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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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सुखमंगल सिंह जी की कविताये।

बलगम से निजात पाएं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ बलगम से निजात पाएं। ♦
      • — Conclusion —
      • ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ बलगम से निजात पाएं। ♦

जाड़े का मौसम आया,
छाती पर बलगम छाया।
बूढ़ा जवान लड़का आया,
दादी मां ने काढ़ा पिलाया।

काढ़ा कैसे उसने बनाया,
उसमें उसने क्या मिलाया।
एक इंच का अदरक लाया,
तेजपात दो पत्ते पकाया।

पत्ते के दो टुकड़ा कर डाला,
साफ पानी में उसे धो डाला।
एक गिलास पानी में उबाला,
आधा पानी बचा, पी डालें।

काढे में कुछ शहद मिलाया,
गुनगुने काढ़े में उसे हिलाया।
धीरे-धीरे उसे उसने हलराया,
शिप शिप – पीने को बताया।

तेजपात बलगम निकालता,
छाती को वह निरोगी बनाता।
कोलेस्टॉल बनने नहीं देता,
यूरिक एसिड को कम करता।

अदरक से इंफेक्शन दूर होता,
मुख के छाले ठीक हो जाता।
शरीर में ताकत व बल लाता,
यह क्रीम नाशक है कहलाता।

शहद बल बुद्धि को तेज करता,
नस के ब्लॉकेज को दूर करता।
काया में अतुलित स्फूर्ति आती,
कामकाज में मन नहीं घबराता।

प्रतिदिन सर्दी में काला बनाएं,
तेजपात – अदरक को पकाएं।
एक गिलास पानी उसमें मिलाएं,
आधा बचे उसे पीने को बचाएं।

सर्दी और बरसात में प्रयोग करें,
अपनी काया इससे निरोध करें।
अपने घर में सबको इसे पिलाएं,
पास पड़ोस में लोगों को बताएं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है ये जो मौसम चल रहा है कभी ज्यादा सर्दी कभी हल्का गर्म, ऐसे मौसम में अचानक से होने वाले सर्दी, जुकाम और खांसी व बलगम से राहत पाने के लिए काढ़ा बहुत ही लाभकारी है सभी के लिए। इस मौसम में काढ़ा कैसे बनाए कवि ने ये समझने की कोशिश की है, और काढ़ा से होने वाले फायदे को भी बताने की कोशिश की है। काढ़ा वायरल इन्फेक्शन से भी बचता है। इम्यून सिस्टम सही रहता है काढ़ा पिने से।

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यह कविता (बलगम से निजात पाएं।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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बड़ा दिन २५ दिसंबर – खानपान कर ध्यान!

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ बड़ा दिन २५ दिसंबर – खानपान कर ध्यान! ♦
      • — Conclusion —
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ बड़ा दिन २५ दिसंबर – खानपान कर ध्यान! ♦

बड़ा दिन आए तो रखो छोटे दिन पर भी ध्यान,
जिसमें होते शुभ कामना के पूर्व नियम विधान।
नियम और कानून के बदलाव से बनते हैं काम,
खान पान के जीवन में रखना पड़ता है ध्यान।

चना बाजरा की रोटी मानव को बनाता बलवान,
पिज्जा – बर्गर खाने से पेट रोगी लीवर ट्रांसप्लांट।
घी मक्खन खाने से ज्ञानी और रहोगे बुद्धिमान,
केक आदि खाने से लीवर हो जाएगा बेजान।

दही और बेसन मिलाकर बृहस्पति का पकवान,
गुरु बृहस्पति खुश होगे तो हो जाओगे महान।
प्राचीन परंपरा में वैज्ञानिक खानपान का विधान,
संस्कार और आध्यात्म का उसमें होता था ज्ञान।

मनमानी पर अंकुश होता, लोग होते थे गुणवान,
नियम संयम से खान पान के जीवन में सुख धाम।
छोटा बड़ा सभी मिलकर करते सबका सम्मान,
ज्ञान और आध्यात्मिक बल से देश मेरा महान।

