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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for विवेक कुमार

विवेक कुमार

हमारा बिहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Our Bihar | हमारा बिहार।

आर्यावर्त की जान,
जो है हिंद की पहचान,
आर्यभट्ट की धरती पर, बस एक ही नाम,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

कुंवर से जिनकी शान,
मुजफ्फरपुर की लीची, जिनकी पहचान।
मां जानकी की नगरी से बढ़ता, राज्य का सम्मान,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

जहां बुद्ध ने पाया ज्ञान,
जिनपर हमें है अभिमान।
शिक्षा का गौरव नालंदा, देश की पहचान,
वही है मेरा बिहार, वो हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

प्रथम गणराज्य की छवि महान,
वो वैशाली ही एक नाम।
जिनकी अमिट पहचान,
वो हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

पशुओं के मेले सोनपुर से बढ़ता, वैभव और सम्मान,
जैनों के पहले तीर्थंकर, महावीर भगवान।
ये है मेरा बिहार ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, ये है हमारा बिहार।

लिट्टी चोखा व्यंजन, अपने में है खास,
मधुबनी की पेंटिंग का, नहीं है कोई काट।
सिल्क सिटी का पहनावा, आता सबको रास,
ये है मेरा बिहार, ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार हमारा बिहार।

प्रथम नागरिक बने, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद,
चंपारण से बापू ने किया, आंदोलन शुरुआत।
दशरथ मांझी के सामने, पहाड़ भी हुआ निढ़ाल,
ऐसा मेरा बिहार,
बिहार बिहार बिहार हमारा बिहार।

आरक्षण ने दिलाया, बराबर का अधिकार,
महिलाओं में आया, सबलता का एहसास।
ये है हमारा बिहार, ये हमारा बिहार,
बिहार बिहार बिहार, हमारा बिहार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बिहार राज्य प्राचीन काल से ही ज्ञान, धर्म व शिक्षा का केंद्र रहा है, ये बुद्ध की भूमि हैं, यहाँ से ज्ञान व शिक्षा पूरी दुनिया को मिलता आया है। बिहार दिवस (भोजपुरी: 𑂥𑂱𑂯𑂰𑂩 𑂠𑂱𑂫𑂮) हर साल २२ मार्च को मनाया जाता है। यह बिहार राज्य के गठन को चिह्नित करता है। इसी दिन अंग्रेजों ने १९१२ में बंगाल से बिहार को अलग कर एक राज्य बनाया था। इस दिन बिहार में सार्वजनिक अवकाश होता है। बिहार भारत के राज्यों में से एक राज्य है। बिहार को राजनीति तथा सांस्कृतिक का एक केंद्र बिंदु कहा जाता है। बिहार राज्य में गंगा नदी और उनकी अन्य सहायक नदियों का स्थान बसा है।

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यह कविता (हमारा बिहार।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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होली के रंग खुशियों के संग।

Kmsraj51 की कलम से…..

Holi ke Rang Khushiyon ke Sang | होली के रंग खुशियों के संग।

फागुन की बयार लाए, मौसम की फुहार,
उदास मन में लाए नवीनता की बहार।
सूने चमन में छाए, उमंगों की खुमार,
अनकहे रिश्तों में लाए बेहतरीन निखार।

टूटे दिलों को जोड़े ऐसे रंगतों में सुमार,
फगुआ, आमोद प्रमोद का एकमात्र त्योहार।
आपसी भाईचारे को बनाता खास,
प्रेम बंधुत्व में घोलता, नई मिठास।

सूने जीवन को रंगीन बना, करता सपने साकार,
आपसी रंजिश मिटा, लोग होते गुलजार।
एक दूजे संग कड़वाहट भूला, होते एक,
लाल हरी पीली मगर गुलाल होते एक।

