• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for हेमराज ठाकुर

हेमराज ठाकुर

शहीद दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

Shaheed Diwas | शहीद दिवस।

सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह को फंदे पर लटकाया था।
23 मार्च के दिन को इसी लिए ही शहीद दिवस मनाया था।

भारत मां के इन लालों ने, अंग्रेजों के नाकों चना चबाया था।
भारत को आजाद करवाने हेतु अपना बलिदान चढ़ाया था।

मेरा रंग दे बसंती चोला माए, कह कर जो फंदे पर झूल गए।
दुख होता है आज कि हम उनको, क्यों और कैसे भूल गए?

जब लुटती रहती बहु – बेटियां और बच्चे – बूढ़े पीटते जाते।
दावे से कहता हूं कि ऐसे में, इन वीरों को कोई भूल न पाते।

हैरान हूं जग की रीत को, सुख दिलाने वालों को भुलाया है।
महता उसको देते हैं, जो हाल में ही, हमारे जीवन में आया है।

खुश रहो पर याद रखो कि, यह आजादी पुरखों की थाती है।
खून बहाया है पुरखों ने, जिस पर नव पीढ़ी हक जताती है।

इसे सहेजना न कि गढ़े मुर्दों को कुरेदना, हमारी जिम्मेवारी है।
पर हमे तो मौज मस्ती में खो कर, हो गई भूलने की बीमारी है।

चलो जी कहें तो क्या कहें? आज हमारे हाथों में सरदारी है।
जमाने का प्रभाव है यह सब या कि, हमारी सोच नकारी है?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कितने दुःख की बात है की हमसब देशभक्त भारत माता के असली पुत्रों (सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह) को भूल कर, फालतू लोगो को याद रखते हैं। ये भूल ना जाना की आज जो तुम्हे आज़ादी हैं ये इन्हीं की दें है, जो इनके बलिदान से ही मिला है। जान हथेली पर लेकर सभी दुश्मन का चीर सीना दिया। फिर से वीर भारत माँ के शहीद (सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह) हो गए । याद करेगा तुमको ये भारत सदैव और वंदे मातरम् गायेगा। फिर से वीर भारत माँ के शहीद हो गए।

—————

यह कविता (शहीद दिवस।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Hindi Kavita, poem on shaheed diwas in hindi, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, प्रेरणा देने वाली कविता, वीरता का संदेश देने वाली कविता, वीरों पर कविता, शहीद दिवस, शहीद दिवस - हेमराज ठाकुर, शहीद दिवस पर कविता हिंदी में, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

नव संवत्सर आया है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Nav Sanvatsar Aaya Hai | नव संवत्सर आया है।

आओ रे भैया, आओ री बहना, नव संवत्सर आया है।
हमारे पुरखों ने भारत में, नया साल यहीं से मनाया है।

ब्रह्मा ने सृष्टि रची, राम, युधिष्ठिर राज्याभिषेक कराया है।
अंगददेव और संत झूलेलाल, इसी दिन जग में आया है।

चैत्र नवरात्र का शुभारम्भ है भाई, नव संवत्सर मनाया है।
विक्रमादित्य ने विक्रमी संवत को, इसी दिन से चलाया है।

दयानन्द ने इसी दिन ही, आर्य समाज स्थापित कराया है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हेडगेवार, आज जग में आया है।

भूल न जाए नई पीढ़ी, निज संस्कृति को याद करवाया है।
हमारे पुरखों ने सदियों से, नया साल आज से ही मनाया है।

रक्त में रवानगी, मौसम में दिवानगी, ले कर यह पर्व आया है।
चारो ओर को हरियाली ही हरियाली का आलम छाया है।

फैसले है लहलाती, तरु है फूले, वन पांखी कुल चहचाया है।
कुदरत के कण – कण ने मानो, आज नव संवत्सर मनाया है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — विक्रम-संवत के अनुसार नव वर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ‘विक्रम संवत’ अत्यंत प्राचीन संवत है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय संवत ‘विक्रम संवत’ ही है। ‘विक्रम संवत’ के उद्भव एवं प्रयोग के विषय में विद्वानों में मतभेद है। मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व ५७ में इसका प्रचलन आरम्भ कराया था। फ़ारसी ग्रंथ ‘कलितौ दिमनः’ में पंचतंत्र का एक पद्य ‘शशिदिवाकरयोर्ग्रहपीडनम्’ का भाव उद्धृत है। विद्वानों ने सामान्यतः ‘कृत संवत’ को ‘विक्रम संवत’ का पूर्ववर्ती माना है। विक्रम संवत :​​ विक्रम संवत में सभी का समावेश है।

—————

यह कविता (नव संवत्सर आया है।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Hindu New Year Poem in Hindi, Poem on Hindu New Year, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत, नव संवत्सर आया है, नव संवत्सर आया है - हेमराज ठाकुर, विक्रमी संवत, विक्रमी संवत पर कविता, विक्रमी संवत पर कविता हिंदी में, हिन्दू नव वर्ष पर कविता, हिन्दू नव वर्ष पर सबसे शानदार कविता, हिन्दू नववर्ष पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

यह डूबती सांझ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yah Doobati Sanjh | यह डूबती सांझ।

यह डूबती सांझ देखो, लेके, घना अंधेरा आएगी।
दिन भर की आपाधापी से, हमे मुक्ति दिलाएगी।

यह बात सच है कि यह, दैनिक प्रकाश छुपाएगी।
यह भी तो सच है कि, यह अपनी गोद में सुलाएगी।

मुमकिन है यह कि रात अंधेरी, हर दृश्य छुपाएगी।
पर यह भी वाजिब है कि, यह स्वप्न भी दिखाएगी।

कौन कहता है कि हर सांझ, दिवस को ही खाएगी?
मालूम है जग को यह भी कि, फिर नई भोर आएगी।

नाउम्मीदी में जीने से तो हमेशा, निराशा ही छाएगी।
सांझ ही तो रात को ला कर, सब थकान मिटाएगी।

