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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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author mira bharti

मित्रता से मैत्री।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मित्रता से मैत्री। ♦

मित्र, जैविक-देह में ह्रदय सम सुहृद है,
जग-जीवन में है, मङ्गलमय सह-पथिक।
देता मनोबल, साहस, प्रेरक, क्षेमद है,
जिसका सुखद साथ अनुभूति विशद है।

तरणि सत्य मित्र, सुभग तरिणी निदेशक,
स्वीकृत संबंध है, विशेष आधार चतुर्दिक।
सहयोग, साहचर्य परस्पर आस्था मानक,
इक दूजे के स्वतंत्र मन से बनें साधक।

दुःख में स्नेह-सांत्वना से करता अभिषेक,
सुख में शुभैषणा दर्शाता वह भावांजलि से।
मन की नेकी के साथ वे चिंतन समता रखें,
सखा-संग है, मन संगीत, मिले प्रेमांजलि से।

दो मित्र सरल उत्तमता से भावित हों,
इक-दूजे के गुण-चरित के भक्त हों।

जब मित्रों के परस्पर गुण से हो श्रृंगार,
सहज गहन मैत्री, होती जग में प्रकट है।
सक्रिय करुणा है, यह अनमोल सुअवसर,
है, मानव के स्व की असीम खिलावट है।

मित्रता होती मानव की पर्यावरण से।
ईश से भी होती सखा-भाव भक्ति है।
मित्रता में, मैत्री का है, सूक्ष्म अंतर्भाव,
वह समग्र ब्रह्माण्ड से शुभ प्रीति है।

जो चर-अचर में स्व-आत्म को दरशें,
मित्र-भाव होवे, जग मैत्री में विलय।
हर मन के दुर्गुण को करता तिरोहित,
मनु-जीवन हो असीम आनंद निलय।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — इस पृथ्वी पर सबसे अच्छा रिश्ता मित्रता का रिश्ता होता है, क्योकि मित्रता का रिश्ता हम खुद बनाते है, बाकि सभी रिश्ते तो जन्म के साथ ही मिल जाते है। कहा गया है कि 50 मित्र बनाने से अच्छा है की एक ही मित्र से 50 वर्षों तक अच्छे से रिश्ता बनाये रखना। एक अच्छा और सच्चा मित्र सदैव ही अपने दोस्त का कल्याण करता हैं। एक सच्चा और अच्छा मित्र हरेक परिस्थिति में शांत रूप से सदैव साथ निभाता हैं।

—————

यह कविता (मित्रता से मैत्री।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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उत्सव में जीवन मोक्ष।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ उत्सव में जीवन मोक्ष। ♦

अनेकत्व, स्वयंमेव तिरोहित है,
समाज निष्ठा है संजीवनी जहां।
पुरातन गीत छठ महापर्व में छुपा,
संदेश इक जीवन-शैली का शाश्वत।

प्रथम दिवस खरा सोना जैसा ही,
स्वर्णिम हिंद का शुद्धि प्रतीक है।
करके, शुद्ध – स्व अंतः करण को,
एकभुक्त व्रती लेते हैं शुभ प्रसाद।

संध्या काल शान्त भक्ति सुलग्न में,
छठ गीत में समूह योग का साध्य है।
सतत संघर्ष में सर्वसहा का भाव है,
प्रकृति के विचार-तत्व से मानवता के,
अध्यवसाय, साहस कामिलन – उत्सव।

मन को शून्य कर, शील सम-वृत्ति को,
पूर्ण रूप देने में, समवेत स्वर तृप्ति है।
सूप, हथेली पर उठे पावन अर्घ्य में,
जीवन – संघर्ष की… जो स्वीकार्यता है,
खुद को खोकर, समुदाय मोक्षभाव है।

छठ संगीत में अध्यात्म रहस्य भाव,
प्राण प्रिय मोक्ष सुखद अनुभूति है।
यह परा जीवन का प्रेम, प्रातः अर्घ्य,
की अभिव्यक्ति, अद्भुत पूर्णाहुति है।