गालों पर लगी रंगों की लाली,
हाथ में सजी गुलाल से भरी थाली।
लगाकर एक दूसरे को गले, जतलाते प्यार,
ये बस एक रिवाज नहीं, है अनोखा त्योहार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — होली अर्थात – प्रेम, स्नेह व स्वार्थ से मुक्त आत्मिक रिश्ता, जहां अपने विकारों को त्याग कर, सभी के प्रति करुणा का भाव मन में रख सबका भला करना। सभी गीले शिकवे भुला कर प्रेम से सबका सम्मान करना व गले लगाना, सबकी मदद करने का भाव मन में प्रकट हो। रंगो की तरह सदैव ही जीवन खुशहाल हो सभी का यही संदेश देता ये महापर्व होली।

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यह कविता (होली के रंग खुशियों के संग।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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आन बान आउर शान बा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aan Baan Aur Shaan Ba | आन बान आउर शान बा।

आन बान आउर शान बा,
तिरंगा हम्मर जान बा।
मर जाईब, मिट जाईब,
इसकी खातिर दुनिया से,
भी लड़ जाईब।

सर पे कफ़न,
हाथ में कलम की धार बा।
सच्चाई, ईमानदारी,
अहिंसा हम्मर पहचान बा।

लोकतंत्र हमनी के सम्मान बा,
बसुधैव कटुंबकम,
बंधुता रग रग में बसल बा।
मिट्टी की सौंधी खुशबू
जिसका स्वाभिमान बा,
ओ कोई और नहीं,
हमर हिंदुस्तान बा।

आजादी के लिए कुर्बान,
वीरों की शहादत पर गर्व बा।
फर्ज की खातिर सभी जन,
जहां तिरंगे को कफन…
बनाने की रखते चाह बा।

उस राष्ट्र पे हमें नाज बा,
जहां गांधी, सुभाष, भगत जन्म लिए।
जान हथेली पर लिए हुए,
अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
उन नामों पे हम सब को गर्व बा,
आन बान आउर शान बा,
तिरंगा हम्मर जान बा।

जय हिन्द – जय भारत।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हम सभी का शान है तिरंगा, हमे गर्व है अपने तिरंगे पर, माँ भारती की सेवा के लिए सर पे कफ़न, हाथ में कलम की धार बा। सच्चाई, ईमानदारी, अहिंसा हम सबका पहचान है। हमे गर्व है अपने लोकतंत्र पर, हम सब बसुधैव कटुंबकम की भाषा जानते है, लेकिन यदि कोई गलत नज़र वाली आँख उठाएगा तो उसका जवाब भी देना जानते है। जिस मिट्टी की सौंधी खुशबू जो मिट्टी हम सभी का स्वाभिमान बा, ओ कोई और नहीं, हमारा हिंदुस्तान बा। आजादी के लिए कुर्बान हुए अपने वीरों की शहादत पर गर्व है हमे। फर्ज की खातिर सभी जन, जहां तिरंगे को कफन… बनाने की रखते चाह वह प्यारा हमर हिंदुस्तान बा। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (आन बान आउर शान बा।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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चलो हम नववर्ष मनाएं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चलो हम नववर्ष मनाएं। ♦

चलो आज करें शुरुआत,
निराशाओं को देकर मात।
मन के मैल को हटाएं,
तम को मन से दूर भगाएं।
जीवन में रौशनी फैलाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

दे बेसहारे को सहारा,
भूखे को देकर निवाला।
भटके को दिखाकर राह,
सबके मंगल की कर चाह।
मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

सब पर स्नेह लुटाकर,
मन को मंदिर बनाकर।
भेद-भाव मिटाकर,
स्वार्थ मोह सब त्यागकर।
परहित पर जीवन अर्पित कर,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

आओ हमसब मिलकर,
एक नई उमंग जगाकर।
ऐसा वातावरण बनाएं,
नव ज्योति का प्रकाश फैलाएं।
चारों ओर खुशहाली लाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

