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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Story in Hindi

कंकड़ की सब्जी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कंकड़ की सब्जी। ♦

अरे! रोशनी आज मीरा को तू अपने साथ ले जाना। मैं आज देर से आऊंगी, शाम को आते वक्त अपने साथ लेकर आना परंतु मालकिन मेरे घर कैसे, जाते हुए विद्या ने बोला अरे! बस आज की ही बात है और साहब भी बाहर गए हैं। फिर दिन में मीरा अकेली कैसे रहेगी परंतु मालकिन विद्या ने बात काटते हुए कहा परंतु वरंतू कुछ नहीं तू ले जा और हां दिन में कुछ खिला देना गरम-गरम बनाकर।

अगर इधर से बनाकर लेकर जाएगी तो ठंडा हो जाएगा। जी मालकिन रोशनी ने सिर हिलाते हुए कहा, मन ही मन बहुत बेचैनी थी और बुड़बुड़ा रही थी। मैं अपने घर कैसे लेकर जाऊं मीरा को। यह पूरा दिन उस छोटे से कमरे में कैसी रहेगी? अनेक सवाल करते-करते काम कर रही थी। काम खत्म करके रोशनी अपने साथ मीरा को लेकर चल पड़ी। बाई जी मेरे तो पैर दर्द करने लगे और कितनी दूर है आपका घर, बस बेटा पास ही है।

पास-पास करते कितने दूर तो ले आए आप। मम्मी की तरह एक गाड़ी क्यों नहीं लेती? रे बेटा हम कहां से लें और मुझे तो चलानी भी नहीं आती। रोशनी ने कहा आप मम्मी से सीख लो, हां सही बोल रहे हैं आप। लो बेटा हमारा घर आ गया है। यह घर यह तो झोपड़ी है। हां बेटा हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि बड़ा घर बना ले।

घर में मीरा के 5 बच्चे खेल रहे थे। रोशनी ने कहा आप इनके साथ खेलों, मैं काम करती हूं। जी बाई जी मीरा ने कहा। थोड़ी देर बाद रोशनी ने खाना बना दिया। सभी खाना खाने लगे। मीरा बोली बाई जी मुझे भी खाना खाना है। रोशनी अपने पति की तरफ देखते हुए बोली कुछ पैसे हैं तो मीरा के लिए बाहर से खाना ला दो ना। अरे!रोशनी तुझे तो पता है पिछले 10 दिन से मुझे कुछ काम नहीं मिला। मेरे पास तो एक रूपया भी नहीं है।

तु मैम साहब से क्यों नहीं मांग कर लाई। किस मुंह से मांगती, पहले ही एडवांस पगार लेकर खा चुके हैं। चलो ऐसा करो यही खाना दे दो मीरा को। कैसी बात करते हो मीरा तो टेबल-कुर्सी पर बैठकर 10 तरह के पकवान खाती है। यह कैसे खाएंगी, कोई नहीं अब उसे भूख लगी है तो यही दे दो। ठीक है रोशनी ने कहा। मीरा लो बेटा खाना खा लो। मीरा खाना खाने लगी जैसे ही उसने सब्जी को मुंह में डाला मीरा बोली यह कैसी सब्जी है दांत से कट ही नहीं रही।

रोशनी की बेटी ने कहा मीरा तू पानी में रोटी लगाकर खाओ और सब्जी चूस कर प्लेट में रख दो। यह सब्जी है मैंने तो आज तक नहीं खाई और बाई जी तो हमारे घर में कभी नहीं बनाती है ऐसी सब्जी। रोशनी की बेटी नंदिनी ने कहा, परंतु हम तो हर रोज यही सब्जी खाते हैं। हम रोड़ से कंकड़ उठा कर, तभी रोशनी ने डाटंते हुए कहा चुपचाप खाना खाओ। नंदनी चुपचाप खाना खाने लगी।

खाना खाकर बच्चे खेलने लगे और रोशनी अपना घर का काम करने लगी। जब तक शाम हो गई थी रोशनी मीरा को लेकर मालकिन के घर चली गई। मीरा की मां ने आते ही रोशनी से कहा जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है। मां आज पता है आपको मैंने चूस कर फेंकने वाली सब्जी खाई और मैं पूरा दिन बहुत खेली। मेरे पांच दोस्त बन गए। कौन सी सब्जी बनाई थी जरा मुझे भी तो बताना।

