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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for सुशीला देवी जी की कविताये

सुशीला देवी जी की कविताये

अजब तेरी माया।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अजब तेरी माया। ♦

इस संसार से विदा, जो हो गए।
समय – असमय जो, चिरनिद्रा में सो गए॥

हे मालिक! बता तुमने, उन्हें कहाँ छुपाया है।
फिर क्यूँ उनका अक्स भी, नजर नहीं आया है॥

तेरे तो खेल निराले, अजब तेरी माया है।
जो तूनें ब्रह्मांड में, जीवन – मरण का खेल रचाया है॥

इस जग की रीत, तो तुझसे भी निराली है।
जो विदा हो गए यहाँ से, फिर उनकी परछाई भी काली है॥

फिर क्यूँ इस जगत में, मेरा – मेरी ने कोहराम मचाया है।
न जाने क्यूँ इंसान ने, अपने – पराए का जाल बिछाया है॥

मालूम है ये सबको, कि देने वाला लेना भी जानता है।
फिर भी अहम में डूबा इतना, तुझकों नही पहचानता है॥

एक दिन सबको चले जाना है, ये मानुष तन छोड़कर।
आओं! फिर नेक कर्मों के खाते में रखें, अपना नाम जोड़कर॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में जिसका भी जन्म होता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। इसलिए अच्छे कर्म कर ले, विकर्म का खाता इकट्ठा न करें। आपके अच्छे कर्म ही आपको इस संसार में जीवित रखेंगे। इसलिए बुरे कर्म का त्याग कर, अच्छे कर्म ही करे।

—————

यह कविता (अजब तेरी माया।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

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शिक्षक दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शिक्षक दिवस। ♦

भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के,
जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 6 मई को मनाया जाता है,
5 सितंबर शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है॥

अंग्रेजी माध्यम के बच्चे जिसे टीचर्स डे कहते हैं,
हिंदी माध्यम के बच्चे शिक्षक दिवस उसे कहते हैं।
गुरु के महत्व को शायद ही कोई ना समझे,
शिक्षकों के महत्व को लोगों में समझाया जाता है॥

रचनाकार उनकी रचनाएं ऐसे बताई जाती है,
हिंदी बोलो, चाहे इंग्लिश माथे बिंदी लगाई जाती।
शिक्षा के महत्व को खास बताया जाता है,
सच्चा गुरु जीवन में आमतौर पर प्रकाश लाता है॥

खोलो – खोलो, अपना – अपना दरवाजा खोलो,
पर्दा लगा हटाओ, जल्दी शुद्ध हवा आती है।
खूंटे से जो बधी हवा है, मिलकर छुड़ाओ संगी,
मौसम के वो मेहमान तुम, उड़ चली हवा ताजी बासी॥

चल उड़ चल कहीं और जहां खुश हो मंजिल का ठौर,
हवा बह रही मधुर सुहानी, राष्ट्र प्रेम जगाने आती।
यह देश तुम्हारा तुम्हीं हो नेता, रस्ते कठिन चलो सम्हाल,
तुम अपने हो इसलिए कहता, आता अक्सर ही॥

हम किताब है और वह पढ़ने आता है,
छद्म घाघरा पहने कोई पढ़ने जाता है।
दुर्गति होने पर भी उसे संतोष नहीं होता,
पाप कर्मों से प्रेरित शुभ बुद्धि हरण होती॥

मान – मर्यादा को त्याग कर जी हजूरी करता,
कौवे की भांति दूसरों के घर से टुकड़ा लाता।
कच्चे – पक्के बाल अपना मुखड़ा दिखलाता,
छम – छम अलबेला सर पर ताज बताता॥

सच्चा गुरुजी आता तो अंधियारा मीट जाता है,
लक्ष्य दिखाई देने लगता, पग आगे बढ़ जाता है।
सतगुरु – सत्पुरुषों की मैत्री स्थाई होती है,
आरंभ कम, लेकिन कालांतर में बढ़ती जाती है॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 6 मई को मनाया जाता है, 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रुप में अपनाया जाता है। अंग्रेजी माध्यम के बच्चे जिसे टीचर्स डे कहते हैं, हिंदी माध्यम के बच्चे शिक्षक दिवस उसे कहते हैं। गुरु के महत्व को शायद ही कोई ना समझे, इस दिन शिक्षकों के महत्व को लोगों में समझाया जाता है।

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यह कविता (शिक्षक दिवस।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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गुरु ही गोविंद है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु ही गोविंद है। ♦