दीप से दीप जलाकर,
हाथ से हाथ मिलाकर।
चाहूं ओर सुख शांति लाएं,
न रहे कोई भूखा बेसहारा।
ऐसी निर्मल धारा बहाएं,
चलो हम नववर्ष मनाएं।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मानव सेवा ही प्रभु सेवा है, सभी आपस में मिलजुलकर जरूरतमंदो की मदद करें। देकर बेसहारे को सहारा और भूखे को देकर निवाला। भटके को दिखाकर राह सदैव ही सबके मंगल की कर चाह। मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाएं, चलो हम नववर्ष मनाएं। सब पर दिल से स्नेह लुटाकर, मन को मंदिर बनाकर। आपसी भेद-भाव मिटाकर, स्वार्थ मोह सब त्यागकर। परहित पर जीवन अर्पित कर, चलो हम नववर्ष मनाएं। हम अपनी रक्षा के लिए केवल शस्त्र उठाएं, निर्दोषों पर अत्याचार न करें कभी। उमंग के दीप से दीप जलाकर, हाथ से हाथ मिलाकर। आओ चाहूं ओर सुख शांति लाएं, कोशिश हो हम सबकी न रहे कोई भूखा बेसहारा। ऐसी निर्मल धारा हम बहाएं, चलो हम नववर्ष मनाएं।

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यह कविता (चलो हम नववर्ष मनाएं।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: kavi vivek kumar poems, Nav Varsh Kavita in Hindi, Naye Saal Par Kavita, vivek kumar, vivek kumar poems, चलो हम नववर्ष मनाएं, चलो हम नववर्ष मनाएं - विवेक कुमार, नव वर्ष पर कविता, विवेक कुमार, विवेक कुमार की कविताएं

मां के नव रुपों का दर्शन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मां के नव रुपों का दर्शन। ♦

मां की महिमा है बड़ी निराली,
उनके रूपों में दर्शन देती मां काली।
नवरात्रा में मां के नव रूपों के दर्शन को है मन खाली,
तरस रही अंखियां, बजा रही ताली।
मां के नव रूपों में रचा बसा जग संसार,
जगत जननी मां जगदम्बा तेरी महिमा अपरम्पार।

मां अपने प्रथम रूप में,
पहाड़ की बेटी शैलपुत्री का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी शैलपुत्रयै नमः
मंत्र उनका, नंदी है वाहन जिनका।

मां अपने द्वितीय रूप में,
भक्ति और तपस्या की,
मां ब्रह्मचारिणी का भाव दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी ब्रह्मचारणयै नमः
मंत्र उनका, रुद्राक्ष की माला सुशोभित करता जिनका।

मां अपने तृतीय रूप में,
राक्षसों का नाश करने वाली,
चंद्रघंटा का रौद्र रूप दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी चंद्रघणटयै नमः
मंत्र उनका, बाघ है वाहन जिनका।

मां अपने चतुर्थ रूप में,
ब्रह्मांडीय अंडे की देवी का रूप दिखाती।
उच्चारित करें ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मंडायै नमः
मंत्र उनका, महाशक्ति का रूप है जिनका।

मां अपने पंचम रूप में,
मातृत्व और बच्चों की देवी,
स्कंदमाता का ममत्व दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
मंत्र उनका, शेर है वाहन जिनका।

मां अपने षष्ठ रूप में,
शक्ति की देवी कात्यायनी का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
मंत्र उनका, योद्धा चरण में दुर्गा है जिनका।

मां अपने सप्तम रूप में,
शुभता और साहस की देवी,
कालरात्रि का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी कलरात्रयै नमः
मंत्र उनका, गधा वाहन है जिनका।

मां अपने अष्टम् रूप में,
सौंदर्य और महिलाओं की देवी,
महागौरी का आभास कराती।
उच्चारित करें ॐ देवी महागौरयै नमः
मंत्र है उनका, बैल है वाहन जिनका।

मां अपने अंतिम नवम रूप में,
अलौकिक शक्तियों की देवी की छवि दिखाती।
उच्चारित करें ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धादतयै नमः
मंत्र उनका, कमल का फूल वाहन है जिनका।
मां के रूपों में रचा बसा जब संसार,
जगत जननी मां जगदम्बा तेरी महिमा अपरम्पार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माता रानी के नव रूपों व गुणों का मनोरम वर्णन किया हैं। आज हम बात कर रहे हैं हमारे देश के सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) द्वारा मनाये जाने वाले नवरात्रि त्यौहार की, इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में लोग 9 दिन व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करके नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं। यह त्यौहार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। काफी जगह इस दिन लोग गरबा और डांडिया भी खेलते हैं। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों के लिए निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग-अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीको और विधियों के संग मनाई जाती है।

