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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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inspirational story in hindi

काैन दोस्त व काैन दुश्मन।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-KMS

ϒ काैन दोस्त व काैन दुश्मन। ϒ

एक बार एक छोटी चिड़िया सर्दी में खाने की तलाश में उड़ कर जा रही थी, ठंड इतनी ज्यादा थी कि उससे ठंड सहन नही हुई और खून जम जाने से वो वहीं पर एक मैदान में गिर गयी…..

वहां पर एक गाय ने आकर उसके ऊपर गोबर कर दिया। गोबर के नीचे दबने के बाद उस चिड़िया को एहसास हुआ की उसे दरअसल उस गोबर के ढेर में गर्मी मिल रही थी। लगातार गर्माहट के एहसास ने उस छोटी चिड़िया को सुकून से भर दिया और उसने गाना गाना शुरू कर दिया।

वहां से निकल रही एक बिल्ली ने उस गाने की आवाज़ सुनी और देखने लगी की ये आवाज़ कहाँ से आ रही है। ….. थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ की ये आवाज़ गोबर के ढेर के अंदर से आ रही है, उसने गोबर का ढेर खोदा और उस चिड़िया को बाहर निकाला और उसे खा गयी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि…..

“आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर इंसान आपका दुश्मन नहीं होता।
और
आपको उस गंदगी में से बाहर निकालने वाला हर इंसान आपका दोस्त नहीं होता।“

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© आप सभी का प्रिय दोस्त ®

Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,,  http://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

 ~Kmsraj51

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cymt-kmsraj51

– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

~KMSRAJ51

 

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‘‘सच्चा शिष्य’’

Kmsraj51 की कलम से…..

Kmsraj51-CYMT08

‘‘सच्चा शिष्य’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

बहुत पुरानी बात है। एक विद्वान आचार्य थे। उनका एक गुरूकुल था।

प्राचीन काल में आचार्य विद्यार्थीयाें को निशुल्क शिक्षा दिया करते थे।

एक दिन आचार्य जी ने गुरूकुल के सारे विद्यार्थियों को अपने पास बुलाया और कहा-

‘‘प्रिय विद्यार्थियों मेरी कन्या विवाह योग्य हो गयी है। परन्तु इसका विवाह करने के लिए मेरे पास धन नही है। मेरी समझ में नही आ रहा है कि कैसे इसका विवाह करूँ।’’

कुछ विद्यार्थी जिनके माता-पिता धनवान थे।

उनसे बोले- ‘‘गुरू जी! हम लोग अपने माता‘पिता से कह कर आपको धन दिलवा देंगे।’’

आचार्य जी बोले- ‘‘शिष्यों! मुझे संकोच होता है, मैं लालची आचार्य नही कहाना चाहता।’’ फिर बोले कि मैं अपनी पुत्री का विवाह अपने शिष्यों के धन से ही करना चाहता हूँ। परन्तु ध्यान रहे कि तुममे से कोई भी धन माँग कर नही लायेगा। जो विद्यार्थी धनी परिवारों के नही थे उनसे आचार्य जी ने कहा कि तुम लोग भी अपने घरों से कुछ न कुछ ले आना परन्तु किसी को पता नही लगना चाहिए और उस वस्तु पर किसी की दृष्टि भी नही पड़नी चाहिए।”

कुछ ही दिनों में आचार्य जी के पास पर्याप्त धन व वस्तुएँ एकत्रित हो गयी।

तभी आचार्य जी के पास एक अत्यन्त धनी परिवार का शिष्य आकर बोला-

‘‘आचार्य जी मेरे घर में किसी प्रकार की कमी नही है, परन्तु मैं आपके लिए कुछ भी नही ला पाया हूँ।’’

आचार्य जी बोले- ‘‘ क्यों ? क्या तुम गुरू की सेवा नही करना चाहते हो?’’