आशावान को तो यह सांझ, पास मंजिल सी भाएगी।
निराशावान के लिए तो उसका, सारा संसार खाएगी।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हम सब ये जानते है की सूर्यास्त के बाद शाम होगी ही और शाम होगी तभी रात भी होगा और इंसान दिन भर के कार्य से थका हारा आराम की नींद, ले पाता है जिससे उसकी सारी थकावट दूर होती है। आशावान को तो सदैव ही यह सांझ, पास मंजिल सी भाएगी, लेकिन निराशावान के लिए तो उसका, सारा संसार खाएगी। क्योकि आशावान जनता है की फिर भोर होगी और सूर्य उदय होगा। इसी तरह से जीवन में भी जब चारों तरफ से मुसीबत आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि कोई भी समय लंबे वक्त तक नहीं रहेगा, उसके बाद अच्छा समय भी आएगा। इसलिए सदैव ही आशावान बने रहे और अच्छे कार्य करते चले जीवन में, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

—————

यह कविता (यह डूबती सांझ।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Hindi Poems, motivational poem in hindi, poem on sinking sun in hindi, जीवन का सार पर कविता, जीवन जीने की प्रेरणा देने वाली कविता, यह डूबती सांझ, यह डूबती सांझ - हेमराज ठाकुर, संघर्ष और सफलता कविता, सीख देने वाली कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

आई है होली।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aaee Hai Holi | आई है होली।

होली रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

आई है होली चौहूं ओर लोग झूमे हैं नाचे, रंगों की बौछार है।
किसी के दिल में वासनाएं हैं घनी, किसी के प्यार ही प्यार है।

आई है होली हरदम हृदय को, छेड़-छेड़ कर ये आती है।
फाल्गुन मास की यह क्रीड़ा, किसके मन को न भाती है?

कुदरत करती है वसंती श्रृंगार, तो हवा भी होती मदमाती है।
फूलों से सजते वन उपवन हैं, चौहूँ ओर से खुशबू आती है।

होलिका दहन से उपजी यह क्रीड़ा, ऐसे ही बस चलती है।
बुराई का दहन अच्छाई का वहन, परम्परा यूं ही फलती है।

बरसाणे की होली, कृपाण व गोली, रक्तिम रंग से खेली है।
वे प्रेम के रंग से खेले, इन्होंने प्रणाहुतियों की पीड़ा झेली है।

मलिन मन क्या जाने होली का उत्सव? पावनता जरूरी है।
तन के रंगने से नहीं मन के रंगे बिन, होली सबकी अधूरी है।

मौसम के बदलाव की, नव फसलों के उगाव की, यह धुरी है।
संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की, होली की क्रीड़ा पूरी है।

उछलते कूदते, नाचते गाते, खलियानों में युवक युवती है।
बाल वृद्ध सबको निज पाश में, बांधने की इसमें युक्ति है।

वीर शहीदों ने फिरंगी संघ, होली खेल के यातनाएं भुक्ति है।
प्रेम गुलाल से जो खेलेगा होली, उसी के लिए यह मुक्ति है।

नदी मानिद बहती परंपराएं, विकार आए हो कहां रुकती है?
भारत की अनूठी पर्व यात्रा, किसी के टोके कहां टूटती है?

बहन, भाई, मां, बेटी, पत्नी, पिता को, होली के रंग ही लहदे हैं।
प्रेम है सब में, पर रूप अनेक है, यही तो रिश्तों के ओहदे हैं।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आत्मिक प्रेम, निस्वार्थ स्नेह, करुणा व मानवता का पवित्र महापर्व होली हैं। अपने सम्पूर्ण विकारों को अग्नि को समर्पित कर एक अच्छे व सच्चे योगी जैसे पवित्र जीवन के नियमों के अनुसार जीना ही सच्ची होली हैं। याद रहे मलिन मन क्या जाने इस होली का उत्सव? पावनता तो जरूरी है। तन के रंगने से नहीं मन के रंगे बिन, होली सबकी अधूरी है। मौसम के बदलाव की, नव फसलों के उगाव की, यह धुरी है। संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की, होली की क्रीड़ा पूरी है। बहन, भाई, मां, बेटी, पत्नी, पिता को, होली के रंग ही लहदे हैं। प्रेम है सब में, पर रूप अनेक है, यही तो रिश्तों के ओहदे हैं। भक्त प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप के वध के बाद वे ही असुरों के सम्राज्य के राजा बने थे। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन हुए और विरोचन से महान राजा बलि का जन्म हुआ जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बलि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी।

—————

यह कविता (आई है होली।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, आई है होली।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, Holi Kavita, holi par kavita, poem on holi in hindi, आई है होली, आई है होली - हेमराज ठाकुर, रंगों से संबंधित कविताएं, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं, होली पर कविता, होली पर कविता हिंदी में, होली पर प्रेरणादायक कविता

पिता की सीख ही सच्ची थी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Pita Ki Seekh Hi Sacchi Thi | पिता की सीख ही सच्ची थी।

“कहलाना तो है मानव हमको,
पर पशु सा हमे सब करने दो।
पिता हो तुम तो फिर क्या हुआ?
हमे मर्जी से ही सब करने दो।”

“जन्म दिया और पाला – पोसा,
पढ़ाया – लिखाया, बड़ा किया।”
“कौन सा तीर मारा है तुमने?
फर्ज मां – बाप का अदा किया।”

“धन्य लला तुम जो जान खपा कर,
आज तुमसे ये शब्द उपहार मिला।
नेकी कर दरिया में डाल का उम्दा,
पितृ कर्म का उत्तम उपकार मिला।

निवाला अपने मुंह का छीन कर,
तेरे मुंह में, इसी लिए ही डाला था?
नूर गंवाया, तेरी मां ने तुझे जनाया,
क्या इसी लिए ही तुझे पाला था?”

सुन भारी-भरकम बोझिल शब्द पिता के,
हुए अनुगुंजित अधिभारित अनुशासित थे।
हुए अंकुशित बुद्धि के घोड़े डर बेदखली के,
पर मनोभाव तो अभी भी त्यों विलासित थे।

होते ही जायदाद नाम अपने पिता की,
हुआ बेटा फिर से आपे से ही बेकाबू था।
उद्भासित पिता के अनुभव को भुला कर,
किया दूर प्रयोग से विवेक का तराजू था।

कुछ यारों ने लुटा, कुछ विकारों ने लुटा,
शेष कुछ लूट गई बेवफा महबूबा थी।
पिता की कमाई तो जाती रही हाथ से,
खुद के लिए तो कमाई उसे अजूबा थी।

पिता की पीठ में बजे नगाड़े की धुन,
समझा, कितनी मीठी, कितनी खट्टी थी।
मालामाल था, कंगाल हो लिया था जब,
तब समझा, पिता की सीख ही सच्ची थी।

