• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for 2022-KMSRAJ51 की कलम से / हेमराज ठाकुर जी की कविताएं।

हेमराज ठाकुर जी की कविताएं।

क्यों कन्हैया?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ क्यों कन्हैया? ♦

त्रिलोकी नाथ तुम, सकल अधिष्ठाता,
चराचर जगत के बस तुम ही रचयिया।
जन्म से निर्वाण पर्यन्त कष्ट ही कष्ट,
अपने भाग्य में क्यों लिखे कन्हैया?

जन्म कारागार में, यमुना की जलधारा में
आकंठ पिता को क्यों था डुबाया?
कागासुर कभी शकटासुर गोकुल में,
पूतना जैसा हर संकट क्यों आया?

महिमा मंडन या दुख संसार की परिणति,
उद्देश्य जनार्दन था तुमने क्या ठाना?
या कुछ न था तुम्हारे भी हाथों में,
पर लोगों ने तो आपको ही प्रभु है माना।

वे रास लीला फिर विरह की पीड़ा,
राज पाया पर सुख कहां भोगा?
कंस, जरासंध फिर काल्यावन चढ़ाई,
कदम कदम का कौतुक, अब क्या होगा?

महाभारत फिर निज कुल का खात्मा,
अंत समाधि में बहेलिए के हाथों हुआ निर्वाण।
कुल की स्त्रियां जब भिलों ने सताई,
तब क्यों बचाने न आए तुम ओ भगवान?

क्यों न जीता अर्जुन तब भीलों से,
महाभारत विजयी धनुर्धर सखा महान?
अर्जुन वही था, वही गांडीव था,
फिर क्यों न चले, तब वे धनुष – बाण?

सवाल कई हैं जहन में आज भी,
होनी बड़ी है कि आप प्रभु, या फिर इंसान?
विधि का लेखा ही सबसे बड़ा है क्या?
या तुम सबसे बड़ा भी, है कोई और ही भगवान?

यह निश्चित है कि सृष्टि संचालक,
नियंता रचयिता है कोई न कोई जरूर।
जो हम ही होते स्वयंभू स्वयं तो,
क्यों होते फिर प्रकृति के हाथों यूं मजबूर?

याद करो प्रभु सहस्र विवाह अपने,
फिर भी प्रेम को तुमने क्यों न पाया?
राधा चाह कर भी क्यों एक न हो सकी?
यह सारा खेल तो हमारी समझ में न आया।

रामावतार में आकाश – पाताल खंगाले,
रावण से भिड़ कर भी सीता को पाया।
यहां तो हजारों विवाह कारा कर भी अपने,
आखिर, राधा रानी को क्यों था सताया?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कृष्ण कन्हैया से पूछा है की आखिर क्यों कन्हैया? तुमने अपने जीवन में जन्म से लेकर अंतिम समधी तक दुःख ही दुःख लिखे ? जन्म हुआ कारागार में, उसी समय तुम्हारे कारण पिता को यमुना में उतरना पड़ा, यमुना पार कर वृन्दावन तुम्हें नन्द व यशोदा जी के घर पर छोड़ना पड़ा। कागासुर तो कभी शकटासुर गोकुल में, पूतना जैसी राक्षसी और भी अनेकानेक का सामना करना पड़ा। मैं इसे क्या समझू ये भी तुम्हारी लीला थी या फिर कुछ न था तुम्हारे भी हाथों में, पर लोगों ने तो आपको ही प्रभु है माना। राज्यपाट भी मिला तो उसका भी सुख अच्छे से भोग न पाए अंतिम समय में तक कंस, जरासंध फिर काल्यावन चढ़ाई, कदम कदम का कौतुक, की अब क्या होगा? इस तरह के सवाल कई हैं जहन में आज भी, “होनी बड़ी है कि आप प्रभु, या फिर इंसान?”

—————

यह कविता (क्यों कन्हैया?) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, Krishna Janmashtami, poem in hindi, Poem On Krishna, कृष्ण जन्माष्टमी पर सुंदर कविता, क्यों कन्हैया?, क्यों कन्हैया? - हेमराज ठाकुर, जन्माष्टमी पर कविता, बाल कृष्ण पर कविता, श्री कृष्ण जन्म पर कविता, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

यह कैसी टीस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ यह कैसी टीस। ♦

बिन शोलों के चुभन सी होती है,
बिन जख्मों के ही होती है पीड़ा।
क्षण – क्षण दायित्व का बोझ झकझोडे,
बिन उठाए कोई दायित्व का बीड़ा।

तमाम उम्र के सिलसिले में, अब क्यों,
हर भाव गरियाने से लगते हैं?
कदम – कदम पर मृग तृष्णा से,
क्यों, हर सपने ठगाने से लगते हैं?

