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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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2022-KMSRAJ51 की कलम से

अब सोने दो।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अब सोने दो। ♦

केशों में निशा की सवारी है अभी,
पिधान में तेज धारी है अभी।
सुरमयी रंग पे न गया कोई निखार,
विभावरी तो मधु – कुँवारी है अभी।

कौमूदी के पथ पर साथ तुम हो ना,
प्रीति हमारी युगों तक अमर होगी ना।
चाहे विष पिला देना तुम कल मुझको,
पर अमृततरंगिणी में प्रेम की बात होगी ना।

क्या सारंगों के इशारे हैं उस पर गौर करो,
कह रही बसंत बयार क्या जरा ध्यान दो।
जीवन तृषित खड़ी है चौखट पर तुम्हारे,
आज मिलन का पर्व प्रीति का दान दो।

कोमल केश लहरायें मचल-मचल कर,
गहन पलक लजा कर तनिक उठ गई।
जैसे किसी कामिनी कुँज की अब्धि पैठ पर,
घटायें झुक-झुक गई झूम कर छा गई।

झूम लिया सुप्तविग्रही श्वांसों को स्थिर करने दो,
अब तक गुमनाम था थोड़ा गुमराह होने दो।
आज छाई आँखों की पलकों पर छाँह छबीली,
चिर-निद्रित इन अँखियों को अब सोने दो।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (अब सोने दो।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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मन के मीत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ मन के मीत। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ मन के मीत। ♦

वो भी रहम की दवा रखते है,
इस भोले मन ने यह मान लिया।
हवा के झोंके की तरह हम मिले,
पर शिद्दत से पहचान लिया।

दो पल ठहर कर मन-मन से,
गुफ्तगू करने लगा।
मासूमियत देखकर भी,
मन बहम से भरने लगा।

लेता दवा अपने मर्ज की,
बात-बात से तनती गई।
मर्ज और दवा की,
आपस मे ठनती गई।

हम भी नेक इंसान है,
जख्म फिर भी पलते रहे।
खुशियों की इस सौदेबाजी से,
लोग हमसे जलते गए।

आया बनावटी भूचाल,
सब कुछ तहस-नहस कर गया।
ईरादा था सब खण्डहर करने का,
पर मन मे दवा और मर्ज का,
कौना दबकर रह गया।

♦ लाल सिंह वर्मा जी – जिला – सिरमौर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

• Conclusion •

  • “लाल सिंह वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — दो पल ठहर कर मन-मन से अब गुफ्तगू करने लगा। मासूमियत देखकर भी न जाने क्यों मन बहम से भरने लगा। आया बनावटी भूचाल, कुछ ऐसा की सब कुछ तहस-नहस कर गया। ईरादा था सब खण्डहर करने का पर मन मे दवा और मर्ज का कौना कही दबकर रह गया। कर्मों के उपरांत, परोपकारी बनने, दान पुण्य को नियमित करने से ही मानव तन मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ जीव बना कर धरा पर भेजा है तो यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हमें इंसानियत का भाव रखते हुए सर्व जीव कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।

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यह कविता (मन के मीत।) “लाल सिंह वर्मा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं लाल सिंह वर्मा सुपुत्र श्री भिन्दर सिंह, गांव – खाड़ी, पोस्ट ऑफिस – खड़काहँ, तहसील – शिलाई, जिला – सिरमौर, हिमाचल प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक शिक्षक हूं, शिक्षा विभाग में भाषा अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है, हिंदी भाषा से सम्बन्धित साहित्यिक विधाओं में रचनाएं लिखना तथा विशेष रूप से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व मानवीय मूल्यों से सम्बन्धित रचनाओं का अध्ययन करना पसंद है। इस Platform (KMSRAJ51.COM) के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

शैक्षिक योग्यता – J.B.T, BEd., MA in English and MA in Hindi, हिंदी विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है। अध्यापक पात्रता परीक्षा L.T., J.B.T., TGT पास की है। केंद्र विश्वविद्यालय PHD• (पीएचड•) प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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नव वर्ष।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नव वर्ष। ♦

आओ हम सब…
नव वर्ष का स्वागत करते है।
नये सपनों के साथ नयी उम्मीदों,
को फिर से हम पूरा करते है।

