• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for जन्माष्टमी पर कविता

जन्माष्टमी पर कविता

कृष्ण जन्माष्टमी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कृष्ण जन्माष्टमी। ♦

सौ जन्मों के पापों से छुटकारा मिलता है,
कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव सबसे उपयुक्त पर्व है।
हजारों एकादशी का व्रत करने से जो पुण्य मिलता है,
जन्माष्टमी पर्व पर व्रत करने से ही मनुष्य तर जाता है।

ब्रह्म वैवर्त पुराण आदि में भी चित्रण किया गया है,
भविष्य पुराण में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर वर्णन है।
पुत्र जन्म का समाचार सुन दयानंद से हृदय भरे आया,
ब्राह्मणों को दान दिया स्वस्तिवाचन जात कर्मों को कराया।

देवता की विधि पूर्वक पूजा – पाठ मंत्रोचार करवाया,
गौ और तिल के साथ पहाड़ सुनहरे वस्त्र भूषण दान दिया।
ब्रह्मण सूत माधव और बंदी जन आशीर्वाद देने लगे,
गाने लगे गायक, दुंदुभी और भेरियां भी बजने लगीं।

बृज के सभी हाल बागवानी और आंगनबाड़ी सजने लगी,
इत्र और जल का छिड़काव चारों तरफ किया जाने लगा।
रंग बिरंगी वस्त्र पुष्प और पल्लवों में वंदन द्वार सजाया गया,
गाय बैल और बछड़ों के अंगो में हल्दी तेल लेप किया गया।

गेरू से पीठ पर हाथ के पंजों से रंगीन संस्कृतिक निशान लगे,
मोर पंख और फूलों के हार से जानवरों को पहनाया गया।
ग्वाल वाल सब मिलकर हाथों में भेट लिए नंद बाबा के घर चले,
सुनकर यशोदा को पुत्र हुआ है गोपियों को भी आनंद मिला।

विशेष तरह से ही सुंदर वस्त्र आभूषण अंजन से श्रृंगार किया,
भेंट की सामग्री के संग गोपिकाएं मिलनें यशोदा जी के पास चलीं।
झल फल झल फल चलते समय कानों का सुंदर कुंडल डोल रहा,
गले पड़े हुमेल और मणियों के कुण्डल सुशोभित हो रहे थे।

जिस मार्ग में आगे बढ़ती थीं उसमें चोटियों के गुथे पुष्प बरसते,
हाथों की जड़ाऊ कंगन रुक रुक कर चमकने लगता।
नंद बाबा के घर जाकर सभी लोग नवजात को आशीर्वाद देतीं,
हल्दी मिला हुआ पानी छिड़क कर मंगल गान करती थीं।

जब नंद बाबा की ब्रृज में प्रकट हुए भगवान श्री कृष्णा
उस समय उनकी जन्म का महान उत्सव मनाया गया।
नंद बाबा के व्रज में रिद्धि -सिद्धियां अठखेलियां खेलने लगी,
लक्ष्मीनिया का क्रिडास्थल श्रीकृष्ण का निवास स्थान बन गया।

गोकुल के नन्द बाबा मथुरा चले कंस को वार्षिक कर चुकाने,
बात जान कर वसुदेव भाई नन्द जी से मिलने मथुरा चले गए।
आपस में दोनों लोग मिलकर प्रेम से विह्वल हो रहे थे,
वासुदेव नें नंद जी से कुशल मंगल पूछकर कहने लगे।

बड़े ही सौभाग्य की बात है कि तुम्हें संतान प्राप्त हुआ,
आनंद का विषय है कि आज हम लोग का मिलना हुआ।
सगे प्रेमियों का मिलना कामनाएं पूर्ण होना बड़ा दुर्लभ है,
सगे संबंधी और प्रेमियों का एक स्थान पर रहना संभव नहीं है नहीं।

यद्यपि सबको प्रिय लगता पर सबके प्रारब्ध अलग-अलग होते हैं,
मेरा लड़का अपनी मां रोहणी के साथ ब्रज में भाई रहता है!
जिसका पालन पोषण तुम और यशोदा ही करतीं हैं,
तुम्हीं को वह सम्मान के साथ माता – पिता मानता है।

धर्म अर्थ और काम मनुष्य के लिए स्वजनों को सुख देने वाला हो,
अपने स्वजनों को दुख देने वाला कार्य हितकारी नहीं होता है।
नंद जी और वसु देव ने सुख और दुख की बातें आपस में की,
वसुदेव ने नंद जी से मथुरा में अधिक दिन नहीं ठहरें कहीं।