जब था न कुछ पास इस जिंदगी के,
तब हम कितने बेखबर, मालामाल थे?
आज होकर पास भी अपने सब कुछ,
क्यों लग रहे हैं, आप हम कंगाल से?

कुछ नहीं है यह जीवन उमंग भरा,
जहां कभी अपनों की ही तरक्की की रीस है।
जीवन की इस संध्या में आज अब,
छूटती हर शय की यह कैसी टीस है?

देह की दहलीज अब सूनी सी रहती है,
क्यों आता न अब कोई बुलाने वाला?
शेष रह गया है आज भी भाव क्यों?
हृदय के कोने में वह सताने वाला।

शिथिल श्वास अब हो रही है,
उष्मित भावों की दरकार कहां?
जीवन नदी के कूलों पर खोज रहा हूं,
क्यों, आते न मिलने सरकार यहां?

अनगिनत सवाल है,
घना बवाल है,
यह माया जाल है,
बड़ा कमाल है,
बस जी रहा हूं मृत्यु की प्रतीक्षा में।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आखिर क्यों हर किसी को अपने सगे सम्बन्धी व ज्ञात व्यक्ति की तरक्की देखीं नहीं जाती, सभी एक दूसरे का टांग खींचने में लगे रहते हैं। आखिर कहां खो गया ओ सादगी, प्रेम, विश्वास, सत्यता, प्यार, समर्पण व त्याग जिससे सभी के जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ थी। क्यों आखिर मन में ये किस तरह की टीस हैं जो सुकून से जीने नहीं देती। आखिर क्यों ? सभी एक दूजे के साथ दुश्मनों जैसी व्‍यवहार करते है, वह प्रेम शालीनता कहां खो गया? क्यों एक दूसरे का टांग खींचने में लगे रहते हैं? क्यों इंसान इतना ऊब जाता है की मृत्यु का इंतज़ार करने लगता हैं?

—————

यह कविता (यह कैसी टीस।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Inspirational Poems in Hindi, kavi hemraj thakur poems, Motivational Poems in Hindi, प्रसिद्ध प्रेरणादायक कविताएं, प्रेरणादायक कविता संग्रह, प्रेरणादायक हिन्दी कविताएँ, मोटिवेशनल कविता हिंदी में, मोटिवेशनल कविताएँ, यह कैसी टीस, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

आजादी का अमृत महोत्सव।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आजादी का अमृत महोत्सव। ♦

राष्ट्रधर्म का गौरव प्यारा, आज हम हैं देखो बढ़ाने चले।
आजादी का प्रतीक तिरंगा, आज घर-घर में हैं फहराने चले।

उत्तुंग शिखर हिमालय से लेकर, हिन्द महासागर तक फैला है।
अरुणाचल से गुजरात कच्छ तक, यह भारत देश ही छैला है।

दसों दिशाएं आलोकित जिसकी, है वीरता जिसके जर्रे- जर्रे में।
पुरुषार्थ छिपा है राष्ट्रप्रेम का, यहां जीवन याप के हर ढर्रे में।

तिरंगा है यह खिलौना नहीं, हर रंग का लहदा भाव निराला है ।
शौर्य, वीरता, शान्ति, समृद्धि, मध्य चक्र प्रतीक समय का डाला है।

वीर बलिदानियों की कुर्बानी की कहानी, तिरंगा याद दिलाता है।
इतिहास पढ़ा देता है वह बंदा, जो घर – घर तिरंगा फहराता है।

आजादी के दीवानों ने प्रणाहुतियों से, यज्ञ को सफल बनाया था ।
गुलामी की बेडौल जंजीरों से, भारत को आजाद करवाया था।

इसे संभालना, जश्न मनाना, अब तो हमारे ही हिस्से में आया है।
मिलजुल कर देश को बढ़ाने का, गुर पुरखों ने हमें सिखाया है।