मैं-मैं क्या कर रही है बता ना। मैं हर रोज कंकड़ रोड़ से उठाकर लाते हैं और उन्हें धोकर साफ करके उसकी सब्जी बना लेते हैं। यह क्या बोल रही है रोशनी तू, विद्या ने आश्चर्य से कहा। हमारे पास पैसे नहीं है और उनका काम भी कभी-कभी लगता।

घर में 5 बच्चे हैं। पर तूने बताया क्यों नहीं कभी। पहले आप इतना कुछ दे देती हो मालकिन, खाने की तरफ देख कर आज विद्या का मन खाना खाने को नहीं किया। बिना खाए उठ गई। क्या हुआ मेम साहब, खाना अच्छा नहीं बना था क्या आज।

अरे नहीं थक गई हूं ना इसलिए बोल कर अपने कमरे के अंदर जाते हुए कुछ पैसे रोशनी के हाथ में थमा कर बोली जाते समय राशन ले जाना। मालकिन मैं तो पहले ही पगार ले चुकी। चुप रह तू और हां ये सारा खाना घर ले जाना और बच्चों को खिला देना। जी मालकिन, अब तुम जाओ रात ज्यादा हो गई है और हां कल से तेरे पति को भी साथ में लेकर आना काम पर।

जी मालकिन रोशनी अपनी मालकिन का शुक्रिया अदा करते-करते घर चली गई।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — दिल का साफ़ इंसान भले ही पैसे से गरीब होता है लेकिन एक अमीर दिल का मालिक होता हैं। सच्चे दिल वाला गरीब इंसान शर्म के कारण मांगता नहीं है, जल्दी कभी किसी से। वह रुखा सूखा खुद और अपने परिवार को खिला लेगा लेकिन जल्दी कभी भी किसी से मांगता नहीं। खास करके घर में काम करने वाली बाई। जो नेक दिल वाले मालिक और मालकिन होते है वह सत्य जानने के बाद उनको दिल से मदद करते है, जैसा की इस कहानी में विद्या ने रोशनी के साथ किया।

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यह कहानी (कंकड़ की सब्जी।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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छोटे अहंकार के कारण…।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ छोटे अहंकार के कारण…। ϒ

छोटे अहंकार के कारण…

एक बार रेलगाड़ी में लोग यात्रा कर रहे थे। एक व्यक्ति खड़ा हुआ और खिड़की खोल दी, थोड़ी ही देर में दूसरा यात्री उठा और उसने खिड़की बंद कर दी। पहले को उसका यह बंद करना नागवार गुज़रा और उठकर खिड़की पुनः खोल दी।

  • जानते तो बहुत है…। ….. जरूर पढ़े।

एक बंद करता दूसरा खोल देता। यह बंद और खोलने का नाटक शुरू हो गया। यात्रियों का मनोरंजन हो रहा था, लेकिन अंततः सभी तंग आ गये। फिर क्या, ‘टी टी को बुलाया गया,’ टी टी ने पूछा ‘महाशय ! यह क्या कर रहे हो ? क्यों बार-बार खोल – बंद कर रहे हो ?’ पहला यात्री बोला- ‘क्यों न खोलू, मई गर्मी से परेशान हूँ, खिड़की खुली ही रहनी चाहिए।’ टी टी ने दूसरे यात्री को कहा – ‘भाई ! आपको क्या आपत्ति है, खिड़की खुली रहे तो ?’ इस पर दूसरे यात्री ने कहा- ‘मुझे ठंड लग रही है, मुझे ठंड सहन नहीं होती। टी टी बेचारा परेशान, एक को गर्मी लग रही है तो दूसरे को ठंड।

Stop Living In The Past, Spend Time In Future.
“अतीत में रहना बंद करो, भविष्य में समय व्यतीत करें।”