गंगा जल तरण करते दीप जोत में,
एकमना होने का सतत संदेश है।
संगीत भाव में, बाती – सा जलकर,
आत्म – दान के संग – संग, सदानीरा,
नारी शक्ति की जय – जयकार है।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — इस भारत भूमि के हर उत्सव में जीवन मोक्ष का पर्याय छिपा रहता है, चाहे वो पर्व कोई भी हो, दीपावली हो, छठ पूजा, होली हो, दशहरा हो। हमारे ऋषि मुनि और पूर्वजों ने अध्यात्म व विज्ञान के साथ-साथ नियमित और शांत तरीके से हर पर्व का नियम बनाया ऋतुओं को ध्यान में रखकर। जिससे हर एक मनुष्य को शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का लाभ हो। हर उत्सव में मनुष्य को जीवन मोक्ष का अनुभव हो।

—————

यह कविता (उत्सव में जीवन मोक्ष।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हिन्दी काव्य दर्शन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिन्दी काव्य दर्शन। ♦

जीवन शैली है, भागवत धर्म,
हृदय सहजात है, हमारा।

इक मुल्क, कौम, संगत है,
कोई कभी न पराया।
मन तरंग आत्म बोध से,
क्षण एक में जुटता गया।

झुकने न दिया अन्य को,
सम्मान दिया हर विचार को।
हर वर्दी के नीचे, है नाम,
इक मात वसुंधरा का।

हर आत्म तन्मय जन है यहां,
योगी, हर दिवा है अर्पित प्रेम।
यज्ञ को, थाहे कौन बुनियाद,
इस भरत जन ज्ञान – विज्ञान का।

घटक अनेक राम – कृष्ण के,
इस देश में, असंख्य जाति।
धर्म, वर्ग, पंथ हैं, सुर – ताल,
लय, मन के द्वार हैं एकल।

विभिन्नता ही है छवि सुभग,
इस महा जीवन – मंत्र श्रृंगार का।
मत – भेदी होते… एकमना,
प्रश्न आता जब राष्ट्र के सेवा अस्मिता का।

संभव है, क्रूर हो कोई दस्यु ,
अंगुलिमाल सम, भाव हो अशुभ।
बुद्ध का प्रेम, ले भावांजलि,
गढ़े शुभत्व, हर नर में राम का।

कौम है यह संगम प्रेम, संयम, क्षमा का,
न रहा कभी मत्स्य न्याय यहां।
जलधार है नेह, दया, सेवा, सुख है,
वैराग्य, सहयोग, सदाचार यहां।

अमर बेल से एकत्व से बनता,
विश्व धर्म जन मन संगीत सदा।
है जनाधार सत् चित् आनन्द का,
आत्मबल ही… मनमीत यहां।

हिन्दी ही जोड़े, गुण धर्म सभी के,
गुण ग्राहिता, हर जन सम्मान यहां।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — अतुल्य हमारा भारत देश सबसे न्यारा है, यहां बहुत सारी जातियों और धर्म के लोग, अलग – अलग बोली भाषा के साथ रहते है फिर भी सभी के बीच एक बात कॉमन है, सभी अपने मातृभूमि से अटूट प्रेम करते है। हर भारतीय के अंदर अपने देश के प्रति सच्चा प्रेम है, देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा है। हम आध्यात्मिकता, अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम वाले लोग है, हम सभी से प्यार करते है, हम कभी भी किसी का बुरा नही चाहते है। हम सदैव से ही पूरी मानव जाती के कल्याण के लिए कार्य करते आ रहे है।

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यह कविता (हिन्दी काव्य दर्शन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव। ♦

दीप की दीप्ति है, स्मृति ज्ञान ज्योति की,
उत्सव की लहरें नेह, करूणा, अनुराग रूप ले,
बांधे बंधन में जन जन को, अभेद भाव से।
बुराई पर भलाई के संग, जय तन पर आत्मन भाव का।