बुरी सब यादे मिटाकर,
नव वर्ष में खुशियों की बौछार करते है।
नव वर्ष में हम अपनी मंजिल,
का आगज करते है।

समाज और देश के लिए,
कुछ परिवर्तन करते है।
सकारात्मक ऊर्जा का हम,
सबके मन में संचार करते है।

सब प्रेम, सम्मान, आदर एक दूसरे को,
देकर नयी मिसाल कायम करते है।
बुरे विचारों का त्याग कर,
नए विचारों का उदय करते है।

मानवता अपनाकर सभी,
के लिए दिल में सहयोग रखते है।
न हो किसी के प्रति भेदभाव,
बैर और कपट के भाव का त्याग करते है।

सबके मन में प्रेम, सद्भावना,
दया का भाव भरते है।
नयी उमंगों और नई आशाओं के,
साथ नव वर्ष का आगाज करते है।

सभी को माफ कर दिल से,
उन्हें प्यार से हम स्वीकार करते है।
घर के सभी बड़ों का सम्मान,
करने का हम प्रण करते है।

अपने पराएं का भेदभाव मिटाकर
सबको गले लगाएं।
पुरानी सारी बुरी यादों को,
भुलाकर नये गीत गाएं।

प्रकृति को न करें नष्ट,
बहुत सारे पेड़ लगाएं।
प्रकृति के महत्व को समझे,
दूसरों को भी समझाएं।

नव वर्ष लायेगा सबके,
जीवन प्रकाश ही प्रकाश है।
आओ हम सब मिलकर प्रेम से,
नववर्ष का स्वागत करते है।

आप सभी को तहे दिल से नव वर्ष की शुभकामनाएं।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हम सब समाज और देश के लिए कुछ परिवर्तन करते है और सकारात्मक ऊर्जा का हम सबके मन में भरपूर संचार करते है। सब प्रेम, सम्मान, आदर एक दूसरे को देकर नयी मिसाल कायम करते है। बुरे विचारों का त्याग कर सच्चे मन से नए विचारों का उदय करते है। सच्चे दिल से मानवता अपनाकर सभी के लिए दिल में सहयोग का भाव रखते है। न हो किसी के प्रति भेदभाव मन में, बैर और कपट के भाव का अब त्याग करते है। सबके मन में प्रेम, सद्भावना, दया का भाव भरते है। नयी उमंगों और नई आशाओं के साथ नव वर्ष का आगाज करते है। घर के सभी बड़ों का व गुरुजनों का सम्मान करने का हम प्रण करते है। अपने पराएं का भेदभाव मिटाकर सबको गले लगाएं। पुरानी सारी बुरी यादों को भुलाकर नये गीत गाएं। और सबसे जरूरी बात प्रकृति को न करें नष्ट, सब मिलकर बहुत सारे पेड़ लगाएं। प्रकृति के महत्व को समझे,
    दूसरों को भी समझाएं।

—————

यह कविता (नव वर्ष।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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समर्पित नव वर्ष को।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ समर्पित नव वर्ष को। ♦

नयन में चंचला दीप्ति है,
बाँहों में बीजल धनु मण्डित।
केयूर स्थिरता चरण में,
उर में श्रद्धा अखंडित।

प्राणों में जलती ज्वालामुखी,
ड़मरु-मध्य हथेली पर सँभाले।
जा रहा है जो संभाग,
ध्वजस्तंभ को गगन में उछाले।

सुदर्शन विजय उद्घोष कर,
युग निर्माण में अभिनव बढ़ा है।
युधान को ललकारता जो,
शिखर शैलाधिराज पर चढ़ा है।

दर्प भी कन्दर्प का,
मुख कांति का देख मर्दित।
देश के उस ज्वान को,
मेरी काव्य संजीवनी समर्पित।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (समर्पित नव वर्ष को।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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भूलने के लिए सौ जनम तो चाहिए।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भूलने के लिए सौ जनम तो चाहिए। ♦

सुरमयी शाम कब की विदा हो गई,
न भूल पाये चंपई गंध को हम सारे।
भूलने के लिये सौ जनम तो चाहिए,
नैन संबंध जुड़े क्षण भर को हमारे।

