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sukhmangal singh articles

प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में। ♦

आषाढ़ शुक्ल – अष्टमी तिथि, जुलाई 7, 2022 दिन बृहस्पतिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी के सिगरा स्टेडियम में 1774 करोड़ की विकास परियोजना के लोकार्पण समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ उपस्थित हुए।

प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री द्वारा स्वागत

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विगत दिनों उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद पहली बार प्रधानमंत्री के काशी आगमन पर स्टेडियम मंच से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री का वक्तव्य

उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काशी नई विकास यात्रा की ओर बढ़ रही हैं और काशी मां गंगा की अविरल निर्मल धारा को देख रही। अब काशी को चिकित्सा और शिक्षा के नए हब के रूप में देखा जा रहा। मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में बदलती काशी को नये कलेवर के रूप में देखा गया है। काशी में शिक्षा स्वास्थ पर्यटन और खेल में काफी विकास कार्य हुए हैं।

यहां ग्राम पंचायत स्तर से बेसिक मंच पर विकासशील परियोजनाएं लाई गई है। योजनाओं का लाभ नौजवानों, महिलाओं, सभी समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों को मिला है। जाति धर्म से ऊपर उठकर समाज के लोगों को लाभांवित किया गया है। इस महत्वपूर्ण समय पर आज के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार जताया।

प्रधानमंत्री ने कहा …

काशी के सांसद के रूप में अपने भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी अंदाज में किया और कहा काशी में कहीं जाला, सात बार अउर, नौ त्यौहार होला। काहे का मतलब ई है कि जहां रोज – रोज, नया – नया त्योहार मनावल जाला। इसके बाद उन्होंने कहा आप सब लोगों ने प्रणाम बा।

जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी भाषण के दौरान विकास की अविरल धारा में आज और कई परियोजनाओं कि श्रृंखला जुड़ी है। काशी हमेशा से प्रभावशाली प्रबाहवान रही है। काशी ने एक तस्वीर पूरे देश को दिखाई है जिसमें विरासत भी है विकास भी है।

हमारा पूरा प्रयास है कि आत्मा वही रहे मगर काया में निरंतर नवीनता लाने का प्रयास जारी है। इसीलिए काशी में एक प्रोजेक्ट का काम पूरा होता है तो चार नया शुरू हो जाता है। काशी में सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वच्छता और सुंदरीकरण कर ऐसे जुड़ी हजारों करोड़ रुपए की परियोजना शुरू हो चुकी है। काशी के लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ मेरा समर्थन किया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

सिगरा स्टेडियम मंच पर उपस्थित

स्टेडियम के मंच पर प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, जया शंकर मिश्र दयालु, रविंदर जयसवाल अशोक धवन आदि लोग उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री वेंडिंग जोन (पटरी व्यवसाय से जुडे) की चर्चा की

ठेला पटरी व्यवसाई संग के सचिव अभिषेख निगम और प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश जी – संयोजक रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ काशी चेत्र भाजपा के नेतृत्व में साइकिलों, पटरी वाले प्रधानमंत्री जी की जनसभा में जय कारे कि नारे लगाते, भारत माता की जय, मोदी-मोदी, घर-घर मोदी, के नारे को लगाते हुए सभा स्थल पर पहुंचे। पटरी व्यवसाय से जुडे लोग प्रधानमंत्री जी की योजनाओं से काफी प्रसन्न दिखे।

IT कॉलेज में केंद्रीकृत रसोई अच्छय पात्र का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के IT कॉलेज परिसर में अक्षय पात्र रसोई का किया उद्घाटन इसके बाद महिला से सब्जी की धुलाई से लेकर दाल और चावल पकाने वाली मशीन के संचालन के बारे में जानकारी ली। किचन से निकलने के बाद पंडाल में प्रधानमंत्री ने बच्चों के साथ संवाद किया। ननिहाल की प्रतिभा को देखकर प्रधानमंत्री कायल हो गए।

अक्षय पात्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने उस जगह किया है जहां कभी स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष ने अपने पैरों से उधर आकर उस जगह को पवित्र किया था। कहां जाता है कि स्वामी विवेकानंद जी IT कॉलेज में पधारे थे।

प्रोटोकॉल को तोड़ कर प्रधानमंत्री नौनिहालों को दुलारने लगे

कोई भी कार्यक्रम हो भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बच्चों के साथ दुलार करना नहीं भूलते। अर्दली बाजार एवं IT कॉलेज में बच्चों के साथ प्रधानमंत्री ने खूब बातें की। बच्चों से प्रधानमंत्री ने लक्ष्य के प्रति डटे रहने का संदेश दिया।

एक बच्चे ने शिव तांडव किया जिसे प्रधानमंत्री ने अपने पास बुला लिया। उसके सिर पर हाथ फेरकर शाबाशी दी। एक बच्चा नेशनल ओलिंपियाड में योग करके लौटा था, उसने अपने योग का प्रदर्शन किया, शिवम की ओर देख प्रधानमंत्री उसके मुरीद हुए। सेवापूरी का एक बालक ने लगभग सैकड़ो देशों का नाम बताया और राजधानी, प्रधानमंत्री ने कुछ देशों के नाम और राजधानी सुनी इसके बाद उन्होंने खूब ध्यान से पढ़ो और आगे बढ़ों कहा।

