Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ मैं अकिंचन चला जा रहा हूँ। ϒ
मैं अकिंचन…
चला जा रहा हूँ।
अपने पथ पर
अविलंब,अविचलित॥
लोगों की नजरों से…
बचते बचाते।
स्वयं में साहस बधाते॥
मन में पीड़ा व क्षोभ का ज्वार।
अंगड़ाइयां लेते हुए।
समाज मे अस्तित्वहीनता।
व दोयम प्रकृति से बेबस होकर॥
लोगों की हेय दृष्टि से।
तिल-तिल जलने को विवश।
मानो मरूभूमि मे प्यासा वृक्ष।
अपने आकार में प्रतिकार का द्वंद्व॥
जैसे अंधेरी रात मे…
चाँद का रुदन।
क्या अकिंचन…
बहिष्कृत हैं समाज से॥
अधिकार विपन्न…
दोयम नीति से प्रताड़ित।
इंसानियत संग इंसान॥
काश…
पीड़ा का एहसास –
उन्हें होता।
समाज बदल जाता।
अवनी पर इंसान बदल जाता॥
न होता यह द्वंद्व।
न घुटता…
अंदर ही अंदर इंसान।
चल पाता शीश उतुंग कर।
समानता की दहलीज पर –
राष्ट्र निर्माण की ओर ॥
©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇
हम दिल से आभारी हैं अशोक सिह जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए। About Ashok Singh – अशोक जी के शब्दाें में – अभी मैं IAS की तैयारी कर रहा हूँ। दिल मे समाज सेवा की लौ जलाये हुए कुछ बेहतर करने को प्रयासरत हूँ और अपना सत प्रतिशत देने को तत्पर। मेरा HOBBY कविताएं लिखना, दक्षिण भारत की फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना ,समाज से जुङे रहना, संगीत सुनना(खासकर पुराने) शामिल है।
अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार:
♣ “अशोक सिह जी” की कविताआे के हर एक शब्द में प्राकृतिक सौंदर्य का अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।
Please Share your comment`s.
© आप सभी का प्रिय दोस्त ®
Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
of,, https://kmsraj51.com/
जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।~Kmsraj51
———– © Best of Luck ® ———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.
~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
~KMSRAJ51