• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for poem on earth in hindi

poem on earth in hindi

बस भी करो अब।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बस भी करो अब। ♦

रक्त – रंजित इस धरा को यारो, अब तो धुल जाने दो।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का राज, अब तो खुल जाने दो।

परे समझ के आज हुआ है, सच जनता को समझाना।
क्यों चाहते विश्व धुरंधर, परमाणु जंग में जग ले जाना?

जल उठेगा जर्रा – जर्रा, उग न सकेगा अन्न का दाना।
हिरोसिमा और नागाशाकी, दुनियां पूरी को न बनाना।

मोह ममता की हदें तोड़कर, चाहते हैं निर्मम बन जाना?
हथियारों के व्यवसाय से, क्यों चाहते हैं जग को चलाना?

स्वार्थ, सनक या शक्ति परीक्षण, चाहते क्या गुल खिलाना?
साम्राज्यवाद या सीमा संरक्षण, आखिर चाहते क्या जताना?

दूषित हवा से धूमिल गगन, क्यों चाहते हैं प्रदूषण फैलाना?
नई पीढ़ी को क्यों चाहते हैं, जहरीला गैसीय जहर खिलाना?

लूली – लंगड़ी संताने होगी, मानव मंद बुद्धि और रोगी होगा।
कुरूप से बनमानुष पैदा होंगे, जीएगा वही जो योगी होगा।

बन्द करो यह हथियारी तमाशा, सबको शान्ति से जीने दो।
परमाणु विनाश का विष मत बांटो, प्रेम पीयूष को पीने दो।

बस भी करो अब हुआ बहुतेरा, होश में आकर रहम करो।
नफरतों के बॉक्से खाली करो, उनमें मोहब्त की मेहर भरो।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जिस तरह से इस समय दुनिया का माहौल चल रहा है, अगर सभी एक दूसरे के ऊपर बम और मिसाइल यूँ ही दागते के लिए आमादा हो गए और दाग दिया तो जल उठेगा जर्रा – जर्रा, उग न सकेगा अन्न का दाना। हिरोसिमा और नागाशाकी, दुनियां पूरी को न बनाना। नहीं तो रोने के आलावा कुछ भी ना बचेगा। दूषित हवा से धूमिल गगन को क्यों चाहते हैं प्रदूषण फैलाना? नई पीढ़ी को क्यों चाहते हैं, जहरीला गैसीय जहर खिलाना?

—————

यह कविता (बस भी करो अब।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: dharti maa par kavita, hemraj thakur poems, poem on dharti in hindi, poem on earth in hindi, poem on save earth in hindi, धरती पर हिंदी कविताएँ, पृथ्वी पर कविता हिंदी में, विश्व पृथ्वी दिवस पर शायरी, हेमराज ठाकुर की कविताएं

वरदान – प्राणवान वसुंधरा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ वरदान – प्राणवान वसुंधरा। ♦

केंद्रीय तत्व अस्तित्व विधान का,
सकार जीवन अग्नि यज्ञ समान।

हुताशन अजस्त्र प्रेरणा है,
शिक्षा समृद्धि प्रतिभा और विज्ञान।

आत्मसात करती दिव्य प्रबल प्रभाव संधान,
कौटुंबिकता सहृदयता शब्द और उदान।

नभमंडल का करता शुद्ध सद्गुण दैवी समान,
अनुगमन करता इहलोक का ज्ञान।

सामूहिक उत्कर्ष की सशक्त साधन पहचान,
यज्ञाग्नि की आहुति से सद्भावों का होता आविर्भाव।

अग्नि की दीपशिखा पर होता विषम दबाव,
प्रसस्त ऊर्ध्व उद्वेग से उत्ताल अग्निशिखा समान।

नाश कर भय प्रलोभन विषम का ताप,
संकल्प जिजीविषा मनोबल का करे उत्थान।

पांचजन्य उष्णता ऊर्जा और प्रकाश,
सदृश पावक पवित्र दाहक समान।

वायु रूप बनकर जड़-चेतन को करें प्रकाशवान,
गुप्त शत्रु का भेदने, करे धूमल मरुत समान।

श्लोकों की ध्वनि के गुंजन का ही विधान,
स्वाहा प्रचंड प्रभाव है स्वधा उसका संहार।

यज्ञाग्नि से लोक – परलोक सुधरे,
प्राणवान वसुंधरा के लिये है वरदान।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — हम सभी जानते है की भगवान ने अपने अंश से पंचतत्व यानि पृथ्वी, आकाश, वायु, अग्नि और जल का समावेश कर मानव देह की रचना की और उसे सम्पूर्ण योग्यताएं व शक्तियां भी देकर इस संसार में स्वच्छतापूर्वक जीवन बिताने के लिए भेजा है। पृथ्वी तत्त्व यानि जड़ तत्त्व, यह तत्व अनंत सहनशीलता को दर्शाता है व इस तत्त्व से मनुष्य अन्न, धन, धान्य से सम्पूर्ण होता है। इसमें विकार जब उत्पन्न होता है तब इंसान स्वार्थी हो जाता हैं। जल तत्व यानि शीतलता प्रदान करने वाला तत्व। इसमें मिलावट होने पर इसकी सौम्यता कम हो जाती है। अग्नि तत्व, विचार शक्ति में निर्णय करने में सहायक होता है विचारों के भेद अंतर को परखने वाली शक्ति को सरल सुचारु रूप प्रदान करता है। जब इसमें विकार आता है तब इंसान की सोचने समझने की शक्ति का ह्रास होने लगता है, और इंसान गुस्से वाला होकर अपना ही सर्वनाश करता है। वायु तत्व, मानसिक ऊर्जा तथा स्मृति शक्ति की क्षमता को पोषण प्रदान करता है। अगर इसमें विकार आ जाए तो इंसान की स्मरण शक्ति कम होने लगती है। आकाश तत्व, शरीर में आवश्यकतानुसार संतुलन को बनाए रखने का कार्य करता है। जब इसमें विकार आता है तब इंसान शारीरिक संतुलन खोने लगता है। जप, कीर्तन, भजन, यज्ञ-हवन, ध्यान साधना से मनुष्य का इस लोक के साथ-साथ परलोक भी सुधर जाता हैं।