हम दोनों मिल चुके गोकुल में बड़े – बड़े उत्पात हो रहे हैं,
तब गोपो के साथ नंद छकड़ों पे सवार होकर गोकुल की यात्रा की।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — इतिहास इस बात का साक्षी है, दुष्ट कभी सुधरते नहीं, दुष्टों का संहार करना ही पड़ता है दुनिया व समाज में शांति और खुशहाली के लिए, फिर चाहे युग (समय) कोई भी हो। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और पिता वासुदेव की ८वीं संतान थे। श्रीमद भागवत के वर्णन अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी थी। श्रीकृष्ण के आगमन से ब्रज भूमि तथा गोकुल में बचपन की अठखेलियों से गोकुलवासी अत्यंत खुश थे। क्या गोप क्या गोपिया, उनकी क्रीड़ाओं और लीला से अत्यंत हैरान व प्रसन्न थे। हैरान इसलिए क्योंकि इससे पहले अद्भुत लीला उन्होंने अपने जीवन काल में कभी नही देखीं थी, और खुश इसलिए क्योंकि श्रीकृष्ण की लीलाओं से सभी को आनंद आता था। माता यशोदा श्रीकृष्ण का लालन पालन कर अत्यंत ही हर्षित थी। नन्द व माता यशोदा श्रीकृष्ण के पालक माता-पिता थे। श्रीकृष्ण ने इंसान के जीवन में धर्म, अर्थ, कर्म व काम का क्या महत्व हैं इसे बहुत ही सरल रूप से समझाया है। इस कविता में कवि सुखमंगल सिंह जी ने श्रीकृष्ण के जीवन व उनके द्वारा की गई लीलाओं का बहुत ही मनोरम व सुन्दर वर्णन किया है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (कृष्ण जन्माष्टमी।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari Etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Krishna Janmashtami, poem in hindi, Poem On Krishna, poet sukhmangal singh poems, sukhmangal singh poems, कृष्ण जन्म पर कविता, कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी - सुखमंगल सिंह, कृष्ण जन्माष्टमी पर सुंदर कविता, क्यों कन्हैया?, क्यों कन्हैया? – हेमराज ठाकुर, जन्माष्टमी पर कविता, बाल कृष्ण पर कविता, लोकप्रिय कवि सुखमंगल सिंह की कविताएं, श्री कृष्ण के जीवन व लीलाओं पर कविता, श्री कृष्ण जन्म पर कविता, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता, सुखमंगल सिंह, सुखमंगल सिंह की कविताएं, हिन्दी कविता - कृष्ण जन्माष्टमी

क्यों कन्हैया?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ क्यों कन्हैया? ♦

त्रिलोकी नाथ तुम, सकल अधिष्ठाता,
चराचर जगत के बस तुम ही रचयिया।
जन्म से निर्वाण पर्यन्त कष्ट ही कष्ट,
अपने भाग्य में क्यों लिखे कन्हैया?

जन्म कारागार में, यमुना की जलधारा में
आकंठ पिता को क्यों था डुबाया?
कागासुर कभी शकटासुर गोकुल में,
पूतना जैसा हर संकट क्यों आया?

महिमा मंडन या दुख संसार की परिणति,
उद्देश्य जनार्दन था तुमने क्या ठाना?
या कुछ न था तुम्हारे भी हाथों में,
पर लोगों ने तो आपको ही प्रभु है माना।

वे रास लीला फिर विरह की पीड़ा,
राज पाया पर सुख कहां भोगा?
कंस, जरासंध फिर काल्यावन चढ़ाई,
कदम कदम का कौतुक, अब क्या होगा?

महाभारत फिर निज कुल का खात्मा,
अंत समाधि में बहेलिए के हाथों हुआ निर्वाण।
कुल की स्त्रियां जब भिलों ने सताई,
तब क्यों बचाने न आए तुम ओ भगवान?

क्यों न जीता अर्जुन तब भीलों से,
महाभारत विजयी धनुर्धर सखा महान?
अर्जुन वही था, वही गांडीव था,
फिर क्यों न चले, तब वे धनुष – बाण?

सवाल कई हैं जहन में आज भी,
होनी बड़ी है कि आप प्रभु, या फिर इंसान?
विधि का लेखा ही सबसे बड़ा है क्या?
या तुम सबसे बड़ा भी, है कोई और ही भगवान?

यह निश्चित है कि सृष्टि संचालक,
नियंता रचयिता है कोई न कोई जरूर।
जो हम ही होते स्वयंभू स्वयं तो,
क्यों होते फिर प्रकृति के हाथों यूं मजबूर?