एक बच्चे ने संस्कृत में श्लोक सुनाया जिसे सुनकर प्रधानमंत्री चकित रह गए। उकथी कन्या विद्यालय की छात्रा ने महिषासुर मर्दिनी, और सा नानी संग स्थित में महिषासुर मर्दिनी सुनाया चंद मिनटों के लिए पंडाल में उपस्थित लोगों में सिर्फ उसकी ही आवाज गुंजन कर रही थी। साक्षी यादव ने कविता सुनाया। अतीत नामक छात्र ने आंख पर पट्टी बांधकर एशिया के अनेक देशों और उसकी राजधानी को बताया।सोहेल नाम छात्र ने प्रधानमंत्री के पंडाल में घुसने पर ढोल बजा कर उनका स्वागत किया और संस्कृत में प्रधानमंत्री को अपना परिचय दिया।

रुद्राक्ष कन्वेंशन में प्रधानमंत्री मोदी

7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के रुद्राक्ष कमीशन में आने पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह प्रदान की। रुद्राक्ष कंवेंशन में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी को मोक्ष की नगरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र उपाय विद्या और ज्ञान को माना गया है।

जब शिक्षा का इतना बड़ा आयोजन काशी में होगा तो देश को उसका बड़ा फायदा होगा। देश की महिलाओं, बेटियों के लिए जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे आज वह सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। तीन दिवसीय समागम से जो अमूल्य निधि निकलेगी वह शिक्षा को नई दिशा देगी। हमारे यहां उपनिषद ने कहा गया है कि विद्या अमृतमं अश्नुते, अर्थात विद्या ही अमरत्व है और अमृत तक ले जाती है।

प्रधानमंत्री ने शिक्षाविद से नए भारत का विजन साझा करते हुए कहा दुनिया भर में सौर ऊर्जा पर चर्चा हो रही है। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास चमकता हुआ सूरज है। हमें सोलर एनर्जी का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम

अखिल भारतीय शिक्षा समागम के दौरान राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अन्नपूर्णा देवी, डॉ सुभाष सरकार, डॉ राजकुमार रंजन सिंह, वैज्ञानिक के कस्तूरी रंजन, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मंत्री आशीष पटेल और रजनी तिवारी आदि मौजूद रहे।

अक्षय पात्र अभी है कहां-कहां

देश का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए प्रधानमंत्री ने यह योजना चलाई है जिसके तहत अब तक कानपुर, आगरा, गाज़ियाबाद, वृन्दावन, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में एकीकृत रसोई बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है।

सोलर पैनल से अक्षय पात्र चलेगा

अक्षय पात्र फाउंडेशन के संयोजक ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण उनको ध्यान में रखते हुए सोलर पैनल इन्फ्रा लाइटों से भोजन को तैयार किया जाता है।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम काशी

काशी की धरती पर सब विद्या की राजधानी में 3 दिन के अखिल भारतीय शिक्षा समागम रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बच्चों के सहयोग से आयोजित किया गया।

समागम का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षकों को उनके जिम्मेदारी का भी एहसास कराया। प्रधानमंत्री ने कहा लैब टू लैंड का रोड मैप होना चाहिए। कृषि विद्यालयों के लैब में होने वाले रिसर्च का लाभ किसानों को भी मिलना चाहिए और किसानों के अनुभव को लैब में भी प्रयोग करना चाहिए।

आज दुनिया के कई देश जड़ी – बूटी से पारंपरिक इलाज में हमसे आगे हैं। जिसका परिणाम दुनिया में देखा है। हमारे पास परिणाम के साथ-साथ प्रमाण भी होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा विकास का मतलब चमक दमक नहीं, अपितु वंचित तबके का सशक्तिकरण करना है। दुनिया के समृद्ध देश परेशान हैं, वहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। युवा पीढ़ी ही कम हो रही है। हमारे यहां भी जल्द ऐसा समय आने वाला है इसका समाधान खोजना होगा। शिक्षा को 21वीं सदी के भविष्य से जोड़ना होगा।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन उस पवित्र धरती पर हो रहा है जहां आजादी से पहले देश की इतनी महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई थी। शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का, इतना बड़ा मंथन होगा तो शेर निकलने वाला अमृत देश को नई दिशा देगा। प्रधानमंत्री जी ने कहा यह हमें क्लाइमेट चेंज पर काम चाहिए।

खेल जगत पर बोलते हुए कहा

भारत में लोग लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहे है। खेल मैदान शाम को खिलाड़ियों से भरे होने चाहिए। विश्वविद्यालय खेल के क्षेत्र में लैक्चर बनाकर चल सकते हैं, आने वाले वर्षों में कितने गोल्ड मेडल ला सकते है, इस बारे में विचार करने की जरूरत हैं। हमारे बच्चे दुनिया भर में अखिल विश्व में खेलने जाएं।

