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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता

विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता

शिक्षा का अधिकार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शिक्षा का अधिकार। ♦

ना मांगा धन और दौलत,
ना मांगा कोई हीरो का हार।
मुझे तो दे दो हे प्रभु ,
बस – शिक्षा का अधिकार।

कर्तव्य और निधि के जो है पाठ पढ़ाते,
64 कलाओं से युक्त कर जो,
एक ग्वाले को श्रीकृष्ण है बनाते।
करके गीता का निर्माण,
दिया ज्ञान का उपहार।
मुझे तो दे दो है प्रभु ,
बस – शिक्षा का अधिकार।

न मांगा राज्य और शासन,
ना मांगा कोई क्षेत्र और आसन।
मुझे तो दे दो हे प्रभु ,
बस – शिक्षा का अधिकार।

जब जली ज्ञान की अलख,
तब महान अशोक भी गया समझ।
करके बुद्धता को स्वीकार,
दिया शांति का वरदान।
मुझे तो दे दो हे प्रभु ,
बस – शिक्षा का अधिकार।

ना मांगा वर और वैभव,
ना मांगा कोई भी ऐश्वर्य और साधन।
मैं तो हूं नारी प्रभु बस,
मुझे दे दो शिक्षा का अधिकार।

यह कहकर गार्गी ने – जब किया,
राजा जनक के द्वार शास्त्रार्थ।
बृहदारण्यक उपनिषद् की,
ऋचाओं का कर निर्माण,
दिया संसार को वेदों का ज्ञान।

ना मांगा धन और दौलत,
ना मांगा कोई हीरो का हार।
मुझे तो दे दो हे प्रभु ,
बस – शिक्षा का अधिकार।

♦ कविता पाल जी – नई दिल्ली ♦

—————

  • “कविता पाल जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए उदाहरण के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — शिक्षा सभी के लिए जरूरी है चाहे वो किसी भी उम्र का हो। शिक्षा का मतलब है किसी भी इंसान का बौद्धिक विकास करना। शिक्षा किसी भी इंसान का सच्चा मित्र होता है – जो हर समय साथ निभाता है, चाहे परिस्थिति अनुकूल हो या विपरीत। आपका कोई गलत फायदा ना उठा ले, या आपके साथ कोई गलत ना करें, इसलिए शिक्षा जरूरी है। इसलिए सभी (लड़का – लड़की) को शिक्षा का पूर्ण अधिकार मिलना चाहिए।

—————

यह कविता (शिक्षा का अधिकार।) ” कविता पाल जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए, माता रानी की कृपा से।

नाम : कविता पाल
शिक्षा : पुस्तकालय विज्ञान में D.LIS, B.LIS, और M.LIS
PG Diploma in YOGA.

शौक : अध्यापन, लेखन, समाज सेवा द्वारा महिलाओं की स्थिति में जागरूकता लाना।

— अपने बारे में कुछ शब्द साहित्यिक गतिविधियां काव्य लेखन, गद्य लेखन एवं फेसबुक के विभिन्न साहित्यिक समूहों में सक्रिय सहभागिता रहती है अतः सक्रिय लेखक सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
— मेरे द्वारा फेसबुक पर अनमोल अल्फाज नामक पेज का संचालन भी किया जाता है। जिसका एकमात्र उद्देश्य समाज में मेरी कविताओं द्वारा महिलाओं एवं अन्य क्षेत्र में जागरूकता का कार्य करना है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

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साहित्य और हथियार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ साहित्य और हथियार। ♦

साहित्य जीवन की शक्ति है,
जीना जीवन का अभिव्यक्ति।
साहित्य का पढ़ना भक्ति है,
साहित्य रचना अभिव्यक्ति है॥

अभिव्यक्ति समर्थ शक्ति है,
शक्ति में निहित भक्ति है।
साहित्य जीवन की शक्ति है,
भक्ति सत साहित्य प्रवीण है॥