टी टी यह सोचकर खिड़की के पास गया कि कोई बीच का रास्ता निकल आये। उसने देखा और मुस्करा दिया। खिड़की में शीशा था ही नहीं। वहा तो मात्र फ्रेम थी। वह बोला – ‘कैसी गर्मी या कैसी ठंडी ? यहाँ तो शीशा ही गायब है, आप दोनों तो मात्र फ्रेम को ही ऊपर नीचे कर रहे हो।’ मित्रों, वस्तुतः दोनों यात्री न तो गर्मी और न ही ठंडी से परेशान थे। वे परेशान थे तो मात्र अपने अभिमान से। वे अपने अंह पाेषण में लिप्त थे, गर्मी या ठंडी का अस्तित्व ही नहीं था।

  • हिंदी कहानी – निरंतर प्रयास जरूर पढ़े।

सीख – अधिकांश कलह मात्र इसलिए होते है, कि अहंकार को चोट पहुँचती है, और आदमी को सबसे ज्यादा आनंद दूसरे के अहंकार को चोट पहुँचाने में आता है। साथ ही सबसे ज्यादा क्रोध अपने अहंकार पर चोट लगने से होता है। जो दूसरों के अहंकार को चोट पहुँचाने में सफल होता है, वह मान लेता है कि उसने बहुत ही बड़ा गढ़ जीत लिया, वह यह मानकर चलता है कि दूसरों के स्वाभिमान की रेखा को काट पीट कर ही वह सम्मानित बन सकता है। किन्तु परिणाम अज्ञानता भरे शर्म से अधिक नहीं होता। अधिकांश लड़ाइयों के पीछे कारण एक छोटा सा अहम् ही होता है। ज्ञान-ध्यान, कर्मयोग व् धर्मयोग की साधना से अहम और वहम (अहंकार और भ्रम), से ऊपर उठ कर अर्हम को प्राप्त करो।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation and encourage good solar radiation to become themselves.

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अभी समय नहीं…।

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ϒ अभी समय नहीं…। ϒ

अभी समय नहीं…

एक बार कबीरदास जी परमात्मा का भजन करते हुए गली से निकल रहे थे। उनके आगे कुछ स्त्रियां जा रही थी। उनमे से एक स्री की शादी कहीं तय हुई होगी तो उसके ससुराल वालों ने शगुन में एक नथुनी भेजी थी। वह लड़की अपनी सहेलियों को बार-बार नथनी के बारे में बता रही थी कि नथनी ऐसी है वैसी है…। ये ख़ास उन्होंने मेरे लिए भेजी है… बार-बार बस नथनी की ही बात…।

उनके पीछे चल रहे कबीरदास जी के कान में सारी बातें पड़ रही थी।

तेजी से कदम बढ़ाते हुए कबीरदास जी उनके पास से निकले और कहा –
‘नथनी देनी यार ने,
तो चिंतन बारम्बार, और
नाक दीनी जिस करतार ने,
उनको तो दिया बिसार… ।

सोचो यदि नाक ही न होती तो नथनी कहाँ पहनती।’

यही जीवन में हम भी करते हैं। भौतिक वस्तुओं का ज्ञान तो हमे रहता है, परंतु जिस परमात्मा ने यह दुर्लभ मनुष्य देह दी और इस देह से सम्बंधित सारी वस्तुएं, सभी रिश्ते-नाते दिए, उसी को याद करने के लिए हमारे पास समय नहीं होता। इसलिए सदा उन अनगिनत अमूल्य देन के लिए पारब्रह्मा परमात्मा के आभारी रहें जो उन्होंने हमें दी है।

मन को अचल-अडोल स्थिती मैं स्थित करने के लिए सर्वप्रथम अपने मन को फालतू विचारों से मुक्त करना होगा अर्थात: अपने मन से फालतू विचारों का कचरा हटाना होगा, तभी आप अपने मन के अंदर अच्छे विचारों को स्थित कर पाएंगे।

♥ – एक बात सदैव ही – याद रखें ….. समय का प्रबंधन वास्तव में जीवन का प्रबंधन है। यह दरअसल घटनाओं के क्रम को नियंत्रित करना है। समय का प्रबंधन का अर्थ है, इस बात पर नियंत्रण करना कि आप अगला कार्य कौन सा करेंगे, और आप हमेशा अपना कार्य चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। महत्वपूर्ण और महत्वहीन के बीच विकल्प चुनने कि आपकी काबिलियत, जिंदगी और काम-धंधे में आपकी सफलता तय करने वाली अहम कुंजी हैं। असरदार और उत्पादक लोग खुद को इस बात के लिए अनुशासित कर लेते हैं कि वे सबसे महत्वपूर्ण कार्य से ही दिन कि शुरुआत करें।