शिष्य ने उत्तर दिया- ‘‘नही गुरू जी! ऐसी बात नही है। आपने ही तो कहा था कि कोई वस्तु या धन लाते हुए किसी को पता नही लगना चाहिए और उस वस्तु पर किसी की दृष्टि भी नही पड़नी चाहिए। मुझे वह स्थान नही मिला, जहाँ कोई देख न रहा हो।’’

आचार्य जी बोले- ‘‘तुम झूठ बोलते हो। कहीं तो कोई ऐसा समय व स्थान रहा होगा जब तुम्हें कोई देख नही रहा होगा।’’

शिष्य आँखों में आँसू भर कर बोला- ‘‘गुरू जी! ऐसा समय व स्थान तो अवश्य मिला परन्तु मैं भी तो उस समय अपने इस कृत्य को देख रहा था।’’

आचार्य जी ने उस शिष्य को गले से लगा लिया और बोले-

‘‘तू ही मेरा सच्चा शिष्य है। मुझे अपनी कन्या के लिए विवाह के लिए धन की आवश्यकता नही थी। मैं तो उसके वर के रूप में तेरे जैसा ही सदाचारी वर खोज रहा था।’’

–(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

We are grateful to DR. Rupcndra Shastri ‘Mayank Ji for sharing this very inspirational Hindi story with KMSRAJ51 readers.

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

DR. Rupcndra Shastri ‘Mayank` Blog:- http://powerofhydro.blogspot.in/

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“सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता,
सबसे ज्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना|”

-Kmsraj51

 

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प्रभु जरुर खुश होंगे।

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More quotes visit at kmsraj51 copy

एक बार एक अजनबी किसी के घर गया। वह अंदर गया और मेहमान कक्ष मे बैठ गया। वह खाली हाथ आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार देना अच्छा रहेगा। तो उसने वहा टंगी एक पेन्टिंग उतारी और जब घर का मालिक आया,उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै आपके लिए लाया हुँ। घर का मालिक, जिसे पता था कि यह मेरी चीज मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया। अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट पा कर, जो कि पहले से ही उसका है, उस आदमी को खुश होना चाहिए ? मेरे ख्याल से नहीं। लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते है। हम उन्हें फूल, फल और हर चीज जो उनकी ही बनाई है, उन्हे भेंट करते हैं और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो जाएगें। हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब चीजो कि जरुरत नही। अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना चाहते हैं तो अपना प्यार दीजिए उन्हे अपने हर एक श्वास मे याद करके और विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश होंगे ।

English-

Once an alien has the inside someone’s House and guests sat in the room came up empty handed so she thought that would be nice to give some gifts so he find the owner of the House and launched a tangi came when painting, he said, were painting it I brought for you at work. the master of the House, which knew it is only offering me my stuffTell you now, shocking live. whether it can find, which is already offering his, that man should be happy? My guess is no, but the same thing we do with God we have them flowers, fruits and everything that has made his own, called them and think that God will be happy we don’t understand that they don’t need all these things with that. If you really want to give them something in your love remember every single breathing them in your hand and believe will be happy the Lord manie notice.

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“तू ना हो निराश कभी मन से”

 

जीवन मंदिर सा पावन हाे, बाताें में सुंदर सावन हाे।

स्वाथ॔ ना भटके पास ज़रा भी, हर दिन मानो वृंदावन हाे॥

-KMSRAJ51 

 

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परमात्मा और किसान

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSपरमात्मा और किसान

एक बार एक  किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक  दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम  दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!

किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप  चाही ,तब धूप  मिली, जब पानी तब पानी ! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई  थी !  किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.

paysage bl?nuage 2फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!  गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,  बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु  ये  क्या हुआ ?

तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था  ,तुमने पौधों  को संघर्ष का ज़रा  सा  भी मौका नहीं दिया . ना तेज  धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको  किसी प्रकार की चुनौती  का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी  से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !”

उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती  ना हो तो आदमी खोखला  ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनोतियाँ  ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ  तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे.  अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !

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Post inspired by:- AKC ,,

Gopal-kmsraj51I am grateful to my dear friend Mr. Gopal Mishra & AKC (http://www.achhikhabar.com/).