इतिहास अतीत बताता है,
अतीत – मार्ग दर्शाता है।
साहित्य आगे चलने वाली ढाल,
शिक्षा विवेक शील हथियार है॥

शिक्षा से बदलाव आता है,
स्वावलंबी बनने में मददगार है।
और शिक्षा सदमार्ग दिखाती है,
शिक्षा लोकप्रिय बनाती है॥

हथियार रक्षा करता रहता है,
संस्कृति रक्षा आवश्यक है।
संस्कृति में सद्भाव पलता है,
सद्भाव सच्चा प्रेम रखता है॥

प्रेम से समाज बनता है,
समाज नेक काम करता है।
व्यवसाय में कभी केवल,
जज्बात नहीं चलती है।
सब कुछ होता है परंतु,
यह बात नहीं होती है॥

शोहरत इज्जत पाने में,
मैं! जिसने नीलाम किया।
वही आज इस दुनिया में,
सबमें बड़ा महान हुआ॥

उसी को ऊंचा नाम मिला,
जिसने सभी का गुणगान किया।
सबका उसने सम्मान किया,
उसको दुनिया ने मान लिया॥

लोगों को बर्बाद करने वाला,
पहले खुद बरबाद होता है।
सत्यवादी मार्ग बताने वाला,
घमंड का विनाश करता है॥

इच्छाएं अनंत राह चलने वाली,
विनम्रता उचाई देने वाली है।
संतोष से खुशियां मिलने वाली,
सद कर्म अच्छाई सिखाता है॥

सत कर्म मनुष्य करने वाला,
वक्त भांप कर चलने वाला।
जीवन में सदा संतोषी स्वभाव,
ही, सबकी भलाई करने वाला॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — किसी भी इंसान और समाज के लिए साहित्य और हथियार की क्या अहमियत है? किसी भी इंसान और समाज को कब साहित्य का और कब हथियार का उपयोग करना चाहिए? साहित्य और हथियार क्यों सभी के लिए जरूरी है? साहित्य बुद्धिमत्ता के लिए और आत्मरक्षा के लिए हथियार क्यों जरूरी है?

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (साहित्य और हथियार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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आज न जाने क्यों?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आज न जाने क्यों? ♦

आज न जाने क्यों मेरे हर हौसले है, यूं बेबजह पस्त हुए?
इस दुनियां में हर आदमी, क्यों बेपरवाह और व्यस्त हुए?

आज है फुरसत नहीं यहां, किसी को किसी से बतियाने की।
रही तहजीब नहीं है शेष अब, किसी में किसी को मनाने की।

जो रूठ गया सो रूठ गया, फिर करता ही कोई बात नहीं।
अरे भाई सुलह भी तो रास्ता है, हर बात का हल तलाक नहीं।

नेमत है यह जिन्दगी खुदा की, यूं ही तो कोई इतेफाक नहीं।
सौदे जिन्दगी के हैं ये दोस्त, कोई सड़कों पर बिछी खाक नहीं।

बुजुर्गों की अब सुनता ही कौन है? युवा नशों में है खो गए।
चोर – उचक्के घूम रहे हैं खुले आम आज, कोतवाल है सो रहे।

ऊपर से नीचे तक है फैल गया, देखो तो आज भ्रष्टाचार यहां।
आदमी से आदमी का रिश्ता है स्वार्थ का, रहा कहां अब प्यार यहां?