प्रभात किरणों की गुलाबी-गुलाबी छुअन,
निद्रा के भ्रमरंगों को स्वप्न दे गई।
निशा को देकर शबनमी से रतजगे,
खिलखिला कर मोहित मन को कर गई।

याद करते रहे थरथराते अधर,
सौगंध हृदय की आरक्त हो गये हमारे।

उठती प्रभात से नीली साँझ तक,
तपिस सहते रहे प्राण सलिलज से।
बदन जलाती रही धूमिल बदलियाँ,
अंग-अंग सुलगते रहे उजयाली रैन से।

अनछुई चाहतों को न छोड़ पाए हम,
खंड-खंड कर गई आसक्त आबंध हमारे।

सरगम गाती मुस्कुराती हुई परी,
देखते – देखते अनजान हो गई।
मृदुल पलकों में जलते चराग सो गये,
झिलमिलाती हुई ज्योति खो गई।

लहरों सी चली अश्रुओं की मचलती तरंगिणी,
बड़े योग से बँधे मन के गुबार तोड़े तटबंध हमारे।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (भूलने के लिए सौ जनम तो चाहिए।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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गुरु गोबिंद सिंह जयंती।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु गोबिंद सिंह जयंती। ♦

सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इस वर्ष शुक्ल सप्तमी 29 दिसंबर को है इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती मनाते हैं, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को हुआ था, बिहार की राजधानी पटना के घर में हुआ था। उनके बचपन का नाम गोबिन्द राय था उनके पिता नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब वापस आ गए थे पटना के जिस घर में उनका जन्म हुआ उसमें उन्होंने 4 साल बिताए। गुरु गोबिंद सिंह जी बचपन से ही स्वाभिमानी और वीर थे, घोड़े की सवारी करना, हथियार पकड़ना, मित्रों की टोलियां एकत्रित करके युद्ध करना, शत्रु को हराने के लिए खेल में शामिल थे। उनकी बुद्धि काफी तेज थी, उन्होंने बहुत ही सरलता से हिंदी, संस्कृत, फारसी का ज्ञान प्राप्त किया था।

1670 में उनका परिवार पंजाब आ गया, हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर रहने लगे चक्क नानकी ही आजकल आनंदपुर साहिब कहलाता है। यहीं से उनकी शिक्षा का प्रारंभ हुआ गोबिन्द राय जी नित्य प्रति आनंदपुर साहिब में आध्यात्मिक, निडरता का संदेश देते थे। गोबिन्द जी शांत और क्षमा और सहनशीलता की मूर्ति थे।

कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बनाए जाने के विरोध में गुरु तेग बहादुर जी आगे आए उस समय गुरु गोबिंद सिंह जी की उम्र 9 साल की थी। कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुनकर उन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए स्वयं इस्लाम न स्वीकार न करने के कारण 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सर कटवा दिया। इसके बाद वैशाखी के दिन 29 मार्च 1676 गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए। गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही, उन्होंने लिखना-पढ़ना, सवारी करना अनेक सैन्य कौशल सीखे।

1684 में उन्होंने चंडी दी वार की रचना की। गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में हर साल मनाई जाती है। इस दिन विश्व भर में गुरुद्वारा को सजाया जाता है लोग अरदास भजन, कीर्तन के साथ लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने भी जाते हैं। इस दिन नानक वाणी भी पढ़ी जाती है और लोक कल्याण के तमाम अनेक कार्य किए जाते हैं। सभी लोग गुरुद्वारा में गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महाप्रसाद खाने जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी की 1708 में मृत्यु हो गई।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

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यह लेख (गुरु गोबिंद सिंह जयंती।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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कोहरे का प्रकोप।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ कोहरे का प्रकोप। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ कोहरे का प्रकोप। ♦

उत्तरी भारत में सर्दी से मुख ऐसा मोड़ा सुनहरी धूप ने,
ठंडक में ढल गया दिन, रात सिर्फ एक ही रूप में।

अभी कुछ दिन से ही ठंडक ने अहसास कराया,
आसमां से लेकर धरा तक सफेद धुंध की चादर को फैलाया।

