Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ Q. A. W. ~ KMSRAJ51 ϒ
ओम गंग गणपतये नमः
श्री गणेश मंत्र ~
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभं।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
Q. 1 .⇒ जीवन में कभी – कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती हैं जब समझ में नहीं आता की क्या करें ?
या
जीवन में कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती हैं जब समझ में ही नहीं आता कि क्या करूं या क्या ना करूं, ऐसे समय में अपने Mind काे कैसे Setup करें ?
-श्वेता तिवारी, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
-मधुलिका शर्मा, हरिद्वार, (उत्तराखंड)
A. 1 .⇒ सभी मनुष्यों के जीवन में एक नहीं, कई बार ऐसी परिस्थिति आती हैं जब समझ में ही नहीं आता की क्या उचित है, और क्या अनुचित हैं, अर्थांत – क्या करना सही है, या क्या करना गलत है या या यू कहें कि right or wrong में भेद नहीं कर पाते।
जब भी जीवन में ऐसी परिस्थिति आये – अपने Mind को कुछ इस तरह से खुराक दें …..
- मानव शरीर काे चलाने वाली शक्ति काे Soul (आत्मा, प्राण, जी, जीव, रूह) कहते हैं। आत्मा कि तीन मुख्य शक्तियां हैं … मन, बुद्धी व संस्कार। मन सोचने व बुद्धी निर्णय करने का कार्य करती है, और बुद्धी जाे निर्णय करती है शरीर कि कर्मेंद्रिया उसी अनुसार कार्य करती हैं, और शरीर कि कर्मेंद्रियाें के द्वारा जाे कार्य हाेता हैं वही संस्कार के रुप में Soul के अंदर रिकॉर्ड हाेता रहता हैं।
- किसी भी इंसान का माइंड(Mind) काेई भी बात ज्यादातर चित्र(Image) Form में सोचता हैं, इसलिए अपने लक्ष्य का चित्र व महत्वपूर्ण कार्य का जर्नल(नाेटबुक या डायरी) Hard और Soft दोनों प्रारूप में रखें तथा Daily Base पर अपने अवचेतन मन काे याद दिलाये सुबह उठते ही व रात्रि में साेने से पहले।
- चाहे बहुत ज्यादा महापापी आत्मा हाे या बहुत ज्यादा पुण्य आत्मा हाे, जब भी काेई कर्म करने का विचार मन में आता है – हर मनुष्य कि आत्मा अंदर से आवाज़ देती है कि यह करना सही है या यह करना गलत हैं, और कुछ माइक्रो सेकंड्स के अंतराल में ही द्वितीय आवाज़ भी आ जाती हैं।
- जब भी जीवन में “ऐसी परिस्थिति आये, जब समझ में ही नहीं आये कि क्या करूं या क्या ना करूं” ताे आत्मा के अंदर से आने वाली पहली आवाज़ का अनुसरण करें, अर्थांत – आत्मा कि पहली आवाज़ काे सुने और उसी के अनुसार ही कार्य करें … आपकाे जीवन में सदैव ही सफलता मिलेंगी।
- ज्यादातर मनुष्य आत्मा के अंदर से आने वाली द्वितीय आवाज़ का अनुसरण करते हैं, इसी कारण “क्या करूं या क्या ना करूं” कि समझ भी खाे देते हैं। जिस वजह से सदैव असफल हाेते हैं।
- आत्मा के अंदर से आने वाली इसी पहली आवाज़ काे कई लाेग “दिल का आवाज़” भी कहते हैं। या बहुत सारे लाेग इसे अंदर की पहली आवाज़, अंदर की आवाज़ भी कहते हैं।
- अपने मन को सदैव ही सकारात्मक विचारों का खुराक दें, अपने आप को हमेशा अच्छे कार्यों में व्यस्त रखें। जिससे फालतू के कार्यों में आपके समय की बर्बादी नहीं हाेगी।
“प्रकृति का एक बहुत ही कारगर नियम है, यदि मिट्टी में काेई बीज न बाेया जाये ताे प्रकृति उस मिट्टी काे घास-फूस से भर देती है।”
- बिल्कुल यही नियम इंसान के दिमाग पर भी लागू होता हैं। अगर इंसान का दिमाग व मन अच्छे विचाराें से नहीं भरा जाये ताे उसमें नकारात्मक विचार स्वचालित रूप से अपना जगह बना लेते है और इंसान चिंताग्रस्त हाे जाता है, तथा उसे समझ में ही नहीं आता कि क्या करूं या क्या ना करूं। एक कहावत भी है –
“खाली मन शैतान का घर हाेता है।”
- अच्छे works में जब अपने आपकाे busy रखेगें ताे, फालतू विचार साेचने का time ही नहीं हाेगा। “जहा तक हाे सके सदैव ही अपने मन काे अच्छे विचाराें से भरें।”
- अपना संग सकारात्मक लोगों के साथ रखें। ऐसे लोगों से दोस्ती रखें जो सदैव ही सकारात्मक सोचते है। नकारात्मक सोच रखने वालों से जितना हो सके दूरी बनाकर रखें।
Q. 2 .⇒ ८०/२० (80/20) का नियम क्या हैं ?( What are the rules of 80/20? )
या
८०/२० (80/20) के नियम को अपने जीवन में कैसे लागू करें ?
