Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ प्राचीन घरेलू स्वास्थ्य दोहावली। ϒ
♦ पानी में गुड डालिए बीत जाए जब रात।
सुबह छानकर पीजिए अच्छे हाें हालात॥ (1)
♦ धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन(आंख) में डार(डाल)।
दुखती अँखियां ठीक हाें, पल(समय) लागे दाे-चार॥ (2)
♦ ऊर्जा मिलती है बहुत, जब पिएं गुनगुना नीर।
कब्ज खत्म हाे पेट की, मिट जाए हर पीर(दर्द)॥ (3)
♦ प्रातःकाल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप।
बस दाे-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप॥ (4)
♦ ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार।
करें हाजमे का सदा – ये ताे बंटाढार॥ (5)
♦ भोजन करें धरती पर अल्थी-पल्थी मारकर।
चबा-चबा कर खाए, वैद्य न झांके द्वार॥ (6)
♦ प्रातःकाल फल रस लाे, दोपहर लस्सी-छाछ।
सदा रात में दूध पी, सभी राेग का नाश॥ (7)
♦ प्रात काल, दोपहर लीजिये जब नियमित आहार।
तीस मिनट की नींद लाे, राेग न आवें द्वार॥ (8)
♦ भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार।
डाक्टर, ओझा व वैघ का लुट जाए व्यापार॥ (9)
♦ घूंट-घूंट पानी पियाे, रहे तनाव से दूर।
एसिडिटी या मोटापा होवें चकनाचूर॥ (10)
♦ अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास।
पानी पीजै सदैव बैठकर, कभी न आवे पास॥ (11)
♦ रक्तचाप बढने लगे – तब मत सोचो भाई।
सौगंध राम की खाइके, तुरंत छाेड़ दाे चाय॥ (12)
♦ सुबह खाइये कुवंर-सा, दोपहर यथा नरेश।
भाेजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश॥ (13)
♦ देर रात तक जागना, राेगाे का जंजाल।
अपच, आंख के रोग संग, तन भी रहे निढाल॥ (14)
♦ दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ।
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ॥ (15)
♦ सत्तर राेगाे काे करें-चूना हमसे दूर।
दूर करें ये बांझपन, सुस्ती अपच हुजूर॥ (16)
♦ भोजन करके जाेहिए, केवल घंटा डेढ।
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड॥ (17)
♦ अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल।
यही खाइए नहीं ताे, हृदय समझिए फेल॥ (18)
♦ पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान।
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान॥ (19)
♦ एल्युमीनियम के पात्र का करता है जाे उपयाेग।
आमंत्रित करता सदैव ही अड़तालीस(48) राेग॥ (20)
♦ फल या मीठा खाइके, तुरंत न पीजै नीर।
ये सब छाेटी आंत में बनते विषधर तीर॥ (21)
♦ चोकर खाने से सदा – बढ़ती तन की शक्ति।
गेहूं माेटा पीसिये, दिल में बड़े विरक्ति॥ (22)
♦ राेज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय।
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय॥ (23)
♦ भोजन करके खाइए – सौंफ, गुड़, अजवाइन।
पत्थर भी पच जायेगा – जानै सकल जहान॥ (24)
♦ लौकी का रस पीजिए – चोकर युक्त पिसान।
तुलसी, गुड़, सेंधा नमक – हृदय राेग निदान॥ (25)
♦ चैत्र माह में नीम की पत्ती हर दिन खावे।
ज्वर, डेंगू या मलेरिया – सोलह मील भगाये॥ (26)
♦ साै वर्षों तक वह जिए – लेते नाक से सांस।
अल्पकाल ओ जिवें – जाे करें मुंह से श्वासोश्वास॥ (27)
♦ ज्यादा शीतल व गर्म पानी से कभी न करें स्नान।
घट जाता है आत्मबल, नैनन काे नुकसान॥ (28)
♦ अगर हृदय राेग से आपकाे बचना है – श्रीमान।
ताे सुरा(शराब), चाय व कोल्ड ड्रिंक का मत करिए पान॥ (29)
♦ जाे तुलसी का पत्ता करें सदैव जीवन में उपयाेग।
मिट जाते हर उम्र में – उसके तन के सारे राेग॥ (30)
प्यारे दोस्तों – ऊपर दिए गये – प्राचीन घरेलू आयुर्वेदिक चिकित्सा, अच्छे स्वास्थ्य के लिए 100% कारगर हैं। जिसका शरीर पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)
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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
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~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
~KMSRAJ51