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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for त्याग और बलिदान पर कविता

त्याग और बलिदान पर कविता

आया तूफान।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aaya Toofan | आया तूफान।

सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।
दूर नहीं है किनारा,
सब हैं मुसाफिर।
हम हैं सहारा,
नैया है सबका किनारा।

सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।
हिम्मत न हारोऽऽ
मौंजों से खेलो।
तुम हो सिपाही,
धीर – वीर मतवाले।
देश भक्त तुम हिम्मतवाले,
छोड़ो न अपने सियाले।

सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।
चीर चपल जलधारा को,
खेवो नाव मंझधारा को।
पार लगा दोऽऽ
हिम्मत न हारो।
साथ अगर देगी,
विपुला महरानी।
अम्बर भी तो अश्क बहायेगा,
सागर भी थर-थर थर्यायेगा।
कोई भय नहीं, कोई डर नहीं,
दूर नहीं है किनारा।

सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।
ये शत्रु भी अजगर बन गरजता है,
ये सागर भी अवरोधों का,
बिजली बन चमकता है।
मन तारा आशाओं का,
लड़-लड़कर आगे-आगे बढ़ता है।
धीर तुम बलबीर तुम,
डरो नहीं झुको नहीं,
वीर तुम बढ़े चलो।

सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।
छली खड़े सरहद पर,
ताने अपनी बात।
बात-बात पर गुर्राते,
धौंस दिखाकर बतलाते।
हम शत्रु हैं बलवान,
डर न तू…
हट न तू…
तू है वीर जवान।
सावधान खबरदार,
देखो आया ये तूफान।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (आया तूफान।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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शहीदाें काे नमन हमारा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शहीदाें काे नमन हमारा। ♦

शीश झुका कर प्रणाम करते हैं हम उनको,
उन शहीदों को शत – शत नमन हमारा।
जो शीश कटा दिये, अपने देश के लिये,
भुला सकते नहीं हम उन्हें स्वन्तत्रता जो दे गये।

मलय समीर बन बहते रहेंगें उर में हमारे,
देश पर मर मिटने की चाहतें थी उनकी।
हर इक में खून-ए-जिगर से आम हो गये,
देश लहू पुकारेगा हमेशा उन शहीदों को।

जरा सी गफलत-ए-शाम जब भी होगी,
रूह बनकर पुकारेगी शम्पायें वतन की।
जब भी शहीदों की याद आयेगी चमन से,
दहाड़ें मार कर रोयेंगी माटी वतन की।

कतरा भी गया जमीं का गर शत्रु के पास,
धिक्कार लगायेंगी लहू हमें शहीदों की।
उन्हे पिपासा थी वतन की आजादी की,
बेकल हो फिरते थे राहें वे वतन की।
हर-संभव प्रयास करते थे नौ-जवां क्रांति की।

दीवाने जो थे, वे जो चूमते फाँसी को।
नमन करते हैं हम सब, उन सब शहीदों को।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जान हथेली पर लेकर दुश्मन का चीर सीना दिया। फिर से वीर भारत माँ के शहीद हो गए। याद करेगा तुमको और वंदे मातरम् गायेगा। फिर से वीर भारत माँ के शहीद हो गए। 91 साल पहले यानी 23 मार्च 1931 को आज ही के दिन भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को फांसी दी गई थी। उनकी शहादत को देश का हर नागरिक सच्चे दिल से सलाम कर रहा है। भारत को आजाद कराने के लिए इन वीर सपूतों ने हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया था।

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यह कविता (शहीदाें काे नमन हमारा।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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शहीदों की शहादत पर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शहीदों की शहादत पर। ♦

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।
कायर दुश्मन दिन गिन ले,
अब न मिलेगी ठौर कहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

पाक बड़ा नापाक है तू ,
बुज़दिल है जाबाँज नहीं।
हिम्मत है तो सामने आ,
धूल चटाएँ आज यहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

इस घटिया हरकत पर तो,
कर सकते अब माफ़ नहीं।
अब दुनिया के नक़्शे से तू ,
हो के रहेगा साफ़ कहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

हर अश्रु अंगारा बन कर,
ख़ाक तुझे कर देगा वहीं।
और उसी पल से जग में,
थम जाएगा ये दौर यहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — ये पाक बड़ा नापाक है तू , बुज़दिल है जाबाँज नहीं। हिम्मत है तो सामने आ, धूल चटाएँ आज यहीं। ये पाक कुत्ते की दुम की तरह है, अब भी समय है सुधर जा वरना तेरा अस्तित्व ही मिट जायेगा। तेरा सदैव का ये कायराना हरकत अब बर्दाश्त नहीं। अभी तक तुम्हें हमने बहुत प्रेम दिया, तुम्हारी सब हरकतों को माफ़ कर, लेकिन अब तेरे नापाक हरकत बर्दाश्त नहीं। हमारी प्रेम और शांति का तूने सदैव ही मजाक बनाया, अब तुम्हें नहीं छोड़ेगे हमारे वीर जवान, अभी भी समय है अपनी नापाक हरकतों को बंद कर दे तू। वरना विश्व के नक्शे से अदृश्य हो जायेगा तू।

—————

यह कविता (शहीदों की शहादत पर।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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जनक शहीदों के…

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जनक शहीदों के… ♦

समन्दर बनकर आंसू बहते, हमने उन माँओं के देखे हैं।
शहीद हो कर सरहदों से जब, लौटते बलिदानी बेटे हैं।

पत्थर दिल बापों को हमने, पीटते छाती अपनी देखा है।
जब तिरंगे में लिपट लौटता, शहिद हो उनका बेटा है।

विधवा बहू की मांग को सूनी, देख के दोनो जब रोते हैं।
मृत प्राय से पड़ जाते हैं दोनो, सुध – बुद्ध अपनी खोते हैं।

जाना था जब हमको पहले, क्यों लल्ला को भिजवा दिया?
उल्टी गंगा बहाकर रब्बा, यह तुमने आखिर क्या किया?