सर्दी ने अपना वो रंग कुछ झटके में ही दिखा डाला,
नब्जों में खून ही जमा दिया पड़ा जो धुंध से पाला।

सड़कों पर वाहनों की रफ्तार हो ही जानी चाहिए कम,
फिर इस भागदौड़ की जिंदगी में किसी की आंखें न हो नम।

क्यों रक्तरंजित हो उठी है ये सड़कें इन शहर, नगरों की,
अंधाधुंध वाहनों की चाल से कोई लाल रंग न दिखे डगरों की।

ये इंसान का जीवन तो बहुत ही कीमती बहुत अनमोल,
धीरे – धीरे कदम बढ़ाकर मंजिल की ओर राहें खोल।

वक्त के संग प्रकृति का ये रूप भी बदल ही जायेगा,
गर जल्दबाजी में कुछ खोया तो वो कभी नही पाएगा।

माना कि इस कोहरे ने अपना जम कर पाला है बरसाया,
इसके बरसने से ही तो फसलों ने अपने यौवन को पाया।

जब दूर तलक निगाह न देख पाए तो देखे केवल पास का,
निराशा की किसी भी स्थिति में दामन न छोड़े आस का।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — उत्तर भारत में सर्दी से मुख ऐसा मोड़ा सुनहरी धूप ने की अब ठंडक में ढल गया है पूरा दिन और रात सिर्फ एक ही रूप में महसूस हो रहा। अभी बस कुछ ही दिन से ही ठंडक ने अपना अहसास कराया व आसमां से लेकर धरा तक सफेद धुंध की चादर को फैलाया है। सर्दी ने अपना वो रंग कुछ झटके में ही दिखा डाला, जिससे नब्जों में खून ही जमा दिया पड़ा जो धुंध से अचानक से पाला। कोहरे में सभी वाहन चलाने वालों को रोड़ पर बहुत ही सावधानी से धीमी गति से वाहन चलाना चाहिए, जिससे कोई दुर्घटना न हो। कुछ दिनों तक ज्यादा ठंडक पड़ना भी जरूरी है, कुछ फसलों के अच्छे पैदावार के लिए जैसे – गेहूं की फसल। जब जीवन में दूर-दूर तक नज़र ना आये कुछ तो, भी कभी आस ना छोड़े धीरे-धीरे ही कदम बढ़ाते चले, आगे रास्ता मिलता जायेगा।

—————

यह कविता (कोहरे का प्रकोप।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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अकेलेपन में किसे आवाज दूँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अकेलेपन में किसे आवाज दूँ। ♦

अकेलेपन में किसे आवाज दूँ,
दिगन्त पर नेह-प्रिया के देश।
मेरी मृगतृष्णा कहाँ ले आई,
मेरे प्राणों को किस परदेश।

महाशून्य में विलीन हो जाती,
कारुण्य शब्दों की निनाद तरंगें।
उठने से पहले सुप्त हो जाती,
नयनों के स्वप्न रंग – बिरंगें।
यह अखिल जगत स्वप्नों-सा,
क्षणिक पल सा परिवेश।

आतप अनंत कतरा भर छाया,
वाक्य हमारे अर्थ पराया।
अठखेलपना पल-पल छलती,
आकर्षण से मुग्धित माया।
श्याम-सखा बदरा से कैसे भेजूँ,
प्राण-प्रियतमे को संदेशा।

खिले – खिले कुसुमित फूलों की,
देख निशामुख झर गई लालिमा।
अकुंठ अरुण को खा लेती,
प्रचंड निशिता की घनी कालिमा।
समयकाल की अटल आधार पर,
निशान भंग के असंख्य शेष।

जन्म – जन्मांतर की अव्यक्त यातना,
अवदलित वृद्धता की दु:खद कहानी।
युग – युगान्तों से जल रही धरा पर,
द्वन्द – संघर्षों में सतत जवानी।
छलमय जमाने के निष्ठुर हाथों में,
जकड़ा है जीवन का केश।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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यह कविता (अकेलेपन में किसे आवाज दूँ।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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एक हमसफ़र ऐसा भी।

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    • ♦ एक हमसफ़र ऐसा भी। ♦
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♦ एक हमसफ़र ऐसा भी। ♦