( How to apply the rule of 80/20 in your life? )
♦ स्मृती सिंह, सूरत (गुजरात), ♦ भूमिका भट्टाचार्य, कोलकाता (पश्चिम बंगाल),
♦ लवली मिश्रा, पटना (बिहार), ♦ राहुल गर्ग, चंडीगढ़,
A. 2 .⇒ इस नियम (80/20) के अनुसार …..
- आपकी 20 प्रतिशत गतिविधियाँ 80 प्रतिशत Results देगी। (Your 20 percent of activities will give 80 percent results.)
- आपके 20 प्रतिशत ग्राहक 80 प्रतिशत विक्री करवायेंगे। (20% of your customers will be selling 80%.)
- आपके २० प्रतिशत प्रोडक्ट्स ८० प्रतिशत मुनाफा दिलवायेंगे। (20% of your products will get 80% profit.)
- आपके 20 प्रतिशत कार्य 80 प्रतिशत मूल्य बढ़ायेगें आदि। (Your 20 percent work will increase 80 percent of the price etc.)
- इसका मतलब ये है कि अगर आपकी सूची में कुल 10 कार्य हैं; ताे उनमे से Only 2 (दाे) कार्य बाकी सबसे पांच से दस गुना ज्यादा मूल्यवान होगा। (This means that if you have 10 tasks in your list; Only two of them will be worth five to ten times more valuable.)
- वैसे यह नियम(८०/२०) तो इस संसार के आदि से ही हैं। (This rule (80/20) is from the beginning of this world.)
- लेकिन वर्तमान समय में इस नियम (80/20) काे कलमबध्य किया “इतालवी अर्थशास्त्री विल्फ्रे़डाे पैरेटाे” ने 1895 में इस नियम के बारे में विस्तार से लिखा था। इसीलिए इस नियम काे “पैरेटाे नियम” या “पैरेटाे सिद्धांत” भी कहते हैं। (But in the present time, this rule (80/20) was compiled by the “Italian economist Vilfredo Pareto” wrote in 1895 detailed about this rule. That’s why this rule is also called “Pareto rules” or “Pareto theory”.)
- यह 80/20 का नियम “समय और जीवन प्रबंधन” के लिए बहुत ही बड़ा सहायक नियम हैं। (This rule of 80/20 is very helpful rules for “time and life management”.)
- पैरेटाे ने गाैर किया कि उनके समाज में लाेग स्वाभाविक रूप से दाे धड़ाें में विभाजित हैं। (Pareto insisted that people in their society are naturally divided into right-wing groups.)एक धड़ा था, “महत्वपूर्ण अल्पमत” (vital few), जाे पैसे और प्रभाव के संदर्भ में शीर्षस्थ 20 प्रतिशत में आते थे। (There was a clause, “significant minority” (vital few) used to come in the top 20 percent in terms of money and effect.)…. दूसरा था – “तुच्छ बहुमत” जाे निचले 80 प्रतिशत में आते थे। बाद में उन्हें पता चला कि यही नियम लगभग सारी आर्थिक गतिविधियाें की बुनियाद भी है।कार्याें कि संख्या के बजाय, कार्याें के महत्त्व काे समझे – यहा मैं एक दिलचस्प Research (खाेज या अनुसंधान) के बारे में बताना चाहता हूँ। दस कार्याें में से हर एक काे पुरा करने में लगभग समान समय लगता हैं। आपके कार्य करने कि आदताें की वजह से केवल एक-दाे कार्य बाकी किसी भी कार्य की तुलना में पाँच से दस गुना ज्यादा मूल्य का याेगदान देंगे।अपने महत्वपूर्ण १० कार्यों की एक लिस्ट तैयार करें। – ज्यादातर दस कार्यों की लिस्ट में से आप देखेंगे की एक कार्य बाकी नाै कार्यों से ज्यादा मूल्यवान हाेता हैं। बस जरुरत यही है कि इसी एक मूल्यवान कार्य काे सबसे पहले कर लेना चाहिए। क्या आप अंदाजा लगा सकते है कि आम आदमी ज्यादातर किस कार्य में सबसे ज्यादा टालमटाेल करता है ? दुःखद सच्चाई यह हैं कि ज्यादातर लाेग उन शीर्षस्थ १० से २०% कार्यों में टालमटाेल करते है, जाे सबसे मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण हाेते हैं-“महत्त्वपूर्ण अल्पमत”।