मोदी की सौगात से सजेगा फ्लाईओवर

लहरतारा से चौका घाट फ्लाईओवर के नीचे 1.9 किलोमीटर में फैली आदिवासियों को प्रधानमंत्री ने नाईट बाजार की सौगात दी। इस बाजार के बन जाने के बाद काशी ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को काशी की कला व संस्कृति देखने के साथ ही बनारसी खानपान का स्वाद भी मिलेगा। रेलवे स्टेशन से निकलकर और वाराणसी के बस स्टेशन से बाहर आकर जनता को जरूरत की सामान्य वन प्ले सेटिंग में रात में भी मुहैया होगी।

सिगरा स्टेडियम का निर्माण

International Sports Complex के निर्माण के लिए खेलो इंडिया अब निवेश करेगी। इस Complex का निर्माण नई प्रणाली से 424 करोड की लागत से होगा। पहले चरण का निर्माण 87 करोड़ रुपए में होगा।

लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री

वायु सेना के विशेष विमान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 1:24 पर लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहुंचे। प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व उनकी आगवानी के लिए राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी राजकीय विमान से 12:00 बजकर 35 मिनट पर एयरपोर्ट पहुंच गए। उन्हें कुछ पुष्प गुच्छ अंग वस्त्र भेटकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने स्वागत किया। इसके उपरांत तीनों लोग वाराणसी के पुलिस लाइन हेली पैड पर उत्तर हेलीकॉप्टर से रवाना हुए।

वाराणसी शहर में अनेक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री, प्रकाश कुमार श्रीवास्तव ‘गणेश जी’ संयोजक रेहडी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र भाजपा से मिलकर शाम 6:00 बजे वायु सेना के विमान से दिल्ली रवाना हो गए।

बहुत-बहुत तत्वदर्शी, दूरदर्शी व्यक्तियों के घनी तप और योग क्रियाओं को पहचान दिलाने वाले दुनिया में भारत का नाम आगे बढ़ाने वाले स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, अटल बिहारी वाजपेयी, श्यामा प्रसाद, राम मनोहर लोहिया स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रेरणा लेकर भगवान राम के आदर्श को शिरोधार्य करके जगने वाले देश के माननीय प्रधानमंत्री का काशी में जो संस्कृति और विद्या की जननी वाली नगरी है। बाबा भोलेनाथ को समर्पित किया।

जय हिन्द – जय जवान – जय किसान। भारत माता की जय।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — देश का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए प्रधानमंत्री ने यह योजना चलाई है जिसके तहत अब तक कानपुर, आगरा, गाज़ियाबाद, वृन्दावन, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में एकीकृत रसोई बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। लहरतारा से चौका घाट फ्लाईओवर के नीचे 1.9 किलोमीटर में फैली आदिवासियों को प्रधानमंत्री ने नाईट बाजार की सौगात दी। इस बाजार के बन जाने के बाद काशी ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को काशी की कला व संस्कृति देखने के साथ ही बनारसी खानपान का स्वाद भी मिलेगा। जब शिक्षा का इतना बड़ा आयोजन काशी में होगा तो देश को उसका बड़ा फायदा होगा। देश की महिलाओं, बेटियों के लिए जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे आज वह सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

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यह लेख (प्रधानमंत्री मोदी की 1774 करोड़ की सौगात काशी में।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास। ♦

जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का (संक्षिप्त) इतिहास।

Narendra Modi in Munich Germany and History of German

जर्मनी का म्यूनिख शहर अच्छे शहरों में एक है। G7 के 48th वे शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत के प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे। भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित जर्मनी के म्यूनिख में एक कार्यक्रम में उनका भव्य स्वागत किया गया और मोदी मोदी के जय कारे से वातावरण गूंज उठा। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से पहले राष्ट्रगान किया गया और अंत में भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

• प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य •

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र पर भारतीयों को गर्व होना चाहिए और वह गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है। आज का भारत सपनों को पूरा करने के लिए अधीर है। हम अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।

भारत ने 2016 में ही तय किया था कि 40 फ़ीसदी बिजली का उत्पादन जीवाश्म ईंधन से किया जाएगा। वर्तमान समय में उस लक्ष्य को भारत ने हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा सबको साथ लेकर देश का विकास किया जाता है तो दुनिया की बड़ी शक्तियां भी उसके साथ आ जाती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का पैसा देश में लगेगा — आज एक मजबूत सरकार देश का नेतृत्व कर रही है लोगों को पता है उसका पैसा भ्रष्टाचार में नहीं देश के विकास में लगेगा।

• देश चलता है और चलेगा की मानसिकता बदली •

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि एक वक्त था जब देश होता है “ऐसा होता रहता है”, चलता है, ऐसा ही चलेगा की मानसिकता से चल रहा था।

आज का भारत इस मानसिकता से बाहर निकल चुका है और आज देश करना है और करना ही है के संकल्प के साथ चल रहा है। पवित्र, सच्चे व अच्छे कार्यों से देश चलेगा और सम्पूर्ण विकास हो रहा हैं।