आजादी के अमृत महोत्सव की, पावन बेला भारत में आई है।
बच्चे से बूढ़े, अमीर – गरीब ने, यह बेला सबने ही तो मनाई हैं।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — तिरंगा है यह खिलौना नहीं, हर रंग का लहदा भाव निराला है । शौर्य, वीरता, शान्ति, समृद्धि, मध्य चक्र प्रतीक समय का डाला है। यहां के बच्चों के अंदर जन्म से ही वीर रस भरा होता है, जिसे बस निखारने की जरूरत होती हैं। भारत का शौर्य अद्भुत व बहुत ही अनुपम हैं, दुश्मन का संस्कार भी करें अदब से गर तोड़े दम। पीठ पर कभी भी न करें वार यहाँ के वीर जवान। यह धरती है उन वीरों की जो देश पर होते है सदैव ही कुर्बान। तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।

—————

यह कविता (आजादी का अमृत महोत्सव।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: 15 अगस्त पर कविता हिंदी में, hemraj thakur, hemraj thakur poems, poem on independence day in hindi, short poem on independence day in hindi, आजादी का अमृत महोत्सव, आजादी का अमृत महोत्सव - हेमराज ठाकुर, आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता, आजादी के 75 वर्ष पर कविता, आजादी पर कविता, आजादी पर स्लोगन, वीर-गाथा, स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविता, स्वतंत्रता दिवस पर शायरी, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

रक्षा बंधन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रक्षा बंधन। ♦

धागा प्रेम का है यह बहना! राखी जिसको कहते है।
सृष्टि स्रष्टा विष्णु स्वयं भी, इसके बन्धन में रहते है।

भाई-बहन के पवित्र प्रेम का, सदियों से सम्बाहक रहा।
भारत वर्ष का बच्चा – बच्चा, इसका हमेशा चाहक रहा।

कब आए यह पर्व धरा पर? देव भी प्रतीक्षा में रहते हैं।
करती है दुआ खैर की बहना, तो सुरक्षा में भाई रहते हैं।

उदगार निराला भाव निराला, वरना धागे में क्या रखा है?
विश्वाश-प्रेम की नीव में जहां, रिश्तों का पत्थर रखा है।

ढहती नहीं है ईमारत कभी भी, भाई- बहन के रिश्तों की।
दुआ दे बहना और भाई सहारा, क्या जरूरत है फरिश्तों की?

बिखर जाए चाहे जमाना बहना! पर तुम यूं ही आती रहना।
आन पड़े कोई मुसीबत तो बहना! भैया से जरू कह देना।

राखी नहीं है महज इक धागा, यह प्रेम का प्यारा बन्धन है।
रक्षा बंधन के इस पावन पर्व का, दिल से आज अभिनंदन है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के पवित्र प्यार का प्रतिक है, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है। रक्षा बंधन पर बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके दीर्घायु व सुखी जीवन की प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बहन अपने भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है, की जीवन में जब भी उस पर कोई मुसीबत आएगा उसका भाई उसकी मदद के ली आ जायेगा। एक दूजे के चेहरे को देख मुसीबतें भाप लेते हैं, ऐसा होता है भाई बहन का रिश्ता। रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत समेत अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

—————

यह कविता (रक्षा बंधन।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: dhaage ka prem, hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, Poem on Raksha Bandhan in Hindi, Raksha Bandhan in Hindi, रक्षा बंधन क्या है इन हिंदी?, रक्षाबंधन का पर्व, रक्षाबंधन पर कविता, रक्षाबंधन पर कविताएँ, रक्षाबंधन पर कुछ कविताएँ, रक्षाबन्धन, राखी का त्यौहार, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान। ♦

वाह रे ओ खुदगर्ज! चौरासी श्रेष्ठ इंसान,
मैं हूं इंसान बस, मैं ही रहूंगा जिंदा।
निरीह प्राणियों की, बलि चढ़ा कर,
क्यों करता है इंसानियत को शर्मिंदा?