यीशु के प्रेम विज्ञान के दिन गिरजाघरों में गान,
वक्ता को फादर कह कर-कर के करते सम्मान।
सनातन धर्मी मानते हैं फादर एक है मान,
इसको कृपा निधान कहते करता है कल्याण।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है “चना बाजरा की रोटी मानव को बनाता बलवान, पिज्जा – बर्गर खाने से पेट रोगी लीवर ट्रांसप्लांट। इसलिए घी व मक्खन खाने से ज्ञानी और रहोगे बुद्धिमान, केक आदि खाने से लीवर हो जाएगा बेजान। समय से पहले हो जायेगा राम नाम सत्य तुम्हारा। इसलिए अपना खानपान सुधारों, अपनाओ सादा जीवन उच्च विचार, सादा भोजन उच्च विचार, सादा जीवन उच्च व्यवहार। अगर रहना है निरोग तो अपनाओ योग। योगी जीवन सबसे सुन्दर जीवन। करें योग रहे निरोग, आओ हम सब मिलकर करें ये संकल्प इस संसार को सुखमय बनाये। सभी तरह के फ़ास्ट फ़ूड का करें पूर्ण रूप से त्याग, तभी तुम पावोगे – निरोगी काया, सुखमय जीवन। सादा और स्वस्थ भोजन खाने की आदत डालो। ज्ञान, ध्यान और योग को अपने जीवन का अटूट अंग बना लो, तभी रहोगे स्वस्थ और मस्त। अपना व अपनों का जीवन सुखमय बनाएं, खुद भी और अपनों को सादा और स्वस्थ भोजन खाने की आदत डलवाये।

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यह कविता (“बड़ा दिन २५ दिसंबर” – खानपान कर ध्यान!) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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जल ही जीवन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ जल ही जीवन है। ♦
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♦ जल ही जीवन है। ♦

निर्मल जल बहता पड़ोस में,
अपनी कैसे प्यास बुझाएं।
ललई के नल की टोटी से,
कितना फैला दुर्गंध बताएं॥

व्याकुल मन पानी को तरसे,
बारिश देख मन मोर हरषे।
पर्वत – घाटी वा जंगल में,
तन मन व्याकुल हो तरसे॥

रात रात भर जागा फिर भी,
जाति पांति का जल गिरता।
मानव श्रृंखला बना सजती,
जल संरक्षण किनारे लगती॥

इच्छाएं सपने बुनती रहती,
जीवन है कहती रहती।
जल दान में उज्ज्वल भविष्य,
फोटो गैलरी से होते प्रसिद्ध॥

जगह जगह जलके संयंत्र,
कुछ बोले बड़ा खडयंत्र।
सरकारी जल जीवन मिशन,
लाए जनता में अमन चैन॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — हे मानव अब भी समय है संभल जा तू और पानी की बर्बादी को बंद कर दे। वरना बिन पानी सब सुन हो जायेगा, तेरा जीना दूभर हो जायेगा इस धरा पर। पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलने लगता है, जबकि 0 डिग्री सेल्सियस पर बर्फ के रूप में जम जाता है। धरती की सतह पर तकरीबन 326 मिलियन क्यूबिक मील की दूरी तक पानी फैला हुआ है। पृथ्वी पर मौजूद पानी का एक प्रतिशत से भी कम पीने योग्य है, बाकी समुद्र के खारे पानी और बर्फ के रूप में जमा हुआ है।

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यह कविता (जल ही जीवन है।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर।

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर। ♦
      • — Conclusion —
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♦ श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर। ♦

खार ही खार जिसके हो मन में भरा,
पलटकर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे देखे जरा।
राह में अकबरपुर प्रतीक्षा में है खड़ा,
बोलता है वह मीठी बोली मैं ही सदा॥

नफरतों को जो मन में छुपाए हुए हो,
दिल्ली से बलिया सुंदर सजाए बड़ा।
मुस्करा रहा आजमगढ़, मऊ देखकर,
गांव के लिंक अंबेडकर नगर देखकर॥

खैर पूछेगा पर जब सामने आएगा,
बाराबंकी, सुल्तानपुर, गाजीपुर से जाएगा।
आवाजाही की सुविधा सुंदर सुलभ,
जाम से अकबरपुर निजात पाएगा॥

एक दिन काम आएगी करामात यह,
फोरलेन सड़क सब जब हो जाएगी।
छोड़कर आदतों को सब अपनी बुरी,
रास्ते पर चलने जनता आ जाएगी॥

मेरे दिल ने कभी तो यह भी है चाहा,
परंपराओं को अपने सिर पर बिठाया।
शब्दों को मैंने भाव ओढ़े गहना बनाया,
लहराती सरयू तट पर लहरें नेक नियत लाया॥