गोपाल भाई जी मेरे प्रिय मित्र आैर सहयाेगी हैं। गोपाल भाई जी आैर AKC के बारे मे जानने के लिए  यहाँ Click करें-

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“तू ना हो निराश कभी मन से”

 

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” –Kmsraj51 

CYMT-TU NA HO NIRASH K M S

 

 

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उपयोगिता

kmsraj51 की कलम से…..

Soulword_kmsraj51 - Change Y M Tउपयोगिता –

एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाय कि कौन से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोजबीन करने के बाद उसे जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।

इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़कर जंगल में चला गया। शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थककर एक पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई।
उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।

शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देखकर आपस में कहने लगे, “अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।”

गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था।
शत्रु के सैनिक आगे निकल गए …
उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती। इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।

Valuable-kmsraj51

 

 

 

 

 

 

Post inspired by-

Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj-KMSRAJ51पूज्य आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज

मैं श्री आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज का बहुत आभारी हूँ!!

आपको दिल से शुक्रिया;

Ayurveda Product Available on;-

http://patanjaliayurved.org/

 

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मन के हारे हार है मन के जीते जीत !!

kmsraj51 की कलम से …..
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“मन के हारे हार है मन के जीते जीत”

दोस्तों ,

बहुत दिनों से आप अपने आपको थका हुआ और कमजोर महसूस कर रहे हैं! मन में भी नकारात्मक भाव आ रहे हैं ,कोई उमंग महसूस नहीं हो रही है ! जिंदगी बोझिल सी हो रही है! ऐसे में आप किसी डॉक्टर के पास जाते हैं! वो आपकी पूरी जांच करने के बाद गंभीर स्वर में आपसे कहता है,–‘माफ़ कीजिएगा! लेकिन आपकी reports देख कर मुझे लगता है की अगले एक साल में आपको diabetes और heart problem होने वाली है,थोडा अपना ध्यान रखिए!!

आप ये सुन कर shocked हो जाते हैं! लेकिन अब इसके बाद जो आपकी प्रतिक्रिया होती है,वो महत्वपूर्ण है!

इस खबर को सुनने के बाद आप दो तरह से प्रतिक्रिया कर सकते हैं!

पहला, ये सुनते ही आपका मन कहता है, देखा, मैं तो पहले ही कह रहा था कुछ तो गड़बड़ है! तुम बीमार होने वाले हो! आप तुरंत doctor के prediction के आगे हथियार डाल देते हैं! आपकी नकारात्मक सोच आपकी उम्र को 10 साल आगे की स्थिति में पहुंचा देती है!!

आप हताश और निराश से कुर्सी से उठते हैं! किसी पराजित आदमी की तरह अपने कंधे झुका कर clinic से बाहर निकलते हैं! घर आकर चुपचाप या तो बिस्तर या TV के आगे बैठ जाते हैं!

आपके मन में ये prediction मजबूती से बैठ गई है की ये तो होना ही है तो क्यों मैं सुबह जल्दी उठूं ,व्यायाम करूँ, सही आहार लूँ, मेहनत करूँ! ये विचार आपके मनोमस्तिक्ष पर इतनी बुरी तरह हावी हो जाते हैं की सोते, जागते खाते-पीते आप बस ये ही सोचते रहते हैं की अब तो मुझे diabetes और heart problem होने वाली है आखिर अब तो doctor ने भी ये कह दिया है!

आप निरुत्साहित से अपने काम करते हैं! चिंता में TV के सामने बैठ कुछ ना कुछ खाते रहते हैं! आप अपनी चिंता को खाने की आड़ में दबाने की कोशिश करते हैं! फिर ऐसे ही हताशा, निराशा और आलस से भरी आपकी दिनचर्या हो जाती है!!