हिन्दू – मुस्लिम दोनों ढोंगी,
देव – खुदा का करते बहाना।
प्रथा तो यहां पर नर बली की भी थी,
काटना मुझ को, पकाना – खाना।

बकरों की बलि से सुधरे कुछ तो,
इंसानी बलि से फिर होगा कमाल।
नर बलि को तो कानून बना डाले,
वे कटते रहे और होते रहे हलाल।

वे देव कहां फिर दानव है सब,
जो खुश होने को लेते हैं किसी की जान।
वे इंसान कहां फिर राक्षस है सब,
जो अपनी सलामती में करते हैं निरीह कुर्बान।

वे बकरीद की नमाज में हलाली चाहते हैं,
ये मंदिरों में काट – काट के करते हैं पूजा।
मेरे लेखे ये दोनों ही नृशंस – निरीह हत्यारे,
न एक है धर्मी गुण ज्ञानी और न ही तो दूजा।

वेद – कतेब में कहां लिखी बलि?
कौन स्वीकारता है इनकी पूजा?
ये दानव संस्कृति के संवाहक सारे,
मानव संस्कृति में कौन है जूझा?

बकरे का बच्चा काट कर,
खुद के बच्चे की मनाते हैं खैर।
ईमान – धर्म तुम बांट रहे हो,
या कि, गुड में मिलाकर मीठा जहर ?

प्रलय – कयामत में क्या होगा?
जब खुदा – प्रभु की कचहरी होगी।
निरीह की होगी बल्ले – बल्ले,
तुम पर चोटें, गहरी होगी।

कुदरत सिखाती सत्य साहेब,
लॉकडाउन में क्यों सब बिन बलि रहे?
देव – खुदा का दोष नहीं सब,
इंसानी फितरत, क्या किससे कहे?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बकरीद पर जानवरों को लटका देना और धारदार हथियार से मौत के घाट उतार देना अत्याचार के सिवा और कुछ भी नही। पशु बलि देना किसी के लिये भी ठीक नही है। यह बच्चों में जानवरों के प्रति संवेदनशीलता को समाप्त करता है व उनमें हिंसा की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है। सनातन हिंदू धर्मं में कही भी इस बात की चर्चा नहीं की गई है की किसी देवी-देवता को किसी पशु-पक्षी या अन्य जीव की बली देनी चाहिए या बली देने से मनोकामना पूर्ण होती है या बलि देना अनिवार्य है। अपने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए धर्मांध बनकर निर्दोष-बेजुबान पशु-पक्षीओं का बलि देना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।

—————

यह कविता (वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, कवि‍ताएँ, क्या बलि देना पाप है?, धर्म के नाम पर बलि से क्या आशय है?, नेपाल में त्यौहार के नाम पर पशु-संहार, पशु बलि घोर अपराध हैं, पशु बलि देना किसी के लिये भी ठीक नही है, पशु-बलि का काला सच, पशुओं की बलि देना क्यूँ गलत है, मेरा गांव - हेमराज ठाकुर, वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान - हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। ♦

भारत देश की भव्य भूमि पर,
यह फिर से नया इतिहास गढ़ा।
महामहिम के प्रतिष्ठित पद पर,
आदिवासी नारी का नाम पढ़ा।

सन 1958 के 20 जून का दिन था,
ओडिसा का मयूरभंज वह जिला था।
बैदापोसी गांव के संथाल परिवार में,
मुर्मू को सरपंच के घर जन्म मिला था।

बिरंची नारायण टुडू पिता थे इनके,
दादा जी भी इनके ग्राम प्रधान ही थे।
जीवन में राष्ट्र सेवा की शुभ शुरुआत,
मुर्मू ने आरंभ की थी अध्यापिका से।

श्यामा चरण मुर्म से विवाह हुआ,
इनके एक बेटी है और दो बेटे थे।
अकाल मृत्यु ने पति – बेटों को लीला,
मुर्मू ने जीवन में सघर्ष संकट देखे थे।

1997 में पार्षद बनकर के था,
राजनैतिक जीवन शुरू किया।
दो बार विधायक भी बनी फिर,
था उड़ीसा में मंत्री पद भी लिया।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की,
उपाध्यक्ष भी तो रही है महामहिम जी।
आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय सदस्य बन,
आदि वासी समुदाय को तुमने बुलंदी दी।

2015 में झारखंड की राज्यपाल बनकर तुमने,
प्रथम आदिवासी राज्यपाल का खिताब लिया।
2022 में भारत की 15वीं महामहिम बनकर,
प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति का दर्जा प्राप्त किया।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — रद्रौपदी मुर्मू (जन्म : २० जून १९५८) एक भारतीय राजनेत्री हैं। इन्हें 21 जुलाई 2022 को भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। इसके पहले 2015 से 2021 तक वे झारखण्ड की राज्यपाल थीं। जीवन के संघर्ष व नकारात्मक समय से अपने आप को उबार कर आगे बढ़ने की सीख आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से मिलेगा।

