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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poem on holi in hindi

होली।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ होली। ♦

(रंग, विचार, उल्लास)

सृष्टि संसार की अगम होती अति वृष्टि,
सजती संवरती निसर्ग ले पल्लव पुष्प आसंग।
चढ़ते माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि विशिष्ट,
बसंत राज का आगमन नव श्रृंगार का अहंग।

नए गुलाबी रंग पल्लव मन को मुग्ध करे,
प्रकृति सौन्दर्य प्रधान के त्रयी रंग कमाल।
कानन अगिन उजार दे टेसू पुहुप समान,
पीली साड़ी ओढ़े प्रमृत सदृश सजी धमाल।

आम्र मंजरी पुकारती गुलाब मालती प्रसून,
भटकते प्रियतम बन अलिमक भृंग समरेख।
विकल हो कोकिला करे कुहू-कुहू की टेर,
प्राणों को उद्वेलित करे फगुआ को देख।

वन वृक्षों की हरीतिमा मन को खींचे अपनी ओर,
आकर्षित करे पल-पल बालें गेहूँ-जौ की और बौर।
पतंगम गुंजन मधुकर कोकिला करे अति शोर,
देखो आया गली-गली रंग धुलिवंदन का अंदोर।

गीत गोविंद धमार की गायन वाद्य नृत्य विभोर,
कामिनी कानन यौवन फूटे उत्साह मस्ती चहुँओर।
प्रीति प्रेम त्याग की द्वेषरहित रहे ये संसार,
अन्न-घी-गुड़-दाव रंग से पितृतर्पण करते चहुँओर।

रंग अबीर गुलाल संग बजे फाग धमार की मृदंग,
धुलेंडी धुरड्डी, धुरखेल धूलिवंदन इसके नाम प्रतिष्ठ।
गीत गायन कर मिटाये कटुता द्वेष सब ये उद्वेग,
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी मनुष्य उल्लास इससे यथेष्ट।

मंच (KMSRAJ51.COM) से जुड़े समस्त कवि/कवित्रियों को होलिका दहन एवं होली की शुभकामनायें।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — इस समय पतझड़ के बाद नए पतों का वृक्षों पर आना वन वृक्षों की हरीतिमा मन को खींचे अपनी ओर आकर्षित करे पल-पल बालें गेहूँ-जौ की और बौर पतंगम गुंजन मधुकर कोकिला करे अति शोर देखो आया गली-गली रंग धुलिवंदन का अंदोर। होली रंगों का ही नहीं सामाजिक भेदभाव मिटाने एवं सामूहिकता का पर्व भी है। होली बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का पर्व भी है। इस बार हम होलिका दहन के साथ कोरोना वायरस का भी दहन करें तो फिर पहले की तरह सौहार्द्र पूर्ण वातावरण में एक-दूसरे से गले मिलते हुए होली मना सकेंगे। होली रंगों का त्योहार है और जीवन में रंग तभी तक हैं, जब तक परिवार-समाज सुरक्षित है।

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यह कविता (होली – रंग, विचार, उल्लास।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poem on holi in hindi, poet Satish Shekhar Srivastava - Parimal poems, poet Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava poems, कवि‍ताएँ, रंग बिरंगी होली आई रे, सतीश शेखर श्रीवास्तव, सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल, होली कविता, होली पर कविता, होली पर कविता हिंदी में, होली पर कविताएं, होली पर गजल, होली पर पंक्तियां, होली पर रंगबिरंगी मजेदार कविताएं, होली पर लिखी बेहतरीन कविताओं से चुनिंदा अंश, होली पर साहित्यिक कविता

होलिका दहन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ होलिका दहन। ♦

होलिका दहन (छोटी होली)

हवाएं जब भी बहना,
देश की संस्कृत में रहना।
पर्वत आये अथवा घाटी,
गांव शहर वा नव परिपाटी।

वैदिक सिद्धांतों में चलना,
सबका तुम कल्याण करना।
रंगीन रास्ते भी आएंगे,
फुसलाकर वहां ले जाएंगे।

माया को उल्लंघन कर जाते,
संसार सागर से भी तर जाते।
साधक के साधना गर पल्लवित,
पापों से मुक्ति और त्रिगुणातीत।

पक्षपात रहित वह हो जाता,
जब भक्ति मार्ग में रम जाता।
जो घृणा – द्वेष करता रहता,
परमात्मा को प्राप्त नहीं होता।

भक्त प्रहलाद विष्णु में रमता,
असुराधिपति मात्र हाथ मलता।
हिरण्यकश्यप विष्णु से जलता,
भगवान से घोर शत्रुता करता।

प्रह्लाद पिता पर नहीं चलता,
विष्णु भक्ति में तत्पर रहता।
दानव पुत्र मात्र दानव न होता,
धर्मात्मा पुत्र धर्म परायण ही!

