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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for गीत-गज़ल-कविता हिंदी में

गीत-गज़ल-कविता हिंदी में

कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था।

Kmsraj51 की कलम से…..

Corona Understand Indian Sanitization | कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था।

भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था,
लेकिन कुछ दूसरों के पल्ले नहीं पड़ता था।
जब पूरी दुनिया में कोरोना पूरी तरह छाया,
सब दुनिया के लोगों को भारतीयता समझ में आया।

मुंह पर सभी लोगों ने अपने से मांस्क लगाया,
और हाथ पांव धोकर ही पावन भोजन पाया।
बाहर से घर आते ही आकर पहले नहाया,
कपड़ों को खुद धोकर ही डेटॉल आदि लगाया।

जूता चप्पल प्राचीन काल से बाहर रखा जाता था,
हाथ पैर धो कर ही मनुष्य भोजन पाता था।
चुपके से घर अंदर मौजा पहने प्रवेश कर जाता,
दादी माई की कड़क आवाज और डॉ ट खाता।

पत्नी कहती आपको समझ में नहीं है कुछ आता,
धोकर ही सब्जी – भाजी क्यों बनाई जाती है।
शौचालय को खुद ही चमकाया जाता है,
कोना – कोना का कचरा रोज साफ किया जाता।

रोज – रोज झाड़ू – पोछा क्यों घुमाया जाता है,
संपूर्ण कमरों को सप्ताह भर में धोया जाता है।
सारी दुनिया मेरी यह बात समझ में पाई थी,
संसार में इसीलिए कोरोना वायरस जी आई थी।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — भारतीय सेनेटाइजेशन को पूरी दुनिया ने अच्छा माना और समझा, पूरी दुनिया के लोगों को भारतीयता व भारतीयों की दया समझ में आया। मुंह पर सभी लोगों ने अपने से मांस्क लगाया, और हाथ पांव धोकर ही पावन भोजन पाया। जूता चप्पल हमारे यहां प्राचीन काल से ही बाहर रखा जाता था और हाथ पैर धो कर ही मनुष्य भोजन पाता था। अगर कभी चुपके से घर अंदर मौजा पहने प्रवेश कर जाता, तो दादी माई की कड़क आवाज और डॉ ट खाता। सारी दुनिया के लोगो को स्वच्छता की सीख़ देने के लिए ही इस संसार में कोरोना वायरस जी आई थी। हम सभी को गर्व है अपने प्राचीन भारतीय संस्कृति पर, जो हमे स्वच्छता के साथ जीवन जीना सिखाया था। जैसे – जैसे समय बदला वैसे – वैसे इंसान के सोचने व समझने की छमता ख़त्म होती जा रही है, अपने प्राचीन महत्वपूर्ण संस्कारों को भूलता जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप कई तरह के समस्याओं से परेशान है, फिर भी भौतिक विकास के नाम प्रकृति के पञ्च तत्वों से खिलवाड़ करने से नही चूक रहा है। हे मानव अब भी समय है सुधर जाओ वर्ना ये पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी। याद रखें की – जिस देश के लोग अपनी प्राचीन संस्कृति, संस्कार व सभ्यता को भूल जाते है, उनको विलुप्त होने से कोई भी नहीं बचा पायेगा। इसलिए अपने अंदरऔर वर्तमान पीढ़ी व आने वाली नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता का पूर्ण ज्ञान दो, और उन्हें अनुसरण करना भी सिखाओ।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Corona Understand Indian Sanitization, Hindi Poems, Sukhmangal Singh, sukhmangal singh poems, कविता हिंदी में, कोरोना और भारतीय सेनेटाइजेशन, कोरोना भारतीय सेनेटाइजेशन को समझता था - सुख मंगल सिंह, गीत-गज़ल-कविता हिंदी में, सुख मंगल सिंह, सुख मंगल सिंह अवध निवासी, सुखमंगल सिंह, सुखमंगल सिंह की कविताएं, सुखमंगल सिंह की प्रकाशित कविताएं

कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा। ϒ

🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में ग़ज़ल कहलायें।

कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा।
दिल की सुन लेना मिज़ाज शादमान हो जायेगा।

मुद्दत लगती है दिलकश फ़साना बन जाने को।
हिम्मत रख वक़्त पे इश्क़ मेहरबान हो जायेगा।

टूटना और फिर बिखर जाना आदत है शीशे की।
हो मुस्तक़िल अंदाज़ ज़माना क़द्रदान हो जायेगा।

लर्ज़िश-ए-ख़याल में ज़र्द किस काम का है बशर।
जानें तो हुनर तिरा मुल्क़ निगहबान हो जायेगा।