—————

यह कविता (वरदान – प्राणवान वसुंधरा।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hindi poetry, Hindi Shayari, kavita in hindi, kavita on earth in hindi, poem on earth in hindi, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', What are the five elements?, कवि सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल, धरती पर कविता इन हिंदी, पंचतत्व, प्रकृति पर कविता, बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता का अर्थ, बेचैन उर – व्यथा वसुंधरा की, विश्व पृथ्वी दिवस पर शायरी, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल

बेचैन उर – व्यथा वसुंधरा की।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बेचैन उर – व्यथा वसुंधरा की। ♦

लिख डाला वृत्तांत धरा की, पर न आस न छूटी,
अंधियारी मिटाने को, तेरे द्वार आकर खड़ी।

है दीप्त मन भी, उतावला फिर मन भी,
कैसे पूर्ण करें हम, कोई राज नहीं है।

क्षिति की गोद में, बिलख रहें सब,
दूर खड़ा नभ भी, आँसू बहा रहा तब।

तृष्णा से तड़पता दिल, विह्वल सा दिख रहा है,
छटपटाहट जिगर की, सबको दिखला रहा है।

असिताङ्ग खड़ी है, अँधेरों ने आज घेरा है,
तिमिर मिटाने को, रोहिताश्व से लड़ा है।

प्रदीप अंतस् का, जलाने चला हूं,
उल्लास अपनी सब में, छितराने चला हूं।

कथा-कहानी सुनाने को, बेचैन बहुत हूं मगर,
हर घड़ी आतुर हो, कटिबद्ध खड़ा हूं।

जब साथ सकारे मिल जायें, गगन को झुका लूँगा,
कोई साथ दे दे तो मुझे, जलधि को सुखा लूँगा।

लगी दाढ़ा उर में मेरे, उसे और धधका लूंगा,
इस विश्व का गरल, कंठ में अपने समां लूंगा।

सांध्य – सवेरे मैं, वीणा के तान लगा कर,
आलाप अगर अधूरा होगा, तो राग विरह के गा लूंगा।

ऋतु की अगुवाई में, धरती का श्रृगांर कर जाऊं,
व्यथा-कथा वसुधा की, तालिस पत्र पर लिख जाऊं।

ऋषियों की तरह अडिग हो, चंद श्लोक लिख जाऊं,
व्याकुल वसुंधरा की व्यथा, कागज पर उकेर जाऊं।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिक में बर्फ बहुत तेजी से पिघल रही है और वहां फिर इतनी बर्फ नहीं जम पाएगी। इस प्रक्रिया की गति को धीमा करने के लिए वातावरण से कार्बन निकालने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। ऑस्ट्रेलिया की एक जलवायु वैज्ञानिक और न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो जोई थॉमस ने कहा, “हम पश्चिमी अंटार्कटिक में जो बर्फ की चादर देख रहे हैं कि उसके पिघलने की शुरुआत हो चुकी है। एक बार हम एक विशेष सीमा रेखा तक पहुंच गए तो फिर हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद इसे पिघलने से नहीं रोका जा सकता।” अगर अब भी मानव जाति नहीं सुधरी तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कम से कम अब तो समझों पेड़ लगाना और उसकी देखभाल करना जरूरी हैं, नहीं तो इस पृथ्वी पर कोई भी जीव नहीं बचेगा। आओ हम सब मिलकर एक संकल्प ले की प्रत्येक वर्ष एक पेड़ जरूर लगाएंगे, और उसका अच्छे से देखभाल भी करेंगे।

—————

यह कविता (बेचैन उर – व्यथा वसुंधरा की।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poem on earth in hindi, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', कवि सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल, बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता का अर्थ, बेचैन उर - व्यथा वसुंधरा की, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

Primary Sidebar

Recent Posts

  • मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?
  • यही हमारा नारा है।
  • बल के लिए।
  • आन बान आउर शान बा।
  • सैनिक का सैनिक।
  • आज आजादी है हमको मिली तो।
  • हो जाओ तैयार।
  • पहले और अब – गणतंत्र दिवस।
  • बदलता भारत।
  • माँ की शिकायत।
  • गणतंत्र का महत्व।
  • गणतंत्र दिवस समारोह।
  • गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान।
  • देश की मिट्टी।
  • गाँव का जीवन।
  • दर्द ए दिल।
  • प्रकृति और खिलवाड़।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?

यही हमारा नारा है।

बल के लिए।

आन बान आउर शान बा।

सैनिक का सैनिक।

आज आजादी है हमको मिली तो।

हो जाओ तैयार।

पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

बदलता भारत।

माँ की शिकायत।

गणतंत्र का महत्व।

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.