याद करो प्रभु सहस्र विवाह अपने,
फिर भी प्रेम को तुमने क्यों न पाया?
राधा चाह कर भी क्यों एक न हो सकी?
यह सारा खेल तो हमारी समझ में न आया।

रामावतार में आकाश – पाताल खंगाले,
रावण से भिड़ कर भी सीता को पाया।
यहां तो हजारों विवाह कारा कर भी अपने,
आखिर, राधा रानी को क्यों था सताया?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कृष्ण कन्हैया से पूछा है की आखिर क्यों कन्हैया? तुमने अपने जीवन में जन्म से लेकर अंतिम समधी तक दुःख ही दुःख लिखे ? जन्म हुआ कारागार में, उसी समय तुम्हारे कारण पिता को यमुना में उतरना पड़ा, यमुना पार कर वृन्दावन तुम्हें नन्द व यशोदा जी के घर पर छोड़ना पड़ा। कागासुर तो कभी शकटासुर गोकुल में, पूतना जैसी राक्षसी और भी अनेकानेक का सामना करना पड़ा। मैं इसे क्या समझू ये भी तुम्हारी लीला थी या फिर कुछ न था तुम्हारे भी हाथों में, पर लोगों ने तो आपको ही प्रभु है माना। राज्यपाट भी मिला तो उसका भी सुख अच्छे से भोग न पाए अंतिम समय में तक कंस, जरासंध फिर काल्यावन चढ़ाई, कदम कदम का कौतुक, की अब क्या होगा? इस तरह के सवाल कई हैं जहन में आज भी, “होनी बड़ी है कि आप प्रभु, या फिर इंसान?”

—————

यह कविता (क्यों कन्हैया?) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, Krishna Janmashtami, poem in hindi, Poem On Krishna, कृष्ण जन्माष्टमी पर सुंदर कविता, क्यों कन्हैया?, क्यों कन्हैया? - हेमराज ठाकुर, जन्माष्टमी पर कविता, बाल कृष्ण पर कविता, श्री कृष्ण जन्म पर कविता, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

आओ कान्हा – तेरा स्वागत है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आओ कान्हा – तेरा स्वागत है। ♦

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को, विष्णु जी के आठवें अवतार ने जन्म लिया।
कान्हा के जन्म के अलौकिक दिव्य प्रकाश ने, संसार को उजाले से भर दिया॥

भगवान भी भक्तों की आस्था, भक्ति व प्रीत में झूमते चले आए।
माता देवकी- वासुदेव की यह संतान, नंद-यशोदा के प्यारे कहलाए॥

जब-जब अपने पांव पसारे ब्रह्मांड में, इस अधर्म ने।
तब-तब अवतार अवतरित हुए इस भू पर, शौर्य बढ़ाया धर्म ने॥

द्वारकाधीश की लीला से, भला अब तक कौन है? अपरिचित।
जिन्होंने धर्म युद्ध में गुंजाया गीता उपदेश, हुए सब कर्मफल से परिचित॥

गहरी हुंकार भरी, जब-जब धर्म ने, काल भी थर्राया है।
पाप कर्म की अधिकता का अंत करने, भगवान ही अवतरित हो आया है॥

तेरे आगमन को मथुरा वृंदावन के मंदिर भी जैसे पूनम की चांदनी से नहाए।
लगे ऐसा मानो ब्रह्मांड का अनुपम सौंदर्य, इस धरती पर उतर आए॥

जब मयूरपंख धारण कर तू, अपनी मुरली की सुरीली धुन सुनाए।
ब्रह्मांड में चहुँ ओर, खुशियों के फूल बिखर जाए॥

हे कृष्णा! तेरी भक्ति में लीन गोपी बन सब दिल, मस्त होकर झूमेंगे मन बावरें।
नैनो के अश्रु जल से पाक कर-आस्था, श्रद्धा के फूल बिछा कर, तेरी राह निहारें बस सावरें॥

स्वागत है तेरा चले आओ हे! कान्हा, इस धरा को फिर से स्वर्ग बनाने।
हम तो भावविभोर हैं तेरे जन्मदिवस की जन्माष्टमी मनाने॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से श्री कृष्ण जी के जन्म उत्सव व अद्भुत लीलाओं का सुंदर मनभावन वर्णन किया है। तुमने ही धर्म युद्ध में गुंजाया गीता उपदेश, हुए सब कर्मफल से परिचित।

—————

यह कविता (आओ कान्हा – तेरा स्वागत है।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

cymt-kmsraj51

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com  All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, आओ कान्हा - तेरा स्वागत है।, सुशीला देवी जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: happy krishna janmashtami, janmashtami status in hindi, janmashtami wishes in hindi, krishna janmashtami in hindi, poem on janmashtami, poet sushila devi, shree krishna janmashtami, sushila devi poems, आओ कान्हा - तेरा स्वागत है।, कान्हा पर कविता, कृष्ण जन्म पर कविता, कृष्ण सौंदर्य पर कविता, जन्माष्टमी पर कविता, बाल कृष्ण पर कविता, सुशीला देवी जी की कविताये