मंज़िल-ए-इश्क़ में बाकीं हैं इम्तिहान और अभी-
ब-नामें मुहब्बत ‘राहत’ बेख़ौफ़ क़ुर्बान हो जायेगा।

 डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में ग़ज़ल शेयर करने के लिए। KMSRAJ51.COM के Author Team पैनल में तहेदिल से स्वागत है – आपका।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “ख़्वाब, इश्क़ व मोहब्बत…“ काे गज़ल के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

♥••—••♥

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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भेदभाव…।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ भेदभाव…। ϒ

⇒ Discrimination

🙂 भेदभाव …

जब जन्म दिया मुझको माँ ने,
लोगो की खुशी अवशान हुई।
पुत्री का जन्म हुआ घर में,
यह खुशी नही अपमान हुई॥

कुछ समय कटा तन्हाई में,
फिर पुत्र प्राप्ति संयोग बना।
लोगों की खुशी चरम पर थी,
जैसे ईश्वर का योग बना॥

फिर बड़ा हुए हम दोनो ही,
नित भेदभाव ही होता था।
भाई को मिलता था सबकुछ,
पुत्री के लिये जग सोता था॥

वह जिद करती गर लोगो से,
तो नित ही पीटी जाती थी।
पर पुत्र अगर जिद करता था,
वह चीज तुरत ही आती थी॥

जब और बड़े हो गये दोनों,
स्कूल मे नाम लिखाया था।
बच्ची का नाम सरकारी मे,
पर पुत्र को टॉप बनाया था॥

पुत्र को पुरा समय दिया,
पुत्री पर भार ओढाया था।
जैसे वो काम के लिये बनी,
इतना उसको उलझाया था॥

इसके भी बाद पुत्री ने –
अपने स्टेट को टॉप किया।
पर पुत्र फैल हुआ एकदम,
सब पैसा सुविधा नास किया॥

अब भी वो जिल्लत ना छूटी,
पुत्री की सादी होती है।
पुत्री अपने घर जाती है,
अपने किस्मत पर रोती है॥

कुछ समय बिता घर वाले,
एक बहू को घर मे लाये थे।
अब पुत्र बहू को परिवार,
अपने सिने से लगाये थे॥

पर समय बितते देर नही,
जब पुत्र बहू रंग दिखलाये।
बूढ़े माँ बाप को वो दोनो,
अपने जीवन से ठुकराए॥

यह घटना इतनी निर्मम थी,
जो पुत्र ने यु ही कर डाला।
जिस पुत्र को अपना मानते थे,
उसने ही बेघर कर डाला॥

जब पता चला यह पुत्री को,
आंसू की नदी प्रवाह हुई।
चल दी माँ बाप को लेने को,
लेकर घर को प्रस्थान हुई॥

यह प्रेम देखकर पुत्री का,
मां बाप ने गले लगाया था।
अपनी गलती पर रोये थे,
जो पुत्री को तडपाया था॥

क्यों भेद भाव हम करते है,
पुत्री का कोई मोल नही।
वह रत्न ही ऐसी अवनी पर,
जो होती है अनमोल सही॥

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

ashok-singh-kmsraj51

हम दिल से आभारी हैं अशोक सिह जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता “भेदभाव।” साझा करने के लिए।

About Ashok Singh – अशोक जी के शब्दाें में – अभी मैं IAS की तैयारी कर रहा हूँ। दिल मे समाज सेवा की लौ जलाये हुए कुछ बेहतर करने को प्रयासरत हूँ और अपना सत प्रतिशत देने को तत्पर। मेरा HOBBY कविताएं लिखना, दक्षिण भारत की फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना, समाज से जुङे रहना, संगीत सुनना(खासकर पुराने) शामिल है।

अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “अशोक सिह जी” ने कविता के माध्यम से लड़कियों के प्रति आज के मानव के मन में उठने वाले विचार और साेच का बखूबी अतिसुन्दर वर्णन किया हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

♥••—••♥

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“अलक” सृष्टि उत्थान है माँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ “अलक” सृष्टि उत्थान है माँ। ϒ

MAA 

ममता की रसधार है माँ।
बच्चे का अविरल प्यार है माँ।
हर कण- कण में,
हर घट-घट में-
वसुधा की झंकार है माँ॥

तरु के पल्लव सी जान है माँ।
दिनकर के दिव्य की मान है माँ।
दामिनी के दामन का अम्बर-
अम्बर का एक अरमाँन है माँ॥

⇒ स्वाति की उन बून्दों पर….. जरूर पढ़े।

ऋषि मुनियों का आधार है माँ।
इस दिव्य जगत का सार है माँ।
वर्षा के हर बूँदों सी।
आत्मीयता की अवतार है माँ॥