• सही फैसले लेता है भारत •

कोई देश जब सही फैसले लेता है तो उसका तेजी से विकास होता है। 21वीं सदी का भारत पीछे रहने वालों में नहीं है बल्कि, यौगिक क्रांति का नेतृत्व करने वाला भारत है। आज भारत में सबसे सस्ता डाटा है। डिजिटल ट्रांजैकन 40 फ़ीसदी भारत में हो रहा है।

• ग्रामीण विकास पर फोकस करते हुए कहा •

भारत के हर गांव में बिजली है हर गांव सड़क से जुड़ चुका है, आज का भारत बदल रहा है। भारत में 99 परसेंट लोगों के पास गैस कनेक्शन है।

• स्वास्थ्य पर फोकस •

आज भारत के गरीब के पास 500000 के इलाज की सुविधा है हर परिवार बैंक से जुड़ा है। कोरोना में हर परिवार को मुफ्त राशन दिया गया।

• स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत •

प्रधानमंत्री ने कहा स्टार्टअप के लिए आज देश में तीसरा सबसे बड़ा इको सिस्टम है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है। कल तक जो भारत दूसरे से मोबाइल खरीदता था वह आज सबसे बड़ा निर्माता साबित हुआ है।

• आपातकाल पर चर्चा •

26 जून 2022 को प्रधानमंत्री म्युनिख जर्मनी में अपने वक्तव्य में कहा हम भारत के लोग जहां भी रहे अपने लोकतंत्र पर गर्व करते हैं। हर भारतीय के डीएनए में लोकतंत्र है। आगे उन्होंने कहा कि 47 साल पहले लोकतंत्र को दबाने और कुचलने का प्रयास किया गया भारतीय लोकतंत्र के जीवंत इतिहास में आपातकाल काले धब्बे की तरह है।

• अप्रवासी भारतीयों से मुलाकात •

जर्मनी के म्यूनिख में भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने भाषण के अंत में भारत माता के जयकारे लगवाए और उसके बाद लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए दोनों हाथ हिलाते हुए जन जन तक पहुंचने का प्रयास किया एक बच्ची से उन्होंने पूछा कि हिंदी जानती हो? जर्मनी में अप्रवासीय भारतीय अपने प्रधानमंत्री को पाकर बहुत खुश थे और भाषण के दौरान हाथ हिलाते रहे बीच-बीच में मोदी मोदी कह कर जयकारे लगाते रहे।

एक रचना प्रस्तुत…

बड़ी कठिनाइयों से गुजर कर,
हमने अपने देश को सजाया है।
दुनिया में फैली महामारी के समय,
अमृत का घड़ा आगे बढ़ाया है।

  • कोरोना काल में भारत विश्व को जिस तरह से वैक्सीन के माध्यम से लोगों की जान बचाया उसका श्रेय भारत के वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री को जाता है।
  • G -7 शिखर सम्मेलन म्यूनिख में 26 जून 2022 से 28 जून 2022 तक चला फिर प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त अरब अमीरात का दौरा करेंगे।

• जर्मनी का संक्षिप्त इतिहास (Brief history of Germany) •

सर्वप्रथम 8 फरवरी 1871 ईस्वी में विलियम को जर्मन संघ के सम्राट के रूप में ताजपोशी की गई। जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य ‘प्रशा’ था। जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क ने किया था। जो ‘प्रशा’ के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था। बिस्मार्ट जर्मनी को प्रसाद के नेतृत्व में चाहता था। परंतु बिस्मार्ट को अधिक भय फ्रांस का था।

सन 1815 से 1850 ईस्वी तक जर्मन साम्राज्य ऑस्ट्रेलिया के आधिपत्य में था।

• जर्मनी का निर्माण किया •

जर्मनी राष्ट्र के निर्माण में बोमर, लसर, और राके आदि दार्शनिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय ऑस्ट्रेलिया का चांसलर मेटरनिख का काल था।

• विलियम प्रथम का राज्याभिषेक •

बिस्मार्क ने ‘वर्साय’ के राजमहल में जर्मनी के सम्राट के रूप में विलियम प्रथम का राज्याभिषेक कराया।—(G.K)

• विलियम प्रथम बिस्मार्क को कहता •

विलियम प्रथम जो जर्मनी ‘प्रशा’ का प्रधानमंत्री था जिसने (बिस्मार्क) को जर्मनी का एकीकरण कराया था उसे बाजीगर कहता था।