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यह कविता (मां के नव रुपों का दर्शन।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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हिंदी मेरी जान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिंदी मेरी जान। ♦

अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी,
दिल में प्रेम जगाती हिंदी।
जीवन सरस बनाती हिंदी,
हिंदी से ही है हमारी शान।
हिंदी ही हमारा अभिमान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

हिंदी से होती हमारी पहचान,
इससे बढ़ता राष्ट्र का मान।
हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमाती,
लोगों के मन को है लुभाती।
भाव का करती संचार,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़,
वो मजबूत डोर है हिंदी।
जन-जन की भाषा है हिंदी,
प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी।
इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

विशेषताओं से भरे भाषा का,
प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं।
आओ मिलकर करें प्रचार,
हिंदी का करें खूब विस्तार।
मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी, दिल में सदैव ही प्रेम जगाती हिंदी, जीवन सरस बनाती हिंदी, हिंदी से ही है हमारी शान। हिंदी ही हमारा अभिमान, वह हिंदी मेरी जान है, हम इस पर कुर्बान। जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़ती वो मजबूत डोर है हिंदी। जन-जन की भाषा है हिंदी, प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी। इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान, वह हिंदी मेरी जान। विशेषताओं से भरे भाषा का, प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं। आओ हमसब मिलकर करें प्रचार, हिंदी का करें खूब विस्तार। तब मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान, हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।

—————

यह कविता (हिंदी मेरी जान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है। ♦

हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है,
राष्ट्र का निर्माता एवं भविष्य का रक्षक हूं।
हां मुझे गर्व है कि मैं एक शिक्षक हूं,
मैं वो कुम्हार हूं,
जो कच्ची मिट्टी से घड़ा बनाता है।

मैं वो तेल हूं,
जो ज्ञान का दीप जलाता है।
मैं वो मार्गदर्शक हूं,
जो भटके को राह दिखाता है।
मैं वो सत्य हूं,
जो शिक्षा की गंगा बहाता है।

मैं वो राह हूं,
जो बच्चे बूढ़े सब का हमसफर बन जाता है।
मैं वो कलाकार हूं,
जो बिन रंग के जीवन रंगीन बनाता है।
मैं उस पल को जीता हूं,
जब मुझे लोग निर्माता कहते है।

मैं वो सखा हूं,
जो हर पल सजग रहने का पाठ पढ़ाता है।
मैं किसी का मां तो किसी का पिता हूं,
किसी का आस किसी का विश्वास हूं।
कामयाबी की डोर,
उम्मीदों को उड़ान देने वाला पंख हूं।
हां, मैं एक शिक्षक हूं,
हां, मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में गुरु की जगह कोई भी नही ले सकता। एक सच्चा गुरु सदैव ही सन्मार्ग पर चलकर मर्यादा पुरुषोत्तम ज्ञान व ध्यान से भरपूर जीवन जीने की कला सीखाता है। गुरु सदैव ही जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि चाहते है, उन्नत और प्रगतिशील जीवन के सूत्रधार है गुरु। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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शिक्षादान महादान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शिक्षादान महादान। ♦

ईश्वर से जिसका है ऊंचा मान,
जिसके ज्ञान से मिलता,
जग को मान और सम्मान।
निष्पक्ष, निष्पाप, निर्मल,
ऐसी काया है जिनके पास।
वो कोई और नहीं,
शिक्षक ही है वो नाम।

शिक्षा देना है उनका काम,
लालच लोभ से परे हट।
सतत कर्तव्यपथ पर चलते,
अविचल, अडिग, उत्साही बन।
देते अपने कार्यों को अंजाम,
छात्र को देते उनकी मंजिल तमाम,
पर हित का रखते, हर पल ध्यान।