प्रिय सबसे है, इस काल बिन्दु पर,
आत्मा हो दृढ़ शासक शरीर।
मन के व्यवहार का, हर भाव से उच्च हो,
त्याग सभी के सुभग उत्सव आनंद के हेतु।

प्रयाण – दिवस स्वामी रामतीर्थ का,
सिख मंदिर निर्माण, निर्वाण महावीर का।
इतिहास प्रतीक धर्म एकत्व का,
मंगल लग्न रामभक्ति, कृष्ण कृपा का।
अर्थ इस उत्सव का दे संदेश समभाव।

हर समाज वर्ग के अंतः में, सबके,
दीप उजास करें समान, हों आत्मिक,
ज्योति से मुदित सभी, संपन्न विवेक से,
जग हितैषी हों…यह प्रेम मिलन।
पर्व हर देश, काल, विचार संगीत हो,
सतत विजय – श्री आत्मज्ञान की सर्वत्र।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — दीपावली महापर्व आत्मिक साधना के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन होता है, इस दिन हम सभी को अपने आत्मिक उत्थान के लिए सच्चे मन से साधना करना चाहिए। शुभ दीपावली प्रकाश पर्व के इतिहास का वर्णन किया है, जैसे – प्रयाण दिवस स्वामी रामतीर्थ का, सिख मंदिर निर्माण, निर्वाण महावीर का।

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यह कविता (दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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राष्ट्रीय एकता दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रीय एकता दिवस। ♦

“राष्ट्रहित में आत्मानुभूति”

एकल व्यक्तित्व धारक, कृषक पुत्र,
भाव में अन्नदाता सम जो रहें।
काल आपदा प्लेग को कर पराभूत,
आते पुनः भरत जन – सेवा में, सहज।
भावी वह…… सेवा मंत्र संगी…… ॥

अद्भुत प्रतिमा हैं एकता मूर्ति,
सच्चे सपूत माँ भारती के,
समर्पित आम जन को, सर्वस्व जिनका।
मात्र वह हैं लौह – पुरूष नहीं, स्वर्ण मना,
निर्माता भारत सह – अस्तित्व के…॥

राजनीति की सदा एकत्व की,
एकाकार जो हर स्वदेश जन,
से, हैं संरक्षक संत जो समरस,
भारत के, अरूचि जिन्हें, सदा॥

महत् आकांक्षा से, सरल सहज,
‘रहनि’ जिनकी, सच्चे सरदार।
वह ‘बारदोली सत्याग्रह’ के, कर,
आत्म – दान, दिया हर रंग स्वदेश को।
अंतर्धान हुआ समेकन – कर्ता॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा देश की एकता के लिए किए गए योगदान को याद करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस हर भारतीय दिल से मनाता है। देश की एकता के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा किए गए कार्य को समझाया है।

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यह कविता (राष्ट्रीय एकता दिवस।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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अम्बे शुभ प्रभात।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अम्बे शुभ प्रभात। ♦

शुभ प्रभात, माँ ब्रह्मचारिणी,
पूजन जननी श्वेताम्बरा का।
युग प्रेरणा माँ तपस्विनी,
स्वयंप्रभा प्रिय स्वरूप इक।
हाथ जपत माल, बाम धरें॥

कमंडल, करें ज्ञान-विज्ञान,
साहित्य संवर्धन सतत।
नवदृष्टि जागृत करें,
तप: जल से मात।
प्रक्षालित करें, नव-मानव,
हृदय को……॥

तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा,
का दें भाव आज मात।
फल आराधन का, तप,
त्याग, वैराग्य, सदाचार।
संयम दें, लें अर्घ्य में,
स्वार्थ, मोह हर भारत,
समूह का……॥

नाम जिनका अपर्णा,
अशन करें धरा।
स्पर्शी बेलपत्र, निज
दुष्कर तप का।
लघु अंश दान करें,
माँ, युवा वर्ग चेतना को॥