“किसी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू और पूरा करने के बारे में सोचने भर से ही आप प्रेरित हो जाते हैं। इससे आपको टालमटोल छोड़ने में मदद मिलती हैं।”

सच तो यह हैं कि किसी महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए भी अक्सर उतने ही समय की जरूरत होती हैं, जितनी कि महत्वहीन कार्य को करने के लिए। फर्क यह है कि महत्वपूर्ण कार्य पूरा करने के बाद आपको गर्व और संतुष्टि का जबरदस्त एहसास होता हैं। बहरहाल जब आप उतना ही समय और ऊर्जा खर्च करके कोई मूल्यहीन या महत्वहीन कार्य पूरा करते हैं, तो आपको बहुत कम संतुष्टि मिलती हैं या जरा भी नही मिलती। उत्पादक लोग(productive people) या सफल लोग – महत्वपूर्ण कार्य को ही सबसे पहले करते हैं, भले ही वह कठिन हो, चाहे वह जो भी हो। नतीजा यह होता हैं – कि वे आम आदमी से कहीं ज्यादा हासिल करते हैं और ज्यादा खुश भी रहते हैं।

“कार्य करने का ये तरीका आपको भी अपनाना चाहिए।”

महत्वपूर्ण कार्य का जर्नल(नाेटबुक या डायरी) रखें – और उसमें रात में सोते समय ही अगले दिन के कार्य का डिटेल्स लिख ले – सबसे पहले अपनी डायरी में तीन कालम बना ले, पहले वाले कालम में हेडिंग्स डाले – अत्याधिक महत्वपूर्ण कार्य, दूसरे वाले कालम में हेडिंग्स डाले – महत्वपूर्ण कार्य, और तीसरे वाले कालम में हेडिंग्स डाले – कम महत्वपूर्ण कार्य।

सीख – क्योंकि प्रभु स्मृति और निराभिमानी स्थिति ही उन चीजों या देन को अविनाशी और सदैव खूबसूरत बनाये रख सकती है। इसलिए मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।

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तांबे का सिक्का।

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Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ तांबे का सिक्का। ϒ

एक राजा का जन्मदिन था। सुबह जब वह घूमने निकला, तो उसने तय किया कि वह रास्ते मे मिलने वाले पहले व्यक्ति को पूरी तरह खुश व संतुष्ट करेगा। उसे एक भिखारी मिला। भिखारी ने राजा से भीख मांगी, तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया।

सिक्का भिखारी के हाथ से छूट कर नाली में जा गिरा। भिखारी नाली में हाथ डाल तांबे का सिक्का ढूंढ़ने लगा। राजा ने उसे बुला कर दूसरा तांबे का सिक्का दिया। भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का अपनी जेब में रख लिया और वापस जाकर नाली में गिरा सिक्का ढूंढ़ने लगा।

राजा को लगा की भिखारी बहुत गरीब है, उसने भिखारी को चांदी का एक सिक्का दिया। भिखारी राजा की जय जयकार करता फिर नाली में सिक्का ढूंढ़ने लगा। राजा ने अब भिखारी को एक सोने का सिक्का दिया।

भिखारी खुशी से झूम उठा और वापस भाग कर अपना हाथ नाली की तरफ बढ़ाने लगा। राजा को बहुत खराब लगा। उसे खुद से तय की गयी बात याद आ गयी कि पहले मिलने वाले व्यक्ति को आज खुश एवं संतुष्ट करना है।

उसने भिखारी को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें अपना आधा राज-पाट देता हूं, अब तो खुश व संतुष्ट हो? भिखारी बोला, मैं खुश और संतुष्ट तभी हो सकूंगा जब नाली में गिरा तांबे का सिक्का मुझे मिल जायेगा।