कवि वाल्मीकि श्रवण क्षेत्र रामायण रच डाला,
श्रृंगी ऋषि का सेवा गंज क्षेत्र मन को भाने वाला।
फलाहारी बाबा का बसखारी में एक आश्रम आला,
रामबाग के संत अवध दास का आश्रम बड़ा निराला॥

मेरा योगी बांध रहा है गांव – गांव में टीले – पीले,
खारेपन को रोक रहा है और परोसता मीठी झीलें।
साकेत को सजाने की कसमें उसने संकल्पित कर ली,
मान रखोगे क्या उन सारे संकल्पों वचनों की॥

गोपाल बाग राजेसुल्तानपुर का पहले ही नाम पड़ा,
मलेक्ष काल में इसका नाम बदलकर सुल्तानपुर जड़ा।
इसके उत्तर में श्री श्री लल्लन ब्रह्मचारी जी का धाम है,
आश्रम घिनहापुर का देश में अपना एक स्थान है॥

जलालपुर के संत पलटू साहब का एक इतिहास है,
डगमगाती नाव कि यह आश्रम बड़ी दृढ़ पतवार है।
घन निशा में नसीरपुर की भुजिया माता दृष्टि देती,
भयंकर भंवर से निकाल कर जिंदगी सवार देती॥

सरयू, मड़हा, विसुई नदी अंबेडकर नगर में बहती है,
थिरुई, मझुई, तमसा नदी भी सबकी दु:ख हरती है।
स्थापत्य कला में अंबेडकर नगर जिला महान है,
हंसवर, मकरही – देवरिया स्टेट का दर्जा ज्ञानवान है॥

लोरपुर – रियासत और चाहोड़ा घाट मंदिर विद्यमान है,
प्राचीन इतिहास में इसका सुंदर और खूबसूरत नाम है।
29 सितम्बर 1995 में अंबेडकर नगर जिला नाम मिला,
तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती का ह्रदय खिला,
1 जनवरी सन 1996 में आलापुर तहसील नाम दिया,
राज्यपाल मोतीलाल वोरा ने आकर शिलान्यास किया॥

भीटी, मसढ़ा, शुकुल बाजार, हंसवर के झील है,
चार झीलों से आक्षादित यह पसंद चारो धाम है।
डरबन, देव हट, गढवा और हंसवर जिसका नाम है,
चारों झीलों का पुनर निर्माण करना सरकार के काम है॥

डम डम डमरु बजा शिव बाबा सीमा सीहमई में,
शिव महिमा, शिव मंदिर, बारंबार पारा में गाते हैं।
संत गोविंद साहब जी का विश्व प्रसिद्ध मेला लगता,
अहिरौली गोविंद साहब मैं वर्ष में यह आता रहता॥

योगी सरकार ने अंबेडकर नगर पर ध्यान दिया,
राजकीय मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट मिला।
सी एच सी जलालपुर में ऑक्सीजन प्लांट लगेगा,
जनपद ऑक्सीजन संकट से हमेशा दूर रहेगा॥

योगी जनपद में ट्रामा सेंटर का निर्माण करेंगे,
पी जी आई लखनऊ जाने से मरीज बचेंगे।
मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले, जिले में सजने लगे,
सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होने लगे॥

आयुष्मान कार्ड अंबेडकर नगर जिले में मिलने लगे,
मुफ्त इलाज की सुविधा पांच लाख की मिलने लगा।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना चलने लगा,
साढ़े छ: लाख कार्ड धारकों को मुफ्त अनाज मिलने लगा॥

वृद्धजन को वृद्धा पेंशन का पूरा लाभ दिया,
किसान को किसान पेंशन का खाता में भुगतान किया।
मेधावी छात्र – छात्राओं को वाजिफे का लाभ दिया,
ग्रामीण ढेरों में भी गरीबों को पक्का छत मिला॥

इतिहासकार जिले के गुण का करते सदा से गुणगान,
यहां के साहित्यकार रहे हैं बड़े – बड़े गुणवान।
जिले के पत्रकारों ने पत्रिका से छेत्र को प्रकाशित किया,
देश दुनिया के लिए रचयिता वाल्मीकि रामायण रचे॥

यहां के योगाचार्य करते रहते हैं योग का प्रचार,
भारत की संस्कृति को देश विदेश में बताते हैं धर्माचार्य!
प्रवक्ताओं कि इस क्षेत्र में लगी हुई है कतार,
अपने प्रवचन से ही लोगों में भरते हैं संस्कार॥