—————

यह कविता (राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: Draupadi Murmu: झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक का सफर, hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, President Draupadi Murmu in hindi, द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी, द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू: भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

राखी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ राखी। ♦

अपने घर से मेरे घर तक,
पैदल ही तो तुम चली आती थी।
फुर्सत कहां थी तुम्हारे किसानी जीवन में,
वह तो खींच के, राखी तुम्हें यहां लाती थी।

आज कहां हो तुम बहना?
देख, कलाई मेरी सुनी है।
मैं पूछ रहा हूं विधि से बार-बार,
तूने जिंदगी देकर, मौत काहे को चुनी है?

रो रहा हूं भीतर ही भीतर,
पड़ोस में, बहने सबकी आई है।
उनके घरों में खुशियां हैं आज तो,
बहने जो राखी लाई है।

चीर डालो आज अंबर का सीना,
सूरज की किरणों पर बैठकर तुम आओ।
छोटा हूं मैं तुम्हारा बहना,
चांद – सितारे आज तुम मुझे पहनाओ।

निष्पाप प्रेम का बंधन यह बहना,
लोगों को, रेशम का जो धागा है।
क्या जाने ये कीमत राखी की बहना?
इनकी जिंदगी से, शायद कोई अपना ऐसा न भागा है?

अभी उम्र ही क्या थी बयालीस की,
क्यों छोड़ के तुम हमें चली गई?
पहले, भैया छोड़ कर चले गए, अब तुम,
हमारी तो जिंदगी ही जैसे छली गई।

जहां भी होंगे तुम, ओ बहना – भैया!
महफूज रहे तुम, सदा खुश रहना।
वहीं मनाना त्योहार राखी का तुम,
ओ सूरज – चंदा! तुम उनसे यह कहना।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — रक्षा बंधन का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षा बंधन को “राखी के पर्व” नाम से भी जाना जाता है, जो भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। रक्षा बंधन का अर्थ है ‘सुरक्षा का बंधन’। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है। भविष्य पुराण में एक कथा है कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दी। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए। यह घटना भी सतयुग में हुई थी।

—————

यह कविता (राखी।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Poem on Raksha Bandhan in Hindi, Raksha Bandhan Kavita For Brother & Sister, Raksha Bandhan Poem, रक्षाबंधन कविता, रक्षाबंधन का त्यौहार कब और कैसे शुरू हुआ?, रक्षाबंधन की कहानी क्या है?, रक्षाबंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है?, रक्षाबंधन पर कविता, रक्षाबंधन पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ, रक्षाबंधन पर्व का क्या महत्व है?, राखी पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

संवेदना।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ संवेदना। ♦

अरे भाई, न जाने इस भूपटल पर,
क्यों आज संवेदनाएं खो गई है?
विकल – व्यथित है बच्चा – बच्चा,
समूची मानवता क्यों रो रही है?

मानव – मानस में सिर्फ स्पर्धाएं रह गई,
सारा संवेदन खो गया।
आदमी – आदमी से लड़ – भीड़ रहा है,
न जाने यह क्या हो गया?

कहां तो थे यहां चौरासी से ऊपर,
मानव – मानस के कोमल भाव।
परहित में अपनी जाने गवा दी,
अब कहां गया वह मानव पड़ाव?

महल – अटालिकाएं खूब बनाई,
भाई – भाई में रहा न संवेदन – प्रेम।
बेहाता बहने पराई हो गई अब,
कौन पूछता है, उनका योग – क्षेम?

सास – ससुर से छुटकारा हो कैसे?
बहू – बेटियां भी ऐसा चाहती है।
जब बूढ़ों को ठुकराते बेटे उनके,
तब मानव संवेदना शर्मसार हो जाती है।

धान में सुलगी आग आज तो,
पराल भी कल जल जाएगा।
न जाने इन पश्चिम के अनुयायियों को,
यह सत्य समझ कब आएगा?