गर्म खून था ठंडने लगा जब उसका,
लगा तोलने हर सौदा विवेक तराजू से।
संभलती दुकान फिर से जिंदगानी की,
तब तक जा चुकी थी ताकत ही बाजू से।

पछतावा तो था पर किस काम का ?
चिड़िया ने चुग लिए खेत अब सारे थे।
स्मृति पटल में अनुगुंजित शब्द पिता के,
अब समझा कि उनमें कौन से इशारे थे?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पिताजी मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हुए मेरा हौसला बढ़ाते हैं। पिता से अच्छा मार्गदर्शक कोई हो ही नहीं सकता। हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं। उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, जो कभी खत्म नहीं होता। आमतौर पर एक बच्चे का जुड़ाव सबसे अधिक उसके माता-पिता से होता है क्योंकि उन्हीं को वो सबसे पहले देखता और जानता है। माँ-बाप को बच्चे का पहला स्कूल भी कहा जाता है। लेकिन आजकल के बच्चों को हो क्या गया है ओ यह क्यों भूल जाते है की जैसा ओ अपने माता-पिता के साथ करेंगे वैसा ही उनके बच्चे भी उनके साथ करेंगे। एक बात याद रखें – पिता सदैव ही अपने अनुभव से आपको अच्छी सीख देते है, उनका कभी भी अनादर न करे, माता-पिता का यदि आप अनादर करेंगे तो सबकुछ मिल तो जायेगा लेकिन वह जल्द ही ख़त्म भी हो जायेगा। उनकी दुआओ व सीख से ही आप जीवन में आगे बढ़ेंगे।

—————

यह कविता (पिता की सीख ही सच्ची थी।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, hindi poem on father and son, poem on life in hindi, short poem in hindi, कविता हिंदी में, छोटी सी कविता हिंदी में, पिता का साया कविता, पिता की सीख ही सच्ची थी, पिता की सीख ही सच्ची थी - हेमराज ठाकुर, पिता के लिए कविता हिंदी में, पिता पर 4 पंक्तियां, पिता पर छोटी सी कविता, मनुष्य का जीवन चक्र, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

यह अकेला है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yah Akela Hai | यह अकेला है।

हमने जाड़े की सर्दी है झेली,
हर गर्मी का मौसम है झेला।
वसन्त ऋतु की बहारें हैं देखी,
देखा वर्षा ऋतु का क्रुद्ध खेला।

स्मृति के विलासित गहवार में,
हैं उभरती धंसती कई यादें।
हसरतें जो कुछ थी पूरी हुई,
रह गए अधूरे ही थे कई वादे।

इस जिन्दगी के अधूरे सफर में,
खूब है देखा यह जग का मेला।
किसी के धन की अम्बर है देखी,
किसी के नसीब में न देखा धेला।

अजूबों से भरी इस दुनियां में,
मैंने सपने सबके अधूरे देखे।
राजा रंक सब परेशान हैं देखे,
किसी के ख़्वाब नहीं पूरे देखे।

किसी को अहम से इठलाते देखा,
तो किसी को शर्म से शर्मिंदा देखा।
अमीर – गरीब सबको मरते हैं देखा,
किसी को सदा न यहां जिन्दा देखा।

पर होड़ाहोड़ी और आपाधापी में,
निरन्तर छटपटाते हैं सबको देखा।
लक्ष्मण रेखा को लांघते जो संघर्ष में,
उनको समाज द्वारा नकारते हैं देखा।

अजीब करिश्मा है इस जीवन का,
इस भीड़ भड़ाक में यह अकेला है।
इस जीवन ने अपने पूरे सफर में,
हर वफा व छल प्रपंच को झेला है।

यह जीवन इस जग के लगभग,
हर सम्भव सुख दुख से खेला है।
हसरतें तो थी आकाश में उड़ने की,
पर जीवन की हद ने इसे नकेला है।

अनुभव में जो आया है अब तक मेरे,
कि यह जीवन तो निरन्तर अकेला है।
आया इस दुनियां में यह अकेला ही था,
जाता भी इस दुनियां से यह अकेला है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते है, लेकिन एक बात सदैव ही कॉमन होती है, कोई भी मनुष्य आता भी अकेला है और सदैव जाता भी अकेला ही है, कुछ साथ भी लेकर नही जाता है, तो सोचने वाली बात है की फिर मनुष्य अपने जीवन में अहंकार क्यों करता है, इतना गुमान किस बात का करता है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि शरीर का निर्माण पांच तत्वों-पृथ्वी, जल, आकाश, वायु व अग्नि और तीन गुणों- सतो (सत), रजो (रज) व तमो (तम) से हुआ है। इसके बाद ब्रह्म का अंश जीव के रूप में शरीर में प्रवेश करके उसे जीवात्मा बनाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रकृति के गुण जीव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिस प्रकार मनुष्य बाल्यावस्था से प्रौढ़ावस्था और प्रौढ़ावस्था से वृद्धावस्था तक पारिवारिक जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हैं, उसी प्रकार परिवार भी विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हैं।

—————

यह कविता (यह अकेला है।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, poem on life in hindi, short poem in hindi, कविता हिंदी में, छोटी सी कविता हिंदी में, मनुष्य का जीवन चक्र, यह अकेला है, यह अकेला है - हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

आम जनता को कब मिलेगा उसका हक।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aam Janta Ko Kab Milega Usaka Hak | आम जनता को कब मिलेगा उसका हक।

शहरातीयत की धक्कम-पेल, ठेलम-ठेल, रेलम-रेल और तिकड़मबाजी तो आज से पहले खूब देखी और सुनी थी पर हस्पताल में भी ऐसा परिदृश्य होता होगा कभी सोचा नहीं था। हर कोई बस इसी जद में लगा है कि मेरा नम्बर पहले लगना चाहिए, मेरा नम्बर पहले लगना चाहिए। सब्र रखने का शायद किसी को वक्त ही नहीं है। बहुत से लोग स्वार्थ और अमानवीयता को यहां भी नहीं छोड़ते और बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो इंसानियत की मिसाल पेश करते हैं। बाहर रेहड़ी – फहड़ी तथा रेस्टोरेंट जैसी श्रेणी का खाना बनाने वाले ढाबे व सरकारी कैंटीन आदि वाले खाने-पीने के सामान में जहां मोल भाव करते हैं, वहीं कई लोग गरीबों और मरीजों तथा उनके परिजनों को निशुल्क भंडारा भी तो लगाते हैं।