इस क्षेत्र के लेखकों ने अपनी लेखनी से रचा इतिहास,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री विचारों का देते रहते विचार!
सत्य मार्ग पर चलने का भाव भरते हैं लोगों में संस्कार,
अयोध्या नगरी का लेखक करता सदा – सदा सत्कार॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — क्षेत्र अंबेडकर नगर के साथ – साथ उसके आस पास के सभी जिलों का व वहां के वर्तमान और इतिहास पर नजर डाला है। बहुत ही सरल शब्दो का प्रयोग करते हुए, विधि पूर्वक सभी मुख्य महान संतो से लेकर अच्छे कार्यों का वर्णन किया है। लगभग पूर्वांचल पर नजर डाला है। वर्तमान सरकार के द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों का वर्णन भी बखूबी किया है।

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यह कविता (श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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देव दीपावली।

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    • ♦ देव दीपावली। ♦
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♦ देव दीपावली। ♦

देव दीपावली महापर्व।

गंगा तट की लहरें डोलीं,
रोचक कथा कण – कण बोले।
देवता दीप प्रज्वलित करते,
देव दीपावली मनाते हैं।

योग साधना के द्वार खोलकर,
जंगल झाड़ पहाड़ खिलेंगे।
जितने सुखद विचार उठेंगे,
अनंत काल तक दीप जलेंगे।

तारकासुर राक्षस का वध किया,
कार्तिकेय देव के सेनापति।
बाप का बदला लेने के निमित्त,
घोर तपस्या की त्रिपुरा-सुर।

अमरता का वरदान दिया ब्रह्मा ने,
तीनों लोक में आतंक मचाया।
घोर विनाशक त्रिपुरासुर राक्षस,
देवताओं पर भी कहर बरपाया।

सभी देवता मिलकर शिवजी से,
अनुनय विनय निवारण खोजा।
देवताओं के आग्रह पर शिव जी ने,
त्रिपुरा सुर का वध का डाला।

राक्षस के वध की खुशी में ही,
देवों ने देव दीपावली सजाया।
देवता दीप प्रज्वलित करते हैं,
हम देव दीपावली मनाते हैं।

गुरु नानक की जन्म जयंती तिथि,
धर्म अनुयाई सिक्ख जगाते हैं।
इसीलिए वह भी देव दीपावली,
पुनीत त्यौहार खूब मनाते हैं।

चातुर्मास बिता कर विष्णु जी,
देव दीपावली पूर्व जग जाते हैं।
उन्हीं के प्रेम में पलते सनातनी,
देव दीपावली पर्व बनाते हैं।

काशी की संस्कृत परंपरा में ही,
गंगा जी का घाट सजाया जाता।
असंख्य दीपों की श्रृंखला के संग,
देव दीपावली मनाई जाती है।

कार्तिक अमावस्या को दीपावली,
पूर्णिमा को देव दीपावली आती है।
दीपावली के 15 दिन बाद पूर्णिमा
पर्व, देव दीपावली मनाई जाती है।

आप सभी को प्रेम पूर्वक तहे दिल से देव दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — बुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों को जीत जब मिलता है, उस जीत की खुशी में सभी देवतागण द्वारा जो दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की जाती है वही देव दीपावली का महापर्व कहलाया। आओ हमसब मिलकर इस देव दीपावली महापर्व को सच्चे मन से मनाए। इस दिन ध्यान साधना करे, सच्चे मन से। अपने मन को शांत रखने के लिए इस देव दीपावली पर देशी घी से यज्ञ करे पूर्ण शांत मन से। देव दीपावली पर पुरे दिन अच्छे व सच्चे मन से ध्यान – साधना में रत रहे। पूर्ण शांत मन से ध्यान करने से, आपके आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जागृत होने लगती। आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जिस भी मनुष्य की जागृत हो जाती है, उसके लिए हर कार्य आसान हो जाता हैं।

—————

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यह कविता (देव दीपावली।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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जीवन – संग्राम।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ जीवन – संग्राम। ♦
      • — Conclusion —
      • ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ जीवन – संग्राम। ♦

है जीवन में संग्राम बहुत,
लड़ते इनसे जाओ।
संग्राम बीज आराम भी है,
सोकर नहीं बिताओ।

जीवन के सुख दुख दो पहलू,
इनसे ना घबराओ।
सुख के खातिर बिछावना को,
नित्य बिछाते जाओ।