फिर एक दिन अचानक आपकी तबियत ज्यादा खराब हो जाती है! आप डॉक्टर के यहाँ जाते हैं! आपका सारा checkup करने के बाद doctor बड़े ही निराशा भरे स्वर में कहता है,– ‘मुझे अफ़सोस है! लेकिन मैं आपको ये बताना चाहता हूँ की आपको high BP, diabetes और heart problem हो चुका है! अगर अब भी आप अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखेंगे तो गाडी ज्यादा देर और दूर तक नहीं चल पाएगी! आप shocked से सामने दिवार पर लगा कैलेंडर देखते हैं! अरे अभी तो केवल 5 महीने ही गुजरे हैं, डॉक्टर ने तो 1 साल की कहा था! आपकी सोच और मन की हार ने उस भविष्यवाणी को समय से पहले ही सच साबित कर दिया! आप फिर पहले से भी ज्यादा हताश, निराश और झुके हुए कन्धों के साथ clinic से बाहर निकलते हैं! और ये कहानी दोस्तों फिर ज्यादा लम्बी नहीं चलती है ……..!!

वहीं दूसरी तरफ doctor के ये कहते ही, की अगले एक साल में आपको diabetes और heart problem होने वाली है, आपको आपकी अंतरात्मा को एक झटका सा लगता है! आप इस बात को एक चुनोती की तरह लेते हैं! तुरंत आपका मन और आत्मबल एक निर्णय लेते हैं, की अरे ये सिर्फ एक prediction ही तो है, हकीकत नहीं है, और मैं इसे हकीकत बनने भी नहीं दूंगा! आप मन ही मन संकल्पित होते हैं, अपनी पिछली जिंदगी की कमियों, लापरवाहियों और आलस पर एक नजर डालते हैं और तुरंत निर्णय लेते हैं, बस अब और नहीं! अब मेरी जिंदगी, मेरी सेहत मेरे हाथ में है! आपकी सोच पूरा u-turn ले लेती है! आप ये ठान लेते हैं की आज से बल्कि अभी से मैं अपने आप को, अपनी आदतों को बदल दूंगा! इस prediction को मैं झूठा साबित कर के रहूँगा! आप एक संकल्प और मन के विश्वास के साथ कुर्सी से उठते हैं और clinic से बाहर निकलते हैं!!

आप अपनी दिनचर्या को पूरी तरह से बदल देते हैं! जल्दी उठना, ध्यान, व्यायाम, सही आहार, सकारात्मक सोच, श्रद्धा, आशावादिता, उमंग ,उत्साह और पर्याप्त मेहनत को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेते हैं! कुछ दिनों के बाद जब मन में निराशा के भाव आने लगते हैं, आलस पुनः आप पर हावी होना चाहता है! तो डॉक्टर की भविष्यवाणी को याद कर आप अपनी हताशा को पीछे धकेल देते हैं!

आपका ये संकल्प की इस prediction को मैं सही साबित नहीं होने दूंगा, आप को वापस अपने सेहत के रास्ते पर अग्रसर कर देता है!!

फिर आप कई साल बाद ऐसे ही अपने routine checkup के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं! डॉक्टर बड़ी गर्मजोशी और उमंग से कहता है, -क्या बात है! आपने तो अपना कायाकल्प ही कर लिया है! आप तो पहले से भी ज्यादा सेहतमंद और जवान हो गए हैं! आप मुस्कुरा कर डॉक्टर से हाथ मिलाते हैं और सीटी बजाते हुए क्लिनिक से बाहर आ जाते हैं! और ये कहानी बहुत अच्छे तरीके से बहुत लम्बी चलती है!!

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तो दोस्तों ,
कहानी कैसी लगी? वैसे ये कहानी है ही नहीं! हकीकत है! हम लोगों में से 90 से 95 % लोग पहले वाली सोच के होते हैं, है ना? केवल 5 या 10 % लोग ही दूसरे नजरिये वाले होते हैं! जो अपने पुरुषार्थ, मनोबल और मेहनत से भविष्यवाणी को भी बदल देते हैं! आपके मन की नकारात्मक सोच आपको समय से पहले डूबा भी सकती हैं और सकारात्मक सोच अनेकों ऊँचाइयों तक उठा भी सकती है! इसलिए जिंदगी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और तदुपरांत सार्थक प्रयत्न आपकी सफल, सेहत भरी जिंदगी और उज्जवल भविष्य के लिए अति आवश्यक है! है ना?