तपबल से, अम्बे के
जीती भरत कन्याएं।
दृष्टि से अम्बे दें,
आशीष, जीवन।
निर्माण का, राष्ट्र सेवा,
से हों ऊर्जा भावित,
वे आज……॥

मुझे दो कमंडल, मैं,
इक सेविका आपकी।
ले खड्ग हाथ, विनाश,
कर कामना, असंयम,
अहंकार……॥

अम्ब ब्रह्मचारिणी,
तप भाव करें, संचार दें।
विवेक, कल्याण दीक्षा मंत्र,
इस महोत्सव को, लक्ष्य,
प्रेरित रखें सदा……॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से महानवरात्रि व माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में बताने की कोशिश की है— महानवरात्रि के दूसरे दिन पूजा माँ ब्रह्मचारिणी स्वीकार करें। हे माँ तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा का दें भाव आज मात। फल आराधना का तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार संयम दें माँ। लें अर्घ्य में, स्वार्थ, मोह हर भारत, समूह का। माँ ब्रह्मचारिणी का आओ हम सब मिलकर पूजन करें।

—————

यह कविता (अम्बे शुभ प्रभात।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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माँ शैलपुत्री का पूजन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ शैलपुत्री का पूजन। ♦

महानवरात्रि की प्रथम पूजा,
माँ, स्वीकार करें, समुदाय,
की अर्पित लाल चुनरी,
झिलमिल, दिव्य, ज्ञान-दीप्त।

ग्रहण करें, दायित्व सर्व के,
आत्म – साधन का, चरणों में,
समेटें, जो सदा तप: पूत..
दुःख नाशिनी, माया – हारिणी,
पवित्र गंगाजल, सुवासित।

भावना के अभिदान से,
शीतल करें माँ जन मन को।
तव, प्रेम – तत्व, करें,
विह्वल, जन – आस्था को।

दें बन्धन, समरसता का न,
लक्ष्य हो, हमारा धन – यश व,
लौकिक संस्कार…

तव ज्ञान रुप स्पर्शी हवा,
करे अस्त बुराई का।
उदय हो प्रति ह्रदय प्रेम का,
सद्गुण, सम् – भाव का।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से महानवरात्रि व माँ शैलपुत्री के बारे में बताने की कोशिश की है — महानवरात्रि की प्रथम पूजा माँ शैलपुत्री स्वीकार करें। समुदाय की अर्पित लाल चुनरी, झिलमिल, दिव्य, ज्ञान-दीप्त ग्रहण करें। दायित्व सर्व के आत्म-साधन का, चरणों में समेटें। जो सदा तप: पूत.. दुःख नाशिनी, माया – हारिणी, पवित्र गंगाजल, सुवासित माँ शैलपुत्री का आओ हम सब मिलकर पूजन करें।

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यह कविता (माँ शैलपुत्री का पूजन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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आत्मिक ऊर्जा से सृजन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आत्मिक ऊर्जा से सृजन। ♦

आत्मिक ऊर्जा से सृजन,
ब्रह्मांड – ऊर्जा, देती।
निश्चयी संदेश,
एक सकारात्मक…
ऊर्जा, करती व्यक्त।

एक तड़पन, एक,
मूक, निराश संघर्ष।
अस्तित्व हेतु…
रचनाकार वह, जो,
चलाता, निज लेखनी।

कथ्य उसका है।
स्वविचार – तत्व, चेतना,
जो उसका समर है।
वह, केवल लेखक,
लिंग – भेद नहीं।

आत्मस्थ शब्द – ब्रह्म में,
भुवन को करता जो,
भव्य, उन्नत विचारों,
से वह, मात्र, लेखक,
न स्त्री, न पुरुष।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से — एक सच्चा लेखक सदैव ही अपने आत्मिक ऊर्जा से लेखन का सृजन करता है। आत्मस्थ शब्द – ब्रह्म में, भुवन को करता जो, भव्य, उन्नत विचारों, से वह, मात्र, लेखक, न स्त्री, न पुरुष।

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यह कविता (आत्मिक ऊर्जा से सृजन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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