पिता का सा बृहद प्यार है जिसमें,
है मां की सी जिसमें कोमल ममता।
उसी गुरुदेव के दिए ज्ञान में ही तो है,
गोविन्द से जीव को मिलाने की क्षमता।

तुतलाती सी इस जुबान को जिसने,
निज शब्द स्नेह का अमृत पिलाया।
गुरुदेव ही तो है वह दुनियां में अपना,
जो उंगली पकड़ कर लिखना सिखाया।

हां हम भूल गए आज सब ज्ञानी होकर,
प्राप्त ज्ञान को अपनी उपलब्धि बताया।
स्वार्थपरता के इस धुंधलके अंधे युग में,
गुरु उपकारों को उसका फर्ज ठहराया।

ओ नादान मानुष! क्या औकात है तेरी?
कबीर सरीखों ने गुरु को गोविन्द बताया।
ज्ञान सागर से बूंद भर लेकर तू इतराता है,
तेरी फितरत का यह रंग कुछ समझ न आया।

गुरु ही गोविन्द है, सन्तों, ऋषि, मुनियो ने,
पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से बहुत समझाया।
नादान मानुष की फितरत तो देखो, हैरत है,
उसकी समझ में आज तक कुछ न आया।

तथाकथित आधुनिकता के नशे में चूर होकर,
अपनी चिर परिचित सभ्यता को है भुलाया।
गुरु – गुड़ व चेला शक्कर, कहावत के बल पर,
नादान ने खुद को गुरु से बढ़कर है बताया।

गुरु चरण कमल की धूली के बिन,
कभी खुलते नहीं है बुद्धि के दरवाजे।
गुरु की दी शब्दशक्ति के बल से ही,
गूंजती है भीतर में कल्पना, आवाजे।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल से ही गुरु ही गोविन्द है, सन्तों, ऋषि, मुनियो ने, पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से बहुत समझाया। नादान मानुष की फितरत तो देखो, हैरत है, उसकी समझ में आज तक कुछ न आया। तथाकथित आधुनिकता के नशे में चूर होकर, अपनी चिर परिचित सभ्यता को है भुलाया। गुरु – गुड़ व चेला शक्कर, कहावत के बल पर, नादान ने खुद को गुरु से बढ़कर है बताया।

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यह कविता (गुरु ही गोविंद है।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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शिक्षक की महानता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शिक्षक की महानता। ♦

ए दिल, तुझें आज जिसकी महानता पर लिखना, वो तो है सर्वोपरि।
चला जो भी इनके पद्चिन्हों पर, जिंदगी बनी उनकी सोने जैसी खरी॥

आलौकित पथ करता हमारा, ये तो वो पुंज-प्रकाश का।
बुलंदी के सितारें चमकते हैं जिस पर, वो पटल आकाश का॥

जिनके ज्ञान के भंडार में छिपी, धरा के गर्भ जैसी गहराई।
जिसने समझा इनको, उन्होंने अपनी विजय-पताका लहराई॥

कभी ये बन कर माली, अवगुणों के कांटो को दूर कर गुणों के फूल खिलायें।
अपने प्यारे उपवन की महक से, ये सारा जहान सुगन्धित बनायें॥

जब ये परखने पर आए, तो एक परिपक्व जौहरी बन जाता है।
घिस-घिस कर पत्थर को भी, हीरा सा चमकाता है॥

हर किसी की जिंदगी में इनकी छवि, एक अलग ही रुतबा पाती है।
इनकी अनुपम – गाथा तो हर शह को, संगीतमय बनाती है॥

ये ऐसा अदभुत कलाकार, जिसके गुणों को सुनाया न जा सके।
इसकी खूबियों के समक्ष हम केवल, ये शीश झुका सके॥

आओं! आज इनके दिये संस्कारों को, अपने जीवन में उतार ले।
अपने सद्कर्मों से नाम रोशन कर जायें, बस यही गुरु-दक्षिणा का उपहार दे॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

मेरे सभी प्रिय पाठकों आप सभी को — KMSRAJ51.COM — की तरफ से तहे दिल से शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से शिक्षक और छात्र के दिव्य व पवित्र तथा उन्नत सम्बन्ध को बताया है। एक अच्छे शिक्षक और अच्छे छात्र के गुणों को समझाने की कोशिश की है। छात्र जीवन किसी भी इंसान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, पुरे जीवन का आधार स्तम्भ होता है छात्र जीवन। अपने सद्कर्मों से नाम रोशन कर जायें अपने गुरुजन का बस यही गुरु-दक्षिणा का उपहार दे हम इस शिक्षक दिवस पर।