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया। ϒ

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर Kmsraj51.com के सभी Readers को ढेरों बधाई।

Happy Shree Krishna Janmashtami

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

रात अँधेरी अष्टमी।
महीना था वो भादो।

Krishna Janmashtami-Kmsraj51

नन्द भी नाचे और नाची थी  मैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

माखन चोर कहाये तुम।
खुद भी खाया – सबको खिलाया।

पी गए थे तुम दहिया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

गोपी संग में रास रचाया।
राधा संग त्योहार मनाया।

वृन्दावन के अमर नचैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

उस रास रंग में वृन्दावन के –
क्यों न तब हमको भी मिलाया।

हम भी बनते रास रचैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

छोड़ के पीछे सबको तुमने।
त्याग उदाहरण पेश किया।

वापस आओ धूम मचैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

पाप बढ़े थे कंसराज में –
बढ़ रही थी बुराइयाँ।

खुशियां बांटी कंस वधैया।

आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।
आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।

©- नंदिता शर्मा जी। (नोएडा, उत्तर प्रदेश)®

Nandita-Kmsraj51
नंदिता शर्मा जी।

हम दिल से आभारी हैं नंदिता शर्मा जी के “प्रेरणादायक कविता – आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।” हिन्दी में साझा करने के लिए।

नंदिता शर्मा जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “नंदिता शर्मा जी” ने “♥ श्री कृष्ण जन्म व जीवन ♥“ का कितना सुंदर-रमणीय वर्णन किया हैं। जिसके हर एक शब्दों में सकारात्मक ऊर्जा रूपी अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

Please Share your comment`s.

© आप सभी का प्रिय दोस्त ®

Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,,  http://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

 ~Kmsraj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note::-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

Also mail me ID: cymtkmsraj51@hotmail.com (Fast reply)

cymt-kmsraj51

– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

____Copyright © 2013 – 2016 Kmsraj51.com  All Rights Reserved.____

Filed Under: 2016-Kmsraj51 की कलम से….., नंदिता शर्मा जी।, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हिंदी कविता, हिन्दी साहित्य, हिन्दी-कविता Tagged With: Happy Shree Krishna Janmasthmi, https://kmsraj51.com/, Images for श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई, kms, kmsra, KMSRAJ, Kmsraj51, Krishna Janmashtami or Dahi Handi Date, Nandita Sharma, Sri Krishna Janmashtami, अष्टमी रोहिणी, आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया-नंदिता शर्मा जी।, आ भी जाओ कृष्ण कन्हैया।, कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि भोग व्रत महत्व एवं बधाई।, कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव, गीत-ग़ज़ल-कविता हिंदी में।, गोकुलाष्टमी, जन्माष्टमी का महत्व, जन्माष्टमी निबंध, जन्माष्टमी पर कविता, जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस, नंदिता शर्मा जी।, पढ़ें - शिक्षाप्रद हिंदी कविताओं का विशाल संग्रह।, पढ़ें – शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।, पढ़ें प्रेरणादायक कविताओं का विशाल संग्रह।, पढ़ें शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह हिंदी में।, पढ़ें सर्वश्रेष्ठ कविताओं का संग्रह हिन्दी में।, पढ़ें सर्वश्रेष्ठ कवितायें हिन्दी में।, पढ़े हिन्दी कविताओं और काव्य का विशाल संग्रह।, पढ़े हिन्दी कविताओं का सबसे बड़ा संग्रह।, प्रेरक कविता हिंदी में।, प्रेरणादायक कविता हिंदी में।, बच्चों के कविता हिंदी में।, बच्चों के लिए कविता हिंदी में।, बच्चों के लिए नैतिक कविता हिंदी में।, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई एवं शुभकामनायें, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से भी जाना जाता हैं।

Primary Sidebar

Recent Posts

  • गंगा माँ।
  • पछतावा।
  • बोलता पेड़।
  • लोहारी नहीं डूबा।
  • दर्दे दिल।
  • आया तूफान।
  • सफर।
  • बेजार।
  • ओ माझी रे।
  • इक प्रयास।
  • इक प्रयास।
  • स्त्री।
  • जागो अब तो जागो।
  • मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?
  • यही हमारा नारा है।
  • बल के लिए।
  • आन बान आउर शान बा।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

गंगा माँ।

पछतावा।

बोलता पेड़।

लोहारी नहीं डूबा।

दर्दे दिल।

आया तूफान।

सफर।

बेजार।

ओ माझी रे।

इक प्रयास।

इक प्रयास।

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.