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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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सुख मंगल सिंह

शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शास्त्र सम्मत गुरु महिमा। ♦

श्री सद्गुरु देवं, परमानंद, अमर भक्ति अविनाशी।
निर्गुण निर्मूल, स्थूल जगत, काटत शूल भाव भारी॥

हिंदू धर्म एक जगत रहस्यों से परिपूर्ण धर्म है। इस धर्म नें सभी परंपराएं, रीति- रिवाज, सिद्धांत, दर्शन और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य को अपने आप में समाहित है। हजारों हजार बरसो की परंपराओं में वैदिक, वैष्णव, शैव, शक्ति, नाथ, संत, स्मार्त, आदि अनेक संप्रदाय के मठ – मंदिर, सिद्धपीठ, ज्योतिर्लिंग और गुफाएं हैं। यह सभी स्थान पुनीत हैं। इन्ही पुनीत स्थानों में ध्यान, तप, भक्ति और क्रिया योग को मत दिया जाता है।

‘विश्वं तद् भद्रं यदवंति देवा:’ (१८.३.२४ अथर्व वेद)
अर्थात देवता जो करते हैं वह हमारे लिए शुभ है।

‘अजं जीवता ब्रहणे देयमाहु:!’ (९.५.७ वही)
जीवित मनुष्य को अपनी आत्मा विश्वास ईश्वरार्पण करनी चाहिए।

‘यदा मागन‌ प्रथमजा ऋतुष्य।’ (९.१०.१५ अथर्ववेद)
सत्य का प्रथम प्रवर्तक परमात्मा भक्त को प्राप्त होता है।

भारत आध्यात्म की राजधानी प्राचीन काल से जी है।
चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम इस प्रकार दिए गए हैं।

चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम

अमरनाथ का शिवलिंग, अमरनाथ में बाबा की अमर कथा, बाबा अमरनाथ की कहानी, माता ज्वाला देवी, मध्य प्रदेश का काल भैरव, पुरी का चमत्कार मंदिर, मध्य प्रदेश में मैहर माता का मंदिर, केदारनाथ मंदिर, रामेश्वर का मंदिर, श्री राम सेतु के पत्थर, तटोत माता का मंदिर जहां बम का प्रभाव अक्षम हो गया आदि।

गुरु शब्द का अर्थ – गुरु शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर गु का अर्थ है अंधकार। और दूसरे अक्षर रु का अर्थ है उसे हटाने वाला अर्थात प्रकाश। इस प्रकार जो अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर प्रेरित करें वह गुरु कहा जाता है। गुरु सच्चा मार्ग दिखाता है। यथार्थ गीता में श्री सद्गुरु देव भगवान की वंदना करते हुए कहा गया है कि —

भवसागर तारण कारण हे, रविनंदन बंधन खंडन से।
शरणागत किंकर मित मने, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

—•—

जय सद्गुरु ईश्वर पापक से, भव रोग विकार विनाशक हे।
मन लीन रहे तव श्रीचरणे, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

ईश्वर सभी भूत प्राणियों के हृदय में रहता है। वह अनन्य भक्ति के द्वारा प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सुलभ है। जो महापुरुष परम तत्व को प्राप्त कर लेता है वह स्वयं में ही धर्म ग्रंथ है। भारत में जितने शास्त्र पुराण हैं उनके कुछ नियम बताएं गए हैं। हम सभी का धर्म है कि उन नियमों को पालन करें। गुरु का कार्य है आध्यात्मिक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं का निराकरण करना और कराना।

विदुर कहता है कि —

राजन! ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से ऊपर स्थान पाते हैं। शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला और निर्धन होने पर भी दान देने वाला। आगे कहता है कि जो बहुत धन विद्या तथा ऐश्वर्य को पाकर इठलाता नहीं, वह पंडित कहलाता है। (पृष्ठ ६,२० विदुर नीति)

गुरु ब्रहमा गुरु विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात परम‌् ब्रह्म तस्मै गुरवे नमः॥

ऐसी श्लोक में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा पदवी दी गई। जबकि गुरु ईश्वर के विभिन्न रुपों जैसे – ब्रह्मा, विष्णु, एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार्य है।

यही बनाने वाले हैं, यही पालन करता है, और यही संहार भी करते हैं।

जबकि लोक प्रचलन में है कि —

राम कृष्ण सबसे बड़ा
उनहूं तो गुरु कींन्ह।
तीन लोक के वे धनीं
गुरु आज्ञा अधीन॥

गुरु गुढ तत्व जानता है। सभी शास्त्र गुरु तत्व की प्रशंसा करते हैं। संपूर्ण जगत में गुरु के गुणों की व्याख्या विद्यमान है।

संत कबीर लिखते हैं कि —

हरि रुठे गुरु ठौर है,
गुरु रुठे नहीं ठौर।

कहने का तात्पर्य है कि एक बार गुरु रुठ जाए तो कहीं जगह नहीं मिल सकती है। परंतु ईश्वर के रुठ जाने पर सद्गुरु रास्ता बना देता है और धर्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

‘सज्जन अंगीकृत कियो,
ताकों जेहिं निबाहि।
राखि कलंकी कुटिल ससि,
त उ सिव तजत न ताहि॥
(पृष्ठ १७, सुबोध दोहे 47कवि वृंद)

सज्जन पुरुष जिसे अपना लेता है, उसे वह सदा निभाता है।
चंद्रमा को शिव जी कभी त्यागते नहीं, यद्यपि वह कलंकित हैं।

गुरु का कर्तव्य है कि वह अपने भक्तों को सभी शिक्षा में पारंगत करें। यद्यपि गुरु ज्ञान को विकसित करता है। वह धर्म शास्त्रों के अनुसार अस्त्र शास्त्र विद्या में पारंगत करता है। योग साधना और यज्ञ से वातावरण को शुद्ध करने का उपाय करता है।

‘अयं यज्ञो गातुविद् नाथविद् प्रजावित‌्’
(अथर्व वेद ११.१.१५ )
यह यज्ञ मार्गदर्शक, शरणदाता और सुसन्तति दाता है।
यह यज्ञ सारे संसार का केंद्र है तथा –
‘अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभि:’!
और आचार्य स्वयं संगम से रहकर शिष्यों को चाहता है।
यथा – आचार्यों ब्रम्हचर्येण ब्रह्मचारिण मिच्छते। (वेदा अमत पृष्ठ 324)
संगृह‌्याभि भूत आ भर। (वही 325)
तेजस्वी शिक्षक ज्ञान संग्रह करके शिशु में भर देता है।

प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था।

एक रचना प्रस्तुत है —

ध्वज आरोहण कर रहा,
वाणी में अमृत भर रहा।
ढाढस देता शिशिर सिंधु,
कण कण सिंचित ईश इंदु।
देवर्षि आकर स्वर दिया,
वेदोक्त में ऐसा लिखा।
क्षण विलंब अनर्थ न हो,
पूर्णिमा यह व्यर्थ ना हो।

जिस प्रकार विश्व विष्णु से व्याप्त है। वैसे ही सर्व शास्त्र पुराण आदि 10 अक्षरों से व्याप्त है। यथा —

मन भय जर संत गल,
सहित दश अक्षर इन्हीं सोहिं।
सर्व शास्त्र व्यापित लखौं,
देश्व विष्णु से ज्योंहि॥
(काव्य प्रभाकर, जगन्नाथ प्रसाद जगन्नाथ प्रसाद भानु कवि पृष्ठ 14)

शास्त्रों में माता-पिता गुरु आचार्य और अतिथि, इसको देव तुल्य माना गया है। उपनिषदों में कहा गया है कि—

मातृ देवोभाव:
पितृ देवो भव:
आचार्य देवो भव:
अतिथि देवो भव:

यानी माता पिता तथा गुरु और आचार्य इस संसार में प्रत्यक्ष चार देव रूप हैं। इनका स्थान क्रमानुसार बताया गया है।

कथन में कदाचित आता है कि शास्त्र अध्ययन में नारी को वंचित किया गया है तो यहां वाल्मीकि आश्रम में लव कुश के साथ आत्रेयी नामक स्त्री ने भी शिक्षा ग्रहण की तो कैसे कहा जा सकता है कि स्त्रियों को शास्त्र पढ़ने से वंचित किया गया था।

पुराणों में स्त्रियों के बारे में कहा गया — पुराणों में सुजाता, प्रमद्वरा, रहु, कद्योत, आदि की कथाएं भी वर्णित हैं।

कहा गया है कि आश्रमों में बालक और बालिका एक साथ पढ़ते थे। उनका विवाह उचित समय पर होता था। गुरुकुल में शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी, साथ ही साथ वेदों का भी अध्ययन कराया जाता था।

सद्गुरु की खोज में कवि अखा — अहमदाबाद के जेतलपुर गांव का विक्रम संवत 1604 या 1653 में पैदा हुए इनके बारे में लिखा गया है। ‘ज्ञाति से सुनार, कुल धर्म से वैष्णव, विद्या व्यासंग से वेदांती, और नयसर्गिक रसिका के कवि था।’ ( पृ० ४, अखा की हिंदी कविता)

सद्गुरु की खोज में जमीन जागीर बेचकर एक कमरा सुरक्षित छोड़कर सतगुरु की खोज में निकल पड़ा। (वही पृष्ठ 5)

अखा पर एक रचना प्रस्तुत करता हूं —

पर्याप्त द्रव्य लेकर, आस पास खोजा।
मन नहीं माना, दूर यात्रा धामों में चला।
साधुओं की जमात की, तीर्थों में घूम रहा।
भजन कीर्तन करता, मन भजन में रमाते।

घुमा गोकुल, गोकुलनाथ शरण पहुंचा।
संप्रदाय में करूं साधना, सिद्धि की आस लिए वेदना।
श्री गोकुलनाथजी वैष्णवी दीक्षा, ब्रह्म संबंध की मिली भिक्षा।
भांति – भांति परिचित हुआ, मिली भक्ति में मस्ती।

तत्व ज्ञान की जिज्ञासा, शांति की मन में लिए आशा।
शांति फिर भी नहीं मिली, काशी जाने की उपजी जिज्ञासा।
मणिकर्णिका घाट पर पहुंचा, छोटे आश्रम में क्षमता देखा।
संत देव देख मन में जिज्ञासा, यही ब्रह्म ज्ञानी मीटावेंगे निराशा।

मधुर वाणी का रसपान हुआ, झंकृत वाणी गुण गान किया।
दीवार की ओट में रात्रि बिताया, यही मेरे गुरु हैं कहकर आया।
मानसी दीक्षा लिया और चला, ब्रह्मानंद को जपता रहा।
निज गुरु फिर मान लिया, ब्रह्मानंद सरस्वती से ज्ञान लिया।