(सच्चा प्यार)

क्या हुआ मुझे दिया नहीं कभी लाखों का हार,
पर जीवन के हर पल को माला में संजोया है।

क्या हुआ मुझे कभी दिया नहीं कीमती उपहार,
पर अपने जीवन के कीमती पल मेरे नाम किए हैं।

क्या हुआ कभी मुझे महंगी साड़ी गिफ्ट नहीं की,
पर हमारे रिश्तों को एक-एक धागे में पिरोए रखा है।

क्या हुआ ऊंचे महलों में नहीं बिठाया कभी हमें,
पर छोटे से घर की एक-एक ईंट में प्यार भर दिया है।

क्या हुआ कभी हम गए नहीं विदेश घूमने तो,
स्वदेश के हर सुनहरे संगीत से रूबरू करवाया है।

कभी किया नहीं झूठा वादा कि ताज महल बनवा दूंगा,
पर घर के एक कोने में सुंदर सा कमरा हमारे नाम किया है।

क्या हुआ कभी हम धन-दौलत से भरा नहीं हमारा घर,
प्यार भरपूर देकर हमें रहीश बना दिया है।

दुनिया से अलग है मेरे हमसफर झूठे वादे करते नहीं,
मुझे हमेशा खुश रखते हैं हमारे लिए वही काफी है।

देख दुनिया जिन से सीख ले दुनिया ऐसा हमसफर मेरा है,
तभी तो खुदा से सातों जन्म मांगती तुझको हूं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — क्या केवल धन से ही कोई अमीर होता है? हर इंसान के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उसे एहसास होता है की दिल से जो अमीर होता है, वही सच्चा अमीर है। अगर सच्चे दिलसे कोई आपको प्यार करे और आपका सदैव साथ दे तो उससे अच्छा कोई भी नहीं। मन से व दिलसे जो अमीर है वही सुखी है। जो सच्चा है वो आपको सदैव सहयोग करेगा, और जो दिखावा करता है उसके पास अपार धन होते हुए भी छोटी-छोटी बातों से दुःखी होता हैं।

—————

यह कविता (एक हमसफ़र ऐसा भी।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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बेरोजगार युवाओं का दर्द।

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    • ♦ बेरोजगार युवाओं का दर्द। ♦
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♦ बेरोजगार युवाओं का दर्द। ♦

इन नौजवानों को देख लो जरा,
समझ जाओ ना इनकी तकलीफ।

रहते हरदम परेशान बेचारे,
समझो ना इनकी बेचैनी तुम।

गहराई में छुपे अश्रुओं को देखो तुम,
खाम का ही बोलते हो दर्द नहीं होता इन्हें।

उतर जाओ नैनों में इनके एक बार,
दुख की परछाई को झांक लो जरा तुम।

इनकी हंसी के पीछे छुपे गम जानो,
तड़पते मन को मरहम लगा दो पूछकर।

जिम्मेदारियों का वजन इन पर बहुत,
कभी तो उठा लो तुम भार इनका।

संभले, सुलझे लगे भले ही तुम्हें ये,
गहराई में जा इनकी उलझ न जाना तुम।

वक्त से पहले हो जवां उठा लेते जिम्मेदारियां,
बेरोजगारी छीन लेती बचपन की हठखेलियां।

खंडूस बोल दे ताने ना वार करो तुम,
समझो गहराई, नरमी, मासूमियत इनकी।

बना लो पहचान संग इनके तुम,
समझ पीड़ा देख दर्द मिटा दो ना।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — बेरोजगार युवाओं का दर्द कोई तो समझे, उनके आंतरिक दर्द को कोई तो महसूस करें। वह अपना दर्द कभी जल्दी किसी से बया नहीं करते, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की उन्हें दर्द नहीं होता। बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है। इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। बेरोजगार व्यक्ति को अपने ही समाज अपने ही रिश्तेदार परिवार और दोस्तों का नजरिया बदल जाता है वह बेरोजगार व्यक्ति को इस नजरिए से देखते हैं कि कहीं वह हमसे पैसा ना मांगे।

—————

यह कविता (बेरोजगार युवाओं का दर्द।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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