संवेदनहीन मानव, “मानव” कहां फिर?
वह पशु से भी बड़ा ढोर बन जाएगा।
यूं गिरता मानव – मानस कल तक,
समाज को, गर्त में ही ले जाएगा।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — “दिल की गहराई तक जो पहुंच कर अपने अनुभव कराएं संवेदना वह मानसिक प्रक्रम है, जो आगे विभाजन योग्य नहीं होता। यह ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करने वाली उत्तेजना द्वारा उत्पादित होता है, तथा इसकी तीव्रता उत्तेजना पर निर्भर करती है, और इसके गुण ज्ञानेन्द्रिय की प्रकृति पर निर्भर करते हैं।” जब माता-पिता बूढ़े हो जाते है तो आजकल के युवा पीढ़ी द्वारा खासकर नई नवेली बहु द्वारा बूढ़े सास-ससुर का अनादर व खरी-खोटी बोलना उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख देता हैं। ये युवा पीढ़ी यह कैसे भूल जाते है की जो वह जो अपने माता-पिता के साथ कर रहे है… उनका अपना पुत्र भी उनके साथ वैसा ही करेगा। एक बात याद रखे कभी भी आप अपने माता-पिता का अनादर कर जीवन के किसी भी क्षेत्र में तरक्की नही कर पाएंगे, माता-पिता का आशीर्वाद ही आपके सफलता का सीढ़ी बनता हैं। इसलिए कभी भी अपने माता-पिता का अनादर ना करें, वर्ना जीवन में कभी भी सुखी नहीं रह पाएंगे।

—————

यह कविता (संवेदना।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Hindi Kavita, hindi poetry, Hindi Shayari, Hindi Sympathy Poems, kavi hemraj thakur poems, poem on Sympathy, poem on Sympathy in hindi, poet hemraj thakur poems, sympathy in hindi, Sympathy Poem, कविता हिंदी में, संवेदना, सहानुभूति पर कविता, हिंदी में सहानुभूति पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

सागर और सरिता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सागर और सरिता। ♦

“सुनो सरिते रौद्र रूप धर,
क्यों तांडव तुम यूं करती हो?
है सहज सरल तुम शांत स्वभावी,
फिर दहशत क्यों तुम भरती हो?

आकंठ डुबाकर जनजीवन जल में,
क्यों त्राहि – त्राहि तुम मचाती हो?
रो उठते हैं प्राणी मात्र सब तब,
जब नीड़ उनका तुम बहाती हो।”

“मैं भूली बिसरी पावन सरिता,
हिमगिरी के शिखर से बहती हूं।
मैं कहां से निकली, कहां को जाती?
कभी, किसी से कुछ न कहती हूं।

गांव के पावन गलियारों में बहती,
पवनों में, शीतलता मैं ही देती हूं।
संचित कर के कृषित भूमि को,
मैं घट – घट को नवजीवन देती हूं।”

घाट – घाट पर तृप्ताती हूं सब को,
सब कूड़ा – कचरा जब मैं ढोती हूं।
सच कहती हूं मैं कुदरत की बेटी,
मानुषी करणी पर तब मैं रोती हूं।

क्यों भूल जाते हैं लोग मुझको?
तृषा नाशिनी मैं उनकी रोटी हूं।
निर्मल – पावन मैं आई गिरी से,
पिया तक पहुंचते मटमैली होती हूं।

जो जिसका किया वह उसे लौटाती,
मैं बदला कहां कब किसी से लेती हूं?
निज करणी का फल भोग रहे हैं सब,
तुम कहते हो मैं यह सब दंड देती हूं?

जिन जनी नहीं कोई जान जिस्म से,
प्रसव पीड़ा को वे भला क्या जाने?
मैं जननी हूं जलचर – थलचर की,
मेरी पीड़ा को भला वे क्यों माने?

मैं सज – धज – पावन निकली थी प्रियतम,
मटमैली गंदली होकर तुमसे मिलती हूं।
निर्दोष हूं मैं सनातनी परंपरा प्रवाहित,
निज प्रहारों से देहे कई की छीलती हूं।

“होती है मुझे भी पीड़ा तब प्रियतम
यह सब सुनकर सागर अकुलाता है।”
“मदहोश मानुष की यह जरूरत?” सागर,
सुनामी लहरों से आगबबूला हो जाता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति के पांच तत्व सलीके से अपना-अपना चक्र पूर्ण करते है, अर्थात प्रकृति के पांच तत्व तब तक मानव या जीव जंतु का नुकसान नहीं करते जब तक मनुष्य उनके प्राकृतिक रूप व पथ को अवरुद्ध न करें। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के पांच तत्व के साथ खिलवाड़ करता आ रहा जिसका परिणाम कहीं भूकंप, तो कहीं बाढ़, कहीं सुनामी, तो कहीं बर्फबारी और भी अनेकानेक रूप देखने को मिल रहे है, क्या नदी हो क्या समुद्र मनुष्य ने सभी के साथ खिलवाड़ किया हैं। हे मानव अब भी समय हैं सुधर जा वर्ना ये धरा तेरे रहने के लायक बिलकुल भी नहीं बचेगी। फिर कहां जायेगा तू रहने सोच जरा।