स्पष्ट नाम निर्देशित नहीं किया, गुरु के कृपा ने जीवन जिया।
(स्वरचित रचना साभार पृष्ठ 5 से 10 तक अखा की हिंदी कविता)

——♦——

गुरु रूप गोस्वामी तुलसीदास ग्रंथावली में वर्णित कुछ पंक्तियां —

भवानी शंकरौ वंदे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।

—♥—

वंदे बोधगम्यं नित्यं गुरुं शंकर रुपिणं।

—♥—

वंदे विशुद्ध विज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ।

—♥—

वंदेहं तमशेषकारण, परं रामाख्यमीशं हरि।

——♦——

भक्तवर सूरदास के सुबोध पद से वंदना प्रस्तुत है —

चरण कमल बंदौं हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै,
आंध र कों सब कुछ दरसाई।
बहिरो सुनै मूक पुनि बोलैं,
रंक चले सिर छत्र धराई।

सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बंदौं तेहि पाई।।

गुरु ज्ञान को देने वाला है गुरु सम्मान को दिलाने वाला है गुरु महान है। गुरु ज्ञाता होता है। गुरु सर्वदाता होता है। गुरु देवताओं से साक्षात्कार कराता है। गुरु समाज में उन्नति दिलाता है। गुरु उन्नति के मार्ग पर ले जाता है। इसलिए मनुष्य जाति को सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए। सद्गुरु सर्व ज्ञाता होता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था। इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह लेख (शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में। ♦

आषाढ़ शुक्ल – अष्टमी तिथि, जुलाई 7, 2022 दिन बृहस्पतिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी के सिगरा स्टेडियम में 1774 करोड़ की विकास परियोजना के लोकार्पण समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ उपस्थित हुए।

प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री द्वारा स्वागत

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विगत दिनों उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद पहली बार प्रधानमंत्री के काशी आगमन पर स्टेडियम मंच से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री का वक्तव्य

उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काशी नई विकास यात्रा की ओर बढ़ रही हैं और काशी मां गंगा की अविरल निर्मल धारा को देख रही। अब काशी को चिकित्सा और शिक्षा के नए हब के रूप में देखा जा रहा। मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में बदलती काशी को नये कलेवर के रूप में देखा गया है। काशी में शिक्षा स्वास्थ पर्यटन और खेल में काफी विकास कार्य हुए हैं।

यहां ग्राम पंचायत स्तर से बेसिक मंच पर विकासशील परियोजनाएं लाई गई है। योजनाओं का लाभ नौजवानों, महिलाओं, सभी समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों को मिला है। जाति धर्म से ऊपर उठकर समाज के लोगों को लाभांवित किया गया है। इस महत्वपूर्ण समय पर आज के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार जताया।

प्रधानमंत्री ने कहा …

काशी के सांसद के रूप में अपने भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी अंदाज में किया और कहा काशी में कहीं जाला, सात बार अउर, नौ त्यौहार होला। काहे का मतलब ई है कि जहां रोज – रोज, नया – नया त्योहार मनावल जाला। इसके बाद उन्होंने कहा आप सब लोगों ने प्रणाम बा।

जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी भाषण के दौरान विकास की अविरल धारा में आज और कई परियोजनाओं कि श्रृंखला जुड़ी है। काशी हमेशा से प्रभावशाली प्रबाहवान रही है। काशी ने एक तस्वीर पूरे देश को दिखाई है जिसमें विरासत भी है विकास भी है।

हमारा पूरा प्रयास है कि आत्मा वही रहे मगर काया में निरंतर नवीनता लाने का प्रयास जारी है। इसीलिए काशी में एक प्रोजेक्ट का काम पूरा होता है तो चार नया शुरू हो जाता है। काशी में सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वच्छता और सुंदरीकरण कर ऐसे जुड़ी हजारों करोड़ रुपए की परियोजना शुरू हो चुकी है। काशी के लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ मेरा समर्थन किया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

सिगरा स्टेडियम मंच पर उपस्थित

स्टेडियम के मंच पर प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, जया शंकर मिश्र दयालु, रविंदर जयसवाल अशोक धवन आदि लोग उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री वेंडिंग जोन (पटरी व्यवसाय से जुडे) की चर्चा की

ठेला पटरी व्यवसाई संग के सचिव अभिषेख निगम और प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश जी – संयोजक रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ काशी चेत्र भाजपा के नेतृत्व में साइकिलों, पटरी वाले प्रधानमंत्री जी की जनसभा में जय कारे कि नारे लगाते, भारत माता की जय, मोदी-मोदी, घर-घर मोदी, के नारे को लगाते हुए सभा स्थल पर पहुंचे। पटरी व्यवसाय से जुडे लोग प्रधानमंत्री जी की योजनाओं से काफी प्रसन्न दिखे।

IT कॉलेज में केंद्रीकृत रसोई अच्छय पात्र का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के IT कॉलेज परिसर में अक्षय पात्र रसोई का किया उद्घाटन इसके बाद महिला से सब्जी की धुलाई से लेकर दाल और चावल पकाने वाली मशीन के संचालन के बारे में जानकारी ली। किचन से निकलने के बाद पंडाल में प्रधानमंत्री ने बच्चों के साथ संवाद किया। ननिहाल की प्रतिभा को देखकर प्रधानमंत्री कायल हो गए।

अक्षय पात्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने उस जगह किया है जहां कभी स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष ने अपने पैरों से उधर आकर उस जगह को पवित्र किया था। कहां जाता है कि स्वामी विवेकानंद जी IT कॉलेज में पधारे थे।

प्रोटोकॉल को तोड़ कर प्रधानमंत्री नौनिहालों को दुलारने लगे

कोई भी कार्यक्रम हो भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बच्चों के साथ दुलार करना नहीं भूलते। अर्दली बाजार एवं IT कॉलेज में बच्चों के साथ प्रधानमंत्री ने खूब बातें की। बच्चों से प्रधानमंत्री ने लक्ष्य के प्रति डटे रहने का संदेश दिया।

एक बच्चे ने शिव तांडव किया जिसे प्रधानमंत्री ने अपने पास बुला लिया। उसके सिर पर हाथ फेरकर शाबाशी दी। एक बच्चा नेशनल ओलिंपियाड में योग करके लौटा था, उसने अपने योग का प्रदर्शन किया, शिवम की ओर देख प्रधानमंत्री उसके मुरीद हुए। सेवापूरी का एक बालक ने लगभग सैकड़ो देशों का नाम बताया और राजधानी, प्रधानमंत्री ने कुछ देशों के नाम और राजधानी सुनी इसके बाद उन्होंने खूब ध्यान से पढ़ो और आगे बढ़ों कहा।

एक बच्चे ने संस्कृत में श्लोक सुनाया जिसे सुनकर प्रधानमंत्री चकित रह गए। उकथी कन्या विद्यालय की छात्रा ने महिषासुर मर्दिनी, और सा नानी संग स्थित में महिषासुर मर्दिनी सुनाया चंद मिनटों के लिए पंडाल में उपस्थित लोगों में सिर्फ उसकी ही आवाज गुंजन कर रही थी। साक्षी यादव ने कविता सुनाया। अतीत नामक छात्र ने आंख पर पट्टी बांधकर एशिया के अनेक देशों और उसकी राजधानी को बताया।सोहेल नाम छात्र ने प्रधानमंत्री के पंडाल में घुसने पर ढोल बजा कर उनका स्वागत किया और संस्कृत में प्रधानमंत्री को अपना परिचय दिया।

रुद्राक्ष कन्वेंशन में प्रधानमंत्री मोदी

7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के रुद्राक्ष कमीशन में आने पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह प्रदान की। रुद्राक्ष कंवेंशन में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी को मोक्ष की नगरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र उपाय विद्या और ज्ञान को माना गया है।

जब शिक्षा का इतना बड़ा आयोजन काशी में होगा तो देश को उसका बड़ा फायदा होगा। देश की महिलाओं, बेटियों के लिए जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे आज वह सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। तीन दिवसीय समागम से जो अमूल्य निधि निकलेगी वह शिक्षा को नई दिशा देगी। हमारे यहां उपनिषद ने कहा गया है कि विद्या अमृतमं अश्नुते, अर्थात विद्या ही अमरत्व है और अमृत तक ले जाती है।

प्रधानमंत्री ने शिक्षाविद से नए भारत का विजन साझा करते हुए कहा दुनिया भर में सौर ऊर्जा पर चर्चा हो रही है। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास चमकता हुआ सूरज है। हमें सोलर एनर्जी का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम

अखिल भारतीय शिक्षा समागम के दौरान राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अन्नपूर्णा देवी, डॉ सुभाष सरकार, डॉ राजकुमार रंजन सिंह, वैज्ञानिक के कस्तूरी रंजन, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मंत्री आशीष पटेल और रजनी तिवारी आदि मौजूद रहे।

अक्षय पात्र अभी है कहां-कहां

देश का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए प्रधानमंत्री ने यह योजना चलाई है जिसके तहत अब तक कानपुर, आगरा, गाज़ियाबाद, वृन्दावन, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में एकीकृत रसोई बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है।

सोलर पैनल से अक्षय पात्र चलेगा

अक्षय पात्र फाउंडेशन के संयोजक ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण उनको ध्यान में रखते हुए सोलर पैनल इन्फ्रा लाइटों से भोजन को तैयार किया जाता है।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम काशी

काशी की धरती पर सब विद्या की राजधानी में 3 दिन के अखिल भारतीय शिक्षा समागम रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बच्चों के सहयोग से आयोजित किया गया।

समागम का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षकों को उनके जिम्मेदारी का भी एहसास कराया। प्रधानमंत्री ने कहा लैब टू लैंड का रोड मैप होना चाहिए। कृषि विद्यालयों के लैब में होने वाले रिसर्च का लाभ किसानों को भी मिलना चाहिए और किसानों के अनुभव को लैब में भी प्रयोग करना चाहिए।

आज दुनिया के कई देश जड़ी – बूटी से पारंपरिक इलाज में हमसे आगे हैं। जिसका परिणाम दुनिया में देखा है। हमारे पास परिणाम के साथ-साथ प्रमाण भी होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा विकास का मतलब चमक दमक नहीं, अपितु वंचित तबके का सशक्तिकरण करना है। दुनिया के समृद्ध देश परेशान हैं, वहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। युवा पीढ़ी ही कम हो रही है। हमारे यहां भी जल्द ऐसा समय आने वाला है इसका समाधान खोजना होगा। शिक्षा को 21वीं सदी के भविष्य से जोड़ना होगा।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन उस पवित्र धरती पर हो रहा है जहां आजादी से पहले देश की इतनी महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई थी। शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का, इतना बड़ा मंथन होगा तो शेर निकलने वाला अमृत देश को नई दिशा देगा। प्रधानमंत्री जी ने कहा यह हमें क्लाइमेट चेंज पर काम चाहिए।