इस कला में प्रवीण सिख धर्म के लोगों के हुनर को भला कौन नहीं जानता। ये भंडारा लगाने वाले लोग पकड़-पकड़ कर सभी को भंडारा मुफ्त में खिलाते हैं, चाय पिलाते हैं, उनके जूठे बर्तन धोते हैं और भी सेवाएं निशुल्क प्रदान करते हैं। तब लगता है कि दुनियां में दया और धर्म खत्म कहां हुआ है। वह तो आज भी जिंदा है। पर जब दवा और शल्य चिकित्सा के सामानों के दामों को एक दूसरे दुकानदारों के साथ तुलना करके देखते हैं तो लगता है कि दुनियां में चोर बाजारी बहुत है। सच क्या है झूठ क्या है? कुछ कहते नहीं बनता।

उस रोज रात 2:00 बजे जब हम मेरे बेटे को अति संवेदनशील हालत में पी जी आई चंडीगढ़ में लेकर पहुंचे तो वहां के आपातकालीन विभाग का परिदृश्य कोलकाता के मछली बाजार से कम नहीं था। कोई आ रहा था तो कोई जा रहा था। कोई सांस ले रहा था तो कोई साथ छोड़ रहा था। कुछ लोग तो प्राण छोड़ कर के ही इस संसार को हमारी आंखों के सामने अलविदा कह गए थे। खैर, जन्म और मरण तो इस संसार के सनातन सत्य है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में यूं ही उपदेश नहीं दिया कि अर्जुन इस संसार में जो आया है वह एक दिन जाएगा जरूर। पर राहत प्रदान करने वाली जगह भी किसी के दिल को इतना आहत करेगी, कभी सोचा भी नहीं था।

मेरे बेटे को मैंनेनजाइंटिस नामक दिमागी बीमारी ने अचानक बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरे जिले के स्थानीय अस्पताल में उस बीमारी का इलाज संभव ना होने के कारण चिकित्सक लोगों के द्वारा हमें पी जी आई चंडीगढ़ रेफर किया गया। रास्ते में जब हम एंबुलेंस में आ रहे थे तो सांसे गले में आकर अटकती जा रही थी कि न जाने कब और क्या घटना घट जाए ? शायद मैं अपने बेटे को खो न बैठूं। बाप जो हूं, ऐसे उल जलूल ख्यालात आना कोई नई बात नहीं थी। भगवान का शुक्र है कि हम सही सलामत पी जी आई पहुंच गए। उस भीड़ भड़ाके के बीच में रात 2:00 बजे बेटे की हालत को देखकर आपातकालीन विभाग ने दाखिला दे दिया था और सुबह 6:00 बजे तक सभी प्रकार की जांचें द्रुत गति से आपातकालीन विभाग के चिकित्सकों ने करवा ली थी।

बेटे को दर्द बहुत था। सर फटा जा रहा था। क्योंकि सर में दिमागी इंफेक्शन हो गया था। इस भीड़ को देखकर जो मेरे भीतर बेटे की उस पीड़ा को लेकर के एक अजीबोगरीब पीड़ा थी वह सहसा शान्त होती जा रही थी। चारों तरफ स्ट्रेचर पर ट्रॉलियों के ऊपर हर उम्र के छोटे – बड़े और हर प्रकार के मरीज चीख – चिल्ला रहे थे। अब मुझे औरों का दुख घना और अपना हल्का लग रहा था। यह बात जरूर है कि मेरा बेटा दिमागी रूप से बहुत परेशान था। उससे कोई बात नहीं हो पा रही थी और वह अपना दिमागी संतुलन पूर्ण रूप से खो चुका था। पर फिर भी उस चीर-फाड़ भरे मंजर को देखकर, छोटे – बड़े हर रोगियों की चीख-पुकार को सुनकर तथा प्राणों के संघर्ष को हारते हुए अपनी जीवन यात्रा का सफर इस दुनिया से उस दुनिया की ओर करते हुए लोगों को देखकर मेरी आंखें नम हुए जा रही थी।

ऐसा नहीं है कि मैं पहले अस्पताल में कभी नहीं आया था। मैंने दादी मां, छोटे ताया श्री, मंझले भैया तथा दोनों चाचाओं, बड़े तय – ताई के साथ-साथ अपनी सगी बहन को अपनी आंखों के सामने संसार छोड़ते देखा था। कई बार अस्पताल आ चुका था। भीड़ भी कई बार देख चुका हूं। पर जिस तरह की भीड़ और चीख-पुकार मैंने इस बार पी जी आई की आपातकालीन सेवा में देखी थी, वह अति भयानक परिदृश्य था।

आम अस्पतालों में चिकित्सकों को बार-बार हिदायत देते हुए सुना है कि ऐसे खुले वातावरण में ऑपरेशन किए हुए रोगी को या गंभीर हालत के रोगी को कभी नहीं रखना चाहिए। इंफेक्शन का डर रहता है। पर यह क्या? यहां तो हर कोई मरीज बिना बेड के बाहर स्ट्रेचर पर ही लेटे – लेटे अपना पूरा इलाज कर लेता है और यहीं से घर चला जाता है। जिन्हे जीना हो, वे तो जी जाते हैं पर जिन्हें संसार छोड़ना है वे भी यहीं पर अपने प्राण त्याग देते हैं।

हस्पताल की आलीशान पथरीली दीवारों से अपना हाड – मांस का माथा बार – बार टकराता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि हे प्रभु! सबका भला करना। सबका पहले और मेरा पीछे। दिल की पीड़ा जितनी अपने बेटे के लिए सता रही थी, उससे कहीं ज्यादा आस – पास शल्य चिकित्सा से चीर – फाड किए हुए सरों वाले छोटे छोटे बच्चों को देखकर हो रही थी। सोचता हूं कि इन बच्चों ने इस छोटी सी उम्र में ऐसा क्या कर लिया कि ये इतनी गम्भीर दिमागी बीमारी के मरीज हो गए। खैर यह दुनियां है।फिर हस्पताल की दुनियां। जहां एक ओर बच्चों को जनने वालों की खुशी झलकती है तो दूसरी ओर से देह त्यागने वालों के परिजनों की पीड़ा दिखती है। सचमुच किसी ने ठीक ही कहा है कि यह संसार बड़ा रंगीन है।