• जर्मनी का एकीकरण किन परिस्थितियों में हुआ •

जर्मनी का एकीकरण सूडान युद्ध के बाद संभव हो सका। कहा जाता है कि फ्रांस और प्रशा के मध्य 10 मई 1871 ईस्वी में फ्रैंकफर्ट की संधि हुई। सन 1870 (अट्ठारह सौ सत्तर) में ‘प्रशा’ युद्ध में नेपोलियन तृतीय ने 1 सितंबर 1870 (अट्ठारह सौ सत्तर) को आत्मसमर्पण कर दिया था। और 15 जुलाई 1870 ईस्वी को फ्रांस और ‘प्रशा’ के बीच सूडान का युद्ध हुआ। ऑस्ट्रेलिया और ‘प्रशा’ के बीच 1866 ईसवी में युद्ध हुआ, उस युद्ध में ऑस्ट्रेलिया ने ‘प्रशा’ के आगे घुटने टेकते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था। और 23 अगस्त 1866 ईसवी में ऑस्ट्रेलिया जर्मन संघ में शामिल हो गया था।

• वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी •

वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा है इसका बड़ा नगर सिडनी है।

• ए एच पामर ने लिखा (A H. Palmer) •

क्वींसलैंड के औपनिवेशिक सचिव ए एच पामर, 1884 ई. में लिखा कि’ — आज शहीदों का स्वभाव इतना अधिक कपट पूर्ण था कि वे केवल भय के द्वारा ही संचालित होते थे वस्तुतः ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों पर शासन करपाना केवल क्रूर बल प्रयोग द्वारा ही संभव हो सकता है। —(Hindi Wikipedia)

ऑस्ट्रेलिया में नरसंहार के आने का स्थल मौजूद हैं जबकि समर्थन के दस्तावेज में भिन्न-भिन्न है।

भारत के प्रधानमंत्री का G7 के 48वां शिखर सम्मेलन में शामिल होना म्यूनिख में पहुंचकर डायस्पोरा में प्रवासी भारतीयों के साथ राष्ट्रगान करना और भारत का संदेश देना अपने आप में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।

जर्मनी में श्लॉस एल्माऊ (Schloss Elmau) होटल में G7 शिखर सम्मेलन का 48वां आयोजन हुआ। इस होटल की खासियत क्या है कि भगवान गणेश का इस पर प्रभाव दिखता है और भारत की सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है।

♦—♦ ♥ ♦—♦

• भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी •

G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज से मुलाकात की। इन दोनों नेताओं ने भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी की गति को बनाए रखने के साथ ही द्विपक्षीय दोस्ती में विविधता लाने पर सहमति व्यक्त की।

• भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांस •

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गर्मजोशी दिखाई दी। दोनों लोग एक दूसरे के गले लगे।

• भारत के प्रधानमंत्री और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति •

प्रधानमंत्री मोदी कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामसोफा से भी मुलाकात हुई।

• मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति से मिलन •

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद आकर प्रधानमंत्री मोदी से हाथ मिलाया। जिस स्थान पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति आकर प्रधानमंत्री के कंधे पर हाथ रखा और फिर दोनों लोग गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाए। कहा जाता है कि जापान में मई में हुए सम्मेलन के बाद मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति की यह पहली मुलाकात है।

• ऊर्जा, अमीरों का विशेषाधिकार नहीं •

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ऊर्जा उपयोग पर केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। उस पर गरीब परिवारों का भी समान अधिकार है। भू राजनीतिक तनाव से ऊर्जा की लागत आसमान छू रही है तो इस बात को याद रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

• मोदी का विकासशील देशों को प्रेरणा •

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब भारत जैसे विशाल देश महत्वाकांक्षा दिखाता है तो विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। आज भारत में स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के लिए विशाल बाजार उभर रहा है। G7 देश इस क्षेत्र में रिसर्च इनोवेशन और विनिर्माण में निवेश कर सकते हैं।

मोदी ने G7 सम्मेलन के सदस्यों को अपनी तरफ आकृष्ट करते हुए कहा …

“यह भ्रांति है कि गरीब देश पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं!” भारत का 1000 साल से अधिक का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। हमने समृद्धि का समय देखा है सदियों की गुलामी भी झेली है।

अब आजाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। आगे कहा 17 फ़ीसदी जनसंख्या दुनिया की, केवल भारत में निवास करती है। परंतु बेसिक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान मात्र 5% है। इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ सह अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।

मोदी ने स्वास्थ्य पर वक्तव्य में …

भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मानव और ग्रह की सेहत आपस में जुड़ी हुई है। इसलिए हमने वन वर्ल्ड वन हेल्थ के दृष्टिकोण को अपनाया। कोरोना महामारी के दौरान भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल के कई रचनात्मक तरीके खोजे।

G7 देश इस इनोवेशन को विकासशील देशों में ले जाने में भारत की मदद कर सकते हैं। कोरोना संकटकाल में योग दुनियाभर के लिए स्वास्थ्य निवारक का बड़ा माध्यम बना और इससे शारीरिक मानसिक सेहत बनाए रखने में बहुत मदद मिली।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — आजाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। आगे कहा 17 फ़ीसदी जनसंख्या दुनिया की, केवल भारत में निवास करती है। परंतु बेसिक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान मात्र 5% है। इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ सह अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ऊर्जा उपयोग पर केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। उस पर गरीब परिवारों का भी समान अधिकार है। भू राजनीतिक तनाव से ऊर्जा की लागत आसमान छू रही है तो इस बात को याद रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है। कोरोना संकटकाल में योग दुनियाभर के लिए स्वास्थ्य निवारक का बड़ा माध्यम बना और इससे शारीरिक मानसिक सेहत बनाए रखने में बहुत मदद मिली। “यह भ्रांति है कि गरीब देश पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं!” भारत का 1000 साल से अधिक का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। हमने समृद्धि का समय देखा है सदियों की गुलामी भी झेली है।