विजय बिछावना कर्मयोग का,
करतब समझ दिखाओ।
पेट के खातिर लोक समाज में,
कर्मयोग को अपनाओ।

लड़ाईया लड़ने की खातिर तुम,
खुद को तैयार करो।
जीवन एक संग्राम कठिन लेकिन,
पुरुषार्थ अपना दिखलाओ।

कभी पैदल और कभी गाड़ी से,
बाट गुजर जाएंगे।
कभी कंक्रीट, कभी वृक्ष छांव में,
सोकर बीत जाएंगे।

बचपन लड़कपन में बीत गया,
जवानी घर बिताएंगे।
लोरी जिन्हें पहले गाकर सुनाया,
आंख बुढ़ापे में दिखाएंगे।

कब से बच्चे – बच्चे वाले हो गए,
पता नहीं कर पाएंगे।
माता पिता, नाना नानी के अलावा,
दूसरा नहीं दिखाएंगे।

सोच-सोच कर नीद नहीं आएगी,
पूरी रात बिताएंगे।
फिर भी सच का पता नहीं चलेगा,
कर कुछ नहीं पाएंगे।

बड़का छोटका – छोटका बड़का,
कहते ही रह जाएंगे।
रिश्ते सारे सपने जैसे शहरों में गुम,
होकर खोते जाएंगे।

कभी कभी मिलेगी पुआ – मिठाई,
पर अभागे सो जाएंगे।
विविध तरह से यह जीवन चलता,
जिसे देख इठलाएंगे।

यह जीवन सतरंगी विरासत पर,
बेरहम धक्के खाएंगे।
जीवन ऐसो आराम में गुजरे फिर,
पैर पकड़ हिलाएंगे।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मानव जीवन एक कड़वा संग्राम है यहां आराम भी है, दुःख भी है, सुख भी है, आत्म आनंद भी है। मौसम की तरह सुख दुःख आते जाते रहते है मानव जीवन में। लेकिन मेरा अनुभव कहता है की यह सुख और दुःख का सृजन मनुष्य का मन करता है। जिस मनुष्य का मन व आत्मशक्ति मजबूत हो वह मानव हर परिस्थिति में एक समान रहता है, चाहे दुःख हो या सुख। हमे अपने आप को मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाना है की कोई भी परिस्थिति हमे बिचलित ना कर सके। हर एक मनुष्य आत्मा के अंदर अनंत शक्तियां, सुषुप्त अवस्था में निहित है, बस जरूरत है इन शक्तियों को जागृत कर, सही समय पर, सही जगह उपयोग करने की। किसी भी शक्ति के उपयोग में समय और जगह का उच्च स्थान होता है। सही समय व सही जगह पर उपयुक्त शक्ति का उपयोग करने पर हर कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण हो। इस संसार में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो। बस जरूरत है अपने नज़रिये को बदलने का। आपका सकारात्मक नजरिया आपके उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा।

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यह कविता (जीवन – संग्राम।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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छठी मैया का व्रत।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ छठी मैया का व्रत। ♦
      • — Conclusion —
      • ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।
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♦ छठी मैया का व्रत। ♦

आओ मिलकर सूर्य भक्ति में,
छठ की अलख जगायें।
करें वंदना चार दिनों तक,
दो दिन नमक न खाएं।

अस्ताचलगामी सूर्य देव को,
अर्घ्य प्रथम चढ़ाएं।
होते सवेरे दूसरे दिन फिर,
जाकर सूरज को मनाए।

कद्दू – लौकी के दूसरे दिन,
पूरी – खीर साथ में खाएं।
चना दाल अथवा गेहूं आटा,
हाथ से पीस के पकाएं।

पंचमी तिथि पर सायंकाल में,
सूर्य अर्घ्य देने जाएं।
चावल – गुड़ से बनी हुई खीर,
प्रसाद रूप में पाएं।

अन्य भक्तों में प्रसाद बांट कर,
‘खरना’ पर्व मनायें।
सायंकल, षष्टी तिथि, अस्ताचल,
सूर्य को अर्घ्य देने जाएं।

विविध पकवान और ऋतु फल से,
सूर्य की डलिया सजाएं।
धूपबत्ती कुमकुम देसी घी के दीप से,
भगवान सूर्य को मनायें।

सप्तमी तिथि के उषाकाल में अर्घ्य,
सूर्य देव को देकर आयें।
उगते सूरज की किरणों के संग में,
छठ की गीत सुनायें।