फिर भीतर ही भीतर व्यवस्था और सत्ता के प्रति गहरी रोष उमड़ती है कि आजादी के 75 साल बीत गए पर हमारे हुक्मरान और अफसरान अभी तक आम और सर्वहारा वर्ग को स्वास्थ्य, शिक्षा और न्याय जैसी मूलभूत सुविधाओं को निशुल्क और अच्छी व्यवस्था के साथ क्यों नहीं मुहैया करवा पाए? देश के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की उस बात का ख्याल मस्तिष्क में पुनः गूंजता है “देश की जनता को कुछ भी मुफ़्त नहीं देना चाहिए। इससे जनता की आदत बिगड़ती है और देश कभी प्रगति नहीं करता। मुफ़्त यदि कुछ मिलना चाहिए तो वह है, स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था और न्याय व्यवस्था।” कोई कुछ भी कहे बात सोलह आने सही है। आज के दौर में यदि जेब में पैसा न हो तो उपरोक्त तीनों मूलभूत सुविधाओं से आदमी को हाथ धोने पढ़ सकते हैं।

यूं तो कहते हैं कि आदमी के आगे पैसा कुछ भी नहीं है। कुछ हद तक यह सत्य भी है। आदमी ही जिंदा नहीं रहेगा तो पैसों का क्या अचार डालोगे? पर जब इस तरह की गंभीर बीमारी के चक्कर में निम्न मध्य वर्ग और उच्च मध्यवर्ग के साथ-साथ गरीब व्यक्ति फंसता है तो यही पैसे बहुत काम आते हैं। खैर जैसे ही मेरे बेटे की बीमारी की खबर मेरे इष्ट मित्रों और रिश्तेदारों में पहुंची। वैसे ही सभी ने उनके लिए ईश्वर से दुआ की। कहते हैं दवा से बड़ी दुआ होती है। शायद यह असर उन सबकी दुआओं का ही था कि आज मेरा बेटा उस भयानक बीमारी के जीवन नाशक खतरे से लगभग बाहर है। सबकी दुआ में असर होता है और भगवान उस सामूहिक पुकार को सुनता है।शायद परमात्मा ने सबकी सुनी और मानी।

हैरत इस बात की है कि देश को सबसे अधिक कर देने वाली और सबसे अधिक परिश्रम देकर उन्नत करने वाली इतनी बड़ी जमात को सरकार इस तरह से गैलरियों और बरामदों में जीने – मरने के लिए क्यों छोड़ देती है? पी जी आई की आपातकालीन सेवाओं की हर वार्ड में भीड़ इतनी है कि वार्डों में तो जगह ही नहीं होती पर गैलरियों में भी भीड़ इस तरह से लबालब भरी मिलती है मानो कोलकाता का मछली बाजार लग गया हो। बेड के नाम पर नाममात्र की सुविधा। अधिकतर रोगियों को ट्रालियों पर ही लेटे-लेटे अपना इलाज संपन्न करना पड़ता है। बेड तो बहुत ही मुश्किल से किसी भाग्यवान के हिस्से आता है। वह भाग्यवान भी वही व्यक्ति होता है जो जिंदगी और मौत की जंग से बिल्कुल समीप से लड़ रहा होता है। बाकी सब ट्रालियों पर ही होता है। ये ट्रालिया भी अलग-अलग धार्मिक संगठनों और सामाजिक संगठनों की भेंट की हुई है शायद।

सोचता हूं क्या मेरे देश की सरकार इतनी गरीब है कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू – कश्मीर तथा आंशिक रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बड़े भू भाग के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का इलाज करने वाले इस हस्पताल की आपातकालीन सेवा को अभी तक वह उन्नत ही नहीं कर पाई। माना कि देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। पर इसका मतलब यह तो नहीं है कि जो ढांचा आज से वर्षों पहले खड़ा कर दिया गया था, बस उसी को ही बनाए रखें।

क्या सरकारें सिर्फ एक दूसरे पर इल्जाम ही लगाती रहेगी? आजादी के बाद आज तक सभी दलों ने केंद्र में राज किया है। क्या यह सभी दलों की सामूहिक जिम्मेवारी नहीं बनती है कि पी जी आई चंडीगढ़ के ट्रामा सेंटर और आपातकालीन सेवा के भवन को और उन्नत और विकसित किया जाए। वहां हर इमरजेंसी वार्ड में कम से कम 3 से 4 सौ बिस्तरों का आधुनिक तकनीकी सुविधाओं के साथ प्रबंध वर्तमान में सरकार को नहीं करना चाहिए ? क्या बड़े – बड़े लोग फोर्टिस और अपोलो जैसे हॉस्पिटल में अपना इलाज करते हैं, इसलिए इस गरीब और सर्वहारा तथा निम्न मध्य वर्ग के आश्रय स्थल की ओर कोई ध्यान नहीं देता?

इतना ही नहीं, गंभीर समस्याओं से जूझ रहे रोगियों के साथ इनकी देखभाल करने के लिए आए हुए तीमारदारों को भी रात में बाहर खुले में सड़क किनारे सोना पड़ता है। क्या आजादी के 75 साल बाद आजाद हिंदुस्तान में यह बात शोभा देती है? आखिर क्यों नहीं सोचती है सरकार इस दिशा में? कौन करेगा इन गरीबों की और आम जनमानस के हितों की बात? क्या इन सभी लोगों को सुविधा नहीं मिलनी चाहिए? सवाल अनगिनत है और जवाब अपेक्षित।

मैं चाहता हूं यह बात देश की संसद तक पहुंचे ताकि देश की आम जनता को न्याय मिल सके और सुविधा मिल सके। देश में कोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नहीं बनेगा तो शायद इतनी ज्यादा क्षति नहीं होगी जितनी ज्यादा क्षति इन गरीब एवं आम जनमानस के पीड़ित होने से देश को होगी। देश का मेहनतकश किसान, मजदूर सर्वहारा वर्ग जब जिंदगी और मौत की जंग से इसी प्रकार से खुले में अपने कठिन समय में लड़ता रहेगा तो वह देश की समस्याओं के साथ शायद उस ताकत से नहीं लड़ पाएगा जिससे उसे लड़ना चाहिए।