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यह कविता (शिक्षक की महानता।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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आओ कान्हा – तेरा स्वागत है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आओ कान्हा – तेरा स्वागत है। ♦

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को, विष्णु जी के आठवें अवतार ने जन्म लिया।
कान्हा के जन्म के अलौकिक दिव्य प्रकाश ने, संसार को उजाले से भर दिया॥

भगवान भी भक्तों की आस्था, भक्ति व प्रीत में झूमते चले आए।
माता देवकी- वासुदेव की यह संतान, नंद-यशोदा के प्यारे कहलाए॥

जब-जब अपने पांव पसारे ब्रह्मांड में, इस अधर्म ने।
तब-तब अवतार अवतरित हुए इस भू पर, शौर्य बढ़ाया धर्म ने॥

द्वारकाधीश की लीला से, भला अब तक कौन है? अपरिचित।
जिन्होंने धर्म युद्ध में गुंजाया गीता उपदेश, हुए सब कर्मफल से परिचित॥

गहरी हुंकार भरी, जब-जब धर्म ने, काल भी थर्राया है।
पाप कर्म की अधिकता का अंत करने, भगवान ही अवतरित हो आया है॥

तेरे आगमन को मथुरा वृंदावन के मंदिर भी जैसे पूनम की चांदनी से नहाए।
लगे ऐसा मानो ब्रह्मांड का अनुपम सौंदर्य, इस धरती पर उतर आए॥

जब मयूरपंख धारण कर तू, अपनी मुरली की सुरीली धुन सुनाए।
ब्रह्मांड में चहुँ ओर, खुशियों के फूल बिखर जाए॥

हे कृष्णा! तेरी भक्ति में लीन गोपी बन सब दिल, मस्त होकर झूमेंगे मन बावरें।
नैनो के अश्रु जल से पाक कर-आस्था, श्रद्धा के फूल बिछा कर, तेरी राह निहारें बस सावरें॥

स्वागत है तेरा चले आओ हे! कान्हा, इस धरा को फिर से स्वर्ग बनाने।
हम तो भावविभोर हैं तेरे जन्मदिवस की जन्माष्टमी मनाने॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से श्री कृष्ण जी के जन्म उत्सव व अद्भुत लीलाओं का सुंदर मनभावन वर्णन किया है। तुमने ही धर्म युद्ध में गुंजाया गीता उपदेश, हुए सब कर्मफल से परिचित।

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यह कविता (आओ कान्हा – तेरा स्वागत है।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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कच्चे धागे की प्रीत।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कच्चे धागे की प्रीत। ♦

श्रावण मास की पूर्णिमा, एक पावन त्यौहार ले आई।
अटूट प्रीत, विश्वास व आस्था का एक और उपहार ले आई॥

रक्षाबंधन की प्रचलित है, ऐसी ऐतिहासिक कहानियाँ।
जो सुनते आए हम, अपने पुराण कथाओं की जुबानियाँ॥

एक कच्चा धागा अपने अंदर समाहित किए, सागर जितना प्यार।
एक भरोसा, निश्छल प्रेम से, दो आत्माओं को बांधे ये त्यौहार॥

भगवान विष्णु बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर, भक्त के घर रहने आए भगवान।
फिर मां लक्ष्मी व्याकुल हो बलि को राखी बांध, हरि को ले आई बैकुंठ धाम॥

चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने भी, अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी।
तब हुमायूं ने भी उनकी राज्य की रक्षा कर, बहन की प्रीत दिल में सहेजी॥

जब इंद्राणी ने भी अपने पति की दानवों से रक्षा की, बांधकर रेशम का धागा।
फिर इंद्र के मस्तक पर, विजय श्री का तिलक लागा॥

महाभारत में शिशुपाल के वध से, जब श्री कृष्ण की उंगली से रक्त बहा था।
तब द्रोपदी ने साड़ी के पल्लू का अंश बांधकर, श्री कृष्ण को धर्म भाई कहा था।

एक बार यमदेव कई बरस तक, अपनी बहन यमुना से नहीं मिलने आए।
तब यमुना ने भी, प्यारी आंखों से नीर बहाए॥