विविध कामना छठ से होती पूरी,
मईया कभी न रखती अधूरी।
पुत्र कामना के लिए जो व्रत करते,
छठ कृपा होती, मनौती पूरी।

कन्याकुमारी व्रत ना उठाएं,
इसको लीजिए मान।
अनादि काल से ही सूर्य देव ने,
आकर देते हैं वरदान।

व्रत किया था आदिशक्ति ने,
पाया आदि गणेश।
तेरी व्रत लीला में है पराल्प,
ना जाने कोई अल्पज्ञ।

देवी कुन्ती सूर्य उपासना की,
मिला दानवीर कर्ण।
सूर्य उपासना – छठ की पूजा,
लीजिए पांचों मान।

जिस जिस ने पूजा सूर्य देव को,
किया उनका कल्याण।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — छठी मैया का व्रत को कैसे करना है? छठी मैया का व्रत करने से अनादि काल से ही लोगों को सूर्यदेव से मन चाहा फल मिलता आया है। समय समय पर जिस किसी ने भी सच्चे मन से छठी मैया का व्रत रख कर सूर्य देव की आराधना की है उसे जरूर मनोवांछित फल मिलता है। इस व्रत को कुवारी कन्या नहीं रख सकती। जिस जिस ने पूजा सच्चे मन से सूर्य देव को किया उनका कल्याण सूर्य देव ने। आओ मिलकर सूर्य भक्ति में छठ की अलख जगायें। करें वंदना चार दिनों तक, दो दिन नमक न खाएं। अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य प्रथम चढ़ाएं। होते सवेरे दूसरे दिन फिर जाकर सूरज को मनाए।

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यह कविता (छठी मैया का व्रत।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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भाई दूज – यम द्वितीया पर्व।

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    • ♦ भाई दूज – यम द्वितीया पर्व। ♦
      • — Conclusion —
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♦ भाई दूज – यम द्वितीया पर्व। ♦

भाई दूज पर करें विचार,
अकाल मृत्यु के इसमें उपाय।
जमुना में मिल करें स्नान,
भाई बहन सबका कल्याण।

दीपावली बाद आता त्यौहार,
अकाल मृत से बचाएं घर बार।
मत्स्य पुराण कथा के अनुसार
भाई – बहन का यह त्यौहार।

भाई बहन मिलकर जमुना में,
एक साथ करें स्नान।
इस घर अकाल मृत्यु नहीं होती,
इसमें है इसका निदान।

भाई को टीका चंदन लगाकर,
भारतीय बहन आरती उतारती।
भाई के स्वास्थ स्मृति की कामना,
कामयाबी की गुहार लगाती है।

भाई बहन को वस्त्र आभूषण आदि,
प्रेम पूर्वक दान में देता है।
मृत्यु के देवता यम की कृपा से उसे,
अकाल मृत्यु से बचाएं रखता है।

अकाल मृत्यु से परिवार बचाएं,
भैया द्वीज को यमुना में नहाएं।
सरसो तेल से द्वार के दीप जलाएं,
काला वस्त्र पहन कर न धाएँ।

प्राचीन काल से बहने भी,
भाई से लेती थी वरदान।
प्रेम पूर्वक भाई भी उनकी,
हमेशा रखते करते मान।

अलौकिक के मोह में अपना,
सुंदर जीवन न करें बेकार।
मैं की गठरी फेंको जाकर,
कूड़ा निस्तारण में लाकर।

चाहते अपना कल्याण गर,
लो शास्त्रों से ज्ञान पढ़कर।
सत्संग में जीवन बिताओ,
ईश्वर में जी ध्यान लगाओ।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मत्स्य पुराण कथा के अनुसार भाई – बहन का यह त्यौहार, दीपावली के पंचम दिवस आता, अकाल मृत से बचाएं घर बार। जो भी भाई – बहन इस दिन मिलकर जमुना में एक साथ करें स्नान, उस घर में कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती, भाई दूज – यम द्वितीया पर्व है इसका निदान। इस दिन भाई को टीका चंदन लगाकर, भारतीय बहन आरती उतारती। भाई के स्वास्थ स्मृति की कामना और कामयाबी की गुहार लगाती है। भाई बहन को वस्त्र आभूषण आदि प्रेम पूर्वक दान में देता है। मृत्यु के देवता यम की कृपा से उसे अकाल मृत्यु से बचाएं रखता है।