खेल जगत पर बोलते हुए कहा

भारत में लोग लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहे है। खेल मैदान शाम को खिलाड़ियों से भरे होने चाहिए। विश्वविद्यालय खेल के क्षेत्र में लैक्चर बनाकर चल सकते हैं, आने वाले वर्षों में कितने गोल्ड मेडल ला सकते है, इस बारे में विचार करने की जरूरत हैं। हमारे बच्चे दुनिया भर में अखिल विश्व में खेलने जाएं।

मोदी की सौगात से सजेगा फ्लाईओवर

लहरतारा से चौका घाट फ्लाईओवर के नीचे 1.9 किलोमीटर में फैली आदिवासियों को प्रधानमंत्री ने नाईट बाजार की सौगात दी। इस बाजार के बन जाने के बाद काशी ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को काशी की कला व संस्कृति देखने के साथ ही बनारसी खानपान का स्वाद भी मिलेगा। रेलवे स्टेशन से निकलकर और वाराणसी के बस स्टेशन से बाहर आकर जनता को जरूरत की सामान्य वन प्ले सेटिंग में रात में भी मुहैया होगी।

सिगरा स्टेडियम का निर्माण

International Sports Complex के निर्माण के लिए खेलो इंडिया अब निवेश करेगी। इस Complex का निर्माण नई प्रणाली से 424 करोड की लागत से होगा। पहले चरण का निर्माण 87 करोड़ रुपए में होगा।

लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री

वायु सेना के विशेष विमान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 1:24 पर लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहुंचे। प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व उनकी आगवानी के लिए राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी राजकीय विमान से 12:00 बजकर 35 मिनट पर एयरपोर्ट पहुंच गए। उन्हें कुछ पुष्प गुच्छ अंग वस्त्र भेटकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने स्वागत किया। इसके उपरांत तीनों लोग वाराणसी के पुलिस लाइन हेली पैड पर उत्तर हेलीकॉप्टर से रवाना हुए।

वाराणसी शहर में अनेक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री, प्रकाश कुमार श्रीवास्तव ‘गणेश जी’ संयोजक रेहडी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र भाजपा से मिलकर शाम 6:00 बजे वायु सेना के विमान से दिल्ली रवाना हो गए।

बहुत-बहुत तत्वदर्शी, दूरदर्शी व्यक्तियों के घनी तप और योग क्रियाओं को पहचान दिलाने वाले दुनिया में भारत का नाम आगे बढ़ाने वाले स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, अटल बिहारी वाजपेयी, श्यामा प्रसाद, राम मनोहर लोहिया स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रेरणा लेकर भगवान राम के आदर्श को शिरोधार्य करके जगने वाले देश के माननीय प्रधानमंत्री का काशी में जो संस्कृति और विद्या की जननी वाली नगरी है। बाबा भोलेनाथ को समर्पित किया।

जय हिन्द – जय जवान – जय किसान। भारत माता की जय।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — देश का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए प्रधानमंत्री ने यह योजना चलाई है जिसके तहत अब तक कानपुर, आगरा, गाज़ियाबाद, वृन्दावन, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में एकीकृत रसोई बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। लहरतारा से चौका घाट फ्लाईओवर के नीचे 1.9 किलोमीटर में फैली आदिवासियों को प्रधानमंत्री ने नाईट बाजार की सौगात दी। इस बाजार के बन जाने के बाद काशी ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को काशी की कला व संस्कृति देखने के साथ ही बनारसी खानपान का स्वाद भी मिलेगा। जब शिक्षा का इतना बड़ा आयोजन काशी में होगा तो देश को उसका बड़ा फायदा होगा। देश की महिलाओं, बेटियों के लिए जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे आज वह सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

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यह लेख (प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास। ♦

जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का (संक्षिप्त) इतिहास।

Narendra Modi in Munich Germany and History of German

जर्मनी का म्यूनिख शहर अच्छे शहरों में एक है। G7 के 48th वे शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत के प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे। भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित जर्मनी के म्यूनिख में एक कार्यक्रम में उनका भव्य स्वागत किया गया और मोदी मोदी के जय कारे से वातावरण गूंज उठा। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से पहले राष्ट्रगान किया गया और अंत में भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

• प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य •

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र पर भारतीयों को गर्व होना चाहिए और वह गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है। आज का भारत सपनों को पूरा करने के लिए अधीर है। हम अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।

भारत ने 2016 में ही तय किया था कि 40 फ़ीसदी बिजली का उत्पादन जीवाश्म ईंधन से किया जाएगा। वर्तमान समय में उस लक्ष्य को भारत ने हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा सबको साथ लेकर देश का विकास किया जाता है तो दुनिया की बड़ी शक्तियां भी उसके साथ आ जाती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का पैसा देश में लगेगा — आज एक मजबूत सरकार देश का नेतृत्व कर रही है लोगों को पता है उसका पैसा भ्रष्टाचार में नहीं देश के विकास में लगेगा।

• देश चलता है और चलेगा की मानसिकता बदली •

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि एक वक्त था जब देश होता है “ऐसा होता रहता है”, चलता है, ऐसा ही चलेगा की मानसिकता से चल रहा था।

आज का भारत इस मानसिकता से बाहर निकल चुका है और आज देश करना है और करना ही है के संकल्प के साथ चल रहा है। पवित्र, सच्चे व अच्छे कार्यों से देश चलेगा और सम्पूर्ण विकास हो रहा हैं।

• सही फैसले लेता है भारत •

कोई देश जब सही फैसले लेता है तो उसका तेजी से विकास होता है। 21वीं सदी का भारत पीछे रहने वालों में नहीं है बल्कि, यौगिक क्रांति का नेतृत्व करने वाला भारत है। आज भारत में सबसे सस्ता डाटा है। डिजिटल ट्रांजैकन 40 फ़ीसदी भारत में हो रहा है।

• ग्रामीण विकास पर फोकस करते हुए कहा •

भारत के हर गांव में बिजली है हर गांव सड़क से जुड़ चुका है, आज का भारत बदल रहा है। भारत में 99 परसेंट लोगों के पास गैस कनेक्शन है।

• स्वास्थ्य पर फोकस •

आज भारत के गरीब के पास 500000 के इलाज की सुविधा है हर परिवार बैंक से जुड़ा है। कोरोना में हर परिवार को मुफ्त राशन दिया गया।

• स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत •

प्रधानमंत्री ने कहा स्टार्टअप के लिए आज देश में तीसरा सबसे बड़ा इको सिस्टम है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है। कल तक जो भारत दूसरे से मोबाइल खरीदता था वह आज सबसे बड़ा निर्माता साबित हुआ है।

• आपातकाल पर चर्चा •

26 जून 2022 को प्रधानमंत्री म्युनिख जर्मनी में अपने वक्तव्य में कहा हम भारत के लोग जहां भी रहे अपने लोकतंत्र पर गर्व करते हैं। हर भारतीय के डीएनए में लोकतंत्र है। आगे उन्होंने कहा कि 47 साल पहले लोकतंत्र को दबाने और कुचलने का प्रयास किया गया भारतीय लोकतंत्र के जीवंत इतिहास में आपातकाल काले धब्बे की तरह है।

• अप्रवासी भारतीयों से मुलाकात •

जर्मनी के म्यूनिख में भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने भाषण के अंत में भारत माता के जयकारे लगवाए और उसके बाद लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए दोनों हाथ हिलाते हुए जन जन तक पहुंचने का प्रयास किया एक बच्ची से उन्होंने पूछा कि हिंदी जानती हो? जर्मनी में अप्रवासीय भारतीय अपने प्रधानमंत्री को पाकर बहुत खुश थे और भाषण के दौरान हाथ हिलाते रहे बीच-बीच में मोदी मोदी कह कर जयकारे लगाते रहे।

एक रचना प्रस्तुत…

बड़ी कठिनाइयों से गुजर कर,
हमने अपने देश को सजाया है।
दुनिया में फैली महामारी के समय,
अमृत का घड़ा आगे बढ़ाया है।

  • कोरोना काल में भारत विश्व को जिस तरह से वैक्सीन के माध्यम से लोगों की जान बचाया उसका श्रेय भारत के वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री को जाता है।
  • G -7 शिखर सम्मेलन म्यूनिख में 26 जून 2022 से 28 जून 2022 तक चला फिर प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त अरब अमीरात का दौरा करेंगे।

• जर्मनी का संक्षिप्त इतिहास (Brief history of Germany) •

सर्वप्रथम 8 फरवरी 1871 ईस्वी में विलियम को जर्मन संघ के सम्राट के रूप में ताजपोशी की गई। जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य ‘प्रशा’ था। जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क ने किया था। जो ‘प्रशा’ के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था। बिस्मार्ट जर्मनी को प्रसाद के नेतृत्व में चाहता था। परंतु बिस्मार्ट को अधिक भय फ्रांस का था।

सन 1815 से 1850 ईस्वी तक जर्मन साम्राज्य ऑस्ट्रेलिया के आधिपत्य में था।

• जर्मनी का निर्माण किया •

जर्मनी राष्ट्र के निर्माण में बोमर, लसर, और राके आदि दार्शनिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय ऑस्ट्रेलिया का चांसलर मेटरनिख का काल था।

• विलियम प्रथम का राज्याभिषेक •

बिस्मार्क ने ‘वर्साय’ के राजमहल में जर्मनी के सम्राट के रूप में विलियम प्रथम का राज्याभिषेक कराया।—(G.K)

• विलियम प्रथम बिस्मार्क को कहता •

विलियम प्रथम जो जर्मनी ‘प्रशा’ का प्रधानमंत्री था जिसने (बिस्मार्क) को जर्मनी का एकीकरण कराया था उसे बाजीगर कहता था।

• जर्मनी का एकीकरण किन परिस्थितियों में हुआ •

जर्मनी का एकीकरण सूडान युद्ध के बाद संभव हो सका। कहा जाता है कि फ्रांस और प्रशा के मध्य 10 मई 1871 ईस्वी में फ्रैंकफर्ट की संधि हुई। सन 1870 (अट्ठारह सौ सत्तर) में ‘प्रशा’ युद्ध में नेपोलियन तृतीय ने 1 सितंबर 1870 (अट्ठारह सौ सत्तर) को आत्मसमर्पण कर दिया था। और 15 जुलाई 1870 ईस्वी को फ्रांस और ‘प्रशा’ के बीच सूडान का युद्ध हुआ। ऑस्ट्रेलिया और ‘प्रशा’ के बीच 1866 ईसवी में युद्ध हुआ, उस युद्ध में ऑस्ट्रेलिया ने ‘प्रशा’ के आगे घुटने टेकते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था। और 23 अगस्त 1866 ईसवी में ऑस्ट्रेलिया जर्मन संघ में शामिल हो गया था।

• वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी •

वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा है इसका बड़ा नगर सिडनी है।

• ए एच पामर ने लिखा (A H. Palmer) •

क्वींसलैंड के औपनिवेशिक सचिव ए एच पामर, 1884 ई. में लिखा कि’ — आज शहीदों का स्वभाव इतना अधिक कपट पूर्ण था कि वे केवल भय के द्वारा ही संचालित होते थे वस्तुतः ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों पर शासन करपाना केवल क्रूर बल प्रयोग द्वारा ही संभव हो सकता है। —(Hindi Wikipedia)

ऑस्ट्रेलिया में नरसंहार के आने का स्थल मौजूद हैं जबकि समर्थन के दस्तावेज में भिन्न-भिन्न है।

भारत के प्रधानमंत्री का G7 के 48वां शिखर सम्मेलन में शामिल होना म्यूनिख में पहुंचकर डायस्पोरा में प्रवासी भारतीयों के साथ राष्ट्रगान करना और भारत का संदेश देना अपने आप में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।

जर्मनी में श्लॉस एल्माऊ (Schloss Elmau) होटल में G7 शिखर सम्मेलन का 48वां आयोजन हुआ। इस होटल की खासियत क्या है कि भगवान गणेश का इस पर प्रभाव दिखता है और भारत की सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है।

♦—♦ ♥ ♦—♦

• भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी •

G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज से मुलाकात की। इन दोनों नेताओं ने भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी की गति को बनाए रखने के साथ ही द्विपक्षीय दोस्ती में विविधता लाने पर सहमति व्यक्त की।

• भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांस •

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गर्मजोशी दिखाई दी। दोनों लोग एक दूसरे के गले लगे।

• भारत के प्रधानमंत्री और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति •

प्रधानमंत्री मोदी कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामसोफा से भी मुलाकात हुई।

• मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति से मिलन •

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद आकर प्रधानमंत्री मोदी से हाथ मिलाया। जिस स्थान पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति आकर प्रधानमंत्री के कंधे पर हाथ रखा और फिर दोनों लोग गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाए। कहा जाता है कि जापान में मई में हुए सम्मेलन के बाद मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति की यह पहली मुलाकात है।

• ऊर्जा, अमीरों का विशेषाधिकार नहीं •

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ऊर्जा उपयोग पर केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। उस पर गरीब परिवारों का भी समान अधिकार है। भू राजनीतिक तनाव से ऊर्जा की लागत आसमान छू रही है तो इस बात को याद रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

• मोदी का विकासशील देशों को प्रेरणा •

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब भारत जैसे विशाल देश महत्वाकांक्षा दिखाता है तो विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। आज भारत में स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के लिए विशाल बाजार उभर रहा है। G7 देश इस क्षेत्र में रिसर्च इनोवेशन और विनिर्माण में निवेश कर सकते हैं।

मोदी ने G7 सम्मेलन के सदस्यों को अपनी तरफ आकृष्ट करते हुए कहा …

“यह भ्रांति है कि गरीब देश पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं!” भारत का 1000 साल से अधिक का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। हमने समृद्धि का समय देखा है सदियों की गुलामी भी झेली है।

अब आजाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। आगे कहा 17 फ़ीसदी जनसंख्या दुनिया की, केवल भारत में निवास करती है। परंतु बेसिक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान मात्र 5% है। इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ सह अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।

मोदी ने स्वास्थ्य पर वक्तव्य में …

भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मानव और ग्रह की सेहत आपस में जुड़ी हुई है। इसलिए हमने वन वर्ल्ड वन हेल्थ के दृष्टिकोण को अपनाया। कोरोना महामारी के दौरान भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल के कई रचनात्मक तरीके खोजे।

G7 देश इस इनोवेशन को विकासशील देशों में ले जाने में भारत की मदद कर सकते हैं। कोरोना संकटकाल में योग दुनियाभर के लिए स्वास्थ्य निवारक का बड़ा माध्यम बना और इससे शारीरिक मानसिक सेहत बनाए रखने में बहुत मदद मिली।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — आजाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। आगे कहा 17 फ़ीसदी जनसंख्या दुनिया की, केवल भारत में निवास करती है। परंतु बेसिक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान मात्र 5% है। इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ सह अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ऊर्जा उपयोग पर केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। उस पर गरीब परिवारों का भी समान अधिकार है। भू राजनीतिक तनाव से ऊर्जा की लागत आसमान छू रही है तो इस बात को याद रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है। कोरोना संकटकाल में योग दुनियाभर के लिए स्वास्थ्य निवारक का बड़ा माध्यम बना और इससे शारीरिक मानसिक सेहत बनाए रखने में बहुत मदद मिली। “यह भ्रांति है कि गरीब देश पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं!” भारत का 1000 साल से अधिक का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। हमने समृद्धि का समय देखा है सदियों की गुलामी भी झेली है।

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यह लेख (जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास। ♦

इतिहास बीती हुई सच्ची घटनाओं का विवरण होता है जो हो चुका है वही इतिहास का विषय है। इतिहास किसी मनुष्य अथवा देश के भूतकाल का वर्णन करता है। इसका संबंध समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करने के साथ ही साहित्य – कला नीतिशास्त्र से भी होता है।

इतिहास लेखन वर्तमान और भविष्य से इतर बीते समय का लेखा – जोखा महत्वपूर्ण संपूर्ण सभ्यताओं के साथ परिपूर्ण रूप से प्रस्तुत करता है परंतु वर्तमान भविष्य में इसके पोषक तत्व से लोग प्रभावित होते हैं। इतिहास में भूतकाल की घटनाओं का उल्लेख किया जाता है।

• वास्तविकता के आधार पर निर्मित इतिहास •

भूतकाल की घटनाएं उनके वृतांत विशमृत होकर समय काल के अनुसार मर जाते हैं। इतिहास निर्माण में वृत्तांतो का लेखा-जोखा होना नितांत आवश्यक होता है। वास्तविकता के आधार पर निर्मित इतिहास पक्षपात रहित सरल और निष्कपट भाव रखकर इतिहासकार सामग्री का उपयोग करता है।

हालांकि राजनीति में संलिप्त रचनाकार इतिहास रचना करते समय शुद्र ,सजग, युक्ति, तिथि, क्रम, क्षेत्रवाद से कुंठित होकर इतिहास की रचना साहित्यकार यदि करता है तो उसके अध्ययन से मिलावट होना उसमें परिलक्षित हो सकता है।

• भारत में लेखन कला —

भारत में 800 ईसवी पूर्व से पहले ही लेखन कला थी। जबकि यह सभी को मान्य नहीं है परंतु भारत में लिपि से बहुत पहले साहित्य बन चुका था। गुरु – शिष्य पीढ़ी दर पीढ़ी श्रुति परंपराओं के द्वारा इसकी रक्षा का क्रम चलता रहा।

गुरुकुल में भारतीय शिक्षा प्रबल थी। भारतीय गुरुकुल में सुर्ख़ियों से आगे शास्त्र को बढ़ाया जाता रहा। इस परंपरा के अनुसार स्मृतियां – कंठ में संचित रहती थी। उस समय के विद्वान चलते फिरते ग्रंथालय थे (हिंदू सभ्यता 22/23 राधा मुकुंद मुखर्जी कृत)।

• धर्म के क्षेत्र में भारत —

भारत में धर्म के क्षेत्र में सबसे अधिक विभिन्नता है। हिंदू धर्म समन्वय आत्मक और सर्वग्राही रूप में व्याप्त है। भारत में यहां सभी विश्व – धर्म पाए जाते हैं। जिनका दर्शनशास्त्र विश्व जनित है इसके गाथा शास्त्र और पुराणों की कथाएं बहु प्रतीक्षित है। अनेक बातों से अवगत और नई स्थिति के अनुरूप प्रकाश डालने की क्षमता हिंदू धर्म में है।

यह देश लोक धर्म, जन विश्वास, रीति-रिवाज, रहन-सहन, मत-मतांतर, भाषा-बोली, जाति-समाज और संस्थाओं की दृष्टि से इसे एक पूरा संग्रहालय कहा जा सकता है (हिंदू सभ्यता 71 राधा मुकुंद मुखर्जी कृत)।

हिंदू कालीन भारत में एक बार ऐसा देखने में आता है कि समस्त देश एक ही शासन तंत्र और एक ही ऐतिहासिक धारा के अंतर्गत आ गया था यह अशोक और मौर्य साम्राज्य था। जिसने अपने शासन प्रशासन संपूर्ण देश पर भारत के अंग भूत अफगानिस्तान और बलूचिस्तान पर भी स्थापित किया और सार्वभौम सम्राट हुआ।

• काशी, कोसल और विदेह —

कोसल, काशी और विदेह के बारे में शतपथ ब्राह्मण के उपाख्यान से ज्ञात होता है कि विदेह के राजा माधव, जो सरस्वती से चलकर यहां वैदिक संस्कृत की मूल भूमि पर सदानीरा नदी पार करते हैं। जहां कौशल की पूर्वी सीमा की आधुनिक गंडक और विदेह भूमि में आर्यों का पूर्व की ओर प्रसार हुआ। ऐसा ज्ञात होता है कि इस समय वैदिक संस्कृत के मुख्य केंद्र में काशी, कोसल और विदेह रहा। जो कभी एक साथ मिल जाते थे। ( शांख्योपन स्तोत्र सूत्र 16/9/11)

इस काल में काशी के राजा अजातशत्रु और विदेह के राजा जनक दार्शनिक सम्राट थे। उनके राज्य में विचार जगत का नेतृत्व श्वेत केतु और याज्ञवल्क्य जी करते थे।

पुराणों की प्राचीनता उपनिषद काल तक जाती है जहां इतिहास पुराण को अध्ययन का मान्य विषय स्वीकृत किया गया है। यहां तक कि इसे पंचवेद में कहा गया है। रामायण और महाभारत के साथ पुराण भी जनता के लिए वेद की भांति होते हैं। प्राचीनतम उल्लेख विद्यमान पुराण ग्रंथ संबंधी ‘आपस्तंब’ धर्मसूत्र में आता है। (महाभारत 2/9/ 24/6)

• राजवंशों का उद्गम —

आदि राज मनु से राजवंशों का उद्गम हुआ। इनकी पुत्री इला थी। उत्तरी इला ने पुरुरवा ऐला को जन्म दिया। वर्तमान प्रयाग के पास झूसी को अपनी राजधानी बना कर राज्य किया।