हमारा हाल भी उस भिखारी जैसा ही है।

हमें भगवान(GOD) ने आध्यात्मिकता रूपी अनमोल खजाना दिया है और हम उसे भूलकर संसार रूपी नाली में तांबे के सिक्के निकालने के लिए जीवन गंवाते जा रहे है। परमात्मा को याद कियें बिन कैसे हो, बेड़ा तेरा पार जी। शवास हाथ से जा रहे हैं, कीमत बेशुमार जी।

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सकारात्मक सोच + निरंतर कार्य = सफलता।

स्वयं पर और स्व-कर्माे पर विश्वास माना सफलता का आधार(नींव) मज़बूत।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

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“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

 ~KMSRAJ51

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भगवान पर सच्चा विश्वास।

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Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

♥ भगवान पर सच्चा विश्वास। ♥

एक अत्यंत गरीब महिला थी जो ईश्वरीय शक्ति पर बेइंतहा विश्वास करती थी। एक बार अत्यंत ही विकट स्थिति में आ गई, कई दिनों से खाने के लिए पुरे परिवार को कुछ नहीं मिला।

एक दिन उसने रेडियो के माध्यम से ईश्वर को अपना सन्देश भेजा कि वह उसकी मदद करे। यह प्रसारण एक नास्तिक ,घमण्डी और अहंकारी उद्योगपति ने सुना और उसने सोचा कि क्यों न इस महिला के साथ कुछ ऐसा मजाक किया जाये कि उसकी ईश्वर के प्रति आस्था डिग जाय।

उसने आपने सेक्रेटरी को कहा कि वह ढेर सारा खाना और महीने भर का राशन उसके घर पर देकर आ जाये, और जब वह महिला पूछे किसने भेजा है तो कह देना कि ” शैतान” ने भेजा है।

जैसे ही महिला के पास सामान पंहुचा पहले तो उसके परिवार ने तृप्त होकर भोजन किया, फिर वह सारा राशन अलमारी में रखने लगी।

जब महिला ने पूछा नहीं कि यह सब किसने भेजा है तो सेक्रेटरी से रहा नहीं गया और पूछा- आपको क्या जिज्ञासा नही होती कि यह सब किसने भेजा है।

उस महिला ने बेहतरीन जवाब दिया- मैं इतना क्यों सोंचू या पूंछू, मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है, मेरा भगवान जब आदेश देते है तो शैतानों को भी उस आदेश का पालन करना पड़ता है।

Jaya Kishori Ji-kmsraj51
जया शर्मा किशोरी जी।

Post share by जया शर्मा किशोरी जी। We are grateful to “Jaya Kishori Ji” for sharing this inspirational Hindi Story for Kmsraj51.com readers.

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

CYMT-KMS-KMSRAJ51

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अधूरी भक्ति।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ अधूरी भक्ति। ϒ

Incomplete Bhakti-kmsraj51

मृत्यु के उपरांत एक साधु तथा डाकू साथ-साथ यमराज की सभा में पहुँचे। यमराज ने अपने बही-खातों की जाँच-पड़ताल करके उनसे कहा-यदि तुम दोनों को अपने लिए कुछ कहना हो तो कह सकते हो।

“डाकू विनम्र स्वर में बोला-महाराज मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं। जो भी दंड विधान आपके यहाँ मेरे लिए हो वह करें। मैं प्रस्तुत हूँ।” फिर साधु बोले-आप तो जानते ही हैं, मैंने जीवनभर भक्ति की है। कृपया मेरे सुख साधनों का प्रबंध शीघ्र करवाएँ।

“यमराज ने दोनों की इच्छा सुनकर डाकू से कहा-तुम्हें यह दंड दिया जाता है कि तुम आज से इस साधु की सेवा किया करो।” डाकू ने सिर झुकाकर आज्ञा शिरोधार्य की, परंतु साधु ने आपत्ति की-महाराज इस दुष्ट के स्पर्श से मैं भ्रष्ट हो जाऊँगा। मेरी भक्ति तथा तपस्या खंडित हो जाएगी।

