kmsraj51की कलम से…..
प्रिय पाठकों,
एक लड़के ने एक बहुत धनी आदमी को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। कई दिन वह कमाई में लगा रहा और कुछ पैसे भी कमा लिया। इस बीच उसकी भेंट एक विद्वान से हुई। अब उसने विद्वान बनने का निश्चय किया और दूसरे ही दिन से कमाई-धमाई छोड़कर पढ़ने में लग गया।
अभी अक्षर अभ्यास ही सीख पाया था कि उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई। उसे संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, अतः उस दिन से पढ़ाई बंद कर दी और संगीत सीखने लगा। काफी उम्र बीत गई, न वह धनी हो सका न विद्वान। न संगीत सीख पाया न नेता बन सका। तब उसे बड़ा दुःख हुआ।
एक दिन उसकी एक महात्मा से भेंट हुई। उसने अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा मुसकरा कर बोले- बेटा दुनियाँ बड़ी चिकनी है। जहाँ जाओगे कोई न कोई आकर्षण दिखाई देगा। एक निश्चय कर लो और फिर जीते- जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हारी उन्नति अवश्य हो जाएगी। बार-बार रुचि बदलते रहने से कोई भी उन्नति न कर पाओगे।’’ युवक समझ गया और अपना एक उद्देश्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा।
:=> Post inspired by-Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj
“पूज्य आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज”
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Picture Quotes By- “तू न हो निराश कभी मन से” किताब से
100 शब्द या 10 शब्द – एक सफल जीवन के लिए –
(100 Word “or” Ten Word For A Successful Life )
“तू न हो निराश कभी मन से” किताब => लेखक कृष्ण मोहन सिंह (kmsraj51)
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