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यह लेख (जर्मनी के म्युनिख में नरेंद्र मोदी और जर्मन का इतिहास।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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संसार सागर में परमात्मा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ संसार सागर में परमात्मा। ♦

ईश्वर कहते है कि मुझे जानकर बहुत लोग भजन करके तर जाते हैं। ईश्वर के विषय का यथार्थ ज्ञान ही तप है। जाे ईश्वर को भजता है उसे ईश्वर भक्त कहते हैं। संसार के लोगों ने जिसे मूल्यवान समझा वाे उसे ही याद करते हैं। क्या पता कौन किस समय काम आ जाए इसका ध्यान नहीं रखते हैं।

“कहा जाता है कि अंगद ने हनुमान जी से कहा की हनुमान समय-समय पर मेरी याद भगवान को दिलाते रहना जिसे भगवान याद करते हैं उसका बड़ा भारी भाग्य होता है।“

भरत जी से भारद्वाज मुनि ने कहा सारी दुनिया भगवान को भजती है और तुम्हें भगवान भजते हैं। मानव का जन्म दिव्य है। लेकिन भगवान की तरह पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं है कुछ अंतर है भगवान जैसी पूर्ण शक्ति नहीं है। भगवान का संसार में आना हित हेतु हितकारी होता है। लेकिन मनुष्य भगवान की आज्ञा से ही आता है।

• भगवान में हर समय मन को रमाएं रहना कल्याणकारी •

ज्ञानी पुरुषों का कर्म मनुष्य की अपेक्षा दिव्य होता है। भगवान के भजन के प्रभाव से कल्याण होता है उसी प्रकार भगवान के हाथों से मरने पर उस जीव की मुक्ति हो जाती है। भगवान का नाम जप करें अथवा भजन करें या सत्संग करें ऐसे जीव का कल्याण होता है।

महापुरुषों का भी दर्शन मुक्ति देने वाला होता है। भगवान में हर समय मन को रमाएं रहना कल्याणकारी होता है। भगवान से प्रेम हो जाने पर शेष गौण हो जाता है। शरीर क्रिया करें अथवा न करें परंतु निश्चित रूप से संसार में रहकर ईश्वर का भजन मनन करना कल्याणकारी कदम है।

‘भगवान ने कहा है कि तू केवल मेरा भजन कर’। जिस प्रकार हिम्मत करने वाला व्यक्ति उद्देश्य तक जल्दी पहुंच जाता है कम हिम्मत करने वाला पछताता रहता है; रोता रहता है उसी प्रकार मन की चंचलता जब छूट जाती है तो ईश्वर अर्थात भगवान को पाने में देरी नहीं होती धीरे-धीरे ही सही वह ईश्वर तक पहुंच जाता है।

• मन से धनवान धरा पर बहुत थोड़े •

कहां जाता है कि परमात्मा की प्राप्ति बहुत ही सहज है। परोपकार में किया गया खर्च खुले हाथ से करना होगा। उदारता का भाव अपने पास रखना उत्तम होता है। आपके पास यदि ऐसा लगे कि कुछ भी नहीं है तो भी लोगों के समक्ष मीठी वाणी बोली बोलना ज्यादा लाभप्रद होता है। हमारा लक्ष्य होना चाहिए और मन से धनवान धरा पर बहुत थोड़े ही मिलते हैं।

जीवन में काम करना चाहिए बड़ाई की चाहत नहीं रखनी चाहिए। अच्छे कार्यों के संपन्न होने के बाद भी उसे प्रकाशित करने से क्या लाभ यदि प्रकाशित करते हैं तो वह बड़ा नहीं कही जाएगी। मनुष्य अपनी बुरे काम को छुपाता है, छुपाने की चेष्टा करता है। वही आप उत्तम काम करके प्रकट किए बिना रह नहीं सकते हैं। यदि आप उत्तम कार्य करते हैं तो आप का उद्धार होने में विलंब नहीं होता है। परमात्मा की प्राप्ति की इच्छा वाले मनुष्य को दंभ – पाखंडी, मान – बड़ाई की इच्छा को छोड़ देना उत्तम होता है।

• भगवान खेवनहार है। •

दिखावा करना, गलती को छुपाना, आलस्य का आना, पापों को छिपाने जैसा कृत्य है। कल्याण व्याकुलता से होता है व्याकुलता भगवान के लिए करनी पड़ती है। संसार समुद्र तट की भांति ही है साधन की कमी का रोना नहीं रोना चाहिए। भगवान खेवनहार है। जिस प्रकार समुद्र में डूबते हुए व्यक्ति के हाथ में यदि कोई रस्सी लग जाती है तो उसे नहीं छोड़ता उसी प्रकार संसार सागर में ईश्वर की भक्ति को नहीं छोड़ना चाहिए।