—————

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यह कविता (भाई दूज – यम द्वितीया पर्व।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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गोवर्धन पूजा।

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    • ♦ गोवर्धन पूजा। ♦
      • — Conclusion —
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♦ गोवर्धन पूजा। ♦

बरसात कराने में इंद्र देव हैं बड़े शानी,
घमंड में कभी – कभी करते इंद्र देव मनमानी।
गोकुल वासियों के बीच किया करतानी,
जानकर दंग श्री कृष्ण पूजा से की मनमानी।

गोकुल में घोर बरसात कराने की ठानी,
कृष्ण ने किया इंद्र को पानी – पानी।
भगवान कृष्ण गोवर्धन लीला महान,
गोकुल वासियों ने देखा, आंखों विज्ञान।

छप्पन भोग, अंदर का पूजा पाठ करें,
जो सबका नायक है, उसका मान करें।
मैं के नाशक श्री कृष्ण का ध्यान धरें,
मंगल हो आप सभी की, प्रभु घ्यान धरें।

जब अपने शक्ति का घमंड हो जाता,
उसका हंता श्री कृष्ण जी तक आते।
इंद्र अपने भक्तों पर कहर, यदि न बरपाता,
श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत तब नहीं उठाते।

दीपावली के बाद यह त्यौहार आता,
अगले दिन ही इसे मनाया जाता।
मंगल करे आप सभी का यह पुनीत त्यौहार,
गोवर्धन धारी की लीला है दुनियां में अपरंपार।

श्रीमद् भगवद्गीता में है शुभ – शुभ सुविचार,
घमंड पर श्री कृष्ण का होता है जो वार।
सुंदर जीवन चलाने का यह ही एक पतवार,
मानव शरीर में आता है सुंदर – सुंदर विचार।

आयोजन में छुपा जीवन मंत्र का यादगार ,
चिंता और तनाव के नहीं होंगे शिकार।
गोवर्धन लीला न्यारी का जो करेगा विचार,
सत्य मार्ग पे चलने से उसमें बढ़ेगा संस्कार।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — जब इंद्र देव के द्वारा बरसात बहुत ज्यादा हुआ वृन्दावन में उनका घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन लीला महान करना पड़ा गोकुल वासियों ने देखा अपने आंखों से अद्भुत विज्ञान। गोवर्धन लीला के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण जी ने ये संदेश दिया जो करेगा विचार, सत्य मार्ग पे चलने का उसमें बढ़ेगा संस्कार।

—————

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यह कविता (गोवर्धन पूजा।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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दीपावली सुहावन।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ दीपावली सुहावन। ♦
      • — Conclusion —
      • ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।
    • Please share your comments.
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ दीपावली सुहावन। ♦

झुर – झुर बहत पुरवइया दीपावली सुहावन,
दीप सजी अंगनैया है औ मिष्ठान लुभावन।
धरती का हर कोना सजा आसमान सुहावन,
झिलमिल झिलमिल दीप टिमटिमाते मनभावन।

कुंजों – उपवनों से शांति, सुख धाम दिखावन,
गुरुजन परिजन संग – संग दिखत ज्ञान लुटावत।
मंदिर – द्वार से हो रहा लक्ष्मी ध्यान मनावन,
काशी, मथुरा, अयोध्या, प्रयाग धाम सुहावन।

धनवंतरी पहले आए मोरा गांव – गांव बतावन,
माटी के दिए घी – तेल – बाती जलते दिखावन।
सखी संग भीतर बाहर साजन शोभा पाता पावन,
स्वार्थ सब भूल गए सुख दायक सुख शांति आंगन।

‘मंगल’ छवि मनमोहक कुंज कुनबा पर पावन,
गोरी छोरी मिलि दीप जलाए हरि मन को भावन।
गृह – गृह गगन मंडल जस गाते गीत सुहावत,
ताल तलैया तट समुद्र नदियां मोहक मनभावन।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मंदिर द्वार से हो रहा लक्ष्मी ध्यान मनावन, हो काशी, मथुरा, अयोध्या, या प्रयाग धाम सुहावन। दीपावली महापर्व पर धरती का हर कोना सजा आसमान सुहावन, झिलमिल झिलमिल दीप टिमटिमाते मनभावन। शुभ दीपावली आत्मिक साधना के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन होता है, इस दिन हम सभी को अपने आत्मिक उत्थान के लिए सच्चे मन से साधना करना चाहिए।

—————

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