इक्ष्वाकु के पुत्र निमी ने विदेह में खुद को प्रतिष्ठित किया। इनके पुत्र दंडक ने दक्षिण के वन क्षेत्र में और मनु के अन्य पुत्र सौदुम्न ने गया के साथ-साथ पूर्वी जनपदों में राज्य स्थापना की। इनके पुत्र अमावसु ने कान्यकुब्ज और पौत्रों ने काशी बसाई।

ययाति की अधीनता में जो इक्ष्वाकु के वंशज थे उन्होंने एल सम्राज्य की स्थापना की। ययाति के पांचों पुत्रों का नाम क्रमशः यदु, तुर्वसू, द्रहयू , अनु और पुरु है। जो ऋग्वेद के समय प्रसिद्ध हो चुके थे। इन पांचों पुत्रों ने भारत के उत्तरी मध्य भाग को आपस में बांट लिया जिसमें काशी, कान्यकुब्ज, प्राचीन ऐल राज्य में थे।

‘यदु’ को – दक्षिण-पश्चिम भाग चर्मवती (चंबल) वेत्रवती (बेतवा) और शक्ति मती (केन) नदियों से सिंचित क्षेत्र प्राप्त हुआ।

‘तुर्वसू’ ने – रीवा क्षेत्र के समीप ही दक्षिण – पूर्व में अपने आप को स्थापित किया।

‘द्रहयु’ ने यमुना के पश्चिमी चंबल के उत्तर वाले पश्चिमी भाग में अपना साम्राज्य स्थापित किया।

‘अनु’ अनु ने उत्तर में गंगा जमुना के उत्तरार्ध में अपने साम्राज्य का फैलाव किया।

‘पुरु’ पुरु को पितृ – पितामह का बीच का प्रदेश गंगा – जमुना का दक्षिण क्षेत्र जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी प्राप्त हुआ।

यदु के वंशजों ने विशेष उन्नति योग वृद्धि को प्राप्त किया। फिर है हव – यादव को दो शाखाओं में बट गए।

यादों में सत बिंदु के नेतृत्व में कदम बढ़ा कर, पौरव और द्रहयु का प्रदेश जीत लिया।

दिग्विजय राजा अयोध्या नरेश मांधाता की प्रतिक्रिया से है हव लोग, आनव, और द्रहयु लोगों में उथल पुथल हुआ। जिससे ‘आनव’ – पंजाब की ओर फैल गए। ‘द्रहयु’ लोग गांधार की ओर चले गए।

कार्तवीर्य अर्जुन कॉल परिस्थित विजई के रूप में उभर कर सामने आया। जिसने नर्मदा तट पर बसे भार्गव ब्राह्मण को मार भगाया। उन्होंने पुरुरवा के पुत्र अमावसु के कान्यकुब्ज और मांधाता के अयोध्या में छत्री के यहां शरण ली।

जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने ब्राम्हणों के प्रति शोध में ताल जंघ के अधीन है, हव राज्य को नष्ट कर डाला। जिसे स्व-काल्पनिक कहा गया।

ताल जांघों की आगे चलकर पांच शाखाएं हो गई। उन्होंने उत्तर भारत में अपने राज्य का विस्तार किया। इसी बीच उतर पश्चिम से आए शक, यवन, कंबोज, पारद और पहलवों की मदद से कान्यकुब्ज और अयोध्या को काफी हानी पहुंचाई।

अयोध्या नगरी सगर के नेतृत्व में फिर से उठकर है हव के प्रभुत्व को मिटाकर उत्तर भारत में अपने राज्य की स्थापना की। सगर की मृत्यु के उपरांत पुराना पौरव राज भी दुष्यंत और उसके पुत्र भरत के नेतृत्व में पुनः उत्थान को प्राप्त हुआ। (हि. स.158)

अयोध्या को भगीरथ, दिलीप, रघु, अज़, और दशरथ आदि अत्यंत योग्य राजाओं के अधीन राज्य उन्नत किया। इन्हीं के समय में अजोध्या का नाम कोसल पड़ गया। उधर ‘मध’ राजा के अधीन माधवों का राज गुजरात से यमुना तक फैल गया।

• हड़प्पा संस्कृति —

हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से साक्ष्य प्राप्त होते हैं की पुरातन काल से शिवलिंग की उपासना होती रही। अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया है।

अथर्व वेद की रचना अथवा ऋषि द्वारा किया गया है जिसमें रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण आशीर्वाद स्तुति, प्रायश्चित, औषधि अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राज कर्म, मातृभूमि – महात्म आदि विविध विषयों पर मंत्र की रचना की है।

• शैव संप्रदाय —

लिंग पूजन का स्पष्ट विवरण मत्स्य पुराण में लिखा गया है। अगर हम वामन पुराण की बात करते हैं तो उसमें शैव संप्रदाय की संख्या 4 बताई गई है। यथा – पाशुपत, कापालिक, काला मुंख और लिंगायत।

पाशुपत संप्रदाय, ही सर्वाधिक प्राचीन संप्रदाय है। इसके संस्थापक लकु लीश थे। जिनको भगवान शिव के 18 अवतारों में माना जाता है।

कापालिक संप्रदाय, का प्रमुख केंद्र श्रीशैल नामक स्थान था इस संप्रदाय के इष्ट देवता भैरव जी हैं।

काला मुख संप्रदाय, कहा जाता है कि इस संप्रदाय के लोग नर कपाल में ही भोजन करते हैं यह लोग सुरा पान भी करते हैं और शरीर पर चिता भस्म को मलते हैं।

लिंगायत संप्रदाय, इस संप्रदाय के लोग दक्षिण भारत में भी रहते हैं इस संप्रदाय के लोग शिवलिंग की उपासना करते हैं।

अनादिकाल से शैव और वैष्णो धर्म सनातन संस्कृति में रहा है। वैष्णो धर्म की जानकारी उपनिषदों से मिलती है।

• प्रमुख संप्रदाय —

नारायण पूजा वैष्णो धर्म के पूजक कहे जाते हैं। इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है। विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मत्स्य पुराण में मिलता है। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है।

इसके प्रमुख संप्रदायों का अगर जिक्र करें तो वैष्णव संप्रदाय, ब्रह्म संप्रदाय, रुद्र संप्रदाय और सनक संप्रदाय का जिक्र मिलता है। जिनके आचार्य क्रमशह रामानुज, आनंद तीर्थ, वल्लभाचार्य और निंबार्क हैं।

• मगध राज्य —

मगध राज्य – मगध राज्य की प्राचीन वंश के संस्थापक ब्रिहद्रथ मौर्य को माना जाता है। ब्रिहद्रथ मौर्य ने अपनी राजधानी राजगृह अर्थात गिरी ब्रज को बनाया था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार बिंबिसार मगध की गद्दी पर 544 ईसवी पूर्व आसीन हुआ। कहां जाता है कि वह बौद्ध धर्म का अनुयाई था। बिंबिसार ने लगभग 52 वर्षों तक मगध पर शासन किया। उसने ब्रह्म दत्त को हराकर ‘अंग’ राज्य को अपने में मिला लिया था। बिंबिसार की हत्या अजातशत्रु ने 493 ईसवी पूर्व में करके गद्दी पर बैठा।

अजातशत्रु जिसका उपनाम कुडिक था। उसने भी मगज पर 32 वर्षों तक राज्य किया जबकि वह जैन धर्म का अनुयाई था।

• हर्यक वंश —

हर्यक वंश के अंतिम राजा के रूप में नाग दशक का नाम आता है। नाग दशक को शिशुनाग ने 412 ईसवी पूर्व में सत्ता से अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना कर दिया।

शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित किया। कालांतर में शिशुनाग का पुत्र उत्तराधिकारी काला शोक पुनः अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में ले गया। शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदी वर्धन को माना जाता है।

• ‘मौर्य वंश’ की स्थापना —

नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद था। जिसे चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित किया और मगध पर नए सिरे से ‘मौर्य वंश’ की स्थापना की।

चंद्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयाई था। बताया जाता है कि उसने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया। इसने गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली।

उस समय पाटलिपुत्र एक विशाल प्राचीर से घिरा हुआ था जिसमें 570 बुर्ज और 64 द्वार थे। दो तीन मंजिले घर को कच्ची ईंटों और लकड़ी से बनाया गया था राजा का महल भी कार्ड से ही बना था पत्थरों की नक्काशी से अलंकृत किया गया था इसके चारों तरफ बगीचा और चिड़िया को रहने का बसेरा से गिरा हुआ था।

प्लूटार्क/जस्टिन के अनुसार चंद्रगुप्त की सेना में 50,000 आरोही सैनिक, नव हजार हाथी और 8000 रथ था । सैनिक विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी सेनापति होता था। अर्थशास्त्र में गुप्तचर को गूढ़ पुरुष कहा जाता था। उस समय सरकारी भूमि को ‘सीता भूमि’ के नाम से जाना जाता था।

राजा ने अनेक समितियां गठित की थी जिसमें जल सेना की व्यवस्था, यातायात और रसद की व्यवस्था, पैदल सैनिकों की देखरख, गज सेना की देखरेख, आशा रोगियों की सेना की देखरेख, औरत सेना की देखरेख की जिम्मेदारी सैन्य समिति को दी गई थी।

• चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार (बिंबिसार) —

चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के विनाश के लिए कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता ली थी। अशोक के राज्य में जनपदीय न्यायालय के न्यायाधीश को राजुक कहा जाता था। मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ। बिंदुसार ने अपने पिता के संप्रदाय को बदलकर आजीवक संप्रदाय का अनुयाई बना। भाई पुराण के अनुसार बिंबिसार को ‘भद्र सार’ कहा जाता है।

बिंदुसार के बारे में बहुत विद्वान तारा नाथ ने लिखा है कि – जैन ग्रंथों के अनुसार बिंबिसार को सिंह सेन कहा गया है। तारा नाथानुसार – यह सोलह राज्यों का विजेता हुआ था।

• बिंबिसार का उत्तराधिकारी अशोक —

बिंबिसार का उत्तराधिकारी अशोक हुआ। जो मगध की राज गद्दी पर 269 ईसवी पूर्व बैठा। पुराणों के अनुसार अशोक को अशोक वर्धन कहा गया है। अशोक को ‘उप गुप्त’ नामक बौद्ध भिक्षु ने बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। अशोक ने धर्म प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था। अशोक की माता का नाम ‘शुभद्रांगी’। अशोक के शासनकाल से ही शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम भारत में शुरू हुआ।

