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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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baccho ki hindi kavita

जगत जननी का परित्याग।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जगत जननी का परित्याग। ♦

पता क्या जगत जननी सीता को,
फिर जंगल में जाना होगा।
घनी पश्चिम की पहाड़ी के जंगल में,
जीवन उन्हें बिताना होगा।

श्रीराम के निर्मल देह पर,
मृग – चर्म जूट जटाएं फाहरेंगी।
हवन चंदन गंध व दहकते,
गुगल से ऋचाएं होंगी।

रथ साथ सारथी पुत्रवत लखन,
घने जंगल में छोड़ेंगे।
जिसने अपने जीवन में,
सीता के मुख नहीं देखे होंगे।

पर विधाता का लिखा लिखनी,
कौन मिटा सकता है यहां।
वहीं विश्व विख्यात विधाता,
सीता को जंगल पहुंचा सकता जहां।

धैर्य – धर्म की मूर्ति मई कल्याणी तुम,
खंडित व्यक्तित्व लिए विलख रही।
सच कहूं प्रिय! मेरी सीते!
मैं राम तत्वों का आदर्श लिए थक रहा।

विवश हूं प्रजा की बात पर,
धर्म की मर्यादा और राज पाठ पर।
स्वयं दंड दूंगा मैं अपने आप को,
धर्म की धात्री तुम अयोध्या राज की।

लोका पवाद में घिरा अवध की,
शाम मंत्रणा राज लखन से बोले राम।
राजा का राज्य पर निष्ठा निर्विवाद,
विधि के विधान पर किसका अधिकार।

संकल्पों का विकल्प नहीं होता,
वैराग्य धर्म बन वासी मेरी नियति।
विकल्प केवल सीता का परित्याग,
प्रिये मेरी अभिन्न अंग हो, ना होना खिन्न।

मेरी निर्णय को कहना ना तू कठोर,
सीता कल निर्वासन का है भोर।
अभिषेक करेगी तेरी वन्य भोर,
संदेशवाहक दिल से निकलेगा चोर।

रथारूढ़ जाना गंगा तट पर लेकिन,
उद्घाटित अभी करना ना भेद गूढ़।
लक्ष्मण राम के मंत्रणा परिपूर्ण,
आरण्य निकट सीते को छोड़ना तुम।

देना धो आंचल का उभरा कालुष्य,
रूधने लगा कहते कंठ राम।
बिकट लगा उस संध्या का गुंजा शूल,
कर प्रणाम अस्ताचल ढल गया सूर्य।

छलक उठे लक्ष्मण के भरे नैन,
थरथर कांप उठा धरती का स्वर्ग मौन।
देख रहा मौन रहकर राजमहल,
धार सरयू की हुई स्तब्ध अंतर्मन।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – जगत जननी माता सीता जी का परित्याग, करते समय श्री राम जी के मनःस्थिति का खूबसूरत वर्णन किया है। माता सीता जी से श्री राम जी कहते है “धैर्य – धर्म की मूर्ति मई कल्याणी तुम खंडित व्यक्तित्व लिए विलख रही। सच कहूं प्रिय! मेरी सीते! मैं राम तत्वों का आदर्श लिए थक रहा। विवश हूं प्रजा की बात पर धर्म की मर्यादा और राज पाठ पर। स्वयं दंड दूंगा मैं अपने आप को धर्म की धात्री तुम अयोध्या राज की।”

—————

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यह कविता (जगत जननी का परित्याग।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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दिग-दिगंत सौरभ से भरता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दिग-दिगंत सौरभ से भरता। ♦

भावनाओं में बहकर वह हर धाम में चलता खोजता।
सुख के साथ दुख की भी करुण कथा दुनिया में कहता।
कामना में भटकते हुए रिद्धि सिद्धि आप चलता खोजता।
बहन निशा के अंधकार को दिग दिगंत सौरभ से भरता।

आज शहर खामोश है तो कल फिर वह मुस्कुराएगा।
किरण झा मासूम और तूफान का दौर चला जाएगा।
जहां आठों पहर सरयू नदी लहर – लहर लहराती।
स्तुति राम भगवान की ध्वजा पताका बजरंगी फहराते।