हमेशा चिंतन करनी चाहिए साधन तेज, मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए। चिंता दुख का कारण होता है और चिंतन से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। प्रेम और भय से होता है। धार्मिक देश में जन्म बहुत कठिन तपस्या के बाद होता है और उत्तम कुल में जन्म या उत्तम सत्संग मिलना बहुत कठिन कार्य है। यदि मिल जाए तो मनुष्य को उस समय को नहीं गंवाना चाहिए। परमात्मा के तत्व को जानने वाला जीव संसार के सारे कार्यों को मिट्टी के समान समझने लगता है।

• मृत्यु के उपरांत •

संसार सागर में जो कुछ हो रहा है परमात्मा तत्व जानने के बाद चिंता नहीं होना चाहिए। आपने इस संसार में जो कुछ बनवाया है जिसे आप कहते हैं कि हमने अमुक कार्य किया है वह मृत्यु के उपरांत किस काम का। आपको यह भी नहीं पता है कि आपका आगे का जन्म कहां और किस तरह में होगा।

न जाने कितनी बार मनुष्य का जन्म हुआ होगा; अगर मनुष्य उस जन्म काल में परमात्मा को जान लिया होता तो फिर अगला जन्म ही क्यों होता। परमात्मा की प्राप्ति 33 करोड़ मनुष्यों में किसी एक को होती है। धरा पर जीव करोड़ों के करोड़ों गुना हैं। परंतु उसमें से सबको मुक्ति नहीं मिलती है। इसलिए सर्वस्व निछावर कर देना चाहिए; सब कुछ चले जाने के बाद भी ईश्वर से प्रेम करना चाहिए।

• ईश्वर की शरण में… •

सांसारिक उन्नति देखकर मनुष्य प्रसन्न हो जाता है किंतु साधन के अभाव में घर जल जाता है। मनुष्य परमेश्वर से प्रार्थना करें कि ईश्वर उसे सद्बुद्धि दे; ज्ञान दे। भगवान की शरण में जो जाता है उसका प्रभु त्याग नहीं करता। ईश्वर की शरण में जाने के बाद; उससे जो लोग कुछ मांग नहीं करते, उसकी सुनवाई भगवान जल्दी करता है।

समय बहुत मूल्यवान होता है एक-एक पल वृथा नहीं खोना चाहिए। करोड़ों जन्मों के उपरांत मनुष्य का एक बार जन्म मिलता है। मोह से राग द्वेश रूपी द्वंद उत्पन्न होता है। द्वंद की स्थिति में मनुष्य मोहित हो जाता है। मोह हो जाने पर बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। मोह ईश्वर से करना होगा। बासुदेव में निरंतर भ्रमण करते रहना चाहिए जो प्राणी भजन कीर्तन और भगवान की भक्ति की चर्चा करते हैं भगवान के गुण और प्रभाव सहित कथन करके संतुष्ट होते हैं वह ईश्वर के करीब होते हैं।

“प्रभु कार्य किए बिना मोहि कहां विश्राम”

समर्पित भाव से समस्त कार्यों को ईश्वर को समर्पित करना सर्वथा उचित है।

‘येषा म् न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।

ऐसे लोग पृथ्वी पर भार स्वरूप हैं जिनके अंदर विद्या, तप, दान, ज्ञान अच्छे आचरण, सद्गुण नहीं है। मनुष्य का शरीर पाकर जो कर्तव्य पालन करते हैं उन्हीं को धन्यवाद है।

किसी बात की परवाह करना ही मुक्ति में बाधक होता है। भेजें बेटे – बेटी, नाती – पोता कमाने के लायक हो जाए तो भी ठीक है वह आपको कुछ दे रहे हैं अथवा नहीं दे रहे हैं इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। सहनशीलता उत्तम होती है कायरता उत्तम नहीं है, उद्दंडता खराब है वीरता प्राप्त करने के उपरांत उद्दंडता नहीं किया जाना चाहिए।

अच्छे व्यक्तियों को ढिंढोरा पीटकर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। अधिकांश लोग ढोंग करते हैं। शास्त्र के अनुकूल कार्य में बेपरवाह नहीं रहना चाहिए। बेपरवाह होने को गफलत कहते हैं। गफलत बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए। मनुष्य का जन्म अनन्य भक्ति करने के लिए मिलता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — यह मनुष्य जन्म मिला हैं भगवन भजन करने के लिए न की भोग विलाष के लिए। भगवान केवल उन भक्तों का उद्धार करते हैं जो सच्चे मन से सम्पूर्ण समर्पण के साथ प्रेम से याद करते है उन्हें, सच्चे मन से पूर्ण प्रेम से भजन करते है जो भगवान का उनका सदैव ही ख्याल रखते हैं भगवान भी। हम मनुष्यों को भगवान का मनन और चिंतन करना है, चिंता बिलकुल भी नहीं करना है। ऐसे लोग पृथ्वी पर भार स्वरूप हैं जिनके अंदर विद्या, तप, दान, ज्ञान अच्छे आचरण, सद्गुण नहीं है। मनुष्य का शरीर पाकर जो कर्तव्य पालन करते हैं उन्हीं को धन्यवाद है।