पर फिर भी देश की उन्नति और समृद्धि के लिए इस गरीब मजदूर और किसान वर्ग ने तथा निम्न मध्य वर्ग के कर्मचारी वर्ग ने अपनी एड़ी – चोटी का जोर लगा कर के भारत का नाम विश्व में रौशन किया है। इसलिए कुछ तो दायित्व देश को चलाने वाली सरकारों का भी बनता है कि और न सही तो मानवीय पहलुओं से सही, इस दृष्टि से जरूर विचार करें। सड़क नहीं बनेगी कोई बात नहीं, रेलमार्ग नहीं बनेगा तो भी चलेगा। किसी को सब्सिडी नहीं मिलेगी तो वह भी जी जाएगा। परन्तु सुविधा के अभाव में हस्पताल में किसी की जान चली जाए, यह तो बिल्कुल नहीं चलेगा।

यह हालत किसी एक हस्पताल की नहीं है। खबरों में ऐसे कई खुलासे हर राज्य से होते रहते हैं, जहां कहीं व्यवस्था के नाम पर तो कहीं प्रबंधन और प्रशासन के नाम पर बट्टा लगता रहता है। पर पी जी आई चंडीगढ़ का स्टॉफ पूरी मुस्तैदी के साथ सीमित सुविधाओं में भी लोगों को उचित सेवाएं देता है। कमी है तो वह है आपातकालीन विभाग में बिस्तर तथा भवन संबधी प्रबंधनों की। इस प्रकार की खामियां सरकारी स्कूलों और न्याय व्यवस्था में भी मौजूद है, जो आजाद देश की आजाद जनता के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है। फिर से मन में सवाल उठता है कि आखिर देश की आम जनता को उसके हिस्से का हक कब और कैसे मिलेगा?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पुरे देश में बड़े सरकारी पी जी आई हस्पताल में सीमित सुविधाओं में लोगों का समय से उचित इलाज का ना होना। आपातकालीन विभाग में बिस्तर तथा भवन संबधी प्रबंधनों की कमी। इस प्रकार की खामियां सरकारी स्कूलों और न्याय व्यवस्था में भी मौजूद है, जो आजाद देश की आजाद जनता के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है। फिर से मन में सवाल उठता है कि आखिर देश की आम जनता को उसके हिस्से का हक कब और कैसे मिलेगा? जय हिन्द – जय भारत।

—————

यह लेख (आम जनता को कब मिलेगा उसका हक।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: Essay on Health in Hindi, आम जनता को कब मिलेगा उसका हक - हेमराज ठाकुर, स्वास्थ्य व्यवस्था पर निबंध, स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध, हक़ की लड़ाई, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की रचनाएँ

यही हमारा नारा है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yahi Hamara Nara Hai | यही हमारा नारा है।

लड़ी लड़ाइयां कई है अब तक,
थी इतिहास में तीर – तलवारों से।
सियासी लड़ाइयां लड़ी जाती है,
आज जाति – धर्म की तकरारों से।

अरे जागो भारतवासी आज तो,
समझो कि भारत देश हमारा है।
हिन्दू, मुस्लिम और सिख, ईसाई,
हैं सब भाई, यही हमारा नारा है।

कद्र करो अब इक दूजे की यारो,
किसी को जाति धर्म में मत बांटो।
जो बांट रहे हैं सिहासत के माहिर,
आओ मिलकर उनको सब डांटो।

आजादी से लेकर अब तक इन्होंने,
बारी-बारी से खेल बस यही खेला।
ये करते रहे फैला कर नफरत राज है,
जाति धर्म के कहर को जनता ने झेला।

अखण्ड भारत की तस्वीर को यारो,
सिहासी बहकावों पर यूं मत तोड़ो।
देश बड़ा है जाति, धर्म और सत्ता से,
नफरत का ठीकरा देश पर मत फोड़ों।

टूटे भारत कई टुकड़ों में है साजिश,
संस्कृति पर भी तो हुआ है हमला।
हम फूल बने इस भारत फूलदान के,
हो हिंदुस्तान ही हम सबका गमला।

बिखरने न देना भारत देश को,
इनकी साजिश को नाकाम करो।
आओ तोड़ें ये नफरत की दीवारें,
मिल के एक दूजे में प्यार भरो।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इतिहास गवाह है जब भी किसी देश की जनता आपस में जाति, धर्म, मजहब व पंत के नाम पर लड़ती रहती है तो उसका अपना खुद का कोई अस्तित्व नहीं होता है, उसका कभी भी अच्छे से विकास नहीं हो पाता, उसे लम्बे समय के लिए बार-बार गुलामी का दंश झेलना ही पड़ता है और उनका पतन हो जाता है। उनके साथ साथ देश का भी पतन हो जाता है, इसलिए खुद के निजी स्वार्थ से बाहर निकल कर पहले आपसी नफरत को त्याग कर सभी मिल जुलकर नए अखंड भारत के पुनः उत्थान में भी कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते चले। यह याद रखें – जब तक आपका देश हर तरह से सुरक्षित है तभी तक आप व आपका परिवार सुरक्षित है। जय हिन्द – जय भारत।

—————

यह कविता (यही हमारा नारा है।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur poems, poem on unity in hindi, Yahi Hamara Nara Hai, अखण्ड भारत की तस्वीर, एकजुटता पर कविता, यही हमारा नारा है, यही हमारा नारा है - हेमराज ठाकुर, संगठन की शक्ति पर कविता, सामाजिक एकता पर कविता, सामाजिक सद्भावना पर कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

आज आजादी है हमको मिली तो।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aaj Azadi Hai Hamko Mili Tho | आज आजादी है हमको मिली तो।

आज आजादी है हमको मिली तो,
दिलाई शहीदों और वीर जवानों ने।
सीमा के प्रहरी जवानों की वजह से
सुरक्षित हैं हम अपने मकानों में।

है उदगार हमारे क्या उनके खातिर?
क्या भाव और कितनी कैसी यादें हैं?
एक रस्म जान मजबूरन हर साल हम,
15 अगस्त व 26 जनवरी को मनाते हैं।

इन खेतों पर है आज हक हमारा तो,
उन शहीदों का बलिदान ये हम खाते हैं।
ये खेत, खलियान थे सब जमीदारों के,
न जाने ये बातें कैसे हम भूल जाते हैं?