खौलता है देख के खून तो अपना, यह लूटपाट होती खुले आम, में।
चाहकर भी न कर पाता हूं इच्छित कुछ, फंस जाता हूं बने विधान में।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बताया है की “आजकल के युवाओं का जीवन किस राह पर भटक रहा है, उनको खुद ही नही मालूम। उनके अनियंत्रित भटकते हुए जीवन का कोई किनारा नहीं।” ये कैसा समय चल रहा है जहां खुले आम लूटपाट होती है। चोर – उचक्के घूम रहे हैं खुले आम आजकल, कोतवाल है सो रहे।

—————

यह कविता (आज न जाने क्यों?) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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आता है अकेला – चार कंधे से जाता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आता है अकेला – चार कंधे से जाता। ♦

इंसान आता है इस धरा पर अकेला — चार कंधे से जाता।

मनुष्य धरा पर अकेला आता,
रोता हुआ खुद जन्म पाता।
जन्म जिस घर में वह लेता,
गीत गवनई वहां गाया जाता।

छठी बरही भी किया जाता,
पालन करने वाला पिता होता।
वहां ढोल मजीरा बजता पाता,
गांव में मुंह मीठा किया जाता।

बच्चे – बच्ची खुशहाली आती,
कालिया आंगन की खुल जाती।
माता उसी की दुखहर्ता होती,
चारों तरफ से बधायां मिलती।

क्रिया – कर्म समझ नहीं पाता,
कुछ दिन बाद खुद उलझ जाता।
मोह – माया में मनुष्य बध जाता,
जन्म – मरण चक्कर फंसा पाता।

आप पाप पुण्य में फंस जाता,
कंचन चक्कर, धरा में घस जाता।
जो भी मंशा लेकर मानव आता,
ठगा हुआ दुनिया में खुद पाता।

कर्म धर्म सारे समझ नहीं पाता,
उसके संग कुछ भी नहीं जाता।
जबकि मनुष्य जीवन सुंदर पाता,
यश कीर्ति धरा पर ही रह जाती।

जिस जीवन हेतु देवता तरस जाता,
उसी पाकर मनुष्य दुख लेकर आता।
जीवन चक्र में वह सुख कहां पाता,
शरण में देवताओं के जब नहीं जाता।

मुक्ति पाने की अभिलाषा लाता,
सत्कार मुंह से जाने क्यों कराता।
अपनी भूल पर अंत छटपटाता,
पाप – पुण्य कर्म समझ नहीं पाता।

झटपट अर्थार्जन में ध्यान बटाता,
पितृ – ऋण भी चुका नहीं पाता।
मृत्यु के समय सबको रुला जाता,
चार कंधों से श्मशान घाट जाता।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – बहुत भाग्य से मानव जीवन मिला है जिसके लिए देवता भी तरशते है। अपने इस अनमोल जीवन को यूँ ही नष्ट ना कर दो। अपने इस अनमोल जीवन का सार्थक प्रयोग करो। जीवन के खट्टे- मीठे उतार चढ़ाव का मधुर वर्णन किया है। अच्छे कर्म कर, जीवन का सदुपयोग कर, मानव जन्म को आनंदमय बनाएं।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (आता है अकेला – चार कंधा से जाता।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।

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एक दिन फोन आया।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ एक दिन फोन आया। ♦

विश्व गाथा प्रकाशन से,
मुझे फोन आया।

अ हिंदी क्षेत्र गुजरात,
से भी विश्व गाथा का,
प्रकाशन होता बताया।

लखनऊ में आफिस को,
एक है गाथा का बताया।

हमने उनसे जब नाम,
श्रीमान का जानना चाहा।
उन्होंने प्यार से नाम अपना,
पंकज त्रिवेदी हमें बताया।

हमने कहा श्रीमान आपकी,
पारदर्शिता ही विश्व गाथा,
को ऊंचाई प्रदान किया है।

आगे बढ़कर हिम्मत जुटाया।
अवध निवासी सुख मंगल सिंह।
अपना नाम उन्हें दर्ज कराया।

सोमवंशी क्षत्री कुल मेरा फरमाया।
काशी में प्रवासी हुकुम मैं बताया।
मां भगवती और गंगा को मनाया।
बाबा विश्वनाथ में दिल लगाया।

त्रिवेदी जी के दीर्घायु की कामना।
हमने फोन पर ही उन्हें सुनाया।
नमस्कार बंदगी के दरमियान।
काशी से अपना नाता है सन पाया।