छात्र उपलब्धि पर उनकी पीठ थपथपाए,
अपने अरमानों को दरकिनार कर।
छात्र को दे जो ऊंची उड़ान,
ऐसे शिक्षक पर हमें है अभिमान।
शिक्षा का जो करे दान,
उससे बड़ा ना कोई महान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में शिक्षादान से बड़ा कोई भी दान नहीं, शिक्षादान ही महादान हैं, शिक्षा से ही किसी भी इंसान के जीवन में आने वाली समस्याओं से बाहर निकला जा सकता हैं। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है। वो शिक्षक ही होते है जो हमें ईर्ष्या, हिंसा, अधर्म, चोरी जैसी बुरी आदतों से दूर रखते है। शिक्षक ही, सही आचरण, नैतिकता का पाठ पढ़ाते है, कर्तव्य, संयम और धैर्य से सही पथ पर चलना सिखाते है। भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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यह कविता (शिक्षादान महादान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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हर घर तिरंगा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हर घर तिरंगा। ♦

गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा,
पड़ा था हमारा हिन्दुस्तान।
भारतमाता तड़प रही थी,
जंजीरों में जकड़ पड़ी थी।

पराधीनता ने दिया चादर तान,
उबल पड़ा स्वतंत्रता की उड़ान।
गांधी बन आया एक ही नाम,
संग हुए संगी साथी जो थे महान।

लाल बाल और पाल की तिकड़ी,
बड़ी थी कमाल।
खुदीराम बोस, तिलक, राजगुरु ने,
आजादी का, बिगुल दिया था फूंक।

अंग्रेजों भारत छोड़ो,
सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने किया।
फिरंगियों को देश छोड़ने पर मजबूर,
सन 47 ने समझाया आजादी का मर्म।

पराधीनता से मिली निजात,
अमन, चैन की हुए शुरुआत।

आज आया जश्न ए आजादी का 75 वां साल,
इस पावन अवसर पर हमसब,
आजादी का अमृत महोत्सव मनाएंगे।
हर हाथ तिरंगा फहराएंगे।
हर घर तिरंगा लहराएंगे।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — तिरंगा है यह खिलौना नहीं, हर रंग का लहदा भाव निराला है । शौर्य, वीरता, शान्ति, समृद्धि, मध्य चक्र प्रतीक समय का डाला है। यहां के बच्चों के अंदर जन्म से ही वीर रस भरा होता है, जिसे बस निखारने की जरूरत होती हैं। भारत का शौर्य अद्भुत व बहुत ही अनुपम हैं, दुश्मन का संस्कार भी करें अदब से गर तोड़े दम। पीठ पर कभी भी न करें वार यहाँ के वीर जवान। यह धरती है उन वीरों की जो देश पर होते है सदैव ही कुर्बान। तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (हर घर तिरंगा।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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गुरु का वंदन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु का वंदन। ♦

मिट्टी को प्रभु ने आकार दिया,
दिया जीवन का वरदान।
मां ने नौ महीने गर्भ में ढोकर,
दिया जीवन जीने का सम्मान।

परिवार ने पाल पोसकर बड़ा किया,
बताया मेरी क्या है पहचान।
मैं मिट्टी का कच्चा घड़ा था,
था तपने को तैयार।

पक्का रूप दिया गुरु ने,
पढ़ाया सच्चाई का पाठ।
इंसानियत का मर्म समझाकर,
दिखाया सत्य की राह।

जीवन संघर्ष की गाथा है,
जूझना इससे मुझे सिखाया।
मात-पिता ने तो जीवन दिया,
सार बताया गुरु ने।

ईश्वर को मैने नहीं देखा,
देखा भी तो अपने पालनहार को।
जिनका मान है सर्वोपरि,
उनके बाद कोई है अगर,

वो है हमारे सृजनकार गुरु,
ईश्वर से ऊंचा दर्जा है उनका।
करते है हम उनका सम्मान,
बार-बार शीश झुका करते प्रणाम।

चंद शब्द गुरु के लिए,
आज ये मैं कहता हूं।
गुरु वंदन जग वंदन,
गुरु जीवन आधार।
गुरु बिना कछु ज्ञान नहीं,
हम उनके आभार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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यह कविता (गुरु का वंदन।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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