नेह के आंसू सावन से झरते, बरसात को भी शर्मिंदा किया।
रुग्ण – रूष्ट इस मीच निगोडी ने, मुर्दों को कब जिंदा किया?

बूढ़ी आंखे बस रोती रही, बेटा धूं – धूं कर तब जलता गया।
मां सिसकियां भरती रह गई, बाप दोनों हाथ ही मलता गया।

अंतिम सत्य है मौत जीवन का, यह सबको इक दिन आनी है।
बेटा क्यों गया हमसे पहले? बूढ़ी आंखों में इसलिए पानी है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जब जवान सैनिक बेटा शहीद होकर घर आता है उस समय उसके माता – पिता की क्या मनोस्थिति होती है। उनके कलेजे का टुकड़ा उनसे पहले इस दुनिया से विदा होता है यही गम सबसे बड़ा होता है उनके लिए, मृत्यु एक अटल सत्य है इस जीवन का लेकिन समय से पहले दर्द दे जाता है। विधवा बहू की मांग को सूनी, देख के दोनो जब रोते हैं, मृत प्राय से पड़ जाते हैं दोनो, सुध – बुद्ध अपनी खोते हैं।

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यह कविता (जनक शहीदों के…) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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पुकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ पुकार। ♦

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढो।

समर सुनसान पड़ा है।
लूटते देख मां की लाज।
निज जंगी बेड़ा पास पड़ा।
बलिदान, बलिदान खड़ा है।

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढ़ो।

कुर्बानी की जंग है लड़नी।
दुश्मन त ललकार रहा है।
फौलादी जंगी बेटा को,
तुम भी तो तैयार करो।

दुश्मन सीमा पर तैनात खड़ा है।
सीमा पर तैनात वह अड़ा है।

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढ़ो।

खड़ा शहीदी जत्था भी,
तुझको आज पुकार रहा है।
सुनसान समर निहार रहा।
बलवीर पुंज बनकर उभरों री।

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढ़ो।

त्याग तपस्या बलिदान का,
यही रहा है केंद्र बिंदु।
मंगल आज पुकार रहा है।

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढ़ो।

चारों तरफ बिछी देख,
लाशों की जब ढेर।
झुकने देना कभी नहीं,
भारत मां का शीश।

होगा तो ढूंढो, पढ़ो बहादुर बढ़ो।
चढ़ो बहादुर बढ़ो, चलो वीर बढ़ो।

तपोभूमि हर ग्राम हमारे,
कवि की वाणी गाती है।
लोरी गाती शाम को,
माता गाय हमारी प्यारी है।

कहां सिंह बन गए खिलौने,
वाली रानी बलिदान खड़ा है।
पढ़ो बहादुर पढ़ो,
लड़ो बहादुर लड़ो।

उठो बहादुर उठो।
बढ़ो बहादुर बढ़ो।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – सैनिकों का उमंग – उत्साह बढ़ाते हुए कवि कहते है, चाहे कुछ भी हो जाये कभी भी झुकने ना देना भारत माँ का शीश। त्याग तपस्या बलिदान का, यही रहा है केंद्र बिंदु। उठो बहादुर उठो। बढ़ो बहादुर बढ़ो।

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यह कविता (पुकार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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तेरी जय जयकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ तेरी जय जयकार। ♦

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उनके जश्न में भी तेरा जलवा बरकरार है।
सच को तुमपे नाज है, फख्र तुमपे यार है।
चुनौती स्वीकार कर लड़ना अड़ना जरुरी है।
तुम बहादुरी से लड़े, तेरी जय जयकार है॥

क्या हुआ गर खेल में पराजय लगी हाथ।
परछाई है संग छोड़ गये सारे अपने साथ।
इमानदारों के लिए हमेशा दुश्वारियाँ हजार है।
तुम बहादुरी…..

मैनें देखा है राहों में तेरा सूर्य सा अभिनंदन।
जनसैलाब की आँखों में हर्षातिरेक वाला क्रन्दन।
दिल जीतना देश जीतने से बेहतर व्यापार है।
तुम बहादुरी…..

अना को नहीं गिरवी रखा अनीति के लिए।
पथभ्रष्ट हुए नहीं कभी स्वार्थ कुरीति के लिए।
कर्तव्यच्युत नहीं कर सके, रकीबों धिक्कार है।
तुम बहादुरी…..

जीतनेवाले अपनी इस जीत पे पछतायेंगे।
आइने से खुद नजर मिलाके हार जायेंगे।
शर्म से गर्दन झुकी है शीशा भी शर्मसार है।
तुम बहादुरी…..

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाया है, कैसी भी परिस्थिति हो अपने उमंग – उत्साह को कम न होने दो।

—•—•—•—

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यह कविता “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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