हां जहां तक मुझे याद आता है।
सितंबर 2017 की यह बात है।
बड़े लोगों से बात कभी होती है।
हृदय में उमंग विशेष होती है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – विश्व गाथा प्रकाशन से, फ़ोन कॉल आया, कवि ने कविता के माध्यम से प्रशंसा करना बताया। कैसे किसी की प्रशंसा करें, और शॉर्ट में अपना परिचय दिया। फोन कॉल के दौरान आपको कैसा व्यवहार करना चाहिए ये समझाया।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (एक दिन फोन आया।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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रचनाएं भर रात जगाती।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ रचनाएं भर रात जगाती। ♦

rachanaen-bhar-raat-jagaatee-kmsraj51.png

भर रात जगाती रचनाएं,
नींद ना आती।
रात गुनगुना कर कह जाती,
कही कहानी अपनी।

चार दिसंबर दो हजार सत्तरह,
लहुरावीर की बात बताती।
लोगों में भरा कितना कलियुगी,
जीवन इतिहास दोहराती।

इठलाते-बलखाती व्यंग बराबर,
कसते उपहास उड़ाती।
इसे विडम्बना ही मानो ,
सच्चाई सपने में कह जाती।

वह दिन भी सूना ही होगा।
वस्तु लोग खोई लौटाते…
पर देशों की परम्परा को,
राष्ट्र हम नहीं ला पाते।

दक्षिण भारत की सभ्यता को,
भी हम नहीं अपनाते।
भूलें अपनी या प्रवंचना,
औरों को भी बतलाऊं।

उस गाथा को कैसे गाऊं,
अंधियारी की रात सुनाऊं।
नहीं-नहीं खिलखिली धुप में घुप,
हंसता हुआ मित्र एक आता।

अपनी वह पाथेय एक सौ छत्तीस,
साथ लेकर रचना जाता।
सुनकर क्या कर सकते हो ?
मेरी अमृत बीती गाथा।

अभी समय है सोई नहीं मेरे,
परीश्रम की मौन व्यथा।
साइट पर मेरे विद्यमान है,
लेकर एक सुनहरी आभा।

उसने व्यसन में अपने साथियों के,
साथ छका – गांठा।
कुतूहल थी जिन आँखों में,
उस दिन पानी भर आया।

स्वच्छंद सुमन जो खिले थे कल तक,
प्रतिभा छाया गुनगुना उठी।
कहती ! ठहरो कुछ सोचो -विचार करो,
अपने भी घातक होते लहरी।

हो चकित निकल आई सहसा।
कोमल पंखुड़ियां आँखों में गहरी।
‘मंगल’ सौन्दर्य जिसे कहते हैं।
अनंत अभिलाषा के सपने तुझमें।

सुन्दरता मेरी आँखों को रह-रहकर,
समझा जाती है, और बताती।
हलकी सुशान की भाषा में,
मित्रों की दुर्बलता को भी गाती है।

तुम्हें स्मित रेखा खींच कर एक अभी,
संधिपत्र लिखना ही होगा।
उस अंचल मन पर उन्हीं मित्रों से,
कुछ – कुछ सीखना होगा।

नित्य विरुद्ध संघर्ष सदा,
विश्वास, संकल्प अश्रु जल से।
आसमान में पक्षी उड़ती,
समंदर में तुझे उतरना होगा।

‘मंगल’ कह दो अपनी यादों को,
मुझे जलाना छोड़ दे।
उस पर आंसूं बहाना व्यर्थ है।
रक्त बहाना छोड़ दें।

बहुत पहेलियाँ सुलझाया होगा,
अपने इस जीवन पल में।
सद्भाव – प्रेम की पोथी पढाओ।
अपने विछुरे साथियों में।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – रियलिटी को समझो, अपने आप में सुधार करो, मायाजाल में न फसो।

—•—•—•—

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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