फिर गंगा ने अपने भाई को, मिलने के संदेश पहुँचाये।
आकर बहन को प्यार से मिलकर, यमुना को अमृतत्व दे जाए॥

यह त्यौहार रक्षा – कवच के नाम से भी, अक्सर जाना जाए।
इस कच्चे धागे में तो, दो पावन आत्माओं का बंधन माना जाए॥

जब कच्चे धागे की प्रीत बसती चली जाए, ऐसा ही यह पर्व पावन।
सारी खुशियां देकर अब, रुखसत हो जाएगा सावन॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

मेरे सभी प्रिय पाठकों आप सबको तहे दिल से रक्षाबंधन पर्व पावन की शुभकामनाएं।-KMSRAJ51

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से भाई बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा वचन से भरपूर पवित्र पर्व रक्षाबंधन का वर्णन किया है। भाई बहन एक दूजे के सच्चे मित्र भी है जन्म – जन्मांतर तक। रक्षाबंधन – भाई और बहन के प्रेम को दिखाता एक पवित्र पर्व।

—————

यह कविता (कच्चे धागे की प्रीत।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस। ♦

आज बहुत ही, शुभ मंगल घड़ी आई।
सबको आज मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई॥

मित्रता श्रीकृष्ण और सुदामा की, दुनिया में हो गए चर्चे।
महान थी उनकी मित्रता, दिए ब्रह्मांड ने भी अव्वल दर्जे॥

आओं मित्रों, अपने दिलों में मंथन करें आज।
जुबां से न बोलें सुदामा, फिर भी श्री कृष्ण ने सँवारे काज॥

एक भरोसा, एक आस्था, विश्वास था, दोस्ती के नाम में।
दुनिया भर की खुशी देखी, बस अपने श्याम में॥

अगाध प्रेम, श्रद्धा रखी थी, सुदामा ने अपने मित्र में।
जब-जब दोस्त का चेहरा देखें,
भगवान का ही अक्स नजर आए, उनके चित्र में॥

स्वार्थ वशीभूत होकर सुदामा ने,
कभी अपनी जिंदगी की व्यथा नही सुनाई।
ना ही कभी, अपने मित्र के समक्ष रखी गरीबी की दुहाई॥

सिर्फ एक लगन में ही, सुदामा रमें जा रहा था।
बस मित्रता के नाम में, भगवान जपे जा रहा था॥

बचपन के छुटे सब संगी साथी, रखी बस दोस्ती दिल मे निभायें।
निश्चल प्यार, दुलार की लगन रखी, श्री कृष्ण से लगाएं॥

था वो बहुत ही शुभ दिन, जब भगवान के घर भक्त चला आया।
भगवान ने भी मित्रता को ही, सर्वोपरि मान, मित्र को गले लगाया॥

वो एक ऐतिहासिक दिन था, जब भगवान भक्त के,
प्यार, आस्था, विश्वास से लबालब हो गया।
सिहांसन पर बैठा, चरण धोकर मित्र भक्त सुदामा के,
और भगवान भक्त के वश में हो गया॥

आओं, हम भी मित्रता के शब्द को सार्थकता में पिरोए।
आस्था, लग्न, प्रेम को सच्चे अर्थों में ही सँजोये॥

अपने जीवन में सदैव ही, सच्ची मित्रता के बोए मोती।
मित्र बने और बनायें ऐसे,
जो तेरे पथ को प्रकाशवान करें, ऐसी जगाए ज्योति॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से इस कविता में कवयित्री ने श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का उदाहरण देकर, एक सच्चे मित्र के गुणों और व्यवहार का सुंदर मनोरम वर्णन किया है।

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यह कविता (अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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पावन माह सावन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पावन माह सावन। ♦

पावन माह सावन में, देव शिव भी चले आयें।
इंद्रदेव भी उनके स्वागत में, मेघों से जल बरसाये।
मंगल ही मंगल होगा, अब तो सब।
सारे संकट संसार के, भोले भंडारी हर लेगें अब॥

इस पावन श्रावण मास में जप से ही,
त्रिलोकी नाथ ने सबको भव से उतार दिया।
माता पार्वती की भक्ति से प्रसन्न हो,
उनको वर का उपहार दिया॥

श्रावण मास में ही शिव ने,
समुन्द्र मंथन का विष-पान कर डाला।
समस्त ब्रह्मांड के कष्टों को,
इस भोले ने पल में हर डाला॥