—————

यह कविता (सागर और सरिता।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur poems, Hindi Poems, kavi hemraj thakur poems, Poem on Nature in Hindi, poem on river in hindi, नदी और सागर पर कविता, नदी और हिमालय पर कविता, प्रकृति के पंच तत्व पर कविता, प्रकृति के पांच तत्व, सागर और सरिता, सागर और सरिता - हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

मेरा गांव।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मेरा गांव। ♦

सुदूर जो दिखती सुन्दर बस्ती, और घने पेड़ों की छांव है।
हवा के बहते जहां मंद पावन झोंके, यही तो मेरा गांव है।

इस बस्ती के बीचो बीच हरी – हरी, छोटी सी मेरी ठांव है।
लहलाती फसले जौ और गेहूं की, यही तो मेरा गांव है।

जहां पाण्डव शीला के पास थिरकते, स्कूली बच्चों के पांव है।
वह पहाड़ियों के बीच में घरों का टोला, यही तो मेरा गांव है।

किनारे से बहती कलकल खड्ड है, पेड़ों पर कौवों की कांव है।
नील आसमां से शुभ्र सूरज है चमके, यही तो मेरा गांव है।

घने वन जहां बने पड़े हैं, जंगली जीव – जंतुओं की ठांव है।
जहां वे बाग – बगीचे फुले – खिले हैं, यही तो मेरा गांव है।

जहां रहती है शांति बनी हमेशा, शोर – शराबे का न झांव है।
जहां मिलजुल कर रहता है हर आदमी, यही तो मेरा गांव है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अपने गांव के प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है, जहां पर है घने पेड़ों की छांव, शुद्ध हवा के बहते जहां मंद पावन झोंके, यही तो मेरा गांव है।
    इसी बस्ती के बीचो बीच हरी – हरी, छोटी सी मेरी भी ठांव है, जहां लहलाती फसले जौ और गेहूं की। जहां प्राचीन पाण्डव शीला है जिसके पास थिरकते मेरे गांव के स्कूली बच्चों के पांव है। वह पहाड़ियों के बीच में घरों का जो टोला दिख रहा है, यही तो मेरा गांव है। घने वन जहां खड़े हैं, जंगली जीव – जंतुओं की ठांव जहां है। जहां वे बाग – बगीचे फुले – खिले हैं, यही तो मेरा गांव है। जहां सभी शांति व प्रेम से मिल जुलकर रहते है, ऐसा प्यारा मेरा गांव है।

—————

यह कविता (मेरा गांव।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं। Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, kavi hemraj thakur poems, kavita, my village poem, poem on village in hindi, गाँव की याद, गाँव पर कविता, गांव पर कविता इन हिंदी, गाँव पर दिल छू लेने वाली कविता, मेरा गांव, मेरा गांव - हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर की कविताएं

« Previous Page
Next Page »

Primary Sidebar

Recent Posts

  • मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?
  • यही हमारा नारा है।
  • बल के लिए।
  • आन बान आउर शान बा।
  • सैनिक का सैनिक।
  • आज आजादी है हमको मिली तो।
  • हो जाओ तैयार।
  • पहले और अब – गणतंत्र दिवस।
  • बदलता भारत।
  • माँ की शिकायत।
  • गणतंत्र का महत्व।
  • गणतंत्र दिवस समारोह।
  • गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान।
  • देश की मिट्टी।
  • गाँव का जीवन।
  • दर्द ए दिल।
  • प्रकृति और खिलवाड़।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?

यही हमारा नारा है।

बल के लिए।

आन बान आउर शान बा।

सैनिक का सैनिक।

आज आजादी है हमको मिली तो।

हो जाओ तैयार।

पहले और अब – गणतंत्र दिवस।

बदलता भारत।

माँ की शिकायत।

गणतंत्र का महत्व।

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.