अब यमराज के आदेश के स्वर में आक्रोश बोले-निरपराध भोले व्यक्तियों का वध करने वाला तो इतना विनम्र हो गया कि तुम्हारी सेवा करने को तत्पर है और तुम हो कि वर्षों की तपस्या के पश्चात् भी यह न जान सके कि सबमें एक ही आत्म-तत्त्व समाया हुआ है। जाओ तुम्हारी भक्ति अभी अधूरी है, अतः आज से तुम इसकी सेवा किया करो।’

सीख: अहंकार काे त्याग कर, विनम्रता के गुण काे धारण करना ही सच्ची भक्ति हैं।

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सकारात्मक सोच + निरंतर कार्य = सफलता।

स्वयं पर और स्व-कर्माे पर विश्वास माना सफलता का आधार(नींव) मज़बूत।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

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“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

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भटकता इंसान।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ भटकता इंसान। ϒ

Wandering-humen-kmsraj51
भटकता इंसान।

एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा-‘वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।’ कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया। कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा-‘क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है?’ किसान ने कहा-‘नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?’ उस व्यक्ति ने कहा-‘मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए, लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।’ किसान ने कहा-‘मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है। इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं, मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है। वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था।

फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता। अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा।
इसलिए वह थक गया है।’ देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है। जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन लोभ, मोह अहंकार और ईर्ष्या जीव को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रही है। अपनी क्षमता के अनुसार जिसके पास जितना है, उससे वह संतुष्ट नहीं। आज लखपति, कल करोड़पति, फिर अरबपति बनने की चाह में उलझकर इंसान दौड़ रहा है। अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है।


भरा-पूरा परिवार, कोठी, बंगला, एक से एक बढ़िया कारें, क्या कुछ नहीं है। फिर भी उनमें बहुत से दुखी रहते हैं। बड़ा आदमी बनना, धनवान
बनना बुरी बात नहीं, बनना चाहिए। यह हसरत सबकी रहती है। उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी तो थकान नहीं होगी। लेकिन दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की चाह के चलते आदमी राह से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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सकारात्मक सोच + निरंतर कार्य = सफलता।

स्वयं पर और स्व-कर्माे पर विश्वास माना सफलता का आधार(नींव) मज़बूत।

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“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

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खुद के गिरहबान में झांक कर ताे देख लाे।

Kmsraj51 की कलम से…..

KMSRAJ51-CYMT

ϒ खुद के गिरहबान में झांक कर ताे देख लाे। ϒ

एक गाँव में एक किसान रहता था। जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था। एक दिन उसकी बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया। वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा।

वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल में बना हुवा था और हर पेढ़े का वज़न एक Kg था। शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया, और दुकानदार से चायपत्ती, चीनी, तेल और साबुन वगैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया।

किसान के जाने के बाद। दुकानदार ने मक्खन को फ्रिज़र मे रखना शुरू किया। उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए, वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 gm. का निकला।

हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 gm. के ही निकले।

अगले हफ्ते फिर किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा, दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा, के वो दफा हो जाए, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ मनुष्य से कारोबार करना उसे गवारा नही।

900 gm. मक्खन को पूरा एक Kg. कहकर बेचने वाले शख्स की वो शक्ल भी देखना गवारा नही करता। किसान ने बड़ी ही आजिज़ी (विनम्रता) से दुकानदार से कहा “मेरे भाई मुझसे बद-ज़न ना हो हम तो गरीब और बेचारे लोग है, हमारी माल तोलने के लिए बाट (वज़न) खरीदने की हैसियत कहाँ” आपसे जो एक किलो चीनी लेकर जाता हूँ उसी को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर दूसरे पलड़े मे उतने ही वज़न का मक्खन तोलकर ले आता हूँ।

दोस्तों,

इस कहानी को पढ़ने के बाद आप क्या महसूस करते हैं, किसी पर उंगली उठाने से पहले क्या हमें अपने गिरहबान में झांक कर देखने की ज़रूरत नही……? कहीं ये खराबी हमारे अंदर ही तो मौजूद नही…..?