तो मन का कैसा नजरिया रखना चाहेंगे आप? आखिर ………..

जैसा नजरिया है आपका, वैसी जिंदगी है आपकी ……………

Note::-
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बुढ़िया की सुई – हिंदी कहानी !!

kmsraj51 की कलम से …..
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बुढ़िया की सुई

एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बहार कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?” , व्यक्ति ने पूछा.
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“कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ .”, बुढ़िया ने उत्तर दिया.

फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करने के लिए रुक गया और साथ में सुई खोजने लगा. कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल हो गए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया.

सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,”अरे अम्मा ! ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?”

“बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया .

ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , “कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी , आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?”

“क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली.

मित्रों,
शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है ; हमारी सुई कहाँ गिरी है . हमें चाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .

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नियंत्रण विचारों की गिनती पर

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काबिलियत की पहचान !!

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काबिलियत की पहचान

किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था , जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे . दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते .


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गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे. पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा . उसके अन्दर तरह-तरह के विचार आने लगे—” सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं , शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं …कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं… ” और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा.

दिन यूँही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया. बागीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे , देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए , पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा.

पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी.

चींटी प्रयास करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु तय लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज़ दी, “घबराओ नहीं, आओ , मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ .”, और ऐसा कहते हुए अपनी उपर बैठा लिया. आंधी रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुँच गया; चींटी किनारे पर पहुँच कर बहुत खुश हो गयी और बोली, “ आपने आज मेरी जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है , सचमुच आप महान हैं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !”

यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और बोला,” धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ , जिससे मैं आज तक अनजान था. आज पहली बार मैंने अपने जीवन के मकसद और अपनी ताकत को पहचान पाया हूँ !!

मित्रों ,
ईश्वर ने हम सभी को अनोखी शक्तियां दी हैं ; कई बार हम खुद अपनी काबिलियत से अनजान होते हैं और समय आने पर हमें इसका पता चलता है, हमें इस बात को समझना चाहिए कि किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए अयोग्य होना नही है . खुद की काबिलियत को पहचान कर आप वह काम कर सकते हैं , जो आज तक किसी ने नही किया है !!

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निन्यानबे का फेर !!

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निन्यानबे का फेर प्रेरक प्रसंग (ओशो द्वारा)

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दोस्तों,
एक सम्राट का एक नाई था। वह उसकी मालिश करता, हजामत बनाता। सम्राट बड़ा हैरान होता था कि वह हमेशा प्रसन्न, बड़ा आनंदित, बड़ा मस्त! उसको एक रुपया रोज मिलता था। बस, एक रुपया रोज में वह खूब खाता-पीता, मित्रों को भी खिलाता-पिलाता। सस्ते जमाने की बात थी। रात जब सोता तो उसके पास एक पैसा न होता; वह निश्चिन्त सोता। सुबह एक रुपया फिर उसे मिल जाता मालिश करके। वह बड़ा खुश था! इतना खुश था कि सम्राट को उससे ईर्ष्या होने लगी। सम्राट भी इतना खुश नहीं था। खुशी कहां! उदासी और चिंताओं के बोझ और पहाड़ उसके सिर पर थे।

उसने पूछा नाई से कि तेरी प्रसन्नता का राज क्या है? उसने कहा, मैं तो कुछ जानता नहीं, मैं कोई बड़ा बुद्धिमान नहीं। लेकिन, जैसे आप मुझे प्रसन्न देख कर चकित होते हो, मैं आपको देख कर चकित होता हूं कि आपके दुखी होने का कारण क्या है? मेरे पास तो कुछ भी नहीं है और मैं सुखी हूँ; आपके पास सब है, और आप सुखी नहीं! आप मुझे ज्यादा हैरानी में डाल देते हैं। मैं तो प्रसन्न हूँ, क्योंकि प्रसन्न होना स्वाभाविक है, और होने को है ही क्या?