• गुप्त साम्राज्य —

तीसरी शताब्दी के अंत में गुप्त साम्राज्य का उदय प्रयाग के निकट कौशांबी में हुआ। गुप्त वंश का संस्थापक श्री गुप्त 240 से 280 ईसवी में माना जाता है। श्री गुप्त का उत्तराधिकारी घटोत्कच 280 से 320 ईसवी में माना गया।

गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम था जो 320 ईसवी में गद्दी पर बैठा और उसने व्हिच वी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। तदुपरांत उसका उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ जो 335 ईसवी में गद्दी पर बैठा।

समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था। इसका दरबारी कवि हरिषेण था जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की। समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त द्वितीय हुआ। चंद्रगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम वा गोविंद गुप्ता हुआ।

• नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना —

कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमार गुप्त ने की थी। और कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी स्कंद गुप्त हुआ। स्कंद गुप्त ने गिरनार पर्वत पर सुदर्शन झील का पुनरुद्धार कराया।

• हूणों का आक्रमण —

स्कंद गुप्त के शासनकाल में ही हूणों का आक्रमण शुरू हो गया अंतिम गुप्त शासक विष्णु गुप्त था। गुप्त काल में प्रसिद्ध मंदिर विष्णु मंदिर जबलपुर मध्य प्रदेश में, शिव मंदिर भूमरा नागदा मध्यप्रदेश में, पार्वती मंदिर नैना कोठार मध्य प्रदेश में, दशावतार मंदिर देवगढ़ ललितपुर उत्तर प्रदेश में, शिव मंदिर खोह नागौद मध्यप्रदेश में, भीतरगांव मंदिर – भीतरगांव, लक्ष्मण मंदिर कानपुर उत्तर प्रदेश में निर्मित कराया था।

• कवि कालिदास व आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी —

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास को कहा जाता था। इन के दरबार में आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी थे।

• पुष्प भूति वंश —

गुप्त वंश के पतन के बाद राजवंशों का उदय हुआ इन राजवंशों में शासकों ने सबसे विशाल साम्राज्य स्थापित किया। पुष्प भूति वंश के संस्थापक पुष्यभूति ने अपनी राजधानी थानेश्वर हरियाणा प्रांत के कुरुक्षेत्र मैं स्थित थानेसर नामक स्थान पर बनाई। इस वंश के श्री प्रभाकर वर्धन ने महाराजाधिराज जैसी सम्मानजनक उपाधियां धारण की।

प्रभाकर वर्धन की पत्नी यशोमती से 2 पुत्र राजवर्धन और हर्षवर्धन हुए तथा एक कन्या जिसका नाम राजश्री है उत्पन्न हुई। राजश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि राजा ग्रह वर्मा के साथ हुआ।

मालवा के राजा देव गुप्ता ने ग्रह वर्मा की हत्या कर दी और राजश्री को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। राजवर्धन देव गुप्त को मार डाला परंतु देव गुप्त का मित्र शशांक ने धोखा देकर राजवर्धन की हत्या कर दी।

राजवर्धन की मृत्यु के बाद 16 वर्ष की अवस्था में ही हर्ष वर्धन थानेश्वर की गद्दी पर बैठा, हर्षवर्धन को शिलादित्य के नाम से भी जाना जाता है। हर्ष ने शशांक को पराजित करके कन्नौज का अधिकार अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — हिन्दू समुदाय का इतिहास सबसे प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे बृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है।

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यह लेख (प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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काफिया – रदीफ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ काफिया – रदीफ। ♦

जिसे रदीफ से पहले ही,
प्रयोग में लाया जाता।
जाने के लिए तैयार जो,
गजल के संदर्भ में शब्द,
इसको पाया जाता है।

शेर में समतुकात्मकता,
बदलता हुआ दिख जाता।
समझ लो काफिया में कि,
टोना होना महकना आता।

वहीं रदीफ के शब्दों में,
पिघलना जलना निकालना।
जैसे शब्द प्रयोग में,
लाए जाते रहते हैं।

काफिया रदीफ की जरूरत,
गाना शायरी तुकांत कविता।
ये प्रयोग के साथ में ही,
गजल में अपनायी जाती।

काफिया और रदीफ बिना,
गाना शायरी गजल आदि।
नहीं लिखी जा सकती है,
इसे हिंदी के विधाओं में,
भी प्रयोग की जाती है।

काफिया! उर्दू कविता के रूप में,
सदा जाना जाता है।
यह अंग्रेजी से अनुवादित,
एक सामग्री के रूप में है।

काफिया शब्द का गायन,
राडिया से पहले हो।
काफिया अरबी शब्द है,
उत्पत्ति! कफु धातु से मानी जाती।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — काफ़िया ग़ज़ल के किसी शेर की लाइन के तुकांत को कहते हैैं। मतलब किसी शेर के आखिर में अगर ‘आता है’ लिखा है तो उसके अगले लाइन में ‘जाता है’, ‘पाता है’, ‘लाता है’ जैसे शब्द ही इस्तेमाल होंगे जो पहली लाइन के आखिरी शब्दों से मेल खाते हो, इसे ही काफ़िया कहा जाता है। काफ़िया के तुक (अन्त्यानुप्रास) और उसके बाद आने वाले शब्द या शब्दों को रदीफ़ कहते है। काफ़िया बदलता है किन्तु रदीफ़ नहीं बदलती है। उसका रूप जस का तस रहता है। इस मतले में ‘सारे’ और ‘प्यारे’ काफ़िया है और ‘मुँह से निकाल डालो’ रदीफ़ है।

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ज्ञानवापी परिसर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ज्ञानवापी परिसर। ♦

ज्ञानवापी परिसर सारे जहां जानता,
शिव जी ने पार्वती को ज्ञान दिया है।
धर्म संस्कृत की अनुपम प्रगति का,
शिव ब्रह्मज्ञान आशीष रूप दिया है।

अदालत के आदेश का पालन हुआ,
अधिवक्ता आयुष मिशन साथ दिया।
चप्पे -२ की वीडियोग्राफी कराई गई,
धार्मिक कलाकृति की फोटो ली गई।

स्थापत्य शैली की आकृतियां मिली,
अंकिता कृतियों की रिकॉर्डिंग हुई।
दस दिन पहले डाली मिट्टी भी मिली,
विद्युत की कमी से ही बैटरी लाई गई।

तह खाने में घोर अंधेरा छाया था,
जांच करता इसीलिए भन्नाया था।
12 मई को फिर सर्वे का आदेश हुआ,
14 और 15 मई को सर्वे किया गया।

6 मई को सर्वे की कारवाई शुरू हुई,
विरोध हंगामे के बीच सर्वे रोका गया।
नारा और फिर भी प्रदर्शन किया गया,
शासन की मुस्तैदी से घटना नहीं हुई।

जांच टीम में दोनों पक्ष के साथ रहे,
14 को 8 से 12:00 बजे तक जांच।
दूसरे दिन 2022 को जांच टीम गई,
दोनों पक्षों से जांच में सहयोग किया।

तह खाना इमेज से चुनी दीवाल थी,
श्रृंगार गौरी की मूर्ति को छुपा दी?
सफेद सिमेंट तहखाने में शामिल है,
यही दुस्साहसिक और मनमानी की?

व्यास जी के बंद कमरे का सर्वे आज,
15 मई 2022 को नहीं हो सका है।
ज्ञानवापी परिसर में एक सुरंग मिली,
गुफ़ा – आखिरी छोर अभी संदेह में है?

खाने में 15th सदी की मूर्ति मिली,
अभी एक तहखाना अंदर राज खुला।
तहखानो में बहुत सारा मलवा मिला,
आकृति के अंश होने का आशंका रहा?

सारा मलवा फर्श पर बिखरा मिला,
महमूद शाह, जहांगीर औरंगजेब का,
ज्ञान वापी तोड़ा हुआ उड़ा दिखा?
सर्वे आफ इंडिया इसकी पहचान करेगा।

मिला हुआ मलवा पूरा छाना जाएगा,
छानने के बाद सत्य सामने आएगा।
सर्वे में कुछ पेपर तथ्य सामने आया,
सर्वे टीम उसे जाँच वास्ते में बंद कर वाया।

तहखाने में पेंटिंग कुछ कराई गई है,
किस सदी का है नहीं बताई गई है।
आगे जांच उस पर कराया जाएगा,
कोर्ट के माध्यम से सामने आएगा।

बरामदे और खंभों के भी फोटो लिया,
क्या उस फर्स में कुछ परिवर्तन हुआ?
प्राचीन मूर्तियों को दबा दिया गया,
कलाकृतियां कुछ लोगों से कह रही?

ज्ञान के परिसर में मिले अवशेषों से,
जांच करने से उसका पता चलेगा।
ग्वालियर की रानी का बनवाया मंडप,
में एक सुरंग का भी पता चलता है।

इस सुरंग का रास्ता कहां जाता है,
सुरंग बनाई रामनगर में क्या मिलती?
राजघाट से पुरातत्व में जा खुलती?
वा सुरंग और कहीं भी यह जाती है।

500 मीटर के दायरे में दुकान बंद,
पैदल चलने वालों पर भी निगाह जी।
सर्वे टीम ने पूरा टाइम काम किया है,
तहखाने दो कमरों के ताला खुला मिला।

तीसरे कमरे के दरवाजे का ताला तोड़ा,
और चौथे कमरे में फाटक नहीं था।
अंदर की चुनी गई दीवार के पीछे क्या,
उसे तोड़ने का न्यायालय आदेश नहीं।

तालाब गुंबद की भी रिकॉर्डिंग हुई,
60 – 65 % सर्वे का काम पूरा हुआ।
अधिवक्ता आयुक्त और टीम साथ थी,
काशी वासियों ने शांति सौहार्द मिली।

फर्श के नीचे गर जांच किया जाता,
बहुत सारा तथ्य निकल सामने आता!
न्यायालय न्याय प्रिय व्यवहार करता है,
सच को सच सदा कहा जाता रहता है।

•—• ♥ •—•

हिंदू पक्ष का दावा मिल रहे साक्ष ज्ञानवापी में,
मुस्लिम पक्ष वहीं कहे नहीं मिले साक्ष वहां पर।
गहमागहमी वही हुई थी जहां जांच चली थी,
जांच टीम वजू स्थल तहखाने का सर्वे कराए॥

जिले जिलों से दौड़ते दौड़ते नमाजी वहां पर आए,
जो कभी नहीं पढ़ता नमाज यहां वह भी यहां आया।
शासन की चाक चौबंद व्यवस्था रहने से,
आतताई भी वहां आकर बस केवल घबराया॥

परिषद के वजू खाने में बाबा का शिवलिंग दिखाया,
शिवलिंग को देखकर अधिवक्ता जैन अदालत पहुंचे।
न्यायाधीश ने उनके निवेदन पर वजू खाने की,
जगह को सील करने का आदेश फिर दिया॥

जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा जी ने,
सुरक्षा हेतु सीआरपीएफ कमांडेंट से बात किया।
मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे से इंकार किया,
आपसी सामंजस्य बनाने के लिए सभी से बात किया॥

परिसर में शिवलिंग का होना मंदिर का सबूत मिला,
जांच टीम के सामने परिसर में अन्य अवशेष मिला।
मिला हुआ शिवलिंग 12 फीट लंबा, 8 फीट चौड़ा था,
ज्ञानवापी कूप खुदाई में और नीचे शिवलिंग कहा गया॥

16 मई 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई,
वादी पक्ष ने कहा ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग मिला।
उसके साथ-साथ अनेक मंदिर की चीजें भी सामने आई।
एक घंटे तक न्यायालय में तथ्य पेश किया गया,
अगली सुनवाई 20 मई को निर्धारित की गई॥

मौजा शहर खास परगना देहात अमानत बनारस की,
गाटा संख्या 9130 1 बीघा 9 विश्वा छ: धूर में!
मुस्लिम पक्ष के नमाज पढ़ने का विपक्षी अनुरोध किया,
कोर्ट में दावा साबित नहीं कर पाने पर खारिज हुआ॥

ऑल इंडिया अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के संस्थापक,
कांग्रेस नेता मोहम्मद शोएब ने अपने वक्तव्य में कहा-
ज्ञानवापी परिसर में मूर्तियां हैं तो हिंदू को दे देना होगा,
आक्रांता मुसलमान जिन मंदिरों को तोड़ा हिंदू को देना होगा॥

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग क्षेत्र को,
संरक्षित करने को अपना निर्देश दिया।
जांच की कार्रवाई रोकने की मांग को खारिज किया,
पीठ वजू खाने के इस्तेमाल की इजाजत से भी इनकार किया॥

सुप्रीम न्यायालय ने सिविल जज से जिला जज के पास,
वाराणसी ज्ञानवापी क्षेत्र का पूरा मामला ट्रांसफर किया।
शीर्ष कोर्ट ने यूपी सरकार वा० डीएम पुलिस कमिश्नर,
काशी – विश्वनाथ मंदिर बोर्ड ट्रस्ट आदि को भी नोटिस जारी किया॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती है। लिखित प्रमाण है, नग्गी आँखों से साफ़ साफ़ दीखता है की ज्ञानवापी परिसर, प्राचीन विशाल विश्वेस्वर शिव मंदिर है। जिसमे शिवलिंग के साथ-साथ माता गौरी और गणेश व अन्य देवी देवताओं का मूर्ति स्थापित है। पुरे मंदिर परिसर के सभी दीवारों पर, तहखाने में, पिलरों पर प्रमाण है, जिसके साथ छेड़खानी की गई है, एक दुष्ट कौम द्वारा। हम सनातनी धैर्य के साथ प्रेम पूर्वक मात्र अपने आराध्य महादेव का पूर्ण ज्ञानवापी परिसर वापस चाहते हैं। हमे पूर्ण विश्वास है सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर हमे जल्द ही मिलेगा। हर हर महादेव!

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यह कविता (ज्ञानवापी परिसर।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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रूसी महाबली।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रूसी महाबली। ♦

समय बहुत रूस दिया यूक्रेन को,
अमेरिका नाटो के चढ़ाने में चढ़ा।
ब्रिटेन नाटो के हथियारों से लड़ा,
हॉस्पिटल स्कूल में सेना उतार दिया॥

ग्रामीण शहरी नागरिकों को दिया हथियार,
ड्रोन और मिसाइल से लगातार किया प्रहार।
फिर भी यूक्रेन के सैनिक कर रहे सरेंडर बार-बार,
रूसी सेना जगह बदल कर कर रही है पलटवार॥

रूस ने यस – 500 महा युद्ध में दिया उतार,
अमेरिका यूरोप नाटो में मचा भारी हाहाकार।
पुतिन ने महायुद्ध में अपना पराक्रम दिखाया,
विनाशक हथियार से दुश्मन को पहले कंपाया॥

S – 500 का किसी भी देश में तोड़ नहीं,
उसके सामने दुश्मन का कोई वेपन दिखेगा नहीं।
दुश्मन को खोज खोज एस – 500 मार गिराएगा,
दूर दूर तक कहीं भी दुश्मन नहीं दिखलाएगा॥

लेजर गाइडेड बम से भी रूस करेगा प्रहार,
दुश्मन के रडार सिस्टम को जो करेगा बर्बाद।
मिसाइल और विमान पर करेगा भारी वार,
दुश्मन के खेमे में मच जाएगा भारी हाहाकार॥

अमेरिका का मिनट मैन हो जाएगा बेकार,
अमेरिका – यूरोपीय देश का रूस लाया काल।
10 बैलिस्टिक मिसाइल पर एक साथ प्रहार,
अमेरिका का बाम्बा भी दिखने लगेगा निस्सहाय॥

सरमट मिसाइल से अमेरिका यूक्रेन पर प्रहार,
जो बाइडन की कोशिश की चौधराहट पर वार।
यूक्रेन रूस महायुद्ध पर मंगल कर रहा विचार,
दुनिया में दुनिया देख रही भीषण युद्ध हाहाकार॥

रूस के पुतिन, यूरोप पर करेंगे वार,
क्रीमिया जामिया फिनलैंड को बेकार।
टर्की, नार्थ कोरिया, चीन, रूस तैयार,
यूरोप अमेरिका हो जाएगा लाचार॥

रूस और टर्की करेगा चारों तरफ वार,
फिनलैंड का मंसूबा हो जाएगा बेकार।
चीन करेगा ताइवान पर भीषण प्रहार,
अमेरिका पर सभी घेरकर करेंगे वार॥

चक्रव्यूह चारों तरफ से पूरा पूरा तैयार,
चार यार मिल कर अमेरिका पर वार।
चारों यार नाटो खात्मे की कसम खाई,
नाटो के अस्तित्व खत्म करेंगे भाई॥

फिनलैंड – यूक्रेन साथ की कसम खाई,
नाटो से मिलने के लिए आवेदन लगाई।
दक्षिणकोरिया यूक्रेन ताइवान घबराए,
चारों यार मिलकर एक बिगुल बजाया॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — समय बहुत रूस दिया यूक्रेन को, अमेरिका नाटो के चढ़ाने में चढ़ा। ब्रिटेन नाटो के हथियारों से लड़ा, हॉस्पिटल स्कूल में सेना उतार दिया। अब तो रूस ने यस – 500 महायुद्ध में दिया उतार है अमेरिका यूरोप नाटो में मचा है भारी हाहाकार। पुतिन ने महायुद्ध में अपना पराक्रम दिखाया, विनाशक हथियार से दुश्मन को पहले कंपाया। S – 500 का किसी भी देश में अब तक तोड़ नहीं, उसके सामने दुश्मन का कोई भी वेपन दिखेगा नहीं। अब तो दुश्मन को खोज-खोज कर एस – 500 मार गिराएगा, दूर दूर तक कहीं भी दुश्मन नहीं दिखलाएगा।

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यह कविता (रूसी महाबली।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ 10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण। ♦

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से – दिनांक 6 दिसंबर, 2021 काे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा।

नव भारत का नया उत्तर प्रदेश धीरे-धीरे हो रहा है जवान। उत्तर प्रदेश बना रहा है बड़ा नया कीर्तिमान। दुनियां में बढ़ रहा प्रदेश का नाम। उत्तर प्रदेश की जनता का बढ़ रहा सम्मान। देश में उत्तर प्रदेश सरकार का कार्य गुणगान। नए मान सम्मान के साथ आगे बढ़ रहा है यह अनोखा क्षेत्र। इंसानियत की मिसाल बनकर सामने रहा है उत्तर प्रदेश। माथे पर लगे मेघा कालिख को साफ़ कर रहा है राज्य। विकसित संसाधनों के साथ धरा को सजा रहा है योगी आदित्यनाथ जी का शासन।

ऐतिहासिक धरोहरों, धर्मशाला, कुंड, यात्रियों के लिए विश्रामालय और पेड़-पौधे लगवा रहा है उत्तर प्रदेश। गोरखपुर से मोदी जी, उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आजमगढ़ के तहसील – सगडी आजमगढ़ से 32 परियोजनायें उत्तर देश को लोकार्पण और शिलान्यास द्वारा दी। वही तहसील – लालगंज, आजमगढ़ में 37 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास 6 दिसंबर 2021 को किया। एक रचना प्रस्तुत —

सजने लगा है आजमगढ़,
सावन जस हो जाएगा गांव।
योगी आदित्यनाथ ने दे दी,
कुछ ऐसी ही भारी सौगात।
सोशल मीडिया सक्रिय हुआ॥

देखकर देश हो गया खुश प्रदेश।
लाइव प्रसारण हुआ बहुत ख़ूब,
बच्चा – बूढ़ा हो रहा है खुश।
200 करोड़ का तोहफा आया,
गांव शहर खुशियां भर लाया॥

उत्तर प्रदेश में तत्कालीन गोरखपुर के महंत अवैद्यनाथ जी के श्री चरणों में समर्पित होकर उनके द्वारा अपनाए गए ज्ञान और जन कल्याण की योजनाएं को आगे बढ़ाने का काम किया, गोरखपुर पीठ के महंत और उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने। उत्तर प्रदेश को महान प्रदेश बनाने का उठा लिया है बीड़ा। जिसे पूरा करने के लिए अपने कार्यकाल में हर संभव प्रयास कर रहे हैं बाबा योगी जी। इन्होंने पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक विकास की लहर घर – घर दौड़ा दिया है। सर्वांगीण विकास करना संभव है। जिसे लोग असंभव मानते थे। उत्तर प्रदेश का विकास संभव है योगी जी ने कर दिखाया। उन्होंने लोगों को बता दिया, दिखा दिया है।

बुराइयों को भष्म करने की ताकत संतो में होती,
जिसे उन्होंने दिखा कर सिखा दिया लोगों को।
बदल रहा प्रदेश यही लोगों का अपना विचार,
होने लगा है चारो तरफ से प्रदेश का विकास॥

रक्षा पर दिया जा रहा है शासन का पूरा ध्यान,
किसानों का रखा जा रहा है प्रदेश में मान।
व्यापारियों को मिल रहा है उचित सम्मान,
पूर्व विरासत का कराया जा रहा है कल्याण॥

परंपरा सत्य के साथ खड़े हो रहे हैं संदेश,
मोदी और योगी का यही है उन्नत उपदेश।

योगीराज में प्रदेश का हो रहा चहुंमुखी विकास,
गरीबों को मिल रहा है खाने के लिए अनाज।
पक्के घरों में ही जा रहे हैं सब लोग आज,
संतोष और शांति पूर्ण हो रहा है समाज॥