⇒ अपने भीतर की कमजोरी की जाँच करें।

⇒ किसी पर उंगली उठाने से पहले स्वयं कि कमजोरी को देखे।

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सर्वश्रेष्ठ कौन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

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© “जो दूसरों के बारे में सोंचने और उनका भला करने से नही चुकता, वही सर्वश्रेष्ठ है ।” ®

बहुत समय पहले की बात है। एक बिख्यात ऋषि गुरुकुल में बालको को शिक्षा प्रदान किया करते थे। उनके गुरुकुल में राजा महाराजा के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के लड़के भी पढ़ा करते थे।

वर्षो से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी, और सभी बड़े उत्साह के साथ अपने अपने घरो को लौटने की तैयारी कर रहे थे क़ि तभी ऋषि की तेज आवाज सभी के कानो में पड़ी, आप सभी मैदान में एकत्रित हो जाएं।

आदेश सुनते ही शिष्यों ने ऐसा किया। ऋषिवर बोले, प्रिय शिष्यों ! आज इस गुरुकुल में आपका अंतिम दिन है। मैं चाहता हूँ कि यहाँ से प्रस्थान करने से पहले आप सभी एक बाधा दौड़ में हिस्सा लें।

दौड़ शुरू हुई। वे तमाम बाधाओ को पार करते हुए, अंत में एक सुरंग के पास पहुँचे।

सुरंग में अँधेरा था और नुकीले पत्थर जैसे कुछ चमक रहे थे। जिनके चुभने से असहनीय पीड़ा का अनुभव होता था। दौड़ के बाद सभी सुरंग में अलग अलग व्यवहार कर रहे थे। दौड़ पूरा करने की होड़ में सही गलत सब कुछ भूल गए।

खैर दौड़ जैसे तैसे सभी ने पूरी की और ऋषिवर के समक्ष एकत्रित हुए। ऋषि बोले, मैं देख रहा हूँ, कुछ ने दौड़ बहुत जल्दी पूरी की और कुछ ने काफी समय लगाया। ऐसा क्यों हुआ ?

यह सुनकर एक शिष्य ने बोला, हम सभी लगभग एक ही साथ दौड़ रहे थे, पर सुरंग में पहुँचते ही स्थिति बदल गयी। कोई-कोई तो एक दूसरे को धकेलते हुए आगे बढ़ रहे थे, तो कोई संभल संभलकर आगे बढ़ रहा था।

कुछ तो ऐसे भी थे जो पैर में चुभ रहे पत्थरों को उठाकर अपनी जेब में रख रहे थे, ताकि बाद में आने वालों को पीड़ा न सहनी पड़े। इसीलिए सबने अलग-अलग समय में दौड़ पूरी की। ठीक है जिन्होंने भी पत्थर उठायें हैं वो आगे आएं और मुझे दिखाएं, ऋषि ने आदेश दिया।

कुछ शिष्य आगे आये और पत्थर निकालने लगे। पर ये क्या, जिन्हें वो पत्थर समझ रहे थे वो तो बहुमूल्य हीरे है। सभी आश्चर्य में पड़ गए। ऋषि ने कहा इन हीरों को मैंने ही सुरंग में रखा था। दुसरों के विषय में सोंचने वाले शिष्यों को ये मेरा उपहार है।

“जो दूसरों के बारे में सोंचने और उनका भला करने से नही चुकता, वही श्रेष्ठ है ।”

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

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इज्ज़त, क़र्ज़ और पिता का सम्मान।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ तीन विकल्प- इज्जत, क़र्ज़ और पिता का सम्मान। ϒ

बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था। उस किसान की एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी। दुर्भाग्यवश, गाँव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था। जमीनदार बूढा और कुरूप था। किसान की सुंदर बेटी को देखकर उसने सोचा क्यूँ न कर्जे के बदले किसान के सामने उसकी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा जाये।

जमींदार किसान के पास गया और उसने कहा – तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो, बदले में मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा। जमींदार की बात सुन कर किसान और किसान की बेटी के होश उड़ गए।

तब जमींदार ने कहा – चलो गाँव की पंचायत के पास चलते हैं और जो निर्णय वे लेंगे उसे हम दोनों को ही मानना होगा। वो सब मिल कर पंचायत के पास गए और उन्हें सब कह सुनाया।

