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hindi diwas poem in hindi

हिंदी मेरी जान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिंदी मेरी जान। ♦

अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी,
दिल में प्रेम जगाती हिंदी।
जीवन सरस बनाती हिंदी,
हिंदी से ही है हमारी शान।
हिंदी ही हमारा अभिमान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

हिंदी से होती हमारी पहचान,
इससे बढ़ता राष्ट्र का मान।
हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमाती,
लोगों के मन को है लुभाती।
भाव का करती संचार,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़,
वो मजबूत डोर है हिंदी।
जन-जन की भाषा है हिंदी,
प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी।
इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

विशेषताओं से भरे भाषा का,
प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं।
आओ मिलकर करें प्रचार,
हिंदी का करें खूब विस्तार।
मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी, दिल में सदैव ही प्रेम जगाती हिंदी, जीवन सरस बनाती हिंदी, हिंदी से ही है हमारी शान। हिंदी ही हमारा अभिमान, वह हिंदी मेरी जान है, हम इस पर कुर्बान। जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़ती वो मजबूत डोर है हिंदी। जन-जन की भाषा है हिंदी, प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी। इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान, वह हिंदी मेरी जान। विशेषताओं से भरे भाषा का, प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं। आओ हमसब मिलकर करें प्रचार, हिंदी का करें खूब विस्तार। तब मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान, हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।

—————

यह कविता (हिंदी मेरी जान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, विवेक कुमार जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Day, hindi diwas par kavita in hindi, hindi diwas poem in hindi, hindi diwas poems, Hindi Meri Jaan, Poems On Hindi Diwas, poet vivek kumar poems, vivek kumar, vivek kumar poems, विवेक कुमार, विवेक कुमार की कविताएं, हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?, हिंदी दिवस कविताएँ, हिंदी दिवस पर 10 सर्वश्रेष्ठ कविता, हिंदी दिवस पर कविता, हिंदी दिवस पर कविता हिंदी में, हिंदी मेरी जान, हिंदी मेरी जान - विवेक कुमार, हिन्दी दिवस

राष्ट्रभाषा हिंदी का दर्द।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रभाषा हिंदी का दर्द। ♦

ओ हिन्दी! हिंदुस्तान की वाणी,
दर्द दिल में तेरा मां चुभता है।
आज की देख अनदेखी तेरी,
भूत का वैभव तेरा जब सूझता है।

तुतलाती सी आवाज को जिसने,
निज शब्द स्नेह से संवार दिया।
उस मातृ रूपा मृदु हिन्दी को ही,
आज, हमने न जाने क्यों नकार दिया?

हमारे लिए तूने तत्सम – तद्भव,
देशज – विदेशी शब्दों को स्वीकार किया।
तेरे ही बलबूते फिल्म जगत ने भी,
अरबों – खरबों का कारोबार किया।

तू ठगी गई, तू छली गई तब,
सन उन्चास में, राजभाषा ही स्वीकार किया।
मैकाले चला गया भारत छोड़कर,
फिर भी क्यों, राष्ट्रभाषा न तुझे स्वीकार किया ?

ये हिन्दी मानुष अंग्रेजी बने कब?
क्यों नित अंग्रेजी का ही प्रचार किया?
गर इतना ही लगाव है अंग्रेजी से तो,
क्यों न, अंग्रेजी में ही, फिल्मी कारोबार किया?

कमाई को है मां तू लगाई,
यूं सौतेली का सा व्यवहार किया।
पढ़ते – लिखते अंग्रेजी में ही सब,
फिर क्यों हिन्दी में कारोबार किया?

भारत देश की ओ जन भाषा!
किसने तेरा उद्धार किया?
औंधे मुंह गिर जाता है वह इक दिन,
जिसने माता का प्रतिकार किया।

अपने ही घर में पराई हो गई,
भारत देश की मातृभाषा।
अपनों ने ही नकारा और धुधकारा,
औरों से तो करनी ही क्या आशा?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — अंग्रेजो से आजादी के इतने वर्षों बाद भी हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा की मान्यता आधिकारिक रूप से क्यों दर्ज नही हुआ, हिंदी को उसका सम्मान क्यों नहीं मिला? हिन्दी राष्ट्रभाषा के महत्व, गुणों और प्रभाव को बताया है। हिन्दी हर भारतीय के दिल से निकलने वाली भाषा हैं। हिन्दी भाषा दिल को दिल से जोड़ने का कार्य करती है। एकलौती हिन्दी भाषा ही है जिसमे अपनापन है दुनिया की किसी भी अन्य भाषा अपनापन का स्थान नहीं।

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यह कविता (राष्ट्रभाषा हिंदी का दर्द।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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