इसके बजाय वे न्यूनतम महत्त्व के ८०% कार्यों (“तुच्छ बहुमत”) – में व्यस्त रहते है, जाे परिणामाें में बहुत कम याेगदान देते हैं।उपलब्धियों पर नहीं गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें – (Focus on activities not on achievements ) – आप ऐसे लाेगाें काे अक्सर देखते है, जाे दिन भर व्यस्त नज़र आते हैं, लेकिन इसके बावजूद बहुत कम हासिल कर पाते हैं – कारण स्पष्ट है। वे ऐसे कार्य करने में व्यस्त रहते है, जिनका मूल्य कम हाेता हैं। इस दाैरान वे उन एक-दाे कार्याें में टालमटाेल करते है, जिन्हें अगर जल्द से जल्द और अच्छी तरह पुरा कर लिया जाए – ताे इससे उनकी कंपनियों और कैरियर में सच्चा बड़ा फर्क पड़ेगा।दिन के सबसे मूल्यवान कार्य अक्सर सबसे मुश्किल और जटिल हाेते हैं। लेकिन इन्हें कुशलता से पूरा करने के पुरस्कार और फायदे भी जबरदस्त हाेेते है। इसलिए आपकाे यह संकल्प लेना चाहिए कि निचले ८०% कार्य तब तक नहीं करेंगे, जब तक कि २०% कार्य बचे हाे।कार्य शुरू करने से पहले हमेशा खुद से पुछें “यह मेरे शीर्षस्थ २०% कार्याें में आता है या फिर निचले ८०% कार्याें में ? याद रखें – “छोटे कार्यों को सबसे पहले करने के प्रलोभन से बचें”।
आप बार-बार जाे भी करने का विकल्प चुनते हैं, वह अंत में एक आदत बन जाता है, जिसे छाेड़ना मुश्किल हाेता है। अगर आप अपना दिन महत्वहीन कार्याें से शुरू करने का विकल्प चुनते है – ताे जल्दी ही आपकाे हमेशा महत्वहीन कार्याें से दिन शुरू करने की आदत पड़ जाएगी। यह ऐसी आदत नहीं है – जिसे डालना या कायम रखना चाहिए।
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य काे शुरू करना उसका सबसे मुश्किल हिस्सा हाेता है। एक बार जब आप काेई सचमुच मूल्यवान कार्य शुरू कर देते है, – ताे स्वभाविक रूप से अापकाे आगे कार्य करते रहने कि प्रेरणा मिलेगी। आपके दिमाग का एक हिस्सा उन महत्त्वपूर्ण कार्याें में व्यस्त रहना चाहता हैं, जिनसे सचमुच फ़र्क पड़ता है। अपने दिमाग के इस हिस्से को लगातार पाेषण देते रहें।
॰ मैं सदैव ही एक बात कहता हुँ कि – “अगर अपने लक्ष्य काे प्राप्त करना चाहते है ताे स्वयं काे प्रेरित करें”।~Kmsraj51
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य काे शुरू और पुरा करने के बारे में सोचने भर से ही आप प्रेरित हाे जाते हैं। इससे आपकाे टालमटाेल छाेड़ने में मदद मिलती है। सच ताे यह है कि किसी महत्त्वपूर्ण कार्य काे पुरा करने के लिए भी अक्सर उतने ही समय की जरुरत हाेती है, जितनी कि महत्वहीन कार्य काे करने के लिए फर्क यह है कि महत्त्वपूर्ण कार्य पूरा करने के बाद आपकाे गर्व और संतुष्टि का ज़बरदस्त एहसास हाेता है। बहरहाल जब आप उतना ही समय और ऊर्जा खर्च करके काेई मूल्यहीन या महत्वहीन कार्य पूरा करते हैं – ताे आपकाे बहुत कम संतुष्टि मिलती है या ज़रा भी नहीं मिलती।
- Time Management (समय प्रबंधन) वास्तव में जीवन का प्रबंधन हैं, स्वयं का प्रबंधन हैं। यह दरअसल घटनाओं के क्रम को नियंत्रित करना हैं। समय प्रबंधन का अर्थ है – इस बात पर नियंत्रण करना कि आप अगला कार्य काैन सा करेंगे, और आप सदैव अपना अगला कार्य चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। महत्वपूर्ण और महत्वहीन के बीच विकल्प चुनने कि आपकी काबिलियत जिंदगी और काम धंधे में आपकी सफलता तय करने वाली अहम् कुंजी हैं।
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.
~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
~KMSRAJ51