग चलाया।
बिना विचारे जो युद्ध में कूद जाता,
समय की मार पड़ते वही घबराता।

ब्रिटेनी सांसद महा विनाशकारी कहे,
विश्वयुद्ध निश्चित है दुनियां को बताते!
दुनिया के नेता अपनी-अपनी सुनाते,
समय और खराब हो सकता है कहे।

तीन देशों ने कहा विश्वयुद्ध है तय,
दुनिया दो भागों में सभी लोग दंग।
दुनिया के विनाश का हम देखेंगे रंग,
आप बताए आप शांति के हैं संग?

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — अत्यधिक घमंड चाहे व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय सदैव ही सर्वनाश का कारण बनता है। अभी जो माहौल रूस यूक्रेन संघर्ष युद्ध का चल रहा है, यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए हानिकारक है। संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है “अति सर्वत्र वर्जयेत्” जिसका हिंदी शब्दार्थ है कि “अति करने से हमेशा बचना चाहिए”, अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। वास्तव में अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती। “लेकिन प्रश्न यहां पर यह है की – मासूम जनता की क्या गलती है?” कुछ भी बनाने में वर्षों का समय लग जाता है, लेकिन बर्बाद यूँ ही मिनटों में हो जाता है। जो कल तक लाखो – करोड़ों, घर दूकान, मकान, कार के मालिक थे, वो आज भिखारी बन गए। उन्हें तो समझ में ही नही आ रहा की आखिर किस गलती का भुगतान हम कर रहे है, गलती कौन करें – भरे कौन ? क्या ज़ेलेंस्की के द्वारा भड़काऊ भाषण यूक्रेन को पूर्ण रूपेण खंडहर में तब्दील करके ही छोड़ेगा?

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यह कविता (कीव पर कहर बरपा?) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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विश्व महिला दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ विश्व महिला दिवस। ♦

विविधता भरे विचारों में समाधान मिलते हैं,
चुनौतियों से ही आगे बढ़ने की ताकत मिलती है।

अगर चुप बैठेंगे घर पर तो, दिल कमजोर होते हैं,
मुकाबले में खड़े रहोगे तो जीतने की संभावना अधिक है।

सभी क्षेत्रों में लड़कियां अपने सपने को मरने नहीं देती हैं।
जब शिक्षा में सशक्त भूमिका लड़कियां निभाएंगी।

तो अपने अधिकार के तहत सदा ही लड़ पाएगी।
महिलाओं ने सेना में भी अपना नाम दर्ज कराया है।

भारी भरकम हथियारों को उसने सीने से लगाया है।
अमरीकी सैनिक महिलाएं पुरुषों में कदम मिलाकर चलती है।

भारतीय सेना की महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ाती हैं।
ट्रेन चलाने के साथ उपग्रह में आसमान में जाती हैं।

शक्ति और मनोबल की बेजोड़ मिसाल दिखाती हैं।
देश की रक्षा और सुरक्षा में वह आगे बढ़कर आती हैं।

संतति को बढ़ाने के लिए अपना मातृ धर्म निभाती हैं।
लोकतंत्र निर्माण में अपने अधिकार का प्रयोग करती हैं।

बच्चों को हुनर वान बनाकर जीवन सवारा करती हैं।
प्रभु की कथा सुनाती आत्म शुद्धि के ईश्वर का गुण गाती हैं।

न्यायालय में नारी न्यायप्रिय रानी के जैसी दिखती हैं।
चिकित्सालय में महिलाएं सेवा भाव रूप में आती हैं।

अच्छे करतब दिखाकर जन-जन को जागरूक करती है।
स्वस्थ समाज की धुरी बनकर महिलाएं आगे आती हैं।

पावन बगिया वगैरह में तरह-तरह की फूल खिलाती हैं।
देश का विघटन करने वालों को जाने क्यों वह भाती हैं।

दो परिवारों में रहकर, सबको साथ लेकर अपना कर्तव्य निभाती हैं।
कलम और कागज से वह दुनिया को जागरूक कर जाती है।
सुंदर परिधान और घुघराले बालों से इंद्र को छकाती हैं।

समृद्ध परंपराओं का पालन करने में आगे आती हैं,
लोरी गाती है वह पारिवारिक संबंध स्थापित करती हैं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — आज के समय में नारी हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं, चाहे वह आसमान हो, या समुद्र हर जगह अपना सम्पूर्ण योगदान दे रही हैं। माँ बन कर जीवन में पूर्णता पा लेती है नारी, सर्वस्व अपना सौंप कर, बच्चों को महान बनाती हैं नारी। जैसे प्रकृति धरती सदैव ही देना जानती है, उसी की तरह, बस देना ही जानती है नारी, प्रेम, भाव, इज्जत, बस यही तो मांगती हैं नारी। जीवन के हर पड़ाव में, बस आलंबन चाहती है नारी, वरना तो वो स्वयं शक्ति है, और हर किसी पर भारी है नारी। नारी को सरल समझने की भूल न करो, ईश्वरत्व का मिश्रण है नारी, हम खुद अपना सम्मान करें, और मान करें हम हैं नारी। ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ पर साहस व शौर्य की प्रतिमूर्ति नारी शक्ति को नमन। नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है।

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यह कविता (विश्व महिला दिवस।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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