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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

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author poonam gupta

गुरु गोबिंद सिंह जयंती।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु गोबिंद सिंह जयंती। ♦

सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इस वर्ष शुक्ल सप्तमी 29 दिसंबर को है इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती मनाते हैं, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को हुआ था, बिहार की राजधानी पटना के घर में हुआ था। उनके बचपन का नाम गोबिन्द राय था उनके पिता नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब वापस आ गए थे पटना के जिस घर में उनका जन्म हुआ उसमें उन्होंने 4 साल बिताए। गुरु गोबिंद सिंह जी बचपन से ही स्वाभिमानी और वीर थे, घोड़े की सवारी करना, हथियार पकड़ना, मित्रों की टोलियां एकत्रित करके युद्ध करना, शत्रु को हराने के लिए खेल में शामिल थे। उनकी बुद्धि काफी तेज थी, उन्होंने बहुत ही सरलता से हिंदी, संस्कृत, फारसी का ज्ञान प्राप्त किया था।

1670 में उनका परिवार पंजाब आ गया, हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर रहने लगे चक्क नानकी ही आजकल आनंदपुर साहिब कहलाता है। यहीं से उनकी शिक्षा का प्रारंभ हुआ गोबिन्द राय जी नित्य प्रति आनंदपुर साहिब में आध्यात्मिक, निडरता का संदेश देते थे। गोबिन्द जी शांत और क्षमा और सहनशीलता की मूर्ति थे।

कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बनाए जाने के विरोध में गुरु तेग बहादुर जी आगे आए उस समय गुरु गोबिंद सिंह जी की उम्र 9 साल की थी। कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुनकर उन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए स्वयं इस्लाम न स्वीकार न करने के कारण 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सर कटवा दिया। इसके बाद वैशाखी के दिन 29 मार्च 1676 गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए। गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही, उन्होंने लिखना-पढ़ना, सवारी करना अनेक सैन्य कौशल सीखे।

1684 में उन्होंने चंडी दी वार की रचना की। गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में हर साल मनाई जाती है। इस दिन विश्व भर में गुरुद्वारा को सजाया जाता है लोग अरदास भजन, कीर्तन के साथ लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने भी जाते हैं। इस दिन नानक वाणी भी पढ़ी जाती है और लोक कल्याण के तमाम अनेक कार्य किए जाते हैं। सभी लोग गुरुद्वारा में गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महाप्रसाद खाने जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी की 1708 में मृत्यु हो गई।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

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यह लेख (गुरु गोबिंद सिंह जयंती।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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डॉक्टर दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ डॉक्टर दिवस। ♦

भारत में हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ बिधान चंद्र राय द्वारा दिए गए योगदान के लिए हम इस दिन को उनके जन्म दिवस और पुण्यतिथि के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सम्मान पूर्वक मनाते हैं। वह एक स्वतंत्रता सेनानी और चिकित्सक थे, उन्हें सन 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत में शिक्षा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी इनका जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों 1 जुलाई को थे।

इस महत्वपूर्ण तिथि को मनाने के बहुत सारे कारण भी हैं, सभी डॉक्टर मानवता की सेवा करने और उन लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने महान आदर्श के साथ अपने पेशे से जीवन शुरू करते हैं। कुछ डॉक्टर इन विचारों की दृष्टि से खरे नहीं उतरते हैं और भ्रष्ट और नैतिकता का रास्ता अपना लेते हैं।

लेकिन कोरोना महामारी के समय डॉक्टरों ने जो अपना समय मानवता की सेवा के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए जो जनता सेवा की है। वह एक प्रशंसनीय कार्य है अपनी जान जोखिम में डालकर डॉक्टरों ने लाखों लोगों को इस बीमारी से मुक्त कराया। हम इस बात को नहीं नकार सकते कि डॉक्टर भी भगवान के रूप में कार्य करते हैं।

