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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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hindi poems by sukhmangal singh

त्रिभाग पर भरोसा करूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ त्रिभाग पर भरोसा करूं। ♦

बंट चुका त्रिभाग में
किससे कहूं।
हो गया अवसाद माना
कैसे लिखूं।

हृदय शरीर दिमाग जाना
क्या कहूं।
पहले शरीर से अलग
किससे कहूं।

शरीर से अलग है हृदय
अलग दिखा दिमाग,
कहां पलूं।
देती शरीर जवाब
कैसे चलूं।

खुश रहता हूं फिर भी,
ब्रह्मा विष्णु महेश में,
यादों से कहता।

जैसे चलाएं।
चलता चलूं।
मचलता चलूं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – कौन हूँ मैं, शरीर, हृदय, या दिमाग। कौन शरीर से अलग है, भगवान चलाते जैसे चलाएं, चलता चलूं, मचलता चलूं। आत्मा, शरीर, हृदय, व दिमाग के बीच तालमेल।

—————

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यह कविता (त्रिभाग पर भरोसा करूं।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: best hindi poetry lines, best short kavita in hindi, hindi poems by sukhmangal singh, hindi poems on life values, hindi poems on social media, kavi sukhmangal singh, kavita, kavita in hindi, Motivational Poems in Hindi, Poems In Hindi, poems on social media, poetry by sukhmangal singh, poetry in hindi, self motivation poem hindi, short poetry in hindi, soshal meediya - bhaarat, soul body mind, Sukhmangal Singh, sukhmangal singh poems, sukhmangal singh poetry, सुखमंगल सिंह जी की कविताये।

सोशल मीडिया – भारत।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सोशल मीडिया – भारत। ♦

भारत पहले सबको मिलकर समझाता है।
सभ्यता और संस्कृत का उसको ज्ञान कराता है।
भारत की संस्कृति में यही कहा जाता है,
सबको यह पहले बहुत खूब समझाता है।

मनमानी करने वालों को ज्ञान पहले बताता है।
नियम और कानून का ध्यान उसको कराता है।
त्याग और तपस्या का भी पाठ उसे पढ़ाता है।
अहिंसा और शांति का संदेश उसको सिखाता है।

पुरुषोत्तम का देश है भारत उनका मान दिखाता है।
सूर्पनखा रावण की बहना उसको भी समझाता है।
श्रीराम द्वारा लक्ष्मण की तरफ ध्यान दिया जाता है।
इधर उधर जाकर भी जब नहीं मानती शूर्पणखा है।

अंत कोप भाजन से नाक अपनी कटवा दी है।
जबकि श्रीराम द्वारा उसको समझाया जाता है।
एक कथा और सुनाने का मन कर जाता है।
बालकृष्ण के पास कंस की बहन को भेजा जाता है।

उसका भी अंत श्री कृष्ण द्वारा किया जाता है।
कहने का तात्पर्य ही है जो भारत में आया है,
भारत के बने कानून का पालन उसको करना है।
मनमानी इस देश में कहीं नहीं चलने वाला है।
एक समय तक ही उसको छूट दिया जाता है।

इसलिए नियम कानून के अंदर काम करने हैं।
शांति और विश्व बंधुत्व से यहां पर आने हैं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – यह आर्यावर्त – हमारा भारत देश है, हम सभी का दिल से सम्मान करते है यहाँ। लेकिन यहाँ पर रहना है तो – भारत के बने कानून का पालन उसको करना है। मनमानी इस देश में कहीं नहीं चलने वाला है, एक समय तक ही उसको छूट दिया जाता है। इसलिए नियम कानून के अंदर काम करने हैं। शांति और विश्व बंधुत्व से यहां पर आने हैं।

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यह कविता (सोशल मीडिया – भारत।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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श्री कृष्ण द्वारा वसुदेव को ब्रह्म ज्ञान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ श्री कृष्ण द्वारा वसुदेव को ब्रह्म ज्ञान। ♦

श्री कृष्ण बलराम जी वसुदेव जी को,
प्रातः दोनों आकर किया प्रणाम।
दोनों भाइयों का उन्होंने किया अभिनंदन,
ऋषियों के श्री मुख से सुना था जैसा वंदन।

हृदय से वसुदेव जी करने लगे दोनों से आलिंगन,
सच्चिदानंद स्वरूप का होने लगा उन्हें दर्शन।
वसुदेव बोले सच्चिदानंद स्वरूप श्री कृष्ण,
और मेरे महायोगेश्वर संकर्षण।

तुम दोनों ही जगत के हो प्रधान,
पुरुष के भी नियामक परमेश्वर।
तुम ही इस मायावी जगत के आधार हो,
तुम ही निर्माता और निर्माण सामग्री हो।

तुम दोनों जगत के स्वामी हो।
सब कुछ धारक तुम ही हो।
तुम भोग्य और भोक्ता से परे।
साक्षात भगवान तुम ही हो।

जगत की वस्तुओं के सृष्टिकर्ता,
पालन पोषण करता तुम ही हो।
विनाश वान सभी पदार्थों में तुम,
कारण रूप अविनाशी तत्व हो।

हो रहस्य ज्ञान योग माया का,
तुम्हारी कीर्ति गान लोग करते हैं।
भजन सुनकर श्री वासुदेव जी के,
भक्तवत्सल कृष्ण मुस्कुराने लगे।

विनय पूर्वक झुककर पिताजी को,
सु-मधुर वाणी में सुनाने लगे।

हम तो आपके पुत्र ही हैं पिता जी।
हमें लक्ष्य कर आपने ब्रह्म ज्ञान का,
उपदेश आप ही हमें सुनाने लगे।
मैं हूं! वही! सब आप ही बताने लगे।

जैसे छिति जल पावक गगन समीरा,
एक होते हुए अलग-अलग कहलाने लगे।
पंचमहाभूत अप्रकट – प्रकट होकर,
बड़े छोटे अधिक थोड़े दिखने लगे।

वैसे ही मैं! और बलराम जी भी,
भेद से ही दो पहचाने जाने लगे।

धरा पर जन्म – मृत्यु चक्कर रूप,
भटकते हुए जीव निमित्त आने लगे।
हम दोनों अन्याय के खिलाफ अपना,
आकर यहां शस्त्र उठाने लगे।

शरणागत उनके संसार भय को मिटाने लगे,
इस धरा को भार से मुक्ति दिलाने लगे।
मंगल प्रभु के श्री – चरण में जाने लगा,
अमृत तत्व सुख सागर सबको सुनाने लगा।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – श्री कृष्ण और वासुदेव जी के मिलन और संवाद का सुर मधुर वर्णन किया है। जहाँ एक तरफ पिता – पुत्र पर प्रेम वात्सल्य बर्षा रहा है तो, वहीं दूसरी तरफ श्री कृष्ण जी, वासुदेव जी को ब्रह्म ज्ञान दे रहे है। इस मधुर मिलन के साक्षी बलराम जी है।

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यह कविता (श्री कृष्ण द्वारा वसुदेव को ब्रह्म ज्ञान।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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