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प्रातः उठ हरि हर को भज।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्रातः उठ हरि हर को भज। ♦

प्रातः उठ हरि हर को भज लो,
धरती का अभिनंदन कर लो।
उल्लसत मनसे बंदन कर लो,
मुक्त कंठ में चंदन धर लो॥

निर्मल पानी गुनगुन पी लो,
चाय की चुस्की रुक कर ले लो।
लिखनी ले साहित्य लिख लो,
प्रातः उठ हरि हर भज लो॥

नित्य – क्रिया में निवृत्ति हो,
गंगा जल ले काया धो लो।
धूप – दीप ले प्रभु से बोलो,
प्रातः उठकर आंखें खोलो॥

पेपर आया उसको पढ़ लो,
देश दुनिया की खबर ले लो।
दूरदर्शन से – मेल कर लो,
प्रातः उठ हरि विनती कर लो॥

भूखा – नंगा जो भी भेजा,
झोली सबकी भर के दे दो।
कोई खाली हाथ न जाये,
प्रातः उठकर प्रभु से बोलो॥

कभी न गलती हरि करने दो,
स्वच्छ हृदय मन भरने को।
अपना हमको प्रभु बना लो,
प्रातः उठ हरिहर को जप लो॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में बताया है, सुबह उठकर आपका नित्य क्रिया कर्म, का क्या क्रम होना चाहिए। जिससे आपका हर एक कार्य शांति पूर्वक, सही समय पर पूर्ण हो जाये।

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यह कविता (प्रातः उठ हरि हर को भज।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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भारत में भूतहा जगह कहां और कौन?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भारत में भूतहा जगह कहां और कौन? ♦

भारत में भूत-ही जगह देखने जब जाइए,
नियम और कानून का पालन करते हुए जाइए।
आप जब स्थानीय आदेश पर चलोगे अगर,
तो पर्यटन का आनंद मिलता रहेगा मंगल॥

पुणे का शनिवार बाड़ा किला है पुराना महान,
बाजीराव पेशवा से जुड़ा हुआ है यह स्थान।
हॉन्टेड माना जाने वाला इस किले के अंदर,
मना किया जाता है सूरज डूबने के बाद जाना॥

राजस्थान के अलवर में स्थित भानगढ़ का किला,
बहुत ही सुंदर सुहाना लेकिन किला है डरावना।
कहते 17 वीं सदी में इसका निर्माण हुआ था,
भूतिया गतविधियों से विद्यमान यह किला है।
सूरज डूबने के बाद शाम से यहां इंट्री बंद रहती,
यहां चाहे कोई राजनीतिक जाए या आए विद्वान॥

मुंबई के कोलाबा में स्थित है मुकेश मिल्स,
देश की 10 हॉन्टेड जगहों में यह शामिल हिल।
फिल्मों की शूटिंग के लिए मशहूर है मिल,
भूतों की कहानियां से भरपूर है सबका दिल॥

राजस्थान से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव,
कुलधरा गांव में कभी 600 परिवार रहते थे।
सुना था रसोई के बाद यहां भी कोई नहीं रहता,
रातों रात गांव छोड़ कर लोग कहीं चले गये॥

हैदराबाद का गोलकुंडा फोर्ट का 13 वीं सदी में निर्माण हुआ,
इस फोर्ट में रानी तारामती की आत्मा रात में चलती है।
जिसको पति के साथ यहां दफनाया गया था,
डांस करती और डांस करने की आवाज आती॥

बृज राजभवन पैलेस कोटा राजस्थान में स्थित,
लगभग 180 वर्ष पुराना बताया जाता रहा है।
पैलेस को 18 सौ अस्सी में हेरिटेज होटल बना दिया गया,
हेरिटेज होटल में एक ब्रिटिश मेजर बर्टन का भूत रहता है।
ब्रिटिश मेजर बर्टन को सन 1857 में ही मारा गया था,
मेजर को भारतीय सिपाहियों ने हीं मारा था॥

दार्जिलिंग का डाव हिल, कुर्सियांग इलाका,
प्राकृतिक खूबसूरती में बहुत ही मशहूर है।
स्थानीय लकड़ हारो का कहना है कि यहां,
बिना सिर वाला एक लड़का टहलता रहता है।
यह इलाका भुतहा अनुभव से भरा हुआ है,
जंगल में लकड़ी काटने वालों ने सिर विहीन लड़का देखा॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में भारत के सभी मुख्य भूतहा जगह के बारे में बताने की कोशिश की है जो काबिले तारीफ है। भारत में भूत-ही जगह देखने जब जाइए, नियम और कानून का पालन करते हुए जाइए। आप जब स्थानीय आदेश पर चलोगे अगर, तो पर्यटन का आनंद मिलता रहेगा मंगल॥

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