डॉक्टर का जीवन निस्वार्थ सेवा से भरा हुआ होता है। बहुत ही कुछ ऐसे डॉक्टर होते हैं; जो अनैतिकता के कार्य करते हैं, जिन्हें पैसे का लालच होता है। डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है जो डॉक्टर मानव की सेवा करने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए सेवा करते हैं। वह भगवान के समान होते हैं। इस दिन को हम शांत और गंभीर तरीके से मनाते हैं। आमतौर पर देश के अनेक हिस्सों में डॉक्टरों के योगदान के लिए उन्हें फूलों के गुलदस्ते या ग्रीटिंग कार्ड्स भी दिए जाते हैं।

इसके अलावा जहां अच्छे डॉक्टरों को उनके अनुभवों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। अनेक सेमिनार आयोजित किए जाते हैं और कुशल डॉक्टरों को सम्मानित किया जाता है।

डॉक्टर दिवस का लाल रंग जो साहस का प्रतीक है, फूलों के रंग से जो प्रेम धर्मार्थ बलिदान, बहादुरी, मानवता की सेवा और साहस को दर्शाते है। यह मेडिकल प्रोफेशनल और उनके द्वारा किए गए योगदान के लिए सम्मान है। डॉक्टर अपनी हर सम्भव किसी भी मनुष्य को ठीक करने लिए प्रयासरत रहते है उनका कर्म ही उनकी पूजा है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक अच्छे डॉक्टर का जीवन निस्वार्थ सेवा से भरा हुआ होता है। डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है जो डॉक्टर मानव की सेवा करने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए सेवा करते हैं। भारत में हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर दिवस मनाया जाता है डॉ बिधान चंद्र रॉय द्वारा दिए गए योगदान के लिए हम इस दिन उनके सम्मान के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि देते है। वह चिकित्सक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हे वर्ष 1961 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया।

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यह लेख (डॉक्टर दिवस।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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शहीद दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शहीद दिवस। ♦

भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के सच्चे क्रांतिकारी थे देश प्रेम की खातिर हँसते – हँसते अपने प्राण दे दिए। 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। शहीद भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर 1907 में भारत के गाँव बंगा जिला लायलपुर में हुआ था।

देशप्रेम की भावना बचपन से ही थी चंद्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर के “नाैजवान भारत सभा” का गठन किया भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया, लाहौर में बनी सेंडर्स की हत्या। उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद में बम विस्फोट करके आंदोलन को आगे बढ़ाया उन्होंने असेम्बली में बम फेंक कर भागने से मना कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज सरकार ने 23 मार्च 1931 को अन्य साथियों के साथ फाँसी पर लटका दिया भगत सिंह को एक सच्चे क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है।

सुखदेव जी का जन्म 15 मई 1907 को भारत के लुधियाना के एक गाँव में हुआ। इनका पूरा नाम सुखदेव थापर था देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। अंग्रेजों के अत्याचारों से आहत देशवासियों के लिए कुछ करने का जज्बे की भावना से सुखदेव ने अंग्रेजों को मिलने के लिए मजबूर कर दिया और भारत को अंग्रेजों के चुंगल से मुक्त करने का प्रण लिया।

सुखदेव ने प्रसिद्ध क्रांतिकारीयो के साथ मिलकर “नाैजवान भारत सभा” का गठन किया कई गतिविधि जैसे 1929 में जेल की भूख हड़ताल में सक्रिय भूमिका निभाई। सब साथियों ने मिलकर 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट के कारण सुखदेव और उनके सहयोगियों को गिरफ़्तार कर अपराधो का दोषी ठहराकर फैसले के रूप में मौत की सजा सुनाई।

क्रांतिकारी राजगुरू का जन्म 24 अगस्त 1908 में भारत के महाराष्ट्र राज्य पुणे जिले में खेड़े गाँव मे हुआ। इनका पूरा नाम शिवराम हरिराजगुरु था। चंद्रशेखर आजाद से इतने प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गए। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज थे। 19 दिसम्बर 1928 को अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेज पुलिस ऑफिसर जे.पी सांडर्स की हत्या की थी। इसके बाद 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली में हमला करने में राजगुरु का बड़ा का हाथ था। उनको पकड़ने के लिये पुणे जाते समय इनको गिरफ्तार किया गया; इन्हें भी भगतसिंह, सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया।

भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव भारत के सच्चे देशभक्त थे। जिन्होंने अपनी देशभक्ति को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया। 23 मार्च 1931 को हँसते – हँसते न्यौछावर करने वाले सभी क्रांतिकारयो को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है। यह दिवस देश के प्रति सम्मान और भारतीय होने का गौरव का अनुभव कराता है यह दिवस श्रद्धांजलि का दिवस है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — भारत के तीन महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए पूरे देश में हर वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह दिवस देश के प्रति सम्मान और भारतीय होने का गौरव का अनुभव कराता है यह दिवस श्रद्धांजलि का दिवस है।

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यह लेख (शहीद दिवस।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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व्यक्तित्व।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ व्यक्तित्व। ♦

व्यक्तित्व का आशय व्यवहार के सभी गुणों नाम ही व्यक्तित्व है। प्रत्येक मनुष्य में कुछ विशेष गुण होते है; अच्छे व्यक्तित्व का जीवन में बहूत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वो अन्य लोगों से अलग ही पहचाने जाने जाते है। व्यक्ति की सम्पूर्ण छवि का नाम ही व्यक्तित्व है। रंग रूप कैसा भी हो सीरत अच्छी होनी चाहिए सुंदर लोग भी अपनी पहचान बनाने में पीछे रहते है; और साधारण दिखने वाले लोग अपनी गुणों और अच्छे विचार अच्छे आचरण से लोंगो को प्रभावित कर जाते है उनके व्यक्तित्व में वो बात होती है।

जो दूसरों में नहीं। यदि आपकी छवि सकारात्मक है तो आप दूसरों की नजर में तारीफ के काबिल है। अगर नकारात्मक छवि है तो आप अपमान का कारण बन सकते है। सहनशील कर्तव्यपरायण और रहन-सहन मधुरवाणी शालीनता से सबको अपनी ओर आकर्षित करते है, वो अच्छे व्यक्तित्व वाले लोग होते है। जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं वो लोग देश और समाज की सेवा करने
के लिए तत्पर रहते है।

ये उनको अपने घर के लोंगो से मिलते है जहाँ वो अपने अच्छे व्यक्तित्व का विकास करने में सहायक सिद्ध होते है। व्यक्ति का व्यक्तित्व के अनेक रूपों गुणों और तत्त्वों के योग पर बल दिया जाता है।

भारतीय दर्शन में व्यक्तित्व के तीन प्रकार बतलाये हैं…

  • सतोगुणी
  • रजोगुणी
  • तमोगुणी

इनमें सतोगुणी व्यक्तित्व सर्वोत्तम होता है। सतोगुणी व्यक्तित्व सत् (अच्छे) गुणों युक्त, उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों तथा चरित्रवान् होता है। सतोगुणी व्यक्तित्व वाला इंसान का खानपान भी पूर्ण रूप से शुद्ध शाकाहारी होता हैं। इसके विपरीत तमोगुणी व्यक्ति कामी, क्रोधी, आलसी तथा अमानवीय गुणों से युक्त होता है। तमोगुणी व्यक्ति का खानपान भी पूर्ण रूप से मांसाहार होता हैं। रजोगुणी व्यक्ति में इन दोनों के मध्य की स्थिति होती है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती है। जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। ये बिलकुल सत्य हैं की – सहनशील कर्तव्यपरायण और रहन-सहन मधुरवाणी शालीनता से सबको अपनी ओर आकर्षित करते है, वो अच्छे व्यक्तित्व वाले लोग होते है। जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं वो लोग देश और समाज की सेवा करने के लिए तत्पर रहते है।

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यह लेख (व्यक्तित्व।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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सौंदर्य।

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♦ सौंदर्य। ♦

सौंदर्य जो मन को सुंदर लगे जिसे देखकर हमें खुशी का अहसास हो, जो जीवन को खुशी और उल्लास से भर दे। ईश्वर ने जो संसार मे सौंदर्य दिया है वो मन को सुकून देता है।