विष्णु कृपा से प्रहलाद हुआ महान,
उसकी हत्या का पिता किया प्लान!
दानव निज बहन को दिया यह काम,
शाल होलिका ने मिली एक वरदान।

भक्त प्रहलाद की कयाधु है माता,
विष्णु जी थे उसकी भाग्य विधाता।
जब माता ने मन से प्रभु को पुकारा,
तब प्रहलाद बचे होलिका हुई स्वाहा।

आग से बचाने में साल दिखाती करामात,
जिसे ब्रह्मा ने होलिका को दिया वर के साथ।
छल छद्म में उसने प्रहलाद को लिया गोद में,
भली-भांति बर्बरता के थी वह आगोश में।

लोक दिखाओ कार्य से ईश्वर होता रूस्ट,
ध्रुव प्रहलाद सूर तुलसी मीरा में दी प्रभु भक्ति।
जब विशाल अलाव में होलिका संग प्रहलाद को देखा,
हवा को तत्काल बुलावा विष्णु जी ने भेजा।

हवा के संग – संग शीतलता भी वहां तभी आईं,
देवलोक की अप्सराओं ने भी मधुरिम गीत सुनाई!
होलिका के ऊपर से शाल प्रहलाद के ऊपर ऊढ़ाई,
वही होलिका को जलाकर प्रहलाद की जान बचाई।

हिरण्यकश्यप शिव का करता था बड़ा तप,
भगवान शिव की प्रसन्नता से मिला उसको एक वर।
नाय आकाश नहीं पाताल में मारा जाएगा!
उसे ना ही जानवर ना ही मानव मार पाएगा।

आशूरा अधिपति हिरण्यकश्यप को मारने,
नरसिंह रूप में भगवान विष्णु प्रकट होकर आए।
प्राप्त वर को ध्यान में रखकर संहारक बन ढाये,
नरसिंह रूपी नाखून प्रहार कर नव जीवन में पहुंचाएं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति व हिरण्यकश्यप के अहंकार को कविता के रूप में बताया हैं। होली रंगों का ही नहीं सामाजिक भेदभाव मिटाने एवं सामूहिकता का पर्व भी है। होली बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का पर्व भी है। इस बार हम होलिका दहन के साथ कोरोना वायरस का भी दहन करें तो फिर पहले की तरह सौहार्द्र पूर्ण वातावरण में एक-दूसरे से गले मिलते हुए होली मना सकेंगे। होली रंगों का त्योहार है और जीवन में रंग तभी तक हैं, जब तक परिवार-समाज सुरक्षित है।

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sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (होलिका दहन।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

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रंग बिरंगी होली आई रे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रंग बिरंगी होली आई रे। ♦

चल पड़ी मतवालों की ये टोली,
सबके होंठों पर सजी इक प्यारी बोली।
लो फिर से सजेगी रंगों की टोली,
प्रीति प्रेम की राह बनेगी होली।

होली के यंत्र-करण कई है,
संग जोड़ने वाले संबंध कई है।

रंग बिरंगे गर्द गुबारों से,
फिर से गुलालों की झड़ियों वाली है।
फिर से संवरेगी रंगों की हमजोली,
प्रीति प्रेम की स्रोत बनेगी होली।

कब तक रुष्ट रहोगे तुम सबसे,
कुछ तो बोलो क्यों हो गुमसुम तुम।

तुमको रंग लगाने में जाएगी गुम,
कटुता के कारावास से निकलो,
बन जाओ अब तो हमजोली।
फिर सजधज के आई रंगों की टोली,
प्रीति प्रेम की साधन बनेगी ये होली।

अंतस् में नहीं वंचना किसी के,
उत्तङ्ग बहुत है आत्मबल सबका।
होली के रंग बिरंगे कंगना,
उर पावन ब्रम्हद्रव से सजना।

अंत:सार भी निर्मल हो पूरा,
आनन अगर है परमप्रिय बोली।
फिर श्रृंगारित होती रंगों की होली,
प्रीति प्रेम की उर्मि बनेगी होली।

निकल पड़ी अलमस्तों की ये टोली,
सबकी जिह्वा पर इक ही बोली।
फिर बन-ठन कर आई रंगों की होली,
प्रीति प्रेम की निर्झर-सी बनेगी ये होली।

मंच (KMSRAJ51.COM) से जुड़े समस्त कवि/कवित्रियों को होलिका दहन एवं होली की शुभकामनायें।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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