हंसता शहर गुमान दिख रहा उसमें फिर बहार आएगी।
तीनों लोकों में निराली अनुपम छटा निराली दिखलायेगी।
अयोध्या नगरी कोरोना काल में भी सुन्दर अवसर लायेगी।
उन्हीं सरयू की लहरों से राम लखन सीता सहित छवि पाएंगे।

नावें अठखेलियां करती हैं उत्सव घाट पर भी मनाएंगे।
ऋषि मुनियों का समूह देखने स्वर्ग लोक से आएंगे।
दुनियां के पापियों का पाप कर्म सरयू हर जायेगी।
मंगल कामनाएं सकारात्मक ऊर्जा से।
‘ मंगल ‘ गीत गाएंगे।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – श्री राम मंदिर का वर्षों से अदृश्य रौनक पुनः वापस आएगी। अयोध्या नगरी में पुनः बहार आएगी, जहां आठों पहर सरयू नदी लहर – लहर लहराती। स्तुति राम भगवान की ध्वजा पताका बजरंगी फहराते। नावें अठखेलियां करती हैं उत्सव घाट पर भी मनाएंगे। ऋषि मुनियों का समूह देखने स्वर्ग लोक से आएंगे। दुनियां के पापियों का पाप कर्म सरयू हर जायेगी। मंगल कामनाएं सकारात्मक ऊर्जा से।

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यह कविता (दिग-दिगंत सौरभ से भरता।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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न रख इतना नाजुक दिल।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ न रख इतना नाजुक दिल। ϒ

🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में नज़्म कहलायें – न रख इतना नाजुक दिल।

इश्क़ किया तो फिर न रख इतना नाज़ुक दिल
माशूक़ से मिलना नहीं आसां ये राहे मुस्तक़िल
तैयार मुसीबत को न कर सकूंगा दिल मुंतकिल
क़ुर्बान इस ग़म को तिरि ख़्वाहिश मिरि मंज़िल

मुक़द्दर यूँ सही महबूब तिरि उल्फ़त में बिस्मिल
तसव्वुर में तिरा छूना हक़ीक़त में हुआ दाख़िल
कोई हद नहीं बेसब्र दिल जो कभी था मुतहम्मिल
गले जो लगे अब हिजाब कैसा हो रहा मैं ग़ाफ़िल

तिरे आने से हैं अरमान जवाँ हसरतें हुई कामिल
हो रहा बेहाल सँभालो मुझे मिरे हमदम फ़ाज़िल
नाशाद न देखूं तुझे कभी तिरे होने से है महफ़िल
कैसे जा सकोगे दूर रखता हूँ यादों को मुत्तसिल

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में नज़्म शेयर करने के लिए। KMSRAJ51.COM के Author Team पैनल में तहेदिल से स्वागत है – आपका।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “न रख इतना नाजुक दिल।…“ काे नज़्म के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

♥••—••♥

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देखकर तेरी रजा को डूब मैं इतना गया।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया। ϒ

hindi poems

देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया।
पागलों सा हो गया, अश्क नैनों में भरा॥

चल पड़ा उस ओर मैं, उम्मीद एक जोड़कर।
फूल-फूल चुन लिए, पात-पात छोड़कर॥

हौसले बुलन्द हुए, संकेत तेरा मिल गया।
देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया॥

सब्र न अब हो सका, प्यार का पहरा हुआ।
संगीत के छन्द भी, साथ मेरे चल दिए॥

एक छन्द ने कहा, प्यार आज हो गया।
देखकर तेरी रजा को, डूब मैं इतना गया॥

कदम तो अब बढ़ गया, आस की राह थी।
फांद गए आग पर, न जान की परवाह की॥

ख्वाब बस एक था, ओंठ तेरी चूम लूँ।
बाँह तेरी डालकर, एक बार झूम लूँ॥

संगीत भी चल रहा, काव्य न पूरा हुआ।
देखकर तेरी रजा को,डूब मैं इतना गया॥

©- गोपाल “गुलशन” – बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) ∇

हम दिल से आभारी हैं गोपाल “गुलशन” जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।

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In English

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