पुत्र के प्रेम की पान है माँ।
उत्पत्ति और अवसान है माँ।
इस दिव्य धरा का मान है माँ।
“अलक” सृष्टि उत्थान है माँ॥

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

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अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “अशोक सिह जी” ने माँ के गुणों ममता – स्नेह और प्यार का बखूबी अतिसुन्दर वर्णन किया हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

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दिल को छूने वाला प्रार्थना।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ दिल को छूने वाला प्रार्थना। ϒ

Heart touching Prayer

“दिल को छूने वाला प्रार्थना”

हे इष्ट अलौकिक पारब्रह्म।
हे खुदा ईश आराध्यदेव॥

बीभत्स विकल है यह समाज।
अवनि की गरिमा आहत है।
ना विलग लहू सृष्टि का है।
फिर इर्ष्या की क्यूं चाहत है॥

अब द्वेश दंभ और अनाचार-
की प्रतिमाएं उन्मुक्त हुईं।
आशायें आहत होने लगीं।
तम घट-घट में है विमुक्त हुईं॥

⇒ स्वाति की उन बून्दों पर….. जरूर पढ़े।

कुछ करो यहाँ जो मिट जाये।
ये उपजी रेखा का विकार।
हर मानव में हो प्रेम सदा।
मानव का हो जाये उद्धार॥

हर सोच में इतनी शक्ति हो।
गर सोचे तो हो प्रेम भाव।
तम छट जाये इस धरती से।
मानव का ऐसा हो स्वभाव॥

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

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अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “अशोक सिह जी” की कविताआे के हर एक शब्द में मानव जाती के कल्याण का अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। प्रार्थना के रूप में कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

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जीवन जीना एक कला है
प्रतिपल एक रंगोली है
गर मानवता है दिल में तो
प्रात-रात नित होली है॥

वसुधा अंबर में संगम का
माध्यम दिनकर होता है
तिल होता है चन्दा में भी
फिर भी शीतल होता है॥

विष से व्याप्त भुजंग है होता
चन्दन की उस डाली पर
पर शीतलता की वह भाषा
छाई है हरियाली पर॥

स्वाति की उन बून्दों पर
पपिहा का जीवन होता है
वह याद उसी को करता है
और स्वप्न में उसके सोता है॥

ये त्याग न्योछावर की बातें
मैं तुमको नहीं बताता हूं
पर जीवन जीना एक कला है
मन्त्र तुम्हें बतलाता हूं॥

जीवन को गर समझ गये तो
पथ जैसे रंगोली है
गर मानवता दिल में है तो
प्रात-रात नित होली है॥

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

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हम दिल से आभारी हैं अशोक सिह जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।

About Ashok Singh – अशोक जी के शब्दाें में – अभी मैं IAS की तैयारी कर रहा हूँ। दिल मे समाज सेवा की लौ जलाये हुए कुछ बेहतर करने को प्रयासरत हूँ और अपना सत प्रतिशत देने को तत्पर। मेरा HOBBY कविताएं लिखना, दक्षिण भारत की फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना, समाज से जुङे रहना, संगीत सुनना(खासकर पुराने) शामिल है।

अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “अशोक सिह जी” की कविताआे के हर एक शब्द में प्राकृतिक सौंदर्य का अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

♥••—••♥

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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
of,,  https://kmsraj51.com/

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।~Kmsraj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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गम के मंजर को खुशियो मे बदलना सीख।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ गम के मंजर को खुशियों में बदलना सीख। ϒ

गमों के चन्द अनुभव से तु खुद को यू बदलना सीख।
काटें भरी हो राहें उस पर भी चलना सीख।

सफलता असफलता है जीवन का एक किनारा।
किनारो पर आकर कैसे निकलना सीख।

जीवन के इस राह मे मिलते हैं बहुत लोग।
उनमे से कौन अपना है उनको पकङना सीख।

इस राह मे गम के मंजर हैं बहुत ही।
इस गम के मंजर को खुशियो मे बदलना सीख।

कठिनाइयो को तुझको छूना ही पङेगा।
इस चक्रव्यूह मे खुद को पिरोना ही पङेगा।

कर खुद पर भरोसा दम है तेरे अन्दर।
आसमा को झुका सकता है तू खुद के ही बल पर।

बस चाह को जिन्दा रखे रहना ऐ मेरे दोस्त।
यह चाह ही तुझको मन्जिल दिखायेगी।

भटका कभी जो पथ से पथ भी दिखायेगी।

कर सीखने की कोशिश मंजिल है इसी में।
कुछ सीखने की खातिर हर बार फिर से सीख।

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

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अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार: 

♣ “अशोक सिह जी” ने इस कविता के माध्यम से “सफलता और असफलता के बीच कैसे समरसता बनाकर चलें,” … बहुत ही सरल शब्दाें में गहराई से व्याख्या किया है। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

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पढ़ ले भाई – अब वक़्त हो गया।

Kmsraj51 की कलम से…..