उनकी बात सुन कर पंचायत ने थोडा सोच विचार किया और कहा-

ये मामला बड़ा उलझा हुआ है अतः हम इसका फैसला किस्मत पर छोड़ते हैं। जमींदार सामने पड़े सफ़ेद और काले रोड़ों के ढेर से एक काला और एक सफ़ेद रोड़ा उठाकर एक थैले में रख देगा फिर लड़की बिना देखे उस थैले से एक रोड़ा उठाएगी, और उस आधार पर उसके पास तीन विकल्प होंगे :

१. अगर वो काला रोड़ा उठाती है तो उसे जमींदार से शादी करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्ज माफ़ कर दिया जायेगा।

२. अगर वो सफ़ेद पत्थर उठती है तो उसे जमींदार से शादी नहीं करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्ज भी माफ़ कर दिया जायेगा।

३. अगर लड़की पत्थर उठाने से मना करती है तो उसके पिता को जेल भेज दिया जायेगा।

पंचायत के आदेशानुसार जमींदार झुका और उसने दो रोड़े उठा लिए। जब वो रोड़ा उठा रहा था तब तेज आँखों वाली किसान की ‪बेटी‬ ने देखा कि उस जमींदार ने दोनों काले रोड़े ही उठाये हैं और उन्हें थैले में डाल दिया है।

लड़की इस स्थिति से घबराये बिना सोचने लगी कि वो क्या कर सकती है, उसे तीन रास्ते नज़र आये:

१. वह रोड़ा उठाने से मना कर दे और अपने पिता को जेल जाने दे।

२. सबको बता दे कि जमींदार दोनों काले पत्थर उठा कर सबको धोखा दे रहा हैं।

३. वह चुप रह कर काला पत्थर उठा ले और अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए जमींदार से शादी करके अपना जीवन बलिदान कर दे।

उसे लगा कि दूसरा तरीका सही है, पर तभी उसे एक और भी अच्छा उपाय सूझा, उसने थैले में अपना हाथ डाला और एक रोड़ा अपने हाथ में ले लिया। और बिना रोड़े की तरफ देखे उसके हाथ से फिसलने का नाटक किया, उसका रोड़ा अब हज़ारों रोड़ों के ढेर में गिर चुका था और उनमे ही कहीं खो चुका था।

लड़की ने कहा – हे भगवान! मैं कितनी फूहड़ हूँ। लेकिन कोई बात नहीं। आप लोग थैले के अन्दर देख लीजिये कि कौन से रंग का रोड़ा बचा है, तब आपको पता चल जायेगा कि मैंने कौन सा उठाया था जो मेरे हाथ से गिर गया।

थैले में बचा हुआ रोड़ा काला था, सब लोगों ने मान लिया कि लड़की ने सफ़ेद पत्थर ही उठाया था। जमींदार के अन्दर इतना साहस नहीं था कि वो अपनी चोरी मान ले। लड़की ने अपनी सोच से असम्भव को संभव कर दिया।

प्यारे दोस्तों,

हमारे ‪जीवन‬ में भी कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जहाँ सबकुछ धुंधला दिखता है, हर रास्ता नाकामयाबी की तरफ जाता महसूस होता है पर ऐसे समय में यदि हम परंपरा से हटकर सोचने का प्रयास करें तो उस लड़की की तरह अपनी मुश्किलें दूर कर सकते हैं।

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Krishna Mohan Singh(KMS)
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

 ~Kmsraj51

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

CYMT-100-10 WORDS KMS

निश्चय ही आप विजयी होंगे, यदि आप अपनी दुर्बलता (Weakness) को अपनी ताकत में तब्दील करना सीख लें।

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

 

 

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  • मेरी कविता।
  • प्रकृति के रंग।
  • फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।
  • यह डूबती सांझ।
  • 10th Foundation Day of KMSRAJ51
  • प्रकृति और होरी।
  • तुम से ही।
  • होली के रंग खुशियों के संग।
  • आओ खेले पुरानी होली।
  • हे नारी तू।
  • रस आनन्द इस होली में।

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ब्रह्मचारिणी माता।

हमारा बिहार।

शहीद दिवस।

स्वागत विक्रम संवत 2080

नव संवत्सर आया है।

वैरागी जीवन।

मेरी कविता।

प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

10th Foundation Day of KMSRAJ51

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