ऋषि मार्कण्डेय की भी भक्ति से,
प्रसन्न हो, दिया ऐसा वरदान।
यमदेव भी नतमस्तक हो सम्मुख इसके,
इसकी भक्ति को दिया मान॥

आओं इस सावन मास, हम सब
इस अमरनाथ को रिझाएँगे।
कर अर्पण दूध-जल शिवलिंग पर,
संसार की खुशियाँ ये त्रिलोकी दे जायेंगे॥

कष्टों का जो फैला दिया इस महामारी ने,
अपना प्रकोप, इस जग में।
शिव-शक्ति कर देगी कल्याण, इसकी श्रद्धा,
आस्था, भक्ति बसा लो, अपने रग-रग में॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से इस कविता में कवयित्री ने सावन का पवित्र महीना जो की, वर्षा, हरियाली, खेतों में रौनक, और शिव की भक्ति से सराबोर होता है, भोले शिव के गुणों और शक्तियों व उनका संसार के प्रति कल्याणकारी कार्यों का अच्छे से वर्णन किया है।

—————

यह कविता (पावन माह सावन।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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माँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ। ♦

माँ, तेरे हर रूप की महिमा ने,
सम्पूर्ण ब्रह्मांड को हर्षाया।
तेरी चाैखट पर,
सब देवगणों ने शीश झुकाया।

जगदम्बे, तू सबकी माँ,
वरदाती कहलायें।
सर्वस्व
सब तुझ में ही समाये।

सिंघवाहिनी तेरे शेर की गर्जना,
जब-जब हो जाये ।
तब-तब सुन,
महाकाल भी थर्राए।

तेरे आलाैकिक, अद्भुत,
रूपों की त्रिलोक महिमा गाये।
तेरे हर रूप की महिमा,
जग का कल्याण कर जाए।

हे विश्व विनोदिनी, वरदाती
तेरी एक मधुर मुस्कान से,
विश्व का कल्याण हो जायें।
हे! माँ स्वीकार करो बारम्बार नमन,
पड़े तेरे चरणों में ये सिर झुकाए।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने माता रानी के गुणों और शक्तियों का महत्व बयां किया है। माता रानी से प्रार्थना: किया है इंसानियत के सुख और खुशियों के लिए, प्रकृति का सुन्दर मनोहर उपहार मिला।

—————

यह कविता (माँ।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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हिंदी है भारत की बिंदी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हिंदी है भारत की बिंदी। ♦

आज के शीर्षक को देखते ही, एक बात ह्रदय तल से टकराई।
मंथन करें आज, अपना घर होते हुए भी, क्यूँ हिंदी हुई पराई।

गर्व है हमे, हिंदी की बिंदी, जो है भारत माँ के माथे की शान।
हम भारतीयों के दिलों का है, खिलखिलाता अरमान।

पर आज क्यूँ इसका, आस्तित्व ख़तरे में खड़ा।
लगता है, किसी और भाषा के मोहपाश में दिल पड़ा।

हिंदी भाषा में एक बिंदी भी गर इधर उधर हो जायें, अर्थ ही बदल जाता।
तभी इसका मोहक स्वरूप बोलने में, लिख़ने में दिलों को लुभाता।

सबसे सुंदर शब्द प्रणाम, आठों पहर वंदन ही रहता।
जैसे चन्दन वृक्ष का सूक्ष्म टुकड़ा चन्दन ही रहता।

माना समयानुसार सब भाषाओं का ज्ञान भी जरूरी।
पर अपनी हिंदी को त्यागें, ऐसी भी क्या मजबूरी।

जितनी चाहे भाषाओं का ले लो ज्ञान, होगा ये आपका बड़प्पन।
पर हिंदी भाषा जितना कहीं, नही मिलेगा अपनापन।

हिंदी बिना भारतीयों का, नही साजे साज।
हिंदी भाषा अपनी भारत माँ का ताज।

३६५ दिन ही हम अपनी, हिंदी भाषा का करें सम्मान।
गर्व से प्रयोग करों, खूब बढ़ाये, इसका मान।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवयित्री ने हिंदी भाषा के गुणों और खूबियों का महत्व बयां किया है। हम सभी भारतीयों के लिए हिंदी भाषा शान है, भारत माँ के सिर का ताज है। हिंदी भाषा में जो अपनापन है वो दुनिया के किसी भी अन्य भाषा में नही हैं। आओ हम सब मिलकर सदैव ही करें हिंदी भाषा का सम्मान, गर्व से प्रयोग कर खूब बढ़ाये, इसका मान।

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