वजीर से पूछा सम्राट ने एक दिन कि इसका राज खोजना पड़ेगा। यह नाई इतना प्रसन्न है कि मेरे मन में ईर्ष्या की आग जलती है कि इससे तो बेहतर नाई ही होते। यह सम्राट हो कर क्यों फंस गए? न रात नींद आती, न दिन चैन है; और रोज चिंताएं बढ़ती ही चली जाती हैं। घटता तो दूर, एक समस्या हल करो, दस खड़ी हो जाती हैं। तो नाई ही हो जाते।

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वजीर ने कहा, आप घबड़ाएं मत। मैं उस नाई को दुरुस्त किए देता हूँ।

वजीर तो गणित में कुशल था। सम्राट ने कहा, क्या करोगे? उसने कहा, कुछ नहीं। आप एक-दो-चार दिन में देखेंगे। वह एक निन्यानबे रुपये एक थैली में रख कर रात नाई के घर में फेंक आया। जब सुबह नाई उठा, तो उसने निन्यानबे गिने, बस वह चिंतित हो गया। उसने कहा, बस एक रुपया आज मिल जाए, तो आज उपवास ही रखेंगे, सौ पूरे कर लेंगे!

बस, उपद्रव शुरू हो गया। कभी उसने इकट्ठा करने का सोचा न था, इकट्ठा करने की सुविधा भी न थी। एक रुपया मिलता था, वह पर्याप्त था जरूरतों के लिए। कल की उसने कभी चिंता ही न की थी। ‘कल’ उसके मन में कभी छाया ही न डालता था; वह आज में ही जीया था। आज पहली दफा ‘कल’ उठा।

निन्यानबे पास में थे, सौ करने में देर ही क्या थी! सिर्फ एक दिन तकलीफ उठानी थी कि सौ हो जाएंगे। उसने दूसरे दिन उपवास कर दिया। लेकिन, जब दूसरे दिन वह आया सम्राट के पैर दबाने, तो वह मस्ती न थी, उदास था, चिंता में पड़ा था, कोई गणित चल रहा था। सम्राट ने पूछा, आज बड़े चिंतित मालूम होते हो? मामला क्या है?

उसने कहा: नहीं हजूर, कुछ भी नहीं, कुछ नहीं सब ठीक है।

मगर आज बात में वह सुगंध न थी जो सदा होती थी। ‘सब ठीक है’ ऐसे कह रहा था जैसे सभी कहते हैं, सब ठीक है। जब पहले कहता था तो सब ठीक था ही। आज औपचारिक कह रहा था।

सम्राट ने कहा, नहीं मैं न मानूंगा। तुम उदास दिखते हो, तुम्हारी आंख में रौनक नहीं। तुम रात सोए ठीक से?

उसने कहा, अब आप पूछते हैं तो आपसे झूठ कैसे बोलूं! रात नहीं सो पाया। लेकिन सब ठीक हो जाएगा, एक दिन की बात है। आप घबड़ाएं मत।

लेकिन वह चिंता उसकी रोज बढ़ती गई। सौ पूरे हो गए, तो वह सोचने लगा कि अब सौ तो हो ही गए; अब धीरे-धीरे इकट्ठा कर लें, तो कभी दो सौ हो जाएंगे। अब एक-एक कदम उठने लगा। वह पंद्रह दिन में बिलकुल ही ढीला-ढाला हो गया, उसकी सब खुशी चली गई। सम्राट ने कहा, अब तू बता ही दे सच-सच, मामला क्या है? मेरे वजीर ने कुछ किया?

तब वह चौंका। नाई बोला, क्या मतलब? आपका वजीर? अच्छा, तो अब मैं समझा। अचानक मेरे घर में एक थैली पड़ी मिली मुझे – निन्यानबे रुपए। बस, उसी दिन से मैं मुश्किल में पड़ गया हूं। निन्यानबे का फेर!