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♦ पढ़ ले भाई – अब वक़्त हो गया। ♦

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पढ़ ले भाई, अब वक़्त हो गया।
रोयेगा फिर और कहेगा ये क्यों, क्या और कब हो गया?
बन्द कर दे ये आलसपना, नही तो हो जायेगा मजबूर।
निकल जायेगी सारी तेरी हेकड़ी और रोयेगा भरपूर॥

कितने सपने संजो के तुझ को तेरे अभिभावक पढ़ाते।
उन सपनो को तुम अपने अय्याशियों से यूँ ही कुचलते जाते।
याद आएगी वो बात जब मैं तुमको ये समझाता।
‘बस कर भाई, पढ़ ले यार’ ये शब्द कानो में जब गूंजते जाता॥

पढ़ता हूँ मैं जब भी भाई एक बात समझ नही आती है।
क्यों नही पढ़ता है मेरे मित्र ये बात मुझे तड़पाती है।
डेढ़ लाख से ज्यादा रुपए देकर तू यहां पढ़ने आया है।
और उन रूपयो की महत्वता न समझ कर,
तू यहां अय्याशियों में समाया है॥

खेलकूद और मनोरंजन माना कि होती है जरूरी,
पर इस सब की आड़ में तू बना मत पढ़ाई से दूरी।
टीवी, इंटरनेट, शॉपिंग और सोना ये जीवन का आधार नही।
सब ने कहा, सब ने माना कि पढ़ाई ही जीवन का आधार सही॥

है तू मेरा रूममेट, मित्र और भाई भी मैंने तुझे बना लिया।
नही लग जाये ये आरोप की मैंने ही इसको फेल करा दिया।
है तेरे काफी दोस्त मगर पर उनमे सच्चे दोस्त शायद ही होंगे।
सभी तेरे रूपये, स्टेट्स पर या चाटुकार ही घूमते होंगे॥

किसी ने भी तुझे पढ़ाई करने के लिए कभी प्रोत्साहित नही किया।
सब मौज मस्ती या घूमने पर ही तुझको हमेशा परेशान किया।
बीबी की वाईन्स हो या फिर अन्य कोई भी वीडियो।
नही पास करा पाएंगे तू बस ये बात याद रख लिजियो॥

है तू अच्छा भी दिखने में और आर्थिक स्थिति भी तेरी अच्छी है।
नही है तेरी पढ़ाई में कोई रुकावट,
फिर नही पढ़ना ये बात मुझे नही जँचती है।
क्या करु जिससे तू समझे कि तू कितना सौभाग्य-शाली है।
आरक्षण और मेहनत के दम पर नौकरी तेरी राह ताकती है॥

माना है कि घर पर तुझे तेरी माँ सम्भाला करती थी।
अच्छे संस्कार और अनुशासन से वो तुझे पढ़वाया करती थी।
पर तेरी जिद्द के कारण तू यहां घर से हॉस्टल आया है।
जो भी है, जैसा है बस अब तेरा घर संसार यही समाया है॥

कॉलेज के टीचर हो या मैं और तेरे अभिभावक।
सब देते तुझको एक ही सीख, पढ़ ले बस मन लगाकर।
रख थोड़ा आत्मसयंम और कर एकाग्रता का प्रयास।
आलस्य, लालच और चाटुकारो को कर दे जीवन से निकास॥

हो सकता है भविष्य में हम न हो फिर से साथ।
इसीलिए तुझको हूँ कहता कि पढ़ले मेरे साथ।
पढ़कर फायदे है अनेक पर सर्वोत्तम है उसमे एक बात।
मित्र बनेगी तेरी ‘शिक्षा’ जो है पाठन की सौगात॥

इस मित्रता को निभाना हो तो शर्त और नियम है बड़े ही निराले।
निरन्तर अध्ययन और पढ़ाई है जरूरी बस यही करना है मेरे प्यारे॥

♥ सारांश सागर। – नोएडा, उत्तर प्रदेश ♥

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यह कविता “सारांश सागर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। हम दिल से आभारी हैं सारांश सागर जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए। हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: सारांश सागर।
  • व्यवसाय: Social Worker, Blogger, Vlogger, Digital Marketer, Web-Developer, Content Writer.
  • अनुभव: 5+ Years in Social Work, Digital Marketing and Web Development.

Blog: https://www.gyansagar999.com/

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