था फिरंगियों का कब्जा जमीं पर हमारी,
हम तो उनकी शतरंज के मोहरे प्यादे थे।
जमीन हमारी थी और था देश भी हमारा,
पर फिर भी बने वे आकर यहां शहजादे थे।

हम काश्तकार थे महज जमीनों के,
मालिक तो वे ही असल कहलाते थे।
फसल उगाते वे हमसे थे यहां खेतों में,
फिर कच्चा माल अपने देश ले जाते थे।

भला तो हो उन बहादुर शहिद वीरों का,
जो देश के लिए बलिदान अपना चढ़ाते थे।
एक धेला न लिया था पगार का उन्होंने,
खुद कमाते थे और मेहनत का ही खाते थे।

आज हमको मिली आजादी विरासत में,
हम पगार लेकर भी काम कहां करते हैं?
लाखों के वेतन भत्ते हैं हमारे फिर भी तो,
सब्सिडी और मुफ़्त का इंतजार करते हैं।

मुफ़्तखोरी की आदत से भारत को जल्दी,
हम सबको मिलकर निजात दिलाना होगा।
आर्थिक संकट में फंसते आजाद भारत को,
हमको ही तो बरबाद होने से बचाना होगा।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — जरा सोचिये जमीं भी अपनी थी देश भी अपना था फिर भी था फिरंगियों का कब्जा जमीं पर हमारी, हम तो उनकी शतरंज के मोहरे व प्यादे थे। जमीन हमारी थी और था देश भी हमारा, पर फिर भी बने वे आकर यहां शहजादे थे क्यों ? हम तो नाम मात्र के काश्तकार थे जमीनों के, मालिक तो वे ही असल कहलाते थे। फसल उगवाते वे हमसे थे यहां खेतों में और फिर कच्चा माल अपने देश ले जाते थे। गर्व करों उन बहादुर शहिद वीरों का, जो देश के लिए बलिदान अपना चढ़ाते थे। कभी भी एक धेला न लिया था पगार का उन्होंने, सदैव ही खुद कमाते थे और मेहनत का ही खाते थे। जो आज़ादी हमे विरासत में मिली है उसका सम्मान क्यों नहीं करते आज? पगार लेते है लाखों में काम ना करने के। करों संकल्प की आज से ही मुफ़्तखोरी की आदत से भारत को जल्दी, हम सबको मिलकर निजात दिलाना होगा। आर्थिक संकट में फंसते आजाद भारत को, हमको ही तो बरबाद होने से बचाना होगा।

—————

यह कविता (आज आजादी है हमको मिली तो।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Desh Bhakti Kavita in Hindi, hemraj thakur, hemraj thakur poems, Patriotic Poems in Hindi, आज आजादी है हमको मिली तो, आज आजादी है हमको मिली तो - हेमराज ठाकुर, उत्साह बढ़ाने वाली कविता, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देशभक्ति कविता, देशभक्ति पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ, बहादुरी पर कविता, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की कविताएं

गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान।

Kmsraj51 की कलम से…..

Republic Day and Indian Constitution – गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान।

भारत एक गणतांत्रिक देश है। यह सत्य किसी से छुपा नहीं है। परंतु भारत के गणतंत्र दिवस तक की कहानी कैसे-कैसे कदम दर कदम आगे बढ़ती है, यह बात नई पीढ़ी तक ले जाना पुरानी पीढ़ी का जिम्मा है। इसके विषय में जब चर्चा की जाती है तो नई पीढ़ी के लिए एक क्रमिक ज्ञान समायोजित करना पुरानी पीढ़ी का दायित्व बन जाता है। इस कड़ी में यदि हम भारतीय संविधान के निर्माण की गाथा को शुरू से खंगालने की कोशिश करेंगे तो 9 नवंबर 1946 ईस्वी का वह दिन हमें जरूर याद आता है, जिस दिन संविधान सभा के अस्थाई सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में संविधान सभा की बैठक पहली बार हुई थी। 1946 में ही डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था। हालांकि यह सभा बाद में 1947 में भारत के आजाद होने के पश्चात दो भागों में बंट गई थी। भारत की संविधान सभा अलग और पाकिस्तान की संविधान सभा अलग हो गई थी। भारतीय संविधान सभा की घोषणा 15 अगस्त 1947 ईस्वी को भारत की आजादी के उपलक्ष पर डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की अध्यक्षता में ही की गई थी। इस सभा में कुल 284 सदस्य चुने गए थे तथा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया था। डॉक्टर भीमराव जी को भारतीय संविधान के जनक की उपाधि भी दी गई है। अंबेडकर जी भारत के प्रथम कानून और न्याय मंत्री थे।

भारतीय संविधान की मूल प्रति…

भारतीय संविधान सभा ने भारतीय संविधान को लिखना शुरू किया। भारत के संविधान को बनाने के लिए विश्व के लगभग 60 गणतांत्रिक देशों के संविधानों का अध्ययन किया गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित गणतांत्रिक संविधान है। इस संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा था। भारतीय संविधान को अपने हाथों से लिखने वाले श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी थे। नारायण जी एक कैलीग्राफी आर्टिस्ट थे। इनका जन्म 1901 में दिल्ली में हुआ था। इन्होंने संविधान को लिखने के बदले में किसी भी प्रकार का वेतन या भत्ता नहीं लिया था। इस संविधान की हस्तलिखित एक मूल प्रकृति(मूल प्रति) महाराज बाड़ा स्थित ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी गई है। इस मूल प्रति में डॉ राजेंद्र प्रसाद तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ-साथ संविधान सभा के 284 सभी सदस्यों के हस्ताक्षर मूल रूप से चिन्हित है।

भारतीय संविधान में बनाती बार कुल 395 अनुच्छेद थे। ये अनुच्छेद 22 भागों में विभाजित थे तथा इसमें 8 अनुसूचियां थी। परंतु आजकल भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां है जो 25 भागों में विभाजित की गई है। भारत का संविधान 251 पन्नों में लिखा गया है। यह संविधान 26 नवंबर 1949 ईस्वी को पारित किया गया था। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2015 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की 125वी जयंती मनाई गई। उसी दिन से पूरे भारतवर्ष में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जा रहा है।