मित्रों अपने बहुमूल्य विचार हमें नीचे Comment के माध्यम से दें! धन्यवाद्!!

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“प्रेरक हिंदी कहानी बुद्धिमान व्यापारी”

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प्रेरक हिंदी कहानी बुद्धिमान व्यापारी

एक व्यापारी था, बहुत ही बुद्धिमान और बहूत ही धनवान, उसका करोड़ो का कारोबार था, उसके शहर में आए दिन कोई न कोई चोरी होती रहती थी ,

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मगर चोर कभी भी पकड़ा नही गया, क्योंकि वो हर बार चकमा देकर भाग जाता था,

उस व्यापारी ने अपने बारे में ये अफवाह फेला रखी थी की रत को उसे कुछ दिखाई नही देता क्योंकि उसे रतोंधी नामक बीमारी हे, उधर जब चोरों को ये पता चला की उसे रतोंधी नामक बीमारी हे, तो उन चोरो ने व्यापारी के घर चोरी करने की योजना बनाई, अभी तक चोर उसके घर पर चोरी करने में सफल नही हो सके थे,

एक रात जब चोर उस व्यापारी के घर चोरी करने पहोंचा तो व्यापारी की अंक खुल गई,

और उसने चोर को देख लिया पर सोचा चोर के पास कोई हथियार भी हो सकता हे, फिर उसने एक चाल सोची, और वो अपने पास सो रही अपनी पत्नी से जोर से बोला सुनती हो अभी अभी मेने एक सुंदर सपना देखा हे , पत्नी ने पूछा क्या देखा हे”,

सुबहा होते ही कच्चे रेशम के दाम दोगुने होने वाले हें, अपने घर तो ढेर सारा रेशम का धागा हे न?”’ हाँ हे तो मगर रात को क्या करना हे, पत्नी ने पुच्छा ,

पत्नी को नही पता था की घर में चोर घुसा हुआ हे, पति ने इशारे से बताया की चोर खम्बे के पिच्छे छुपा हुआ हे, अगर मुझे रतोंधी नही होती तो इसी वक्त सारा धागा नाप कर देखता की आखिर कितना मुनाफा सूरज निकलते ही हो जाएगा,

रहने भी दो पत्नी बोली सुबहा ही नाप कर देखलेना,

पति बोला क्या मुझे अपने ही घर में नही पता चलेगा की कोंसी चीज कन्हा हे आओ उठ कर नापे की रेशम कितना हे बस खम्बे के चरों और लपेट लपेट कर अंदाजा लगा लूँगा की धागा कितना हे.

ठीक हे में तो सो रही हु आप ही नाप लो, उसकी पत्नी ने कहा और सोने का नाटक करने लगी, इधर व्यापारी ने अन्धे पन का नाटक करते हुए रेशम को खम्बे के चरों और लपेटना शुरू करदिया,

इस तरह वो खम्बे के पास से कई बार गुजरा जंहा चोर खम्बे से सटकर खड़ा था , व्यापारी बार बार ये ही दिखा रहा था की उसे कुछ नही दिख रहा इस तरहां उसने खम्बे के कई चकर लगाये और चोर के लिए अब हिलना भी मुस्किल हो गया

चोर ने ये सोचा था की रेशम के धागों को तोडकर वो एक दम से भाग निकलेगा, मगर उन कोमल धागों ने मिलकर इतना मजबूत रूप धारण कर लिया की वो उनमें बंध कर ही रहगया,

इसके बाद व्यापारी ने पुलिस को फोन कर दिया और चोर को उनके हवाले कर दिया, चोर ने ये जाल लिया की कच्चे धागे जुडकर जब एक हो जाते हें तो वो भी मजबूत हो जाते हें, अर्थात एकता की ताकत सबसे मजबूत हे ,,

Moral Of The Story / कहानी से शिक्षा

. हमेशा बुद्धि से काम लेना चाहिए
. एकता की ताकत सबसे मजबूत हे इसलिए हममें एकता होनी चाहिए

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