जब हमें कोई चीज, कोई व्यक्ति या कोई कार्य हमारे मन को खुशी का अहसास दिलाता है वो सौन्दर्य की भाषा को परिभाषित करता है। जो हमारे मन को खुशी और उल्लास देता है संसार के हर कण में सौंदर्य विद्यमान है। कोयल की कू – कू और नदियों का बहता कल – कल करता पानी भी अपना सौंदर्य का आभास कराता है।

प्रकृति भी हरियाली से अपनी छटा बिखेरती है पर्वत, नदी, झरने, समुद्र की लहरें औऱ चिड़ियों का चहकना और भवरो का फूलों के ऊपर मंडराना और सूरज की किरणों से निकलती किरणें और रात को चंद्रमा का सौंदर्य अलग ही आभा बिखेरता है। हम हर चीज को नजरिये से देखे तो सब में सौंदर्य ही नजर आएगा।

आंतरिक सौंदर्य ही वास्तविक सौंदर्य है। खुद में हर व्यक्ति संपूर्ण और सौंदर्य से भरा हुआ होता है। असल में सौंदर्य देखने वाले की नजरिये (दृष्टि) में होती है, हम किसी व्यक्ति को किस नजरिए से देखते हैं यह हम पर ही निर्भर करता है, हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों ही होती है पर वह अपने अवगुणों को अपने सौंदर्य से ढक लेता है। ये कड़वा है मगर सत्य है… सुंदरता का मतलब सिर्फ रूपवान होना ही नहीं है। किसी के आकर्षक चेहरे को देखकर ही सौंदर्यबोध करना गलत है। असली सुंदरता तो गुणवान होने में है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति के सौंदर्य का क्या कहना जिधर भी नज़र पहुंचे सौंदर्य ही सौंदर्य जो मन को प्रफुल्लित करे। जब हम अच्छे से हर चीज को अच्छे नजरिये से देखे तो सब में सौंदर्य ही सौंदर्य नजर आएगा। सौंदर्य हमारे नज़रिये पर निर्भर करता है। मन को पूर्ण सुकून प्रकृति के सौंदर्य से ही प्राप्त होता है। जब भी हम प्रकृति के बीच में होते है, पवित्र ऊर्जा को महसूस करते है। इसलिए जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके प्रकृति के सौंदर्य को निहारे। प्रकृति के बीच रहे, आपको सच्चा मन को सुकून मिलेगा।

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समय।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ समय। ♦

समय कहता मैं तुम्हारे साथ हूँ,
समय की चाल निरन्तर चलती है।

यह पल में अनेक रूप बदलता,
दुख दर्द और सुख का साथी बनता।

रोज अपने नए रंग, रूप दिखाता,
सब इसकी मर्जी से चलता।

अपना हर पल का महत्व बताता,
ये कभी रुकता नहीं थकता नहीं।

बस निरतंर ही चलता जाता हूँ,
इसके महत्व को अगर समझोगे।

जीवन में अपने लक्ष्य हासिल करोगे,
सारे काम समय पर ही होते।

चाहे हम कितने भी उत्त्सुक हो,
होगा काम समय के आने पर ही।

इसलिए समय के महत्व को समझे,
समय कहता मैं तुम्हारे साथ हूँ।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक बात सदैव ही – याद रखें ….. समय का प्रबंधन वास्तव में जीवन का प्रबंधन है। यह दरअसल घटनाओं के क्रम को नियंत्रित करना है। समय का प्रबंधन का अर्थ है, इस बात पर नियंत्रण करना कि आप अगला कार्य कौन सा करेंगे, और आप हमेशा अपना कार्य चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। महत्वपूर्ण और महत्वहीन के बीच विकल्प चुनने कि आपकी काबिलियत, जिंदगी और काम-धंधे में आपकी सफलता तय करने वाली अहम कुंजी हैं। असरदार और उत्पादक लोग खुद को इस बात के लिए अनुशासित कर लेते हैं कि वे सबसे महत्वपूर्ण कार्य से ही दिन कि शुरुआत करें। मैं हूँ समय बता देता हूं, किसी के लिए भी मैं नहीं रुकता हूँ। वक़्त कभी नहीं रुकता सदैव चलता रहता है। कभी खुशी दे जाता है, तो कभी ग़म। “किसी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू और पूरा करने के बारे में सोचने भर से ही आप प्रेरित हो जाते हैं। इससे आपको टालमटोल छोड़ने में मदद मिलती हैं।”