— योगी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट का मोदी जी ने किया लोकार्पण —

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 हजार करोड़ की लागत से उतर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के ड्रीम प्रोजेक्ट खाद कारखाना, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का किया लोकार्पण, दिनांक 6 दिसंबर 2021 को। सन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खाद कारखाने और AIIMS का शिलान्यास किया था। जिसे जनता को समर्पित किया।

— खाद कारखाने से लाभ —

यह कारखाना विगत 30 वर्षों से बंद पड़ा था। 30 वर्षों तक किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जिस पर योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने विशेष ध्यान दिया। उसका शिलान्यास 2016 में पुनः प्रधानमंत्री के हाथ से किया था। यद्यपि गोरखपुर की जनता लगातार उस कारखाने को चालू करने की मांग पूर्ववर्ती सरकारों से करती रही परंतु सर्व कल्याणकारी गोरक्षनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जी ने अपने कार्यकाल में उसे पूर्ण करने का संकल्प लिया और प्रयास किया। जिसकी सफलता प्राप्त होती दिखाई दी। सौभाग्य से उत्तर प्रदेश के माननीय जनता की बहु प्रतीक्षित मांग पूरी हुई। लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।

रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। जिन राज्यों को लाभ होगा वह पड़ोसी राज्य बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसानों को, लगभग 20,000 लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। इस खाद कारखाने से प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया की निर्वाह उपलब्धता होगी। जिसका लाभ उत्तर प्रदेश सहित पूरेे देश को मिल सकेगा। यूरिया खाद के लिए उत्तर प्रदेश की जनता बहुत ज्यादा हलकाना होती रही। इसके बाद लोग जगह जगह से इसकी खेती किसानी में प्रयोग करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाते रहते थे किसान। बहुत कमी थी। अवने – पवने दामों पर स्टॉकिईस्ट द्वारा इण्डिया में यूरिया खाद उपलब्ध कराया जाता रहा। अलग-अलग जिलों से लोग यूरिया को क़िसी तरह प्राप्त करते, लेकर अपने गांव आते थे। किसान समितियां भी पूर्ण रुप से किसानों को यूरिया खाद उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं थी। बहुत कुछ समितियां तो घोटाले बाजी में भी लगी रहती थीं। किसान समितियों में शेयर लगाता परंतु उसे उसका उचित सम्मान नहीं मिल पाता था।

सचिव की जी हुजूरी करनी पड़ती थी। किसान सचिव के घर तक जाने के लिए उनके अनुयायियों के घर तक अपनी पहुंच बढ़ाने वाले होते तभी उनको कुछ अंश रूप खाद मिल पाता था। परंतु योगी सरकार उत्तर प्रदेश की जनता के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सफल प्रयासों से नीम कोटेड यूरिया का निर्वाध उपलब्धता कराने का सफर, सफल प्रयास किया गया। किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने की योजना बनाई गई।

शासन – प्रशासन ने कार्यालयों के सहकर्मियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए समस्याओं के निवारण करने की योजना बनी। बदले हुए परिवेश के साथ लोग एडजस्ट करने की कोशिश करने लगे। वातावरण सामान्य होने लगा। निदान का आधार मिल गया। इस समस्या का निदान उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाल लिया। दलदल में फंसी हुए किसानी राहत की सांस ली। रोज भोर में अपने घरों से निकल कर दुकान – दुकान और समितियों का चक्कर लगाने से किसानों को योगी सरकार में राहत की सांस मिली।

यूरिया खाद की उपलब्धता होने लगी।
चप्पे चप्पे पर सी. सी. टी. वी. कैमरा से,
किया जा रहा है निगरानी।
सुरक्षा के मामले में रखी जा रही है सावधानी।
मंदिरों में भक्तों को करना नहीं पड़ेगा इंतजार।
ऑनलाइन से हो जाएगा बहुत सारा कारोबार।
सेंसर किट का हो गया है अब आविष्कार।
चोरी पर लग जाएगी फागी वाली लगाम।
जल जीवन मिशन का सरकार ने चलाया अभियान।
विद्युत व्यवस्था से किसान हो गया है खुशहाल।
बूढ़ी – बूढ़ा को पेंशन योजना, प्रदेश हुआ गुजार।

— अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर —

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर क्षेत्र में अखिल भारती आयुर्विज्ञान संस्थान 300 बेड का हॉस्पिटल खुल जाने से पूर्वांचल ही नहीं उसके साथ साथ नेपाल, बिहार आदि जगहों के मरीज भी उत्कृष्ट चिकित्सा की सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। इस आयुर्विज्ञान संस्थान से इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों पर निर्भरता में कमी आएगी। इस हॉस्पिटल में ऑपरेशन थिएटर, आयुष ब्लॉक, मेडिकल ब्लॉक और नर्सिंग कॉलेज का निर्माण कार्य पूर्ण होने वाला है।

— हॉस्पिटल में सुविधाएं —

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सी टी स्कैन, एम आर आई और अल्ट्रासाउंड जैसी अन्य तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 125 एम बी बी एस की सीट उपलब्ध होगी। इस संस्थान द्वारा विविध तरह के रोगों पर शोध का कार्य भी होगा।

— रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर —

रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर में वायरस रिसर्च और परीक्षा लैब बना है। जापानी जापानी इंसेफेलाइटिस पर भी विचार होगा। यहां शोध किया जाएगा। इसके रोकथाम के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण जांच की सुविधा है। जापानी इंसेफेलाइटिस के निदान के लिए रिसर्च फेकल्टी बनाई गई है। अन्य विषाणु जनित बीमारियों पर भी शोध होगा। इस मेडिकल रिसर्च सेंटर से पूर्वांचल के सभी जनपदों को विशेष लाभ मिल सकेगा।

खाद का कारखाना गोरखपुर का छेत्रफल 600 एकड़ में फैला है। जिसकी लागत रुपया 8603 करोड। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का क्षेत्रफल 112 एकड़ जमीन पर मौजूद है जिसकी लागत रुपए 1011 करोड़। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर के साथ 10,000 करोड़ की तीन परियोजनाओं का लोकार्पण समर्पित किया, राष्ट्र को, भारतीय संस्कृति रक्षक माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर क्षेत्र में।

इस कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति दर्ज की, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्य, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ भारती प्रवीण पवार, राज्य मंत्री, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण, भारत सरकार, पंकज चौधरी, राज्य मंत्री, वित्त, भारत सरकार, जय प्रताप सिंह, मंत्री, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं मातृ – शिशु कल्याण, उत्तर प्रदेश।

रवि किशन शुक्ला, सांसद, गोरखपुर, कमलेश पासवान, सांसद, बांसगांव, शिव प्रताप शुक्ल, सांसद, राज्यसभा। जगदंबिका पाल, सांसद, डुमरियागंज। प्रवीण कुमार निषाद, सांसद, संत कबीर नगर। डॉक्टर रमा पति राम त्रिपाठी, सांसद देवरिया। जयप्रकाश निषाद, सांसद, राज्यसभा। हरीश दिवेदी, सांसद, बस्ती। विजय कुमार दुबे, सांसद, कुशीनगर। रविंद्र कुशवाहा, सांसद, सलेमपुर। और स्वतंत्र देव सिंह, सदस्य, विधान परिषद उत्तर प्रदेश सहित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहें।

— प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। —

प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। रिश्तों की प्रकाश का और निरंतरता सड़कों के माध्यम से, नदियों पर पुलों के निर्माण से, बुजुर्गों और बच्चों की सहूलियत का ध्यान रखने से, बस, रेल और हवाई अड्डे निर्माण कार्य से, गांव-गांव, शहर-शहर शौचालय की निर्माण से, प्रधानमंत्री आवास वितरण से, दलित समाज, वंचित तबकों का ध्यान देने से, कल कारखानों के विकास, कोरोना वायरस की फ्री वैक्सीन देने से, धार्मिक उन्माद पर नियंत्रण करने से, दंगा-फसाद पर रोक लगाने से, किसानों की खुशहाली की कामना करते होने से, कृषि विकास के लिए आधुनिक तकनीक पर विचार, छात्रों पर विशेष ध्यान देने से, वाहन की चोरी को रोकने के लिए एच एस आर सी लगाया जाना, शासन प्रशासन पर निगरानी रखने से, उत्तर प्रदेश की अमेठी में 300 मीटर लक्ष वाली ए के- २०३ राइफल निर्माण कारखाने के यह परियोजना 5000 करोड़ की है के पहल से, शहरों – नगरों में ड़कों के निर्माण, ई – बसों के संचालन प्रसार, ई- रिक्सा वितरण, दिव्यांगों को लाभ, डाक घरों का विस्तार सुधार, हस्त शिल्प और हस्त शिल्पियों का विशेष ध्यान देना, रेल पटरियों का विस्तार, रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण और सुंदरी करण, बस का विस्तार, बस स्टेशन का पुनर्निर्माण सुंदरीकरण। स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान, वीर शहीदों का सम्मान, मनरेगा मजदूरों का मजदूरी बढ़ाई जाना, आधुनिक खेती पर बल देना, जैविक खेती को बढ़ावा देना, रोपवे की शहरों में सौगात।

मेट्रो रेल का विकास विस्तार, जन्म – मृत्यु प्रमाण पत्र का तत्कालीन निवारण, योजनाओं का धरातल पर करने का संकल्प, परिषदीय विद्यालय में छात्रों के अभिभाव को छात्र के ड्रेस का पैसा खाते में डालना, छात्रवृत्ति योजना का मेधावी छात्र को लाभ पहुंचाना, छात्र छात्राओं की सुरक्षा के लिए योजनाबद्ध जैसी काम करना, नारी के सम्मान का ध्यान रखना, गैंग वॉर पर अंकुश लगाना, आतंकवाद नक्सलवाद को नष्ट करना,, राजनीति में पारदर्शिता का आना, खिलाडियों को उचित सम्मान देना, जनता को लाइन लगने से बचाने के लिए ATM का विस्तार। ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा व्यवस्था। बरेका इंजन की विदेश में भी बढ़ी मांग 111 देश में भेजे जा चुके 171 रेल कारखाना से रेल इंजन। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास से सराहनीय क़दम उठाए गए हैं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — जब इरादे हो नेक, तो चहुँ ओर विकास होता है। इसी का प्रमाण है प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 हजार करोड़ की लागत से उतर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के ड्रीम प्रोजेक्ट खाद कारखाना, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का किया लोकार्पण, दिनांक 6 दिसंबर 2021 को। सन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खाद कारखाने और AIIMS का शिलान्यास किया था। जिसे जनता को समर्पित किया।

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यह लेख (10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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