भारत एक पूर्ण गणतंत्र राष्ट्र…

26 जनवरी 1950 ईस्वी को भारत का संविधान भारतीय संविधान की प्रस्तावना के तहत भारत में विधिवत लागू किया गया। इस दिन से भारत एक पूर्ण गणतंत्र राष्ट्र बन गया। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है “संविधान जनता के लिए हैं और जनता ही इसकी अंतिम संप्रभु है। प्रस्तावना लोगों के लक्ष्य, आकांक्षाओं को प्रकट करती है।” प्रस्तावना के इस कथन पर आज भारत की जनता को कितनी संप्रभुता मिली है? यह समझाना आज किसी अजूबे से कम नहीं है। संविधान की माने तो भारत की जनता को राष्ट्र की मूल व्यवस्थाओं के सन्दर्भ में निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार प्राप्त होना चाहिए। परन्तु भारत में आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी जनता को वे अधिकार प्राप्त नहीं है, जो संविधान ने उसे मौलिक अधिकारों के तहत प्रदान किए हैं। सबसे बड़ी अवहेलना समानता के अधिकार के तहत हो रही है। एक देश एक विधा की दृष्टि से यदि देखे तो समानता के अधिकार की नागरिकता के आधार पर धजियाँ उड़ाई जा रही है।

  • जातिवाद और धर्मवाद के आधार पर मानव – मानव में बहुत भेद किया जा रहा है।व्यक्ति – व्यक्ति और समुदाय विशेष के कुछ विशेषाधिकार निहित है, जो समानता के अधिकार की तौहीन है। कुछ वर्गों और समुदायों को संविधान में निर्धारित समय सीमाओं से परे हो कर अधिकार दिए जा रहे हैं और कुछ को कुछ नहीं। यह एक देश एक विधान के तहत अन्याय है।
  • यही हाल विवाह पद्धति के सन्दर्भ में भी है। ये बातें कैसे और किससे कहें? 1950 से 2021 तक संविधान के 105 संशोधन किए जा चुके हैं, पर कहीं भी जन लोकपाल बिल और समान नागरिक संहिता की बात को महत्व नहीं मिल पाया है।

यह सच है कि समय – समय पर ऐसी मांगे उठती रही है। परन्तु उन्हें राजनैतिक षड्यंत्रों की चक्की में पीस दिया जाता है। यदि ठीक से गौर करे तो पूर्ण गणतंत्र राज्य के लिए इन नियमों का कड़ाई से लागू होना अति आवश्यक है। वरना सत्ता और प्रशासनिक वर्ग का प्रभुत्व जनता पर स्थापित हो जाता है। जो वर्तमान समय में दिख भी रहा है। नेतागिरी और आधिकारिक धौंस अभी भी अंग्रेजी हकूमत के जैसी भारत में निरन्तर बनी हुई है। मनाने को तो हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता हैं, पर क्या वह सही मायने में गणतंत्र दिवस है?

शायद नहीं। क्योंकि आज भी भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गरीबी और भूखमरी से जूझ रही है। आज भी आम जनमानस पूर्ण रूप से आजाद नहीं है। क्योंकि उस पर हुकामों और लाल फित्ता धारियों का दबाव है। सम्पति का समान वितरण आज भी कहां हो रहा है। संपति का तीन चौथाई हिस्सा आज भी उच्च और धनाढ्य लोगों के पास है। आम जनमानस को मिलता है तो मात्र एक तिहाही हिस्सा। आज भी भारत की जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

आज प्रश्न है तो वह यह है कि आखिर भारत में कब पूर्ण गणतंत्र मनाया जाएगा? जब हर आदमी को उसका पूरा अधिकार मात्र कागजों में ही नहीं बल्कि असल में मिलेगा।अन्ना हजारे ने एक प्रयास भी किया था। पर वह भी सिरे नहीं चढ़ पाया। जिन पूर्वजों ने अपना बलिदान देकर भारत को यह सपना देख कर आजाद करवाया था, कि भारत की जनता को पूर्ण गणतंत्रता प्राप्त हो। उनके दिलों पर आज क्या बीतती होगी, यदि वे किसी लोक या दुनियां से आज भारत का दृश्य देखते होंगे।

वे तो अंग्रेज थे, जो भारतीयों का काम कभी भी समय पर नहीं करते थे। फिर करते भी थे तो पूरी खुशामद करवा कर ही करवाते थे। पर आज तो काम करवाने वाला भी भारतीय है और काम करने वाला भी भारतीय ही है। आज हालत उससे भी बदतर है। बिना रिश्वत या चाटुकारिता के कोई काम करने को राजी नहीं है। शायद ऐसे भारत की कल्पना तो कभी हमारे पुरखों ने न की हो।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

Must Read : हिन्दू और हिंदुत्व – एक समीक्षा।

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आज भी भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गरीबी और भूखमरी से जूझ रही है। आज भी आम जनमानस पूर्ण रूप से आजाद नहीं है। क्योंकि उस पर हुकामों और लाल फित्ता धारियों का दबाव है। सम्पति का समान वितरण आज भी कहां हो रहा है। संपति का तीन चौथाई हिस्सा आज भी उच्च और धनाढ्य लोगों के पास है। आम जनमानस को मिलता है तो मात्र एक तिहाही हिस्सा। आज भी भारत की जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। नेतागिरी और आधिकारिक धौंस अभी भी अंग्रेजी हकूमत के जैसी भारत में निरन्तर बनी हुई है। मनाने को तो हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता हैं, पर क्या वह सही मायने में गणतंत्र दिवस है?

—————

यह लेख (गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur articles, original copy of indian constitution, republic day and indian constitution, Republic Day and Indian Constitution - गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान, गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान - हेमराज ठाकुर, भारतीय संविधान की मूल प्रति, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की रचनाएँ

Next Page »

Primary Sidebar

Recent Posts

  • ब्रह्मचारिणी माता।
  • हमारा बिहार।
  • शहीद दिवस।
  • स्वागत विक्रम संवत 2080
  • नव संवत्सर आया है।
  • वैरागी जीवन।
  • मेरी कविता।
  • प्रकृति के रंग।
  • फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।
  • यह डूबती सांझ।
  • 10th Foundation Day of KMSRAJ51
  • प्रकृति और होरी।
  • तुम से ही।
  • होली के रंग खुशियों के संग।
  • आओ खेले पुरानी होली।
  • हे नारी तू।
  • रस आनन्द इस होली में।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

ब्रह्मचारिणी माता।

हमारा बिहार।

शहीद दिवस।

स्वागत विक्रम संवत 2080

नव संवत्सर आया है।

वैरागी जीवन।

मेरी कविता।

प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

10th Foundation Day of KMSRAJ51

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.