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यह कविता (समय।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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मानसिक तनाव का शिकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मानसिक तनाव का शिकार। ♦

आज का मानव।

मानसिक तनाव जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है आजकल हर कोई इसका शिकार हो रहा है। अनवरत चल रही भागदौड़ वाली जिंदगी में अपने ही सकून के लिए परेशान है न उन्हें खाने पीने का होश, न सोने का, बस अपनी समस्या में ही उलझा रहता है व्यक्ति अपने आप तक ही सीमित हो गया है। सुकून के न होने पर नकारात्मक सोच ही उसको हींन भावना से ग्रसित कर रहा है।

क्या सही में ये सबकी मजबूरी है कि घर में एक साथ रहते हुए वो अकेलापन महसूस करता है? क्या इसका कोई निवारण नहीं है? जो इससे बाहर निकलकर एक अच्छा जीवन व्यतीत करें?

हम सब कुछ देखते हुई इस बीमारी को जन्म दे रहे है, हमने इनको समय पर छोड़ दिया है धीरे धीरे यह महसूस होता है कि जो हमे दीमक की तरह जिंदगी में अवसाद को जन्म दे रहा है।

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक इसका असर देखा जा सकता है। अवसाद की वजह से अनेक शारीरिक समस्या जन्म ले रही है हर घर मे परिवार का वातावरण बदल रहा है पहले सब मिलकर बड़े परिवार में रहते थे अब ऐसा नहीं है। सब अपने तक ही सीमित हो गया है अपनी दुनिया में खुश होने के नाम पर बनावटी हँसी से दूसरों को प्रभावित करने में लगे रहते है।

जबकि वास्तव में ऐसा मुश्किल होता है। इस समस्या से उभरने की लिए हम सबको ही प्रयास करने होंगे। “सब एक साथ मिलकर अपने दुख सुख बाटे और जो भी परेशानी है उसको मिलकर उसका निदान करें। फिर कोई भी व्यक्ति दुखी या मानसिक तनाव का शिकार नहीं रहेगा। वह खुश रहेगा तो उनका शरीर भी स्वस्थ रहेगा तब ही परिवार, समाज और देश की सेवा करने में सहयोग प्रदान करेगा।“

इस संसार में ऐसा कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान न हो, अर्थात: हर समस्या का समाधान है। इसलिए अपने मन और बुद्धि को इतना पवित्र और मज़बूत बनाओ की किसी समस्या के आने पर आपका मन व बुद्धि चिंता/मानसिक तनाव का शिकार न हो जाएं।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक बात सदैव ही याद रखें:… चिंता/मानसिक तनाव किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। यदि जीवन में कोई समस्या हो तो केवल समस्या के बारे में न सोचकर, समस्या के समाधान के बारे में सोचना हैं। जब आपका दिमाग समस्या के समाधान के बारे में सोचने लगता है, आपको हर समस्या सुलझता हुआ नज़र आने लगता है। इस संसार में ऐसा कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान न हो, अर्थात: हर समस्या का समाधान है। इसलिए अपने मन और बुद्धि को इतना पवित्र और मज़बूत बनाओ की किसी समस्या के आने पर आपका मन व बुद्धि चिंता/मानसिक तनाव का शिकार न हो जाएं। जब आपका मन व बुद्धि चिंता/मानसिक तनाव से मुक्त होगा, तब आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा। जब आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा तभी आप समाज और देश की सेवा करने में सहयोग प्रदान करेंगे।

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यह लेख (मानसिक तनाव का शिकार।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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